विज्ञान अध्यापक खाली हाथ भी कक्षा में एक संसाधन व्यक्ति होता है - बवेजा
तेजली स्थित जिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में जगाधरी खण्ड के विद्यालयों विज्ञान अध्यापकों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला चल रही है। यह कार्यशाला एससीईआरटी, गुरुग्राम के तत्वाधान में समग्र शिक्षा के अंतर्गत लगायी गयी है। इस कार्यशाला का उद्घाटन डाइट के प्रधानाचार्य श्री सुरेश कुमार ने किया। कार्यशाला का संचालन वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र अरोड़ा एवं संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभारी व वरिष्ठ प्रवक्ता श्री अशोक राणा, डॉ संजीव कुमार ने किया।कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर के रूप में श्री सुनील बाठला, श्री राजीव खुराना एवं श्रीमती अंजू नय्यर ने अध्यापकों को रसायन, भौतिकी एवं जीव विज्ञान विषय पर उच्च प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए विभिन्न नवाचारी विज्ञान गतिविधियों द्वारा प्रशिक्षित किया। पाँच दिनो तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रतिभागी अध्यापक भी नवऊर्जा के साथ अपना योगदान दे रहे हैं।
इसी कड़ी में कैंप के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने गीतांजलि पुन्नू विज्ञान अध्यापिका कुंजल जट्टान व सुभाष काम्बोज पांसरा के सहयोग से अपने एक नए प्रोजेक्ट से अध्यापकों को रूबरू कराया। बवेजा का कहना है कि यदि अध्यापक खाली हाथ भी कक्षा में जाता है तो वह खुद में एक रिसोर्स पर्सन है। अध्यापक को अपने शिक्षण कार्य में विभिन्न नवाचारी गतिविधियों को शामिल करते हुए पढ़ाना चाहिए व विद्यार्थियों को भी इसमें सम्मिलित करना चाहिए। विज्ञान पढ़ने और रटने का विषय कम व हाथ से करके देखने का विषय अधिक है।
उन्होंने प्रशिक्षु विज्ञान अध्यापकों को पचास विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करनी सिखायी जिसके लिए उन्हें किसी खास विज्ञान उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ी। कक्षा में विद्यार्थियों के बस्ते व आसपास से सामान एकत्र करके सभी पचास पाठ्यक्रम आधारित विज्ञान गतिविधियों को करके दिखाया।
जिनमें मुख्यतः वायु दबाव की गतिविधि कार्ड से पानी रोकना, रुमाल से पानी रोकना से पानी रोकना, पानी के आयतन का अनुमान लगाना, मिट्टी में वायु होती है, स्प्रे पंप कैसे काम करता है, पानी में पेंसिल का मुड़ना, प्रकाश का अपवर्तन, कागज पर बने तीर का घूम जाना, फूक मारने पर दो कागजों का आपस में नजदीक आना, कागज की स्ट्रिप का ऊपर उठना, कागज की अपनी ओर खींचने पर गिलास का नीचे न गिरना, जड़त्व गतिविधि में बस के चलने रुकने पर में यात्रियों के आगे पीछे गिरने में जड़त्व का सिद्धांत, सेंटर आफ ग्रेविटी गुरुत्व केंद्र, स्थिर वैद्युत आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेशित स्केल व पैन की ओर आकर्षित होना, नियंत्रण एवं समन्वय गतिविधि में कार्ड को न पकड़ पाना, पानी में स्याही की की बूंद डालकर संवहन धाराएं दिखाना व अणुओं की टक्कर, जड़ों के प्रकार, शिरा विन्यास, हृदय गति की गणना, नब्ज को खोजना व गणना, ध्वनि में कागज व पैन की कैप की सीटी बनाना, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन, सूर्य की धूप में सात रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम का देखना का देखना, किताब का क्षेत्रफल, दाब बल व क्षेत्रफल में संबंध, ठोस वस्तुओं में ध्वनि संचरण, हथेलियों को रगड़ने से घर्षण द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होना, मानव शरीर की विभिन्न संधियों को पहचानना, दंत संरचना समझना व दांतों की देखभाल करना, पारदर्शी अपारदर्शी व पारभासी वस्तुओं की पहचान करना, किये गये कार्य को परिभाषित करना, दूरियों के मापन में अनुमान लगाना, कक्षा में धातु व मिश्र धातु की पहचान करना, पैन की कैप से निर्वात निर्वात को समझाना, विज्ञान की किताबों में महत्वपूर्ण शब्दों को ढूंढना संबंधित गतिविधि, हथेली में छेद हो जाना, धातुओं द्वारा ऊष्मा का अवशोषण, दो कॉपियों का अलग ना होना, अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी का हेल्थ प्रोफाइल बनाना, विभिन्न कपड़ों के रेशो को पहचानना, सिक्के का गिलास में गिरना और विभिन्न चश्मों में लगने वाले लेंसों की पहचान करवाना जैसी पाठ्यक्रम आधारित गतिविधियां करवाई गयी। जिससे यह सिद्ध हो गया कि उचित प्रशिक्षण के बाद कक्षा में विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न करने के लिए अध्यापक खुद स्थानीय संसाधन एकत्र कर विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करवा सकता है। प्रशिक्षण में उपस्थित विज्ञान अध्यापकों ने इन गतिविधियों को अपने पास नोट किया और साथ साथ उन्हें करके भी देखा।
जिनमें मुख्यतः वायु दबाव की गतिविधि कार्ड से पानी रोकना, रुमाल से पानी रोकना से पानी रोकना, पानी के आयतन का अनुमान लगाना, मिट्टी में वायु होती है, स्प्रे पंप कैसे काम करता है, पानी में पेंसिल का मुड़ना, प्रकाश का अपवर्तन, कागज पर बने तीर का घूम जाना, फूक मारने पर दो कागजों का आपस में नजदीक आना, कागज की स्ट्रिप का ऊपर उठना, कागज की अपनी ओर खींचने पर गिलास का नीचे न गिरना, जड़त्व गतिविधि में बस के चलने रुकने पर में यात्रियों के आगे पीछे गिरने में जड़त्व का सिद्धांत, सेंटर आफ ग्रेविटी गुरुत्व केंद्र, स्थिर वैद्युत आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेशित स्केल व पैन की ओर आकर्षित होना, नियंत्रण एवं समन्वय गतिविधि में कार्ड को न पकड़ पाना, पानी में स्याही की की बूंद डालकर संवहन धाराएं दिखाना व अणुओं की टक्कर, जड़ों के प्रकार, शिरा विन्यास, हृदय गति की गणना, नब्ज को खोजना व गणना, ध्वनि में कागज व पैन की कैप की सीटी बनाना, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन, सूर्य की धूप में सात रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम का देखना का देखना, किताब का क्षेत्रफल, दाब बल व क्षेत्रफल में संबंध, ठोस वस्तुओं में ध्वनि संचरण, हथेलियों को रगड़ने से घर्षण द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होना, मानव शरीर की विभिन्न संधियों को पहचानना, दंत संरचना समझना व दांतों की देखभाल करना, पारदर्शी अपारदर्शी व पारभासी वस्तुओं की पहचान करना, किये गये कार्य को परिभाषित करना, दूरियों के मापन में अनुमान लगाना, कक्षा में धातु व मिश्र धातु की पहचान करना, पैन की कैप से निर्वात निर्वात को समझाना, विज्ञान की किताबों में महत्वपूर्ण शब्दों को ढूंढना संबंधित गतिविधि, हथेली में छेद हो जाना, धातुओं द्वारा ऊष्मा का अवशोषण, दो कॉपियों का अलग ना होना, अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी का हेल्थ प्रोफाइल बनाना, विभिन्न कपड़ों के रेशो को पहचानना, सिक्के का गिलास में गिरना और विभिन्न चश्मों में लगने वाले लेंसों की पहचान करवाना जैसी पाठ्यक्रम आधारित गतिविधियां करवाई गयी। जिससे यह सिद्ध हो गया कि उचित प्रशिक्षण के बाद कक्षा में विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न करने के लिए अध्यापक खुद स्थानीय संसाधन एकत्र कर विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करवा सकता है। प्रशिक्षण में उपस्थित विज्ञान अध्यापकों ने इन गतिविधियों को अपने पास नोट किया और साथ साथ उन्हें करके भी देखा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों को पृथ्वी की परिधि नापने का मशहूर इरेटोस्थनीज प्रयोग करन सिखाया गया। जिसमें उन्हें नून टाइम की गणना करना और पृथ्वी की परिधि नापना सिखाया गया।
इस गतिविधि में अध्यापकों ने बहुत रुचि ली। उनका भूगोल, खगोल सम्बन्धित ज्ञान भी बढ़ा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद अध्यापक इन गतिविधियों को अपने अपने विद्यालयों में विद्यार्थियों समक्ष करके अपने विज्ञान शिक्षण को और अधिक रुचिकर बनाएंगे। प्रशिक्षण अधिकारी श्री अशोक राणा ने ने बताया कि अध्यापक के लिए समय समय पर ऐसे प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अध्यापकों को अपडेट करने वह तरोताजा करने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
इस गतिविधि में अध्यापकों ने बहुत रुचि ली। उनका भूगोल, खगोल सम्बन्धित ज्ञान भी बढ़ा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद अध्यापक इन गतिविधियों को अपने अपने विद्यालयों में विद्यार्थियों समक्ष करके अपने विज्ञान शिक्षण को और अधिक रुचिकर बनाएंगे। प्रशिक्षण अधिकारी श्री अशोक राणा ने ने बताया कि अध्यापक के लिए समय समय पर ऐसे प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अध्यापकों को अपडेट करने वह तरोताजा करने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
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Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Incharge Jamun Eco Club
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017) Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments, Simple Science Experiments, TLM (Science) Developer
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