Monday, February 12, 2018

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस National Deworming Day

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस National Deworming Day
विज्ञान क्लब सदस्य 
बच्चों को कृमिनाशक गोली बारे किया जागरूक
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर विद्यालय के  1600 बच्चों को दी जाएगी एल्बेंडाजोल की चबा कर खाएं जाने वाली गोली।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कैम्प यमुनानगर में  राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने  बच्चों को पेट में पाए जाने वाले कीड़ों (कृमियों) के कारण, हानियों व उनसे बचाव के उपायों बारे जागरूक भी किया।
विद्यालय के विज्ञान क्लब, इको क्लब व एनएसएस, एनसीसी के सदस्यों के लिए एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस विचारगोष्ठी का आरम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य  परमजीत गर्ग ने किया। उन्होंने बताया कि देश भर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नेशनल डीवार्मिंग अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में विद्यालय के बच्चों को दस फरवरी को कृमिनाशक एलबेंडाजॉल की चबा कर खाएं जा सकने वाली एक एक गोली दी जाएगी। जिससे वो पेट के कीड़ों से बचे रहेंगे। जो बच्चे छूट गए हैं उनको 15 फरवरी को यह दवाई दी जायेगी।
विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि बच्चो में इनसे संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक होता है। इनसे सभी आयु वर्गों  बड़े या बच्चे, सभी को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है।  राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर विद्यार्थियो को जिनकी आयु 1 वर्ष से 19 वर्ष तक है को कृमिनाशक गोलियां खिलाई जा रही है। अभी विशेषकर गोलकृमी एस्केरिस की दवाई दी जा रही है जिसको खाने से बच्चे इस कृमि के अटैक से बचे रह सकते हैं। कुपोषित बच्चे के पेट में कृमि होने की अधिक संभावना होती है। 
क्या होते हैं पेट के कीड़े?
पेट के कीड़े असल में परजीवी होते हैं जो हमारे शरीर में रह कर शरीर से ही अपना पोषण पाते हैं। गोल कृमि (एस्केरिस), फीता कृमि, हुकवार्म, लिवेरफ़्लूक, पिनवार्म, फाइलेरिया वार्म सब  परजीवी हैं जो जीवों के शरीर में रह कर अपना पोषण करते हैं और फलस्वरूप अन्य जीवों को बीमार कर देते हैं।
इनके सक्रमण के कारण।
खुले में मल त्याग, भोजन से पहले हाथों का अच्छे से ना धोया जाना, सब्जी फलों को बिना धोये खाना, नंगे पैर चलना, दूषित जल को पीना, भोजन को ढ़क कर न रखना  आदि बहुत से कारण हैं जिस वजह से इन कृमियों के अंडे मानव शरीर में पहुँच जाते हैं। जीवों के मल के साथ इनके अंडे शरीर के बाहर आते है और फिर विभिन्न माध्यमों से अन्य जीवों के शरीर में पहुँच जाते हैं।  बाजार में बिना ढके खाद्य पदार्थ भी धूल मिट्टी के कारण इनके अण्डों से दूषित हो जाते हैं। खुले में रखे पदार्थों को नहीं खाना चाहिए।
संक्रमण के लक्षण
इन कृमियों से पीड़ित बच्चों को आम तौर एनिमिक पाया जाता हैं। इनमे खून की कमी होती है। ये पेट के कीड़े ही बच्चों में खून की कमी और एनिमिया का कारण बनते है। खुराक लेने के बाद भी बच्चे कमजोर व पीतवर्ण लगते हैं। कुपोषित, चिड़चिड़ा व्यवहार प्रकट करते हैं।
बच्चों में कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ धोने की आदत को विकसित किया जाना जरूरी है। सब्जियों को अच्छे से धोकर पका कर खाना चाहिए। फलों को भी धोकर खाना चाहिए।
इस अवसर पर प्रवक्ता रोहताश राणा, अरुण कुमार कैहरबा, सेवा सिंह, आलोक कुमार, चंद्रशेखर, वीरेंद्र कुमार, अनुराधा रीन, दलीप दहिया, ममता शर्मा, पंकज मल्होत्रा भी उपस्थित रहे।
मीडिया की माध्यम से भी जागरुकता संदेश प्रचारित किये गए।
अखबारों में




Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017)  Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments, Simple Science Experiments, TLM (Science) Developer
Web Links 
http://www.sciencedarshan.in/
http://kk.sciencedarshan.in/
http://darshansandbox.blogspot.com/
http://gsssalahar.blogspot.com/
https://www.facebook.com/Darshan.Baweja
https://www.facebook.com/ScienceDarshan/





1 comment:

  1. बेहतरीन जागरूकता प्रयास

    ReplyDelete

टिप्पणी करें बेबाक