लिरिड उल्कापात Lyrid Meteor Shower
लिरिड उल्कापात का नजारा 22 अप्रैल की रात को।
सी वी रमन विपनेट विज्ञान क्लब C V Raman VIPNET Sci. Club
सी0 वी0 रमन विपनेट विज्ञान क्लब सदस्यों द्वारा उल्का, उल्कापात, उल्कापिंड, छूद्रग्रह, धूमकेतु आदि अन्य खगोलीय पिंडों पर वाट्सएप्प ग्रुप पर चर्चा की गई। इस चर्चा के दौरान में 22 अप्रैल को रात्रि में उल्कापात देखने सम्बंधित टिप्स दिए गए।
लिरिड नामक उल्का वर्षा का अधिकतम नज़ारा 22 अप्रैल, 2020 रात्रि को रहेगा।
जो अगले कुछ दिन तक और भी दिख सकता है। कृष्ण पक्ष की इन रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश बहुत कम रहता है तो गिरती उल्कायें साफ दिखायी देंगी ऐसी संभावना है, बशर्ते बादल ना हों। यह वाला उल्कापात उत्तरी गोलार्ध में यानी हमे अच्छी तरह से दिखेगा।
इन उल्काओं के गिरने की गति 48.4 किलोमीटर/सेकेंड की होगी। इन गिरती उल्काओं को देखने का समय मध्य रात्रि से लेकर अलसुबह 4 से 5 बजे तक का समय अच्छा रहेगा।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार उचित समय मे एक घंटे में 10 से 20 उल्कापात होना दृष्टिगोचर हो सकते है। ये उल्कापात लाइरा नक्षत्र में होने के कारण इनका नाम लिरिड उल्कापात रखा गया है। प्रतिवर्ष अप्रैल में यह घटना घटित होती है, क्योंकि इस वक्त पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान अंतरिक्ष के ऐसे क्षेत्र से गुजरती है, जहां अंतरिक्ष में धूमकेतुओं (पुच्छलतारों) की पूंछ से छूटे छोटे-बड़े पत्थरनुमा टुकड़े बहुत ज्यादा संख्या होते है। उल्कायें सी/1861 जी-1 थैचर नामक पुच्छल तारे के मलबे द्वारा उत्पन्न की जाती हैं। जिस धूमकेतु द्वारा उल्काएं उत्पन्न होती है उसे अभिभावक धूमकेतु कहा जाता है।
पूरे साल में इस समय मौसम बहुत बढ़िया बना हुआ है प्रदूषण भी न्यूनतम स्तर पर है।
सी वी रमन विपनेट विज्ञान क्लब सरोजिनी कालोनी के सदस्य इस लॉकडाउन के चलते अपने अपने घर की छत से इस उल्कापात का अवलोकन करेंगे। उन्हें क्लब समन्वयक दर्शन लाल बवेजा द्वारा क्लब के वट्सअप ग्रुप पर जानकारी व आवश्यक कॉर्डिनेट दे दिए गए हैं।
उल्कापात को सामान्य जनमानस टूटता तारा भी कहते हैं और इस रोशनी की लकीर को देख कर मुरादें (विश) माँगी जाती है। यह एक पुराना रिवाज है जबकि इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नही है। जब कोई उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं तो वह वायुमंडलीय घर्षण के कारण जलकर चमकने लगती है और क्षण भर में जलकर स्वाहा हो जाती है व रोशनी की एक लकीर छोड़ जाती है। यदि पूरे वायुमंडल को पार करने के बाद भी उल्का जलने के पश्चात भी शेष रह जाती है तो वह पृथ्वी से टकरा जाता है उसे उल्कापिंड कहते हैं।
वर्ष 2020 के महत्त्वपूर्ण उल्कापात:
4 जनवरी, 2020 क्वाड्रंटिड्स
22-23 अप्रैल, 2020 लिरिड्स
5 मई, 2020 एटा एक्वारिड्स
जुलाई के अंत में, 2020 डेल्टा एक्वारिड्स
12 अगस्त, 2020 पर्सिड्स
7 अक्टूबर, 2020 ड्रेकोनिड्स
21 अक्टूबर, 2020 ओरियोनिड्स
4-5 नवंबर, 2020 साउथ टॉराइड्स
11-12 नवंबर, 2020 उत्तर टॉरिड्स
17 नवंबर, 2020 लियोनिड्स
13-14 दिसंबर, 2020 जेमिनीड्स
22 दिसंबर, 2020 उर्सिड्स।
इसके अलावा भूली भटकी उल्कापात तो रोजाना होता हैं।
दर्शन लाल बवेजा प्रस्तुति