Monday, December 31, 2018

2019 की खगोलीय घटनायें Astronomy events in 2019


ग्रहण, पारगमन, उल्कापात, ब्लूमून व  सुपरमून जैसी खगोलीय घटनाओं से बीतेगा वर्ष 2019, नए वर्ष का खगोलीय घटनाओं का पञ्चाङ्ग 2019
नये वर्ष का आगाज खगोलीय गतिविधियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। पूरे साल जो खगोलीय घटनाएं घटित होने वाली है उनका जिक्र करते हुए सी वी रमन साइंस क्लब यमुनानगर के समन्वयक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि नए साल की शुरुआत में ही उल्कापात देखने का नजारा मिलेगा 3 और 4 जनवरी को आकाश में उल्कापात का नजारा देखने को मिलेगा। जिसमें लगभग 40 उल्कायें प्रति घंटा की दर से पृथ्वी की ओर बढ़ेंगी।  6 जनवरी को पहले नये चंद्र उदय उदय के साथ धूमिल आकाशगंगा व धूमिल तारा संकुल देखे जा सकते हैं। 5 जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण है जिसे है जिसे पूर्वी एशिया और उत्तरी प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।
सबसे गजब नजारा 21 जनवरी को पूर्ण चंद्रग्रहण का होगा जिसे लगभग पूरी दुनिया में देखा जा सकेगा। 22 जनवरी को तो सबसे चमकदार ग्रह शुक्र और बृहस्पति का युग्मन यानी दोनों बहुत पास पास होंगे। यह भी अद्भुत नजारा होगा लेकिन इसे अल सुबह ही देखा जा सकेगा। उत्तरी भारत में धुंध कोहरा ना हो तो इस नजारे का आनंद अल सुबह के आकाश में लिया जा सकेगा।
19 फरवरी को पूर्णिमा पर सुपरमून का नजारा पेश आएगा। जिसमें चंद्रमा 30% अधिक चमकदार वह 14% सामान्य से बड़ा दिखेगा। 27 फरवरी को शाम के क्षैतिज आकाश में बुध ग्रह का बढ़ाव पेश आएगा। इस दिन बुध ग्रह सूर्यास्त के बाद अधिकतम ऊंचाई पर दृश्यमान होगा।  20 मार्च को विषुव (ईक्विनॉक्‍स्‌) होगा जिस दिन सैद्धांतिक रूप से दिन और रात 12-12 घंटे के यानी बराबर होंगे।  21 मार्च को फिर चंद्रमा सुपरमून रूप में नजर आएगा इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। 22 मार्च को मेरीट्स उल्कापात का नजारा होगा जिसमें उल्कापात की तरह 20 उल्का प्रति घंटा होगी। 6 व 7 मई को फिर से उल्कापात का नजारा देखने को मिलेगा जिसमें उल्कापात की दर 60 उल्कायें प्रति घंटा सबसे अधिक होगी। 18 मई को पूर्णमासी के दिन फिर से सुपरमून का नजारा देखने को मिलेगा। यह एक अद्भुत नजारा होता है और 1 साल में तीन बार सुपरमून की स्थिति आए यह बहुत ही दुर्लभ खगोलीय घटना होती है। 10 जून को हमारी यानी पृथ्वी की बृहस्पति से निकटता होगी। जिसका अद्भुत नजारा दूरदर्शी से लिया जा सकता है।
21 जून को अयनांत को सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन में प्रवेश करेगा। यह सबसे लंबा दिन होता है और सूर्य इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे और राते लंबी होने का आगाज करता है। 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण होगा परंतु यह है हम भारत मे नहीं देख पाएंगे। अर्जेंटीना और चिली में यह आंशिक रूप से कुछ समय के लिए देखा जा सकता है वो सूर्यास्त के समय से कुछ ही पहले बस। 9 जुलाई से शनि ग्रह पृथ्वी से निकटतम दूरी पर होगा और खगोलशास्त्री इसे व इसके छल्ले को छोटी परावर्तक दूरदर्शी से भी देख सकते हैं। 16 जुलाई को आंशिक चंद्रग्रहण होगा जो सारे यूरोप, अफ्रीका, मध्य एशिया व हिंद महासागर में देखा जा सकता है। 28 व 29 जुलाई को फिर से उल्कापात का नजारा 20 उल्का प्रति घंटा की दर से देखने को मिलेगा। उल्कापात अभी 12 और 13 अगस्त को भी होगा जिसकी दर 60 उल्का प्रति घंटा रहेगी। 9 सितंबर को नेपच्यून ग्रह पृथ्वी के साथ सीध में होगा। 23 सितंबर को विषुव (ईक्विनॉक्‍स्‌) के दिन फिर से दिन और रात बराबर हो जायेंगे जिनकी अवधि 12-12 घंटे रहेगी। 28 अक्टूबर को यूरेनस पृथ्वी के नजदीक होगा।
11 नवंबर को बुध ग्रह का संक्रमण होगा। बुध ग्रह सूर्य के समक्ष से गुजरेगा जो पृथ्वी से देखने पर सूर्य के मुखड़े पर काली बिंदी के रूप में गुजरता हुआ नजर आएगा।
यह बहुत अद्भुत नजारा होता है। नवंबर 24 से फिर दो चमकदार ग्रह शुक्र और बृहस्पति शाम के समय आकाश में चमकते हुए नजर आएंगे। साल 2019 के आखिरी महीने में 13 में 14 दिसंबर को वर्ष का सबसे बड़ा उल्कापात देखने को मिलेगा। जिसमें उल्कापात की दर 120 उल्का प्रति घंटा रहेंगी। इस उल्कापात में टकटकी लगाकर आकाश में देखते रहने से लगभग सभी को उल्कापात यानी टूटते तारे का नजारा देखने को मिल सकता है। इस प्रकार साल 2019 खगोल प्रेमियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष रहने वाला है। खगोलशास्त्री इन सब घटनाओं के अवलोकन के लिए विभिन्न प्रकार की तैयारियां करने के लिए कमर कस चुके हैं। खगोलीय गतिविधियों के अंतर्गत आकाश दर्शन व खगोलीय घटनाओं का नजारा लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इनमें से बहुत सी ऐसी खगोलीय घटनाएं होती है जो मनुष्य के जीवन काल में केवल एक बार घटित होती है इसलिए हमें हमेशा खगोलीय गतिविधियों के अंतर्गत इस खगोलीय घटनाओं का आनंद लेना चाहिए। इससे मनुष्य अंधविश्वासों से दूर होता है और उसका ज्ञान वर्धन होता है।  सीवी रमन साइंस क्लब यमुनाननगर के सदस्यों ने इस वर्ष अधितर गतिविधियों को करवाने का इंतजाम किया है ताकि नगर के बच्चे इन खगोलीय घटनाओं का आनंद ले सके।
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Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Incharge Jamun Eco Club
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017)  Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
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पांच दिवसीय उच्च प्राथमिक विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला Five days upar primary Science Teachers Training Program


विज्ञान अध्यापक खाली हाथ भी कक्षा में एक संसाधन व्यक्ति होता है - बवेजा
तेजली स्थित जिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में जगाधरी खण्ड के विद्यालयों विज्ञान अध्यापकों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला चल रही है। यह कार्यशाला एससीईआरटी, गुरुग्राम के तत्वाधान में समग्र शिक्षा के अंतर्गत लगायी गयी है। इस कार्यशाला का उद्घाटन डाइट के प्रधानाचार्य श्री सुरेश कुमार ने किया। कार्यशाला का संचालन वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र अरोड़ा एवं संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभारी व वरिष्ठ प्रवक्ता श्री अशोक राणा, डॉ संजीव कुमार ने किया।
कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर के रूप में श्री सुनील बाठला, श्री राजीव खुराना एवं श्रीमती अंजू नय्यर ने अध्यापकों को  रसायन, भौतिकी एवं जीव विज्ञान विषय पर उच्च प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए विभिन्न नवाचारी विज्ञान गतिविधियों द्वारा प्रशिक्षित किया। पाँच दिनो तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रतिभागी अध्यापक भी नवऊर्जा के साथ अपना योगदान दे रहे हैं।
इसी कड़ी में कैंप के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने  गीतांजलि पुन्नू विज्ञान अध्यापिका कुंजल जट्टान व सुभाष काम्बोज पांसरा के सहयोग से अपने एक नए प्रोजेक्ट से अध्यापकों को रूबरू कराया। बवेजा का कहना है कि यदि अध्यापक खाली हाथ भी कक्षा में जाता है तो वह खुद में एक रिसोर्स पर्सन है। अध्यापक को अपने शिक्षण कार्य में  विभिन्न नवाचारी गतिविधियों को शामिल करते हुए पढ़ाना चाहिए व विद्यार्थियों को भी इसमें सम्मिलित करना चाहिए। विज्ञान पढ़ने और रटने का विषय कम व हाथ से करके देखने का विषय अधिक है।
उन्होंने प्रशिक्षु विज्ञान अध्यापकों को पचास  विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करनी सिखायी जिसके लिए उन्हें किसी खास विज्ञान उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ी। कक्षा में विद्यार्थियों के बस्ते व आसपास से सामान एकत्र करके सभी पचास पाठ्यक्रम आधारित विज्ञान गतिविधियों को करके दिखाया।
जिनमें मुख्यतः वायु दबाव की गतिविधि कार्ड से पानी रोकना, रुमाल से पानी रोकना से पानी रोकना, पानी के आयतन का अनुमान लगाना, मिट्टी में वायु होती है, स्प्रे पंप कैसे काम करता है, पानी में पेंसिल का मुड़ना, प्रकाश का अपवर्तन, कागज पर बने तीर का घूम जाना, फूक मारने पर दो कागजों का आपस में नजदीक आना, कागज की स्ट्रिप का ऊपर उठना, कागज की अपनी ओर खींचने पर गिलास का नीचे न गिरना, जड़त्व गतिविधि में बस के चलने रुकने पर में यात्रियों के आगे पीछे गिरने में जड़त्व का सिद्धांत, सेंटर आफ ग्रेविटी गुरुत्व केंद्र, स्थिर वैद्युत आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेश में कागज के टुकड़ों का आवेशित स्केल व पैन की ओर आकर्षित होना, नियंत्रण एवं समन्वय गतिविधि में कार्ड को न पकड़ पाना, पानी में स्याही की की बूंद डालकर संवहन धाराएं दिखाना व अणुओं की टक्कर, जड़ों के प्रकार, शिरा विन्यास, हृदय गति की गणना, नब्ज को खोजना व गणना, ध्वनि में कागज व पैन की कैप की सीटी बनाना, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन, सूर्य की धूप में सात रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम का देखना का देखना, किताब का क्षेत्रफल, दाब बल व क्षेत्रफल में संबंध, ठोस वस्तुओं में ध्वनि संचरण, हथेलियों को रगड़ने से घर्षण द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होना, मानव शरीर की विभिन्न संधियों को पहचानना, दंत संरचना समझना व दांतों की देखभाल करना, पारदर्शी अपारदर्शी व पारभासी वस्तुओं की पहचान करना, किये गये कार्य को परिभाषित करना, दूरियों के मापन में अनुमान लगाना, कक्षा में धातु व मिश्र धातु की पहचान करना, पैन की कैप से निर्वात निर्वात को समझाना, विज्ञान की किताबों में महत्वपूर्ण शब्दों को ढूंढना संबंधित गतिविधि, हथेली में छेद हो जाना, धातुओं द्वारा ऊष्मा का अवशोषण, दो कॉपियों का अलग ना होना, अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी का हेल्थ प्रोफाइल बनाना, विभिन्न कपड़ों के रेशो को पहचानना, सिक्के का गिलास में गिरना और विभिन्न चश्मों में लगने वाले लेंसों की पहचान करवाना जैसी पाठ्यक्रम आधारित गतिविधियां करवाई गयी। जिससे यह सिद्ध हो गया कि उचित प्रशिक्षण के बाद कक्षा में विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न करने के लिए अध्यापक खुद स्थानीय संसाधन एकत्र कर विभिन्न विज्ञान गतिविधियां करवा सकता है। प्रशिक्षण में उपस्थित विज्ञान अध्यापकों ने इन गतिविधियों को अपने पास नोट किया और साथ साथ उन्हें करके भी देखा। 
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों को पृथ्वी की परिधि नापने का  मशहूर इरेटोस्थनीज प्रयोग करन सिखाया गया। जिसमें उन्हें  नून टाइम की गणना करना और पृथ्वी की परिधि नापना सिखाया गया।
इस गतिविधि में अध्यापकों ने बहुत रुचि ली। उनका भूगोल, खगोल सम्बन्धित ज्ञान भी बढ़ा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद अध्यापक इन गतिविधियों को अपने अपने विद्यालयों में विद्यार्थियों समक्ष करके अपने विज्ञान शिक्षण को और अधिक रुचिकर बनाएंगे। प्रशिक्षण अधिकारी श्री अशोक राणा ने ने बताया कि अध्यापक के लिए समय समय पर ऐसे प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अध्यापकों को अपडेट करने वह तरोताजा करने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
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Darshan Lal Baweja
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जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी, Distt level Science Exhibition


जिला स्तरीय विज्ञान 
प्रदर्शनी में बाल वैज्ञानिकों ने दिखाया दमखम।
सभी छह खंडो से शत प्रतिशत विद्यार्थियों ने भाग लिया।
राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जगाधरी में 46वीं जवाहर लाल नेहरू गणित विज्ञान एवं पर्यावरण प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन उप जिला शिक्षा अधिकारी श्री अनूप कोठियाल व श्री पृथ्वी सैनी ने दीप जलाकर किया।
जिला विज्ञान विशेषज्ञ श्री विशाल सिंघल ने बताया कि इस एक दिवसीय जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में सभी छह ब्लॉक से 108 (एक सौ आठ) विज्ञान प्रतिदर्श प्रदर्शित हुए। उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने में सभी खंडों की विज्ञान प्रदर्शनियों  में खंड स्तर पर कुल 428 (चार सौ अट्ठाइस)  विज्ञान गणित व पर्यावरणीय मॉडल प्रस्तुत हुए। इसी अवसर पर एक पेपर रीडिंग प्रतियोगिता भी करायी गयी। जिसमें कुल 15 बाल विज्ञानी वक्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने जल प्रबंधन संभावनायें एवं तरीके विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री जय प्रकाश गर्ग ने जिले भर से पधारे प्रतिभागी विद्यार्थियों एवं अध्यापकों का अपने विद्यालय में आगमन पर स्वागत किया। इस विज्ञान प्रदर्शनी में कुल 6 उपविषयों कृषि एवं जैविक खेती, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, संसाधन प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, यातायात एवं संचार व  गणितीय  प्रतिरूप प्रतिदर्श पर विज्ञान मॉडल प्रस्तुत किए गए।
....परिणाम इस प्रकार रहे।
उपविषय:
कृषि एवं जैविक खेती में
प्रथम  अंजली
द्वितीय शैलजा
तृतीय  हरशदीप
सांत्वना  शुभांगी
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता में
प्रथम  अंशिका
द्वितीय  कनिष्का
तृतीय रक्षित
सांत्वना साक्षी
संसाधन प्रबंधन में
प्रथम शुभम
द्वितीय मनप्रीत
तृतीय  पायल
सांत्वना  आरती
कचरा प्रबंधन में
प्रथम शिवानी
द्वितीय धीरज
तृतीय  कोमल
सांत्वना महक
यातायात एवं संचार में
प्रथम वीनू
द्वितीय अरुण
तृतीय रमन
सांत्वना  इशांत
गणितीय  प्रतिरूप प्रतिदर्श में
प्रथम  प्रिंस
द्वितीय हर्षिता
तृतीय  सोनिया
सांत्वना  पूजा देवी
पेपर रीडिंग में
प्रथम  अनु
द्वितीय  रितिका
तृतीय  तन्वी
सांत्वना चाहत
एनसीएससी जिला समन्वयक विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि
जिला स्तर पर विजयी रहने वाले प्रथम व द्वितीय मॉडल के के विद्यार्थी व उनके अध्यापक राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में भाग लेंगे। राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन जनवरी माह में किया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी श्री आनंद चौधरी ने सभी विजयी प्रतिभागियों को आशीर्वाद दिया उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
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Tuesday, December 25, 2018

उत्प्रेरण विज्ञान मेला काशीपुर Utpreran Science Mela Kashipur

उत्प्रेरण विज्ञान मेला काशीपुर  Utpreran Science Mela Kashipur
साई पब्लिक स्कूल
उत्तराखंड के काशीपुर में सोसाइटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्टस, स्पेक्स देहरादून विज्ञान एवं तकनीकी विभाग नई दिल्ली, उत्तराखंड काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सौजन्य से एक तीन दिवसीय विज्ञान मेला 'उत्प्रेरण' काशीपुर कस्बे के साईं पब्लिक स्कूल में आयोजित किया गया।
सबसे छोटा दिन गतिविधि
इस साइंस मेले में देशभर से विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के रिसोर्स पर्सन आमंत्रित किए गए थे। तीन दिनों तक लगातार हजारों की संख्या में विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों, अध्यापकों, प्राध्यापकों व अभिभावकों ने इस विज्ञान मेले का अवलोकन किया।
विज्ञान गतिविधियां
इस विज्ञान मेले में विभिन्न एक्टिविटी कॉर्नर बनाए गए थे। जिनमें विशेषज्ञों ने विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रदर्शित किया एवं मौके पर ही विद्यार्थियों ने उन गतिविधियों को अपने हाथों से करके भी देखा। इस विज्ञान मेले में कम/शून्य लागत के विज्ञान प्रयोग, दिन के समय की जा सकने वाली खगोलीय गतिविधियां, ऑरिगामी एवं पेपर क्राफ्ट, खाद्य पदार्थों में मिलावट, चमत्कारों का पर्दाफाश, मौसम की मॉनिटरिंग, हाइड्रोपोनिक्स, एलइडी बल्ब व नाइट लेम्प के शोपीस को बनाना व  रिपेयर करना, ड्रोन संचालन व उससे फोटोग्राफी करना, कठपुतलियों द्वारा विज्ञान संचार जैसे साइंस कॉर्नर लगाए गए थे। जिसमें जिले भर के विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी, सीबीएसई व अन्य बोर्डस द्वारा संचालित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
प्रधानाचार्य महोदय
इस मेले में मोबाइल प्लेनेटोरियम यानी चल तारामंडल भी लगाया गया था। जिसके डोम में बैठकर विद्यार्थयों ने आकाशीय पिंडों का अद्भुत नजारा देखा। विद्यार्थी व अध्यापक इस मेले में बहुत उत्साहित नजर आए।
विस्थापन अभिक्रिया कौतूहल
इस प्रकार का मेला इस इलाके में लगने वाला यह पहला विज्ञान मेला बताया जा रहा है।  विद्यालय की प्रबंध निदेशक श्रीमती शैलजा गहतोड़ी, श्री शशांक गहतोड़ी, स्पेक्स के सचिव डॉक्टर बृजमोहन शर्मा, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अरविंद श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में सेवाएं देने वाले रिसोर्स पर्सन्स को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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Thursday, December 06, 2018

तीन दिवसीय इको क्लब मास्टर ट्रेनर्स कार्यशाला 3 days workshop for Eco club master trainers

तीन दिवसीय इको क्लब मास्टर ट्रेनर्स कार्यशाला 3 days workshop for Eco club master trainers
रिपोर्ट: दर्शन लाल बवेजा, जामुन इको क्लब,
राजकीय वमावि कैम्प, यमुनानगर
उद्घाटन सत्र
चंडीगढ़ स्थित राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान (सेक्टर 12) में 4 से 6 दिसंबर 2018 तक तीन दिवसीय 'स्कूल इको क्लब मास्टर ट्रेनर्स हरियाणा' (नेशलन ग्रीन क्रॉप्स) की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।  इस कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण एवं
डॉ आर के चौहान
जलवायु परिवर्तन विभाग, हरियाणा द्वारा किया गया।  इस कार्यशाला में हरियाणा के सभी 22 जिलों से 2-2 मास्टर ट्रेनर्स का भाग लेना प्रस्तावित था। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के जॉइन्ट डायरेक्टर डॉक्टर श्री आर. के. चौहान ने किया। श्री चौहान ने अपने उद्घाटनीय संबोधन में राज्य भर के विभिन्न जिलों से पधारे मास्टर ट्रेनर्स से आव्हान किया कि 'आओ विद्यालयों में स्थापित इको क्लब्स को पर्यावरण संरक्षण के मजबूत स्तंभ के रूप में एक शक्तिशाली एजेंसी के रूप में तैयार किया जाए', उन्होंने मास्टर ट्रेनर्स से कहा कि वह अपने जिले में विद्यालयों स्थित इको क्लब्स को और अधिक शक्तिशाली बनाने का प्रयास करें ताकि विद्यार्थियों को उनकी इस मौजूदा उम्र में ही पर्यावरण संरक्षण की महत्ता के बारे में पता चल सके। अब क्योंकि पृथ्वी का भविष्य उनके लिए और उनके ही हाथों में है। सभी उपस्थितों को यह भी संदेश दिया कि आपके द्वारा पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत घर से ही की जा सकती है। हम सब  मात्र घरेलू कूड़े को ही अलग अलग करके सूखा व गीला में बाँट कर व उसका उचित निपटान करके पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन योगदान कर सकते हैं। श्री चौहान ने यह भी बताया कि आज भारत में पर्यावरण प्रदूषण के आंकड़े, स्वीकार्य मानकों की तुलना में काफी खतरनाक स्थिति पर है। इस स्थिति में हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। इस सब के लिए विद्यालय के बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है और यह जिम्मेदारी आपको दी जाती है कि आप अपने अपने जिले में स्थापित 250 इको क्लब्स के माध्यम से हरियाणा राज्य को पर्यावरण मित्र व हराभरा बनाने में सहयोग करें। श्री चौहान ने कहा कि 'जुनून पैदा करो, मुहिम चलाओ फिर देखो कैसे नहीं बचती  है धरती'
श्री एन के झिंगन
चंडीगढ़ से ही एनवायरमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट श्री एन के झिंगन ने प्रशिक्षुओं को शनिवार हमारा पर्यावरण दिवस की गतिविधियों बारे बताया।  साथ ही यह भी बताया कि उनकी सोसायटी ने चंडीगढ़ के सेक्टर-7 में 3000 पौधे लगाए और उनकी शत-प्रतिशत उत्तरजीविता भी सुनिश्चित की। अपने वक्तव्य में उन्होंने घग्गर नदी में चलाए गए स्वच्छता अभियान के बारे में विस्तार से बताया। यह भी बताया कि इस पावन कार्य के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा परंतु उनके सहयोगियों ने हार नहीं मानी और घग्गर नदी में से तमाम कचरा निकाल कर नदी को साफ करके साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय के आगे पर्यावरण प्रदूषण कहीं नहीं टिक सकता।
डॉ रविन्द्र
चंडीगढ़ स्थित पीजीआई से आमंत्रित रिसोर्स पर्सन डॉ रविंद्र खेवाल ने प्रदूषित जल व सेनिटेशन के बारे में अपने विचार व शोध कार्य को प्रस्तुत किया। डॉ रविन्द्र ने बताया कि विश्व मे बहुत जल्द ही शुद्ध पेयजल की भयंकर कमी होने वाली है। जहाँ हम भारतीय अपने शुद्ध जल के स्रोतों को दूषित करने पर लगे हुए हैं और वहां दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात अंटार्टिका से पानी मंगवाने के लिए प्रयास कर रहा है। किसी देश के विकास एवं पर्यावरण जागरूकता का आकलन का आकलन इस बात से किया जाता है कि उस देश में 5 वर्ष से कम बच्चों के जीवित रहने का प्रतिशत कितना है? उन्होंने कहा कि बच्चे यदि अपने हाथों को ही अच्छी तरह धोना सीख जाए तो वह काफी हद तक बीमारियों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमें शुद्ध जल प्राप्त करने के लिए हर हालत में पर्यावरण प्रदूषण को दूर भगाना होगा अन्यथा जल्द ही हम अशुद्ध वायुमंडल के साथ साथ अशुद्ध जल पर भी आ जॉएँगे।
रिसोर्स पर्सन डॉ भाविका शर्मा ने अपने वक्तव्य में विद्यालय के मौजूदा प्रदूषक स्टेटस को बदल कर  'शून्य कचरा विद्यालय' (जीरो वेस्ट स्कूल) बनाने की तैयारियों हेतु प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि सिर्फ हम अपनी कार्यशैली में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन करके ही अपने विद्यालय को 'जीरो वेस्ट स्कूल' बना सकते हैं। डॉ शर्मा ने विद्यालयों में कंपोस्ट बिन लगाने की सलाह दी लगाने की सलाह दी।
डॉ के सुरेश
राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर यूथ डेवलपमेंट चंडीगढ़ के कॉर्डिनेटर डॉक्टर के0 शेखर ने अपने वक्तव्य में युवाओं के व्यवहार के संदर्भ के में बहुत से उदाहरण देते हुए देश को उनसे पर्यावरण संरक्षण उपेक्षाओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि शायद ही कोई युवा अपनी मुख्य पसन्दों (मेन पैफरेंसिज) में पर्यावरण संरक्षण को पहला स्थान देता हो। यदि समाज के युवाओं अंदर इस तरह की जागृति आ जाए कि कि युवा अपनी सभी प्राथमिकताओं में पहले स्थान पर पर्यावरण संरक्षण को रखे तो उस दिन इस देश को हरा-भरा और पर्यावरण खुशहाल बनाने से कोई नहीं रोक सकता। डॉ शेखर ने होस्ट संस्थान के बारे में व संस्थान द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमो के बारे में भी विस्तार से बताया।
रिसोर्स पर्सन डॉ रनजीत कौर ने अपने प्रस्तुतीकरण में उपस्थित प्रशिक्षुओं को मेडिशनल प्लांट्स व जियो टैगिंग के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि हम कोई भी किसी प्रकार की अद्भुत पर्यावरणीय हलचल या परिवर्तन अपने आसपास देखते हैं तो हमें उसे जियो टैगिंग के द्वारा वैश्विक रूप से जरूर बताना चाहिए। उनकी इस गतिविधि से उनके पर्यावरण जागरूक होने का प्रमाण मिलेगा। यह भी हो सकता है कि वो किसी नई वैरायटी या कोई लुप्त प्रायः स्पीशीज का पता लग सके। उन्होंने एंड्रॉयड एप्प व वेब पर गूगल अर्थ पर समसपुर स्कूल की लाइव जियो टैगिंग करके उक्त प्रशिक्षण दिया। डॉ कौर ने बताया कि जियो टैगिंग की अन्य भी बहुत सी एप्स है जिस पर आम आदमी भी अपने द्वारा खोजे गए किसी पेड़ पौधे या वनस्पति को टैग कर सकता है। हमें इस प्रकार की प्रैक्टिस में जरूर शामिल होना चाहिए ताकि हम अपनी विशाल व विलक्षण भारतीय प्राकृतिक संपदा को पहचान सकें व बचा सके।
डॉ राधेश्याम शर्मा
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन विभाग के साइंटिस्ट डॉ राधेश्याम शर्मा ने प्लास्टिक प्रदूषण व उससे बचाव के बारे में प्रशिक्षण दिया। उन्होंने अपने द्वारा किए गए कुछ नवाचारी प्रयोगों का भी जिक्र किया। डॉ शर्मा पानी व भोज्य पदार्थों की पैकिंग में प्लास्टिक के प्रयोग को एकतरफा नकार दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक और से होने वाले कैंसर व अन्य रोगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें प्लास्टिक को पूरी तरह से ना कहना होगा। उन्होंने प्लास्टिक पेट-बॉटल्स की हानियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे प्रयास करने चाहिए कि हम प्लास्टिक के स्थान पर अन्य विकल्पों का प्रयोग करें।
श्री नरेश कुमार
विभाग के इको क्लब नोडल अधिकारी श्री नरेश कुमार जी ने बताया कि हमें विद्यालयों में 'सिंगल यूज़ प्लास्टिक एंड पॉलिथीन' को पूर्णतया नकारना होगा/रोकना होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष हजारों टन पॉलिथीन का प्रयोग बच्चे अपनी कॉपी-किताबों पर जल्द बांधने के लिए कर देते हैं। जबकि अन्य बहुत से वैकल्पिक तरीकों से भी कॉपी-किताबों को बचाया जा सकता है।  इससे बहुत से बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा जो जिल्दसाजी का काम करते हैं। पहले जमाने जरूरतमंद बच्चे जिल्द चढ़ा कर साल भर का पढ़ाई का खर्चा निकाल लेते थे। आजकल विद्यार्थियों में सिंगल यूज पेनो का प्रयोग का रिवाज़ हैं और फिर इंक खत्म होने पर उन्हें फेंक देते हैं। इन्हें यूज एंड थ्रो पेन कहते हैं। इस प्रकार के पेनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।  जिन पेन्स में फिर से नया रिफिल डाला जा सके ऐसे पेनो का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने ऐसे बहुत से टिप्स दिए जिससे विद्यालय को 'सिंगल यूज़ प्लास्टिक' से मुक्त किया जा सके। प्रशिक्षुओं ने इस नई जानकारी से बहुत कुछ सीखा। प्रशिक्षुओं ने कहा कि यह वह बातें है जिन पर कभी उनका ध्यान ही नहीं गया कि हम केवल ऐसी प्रैक्टिसिस अपना कर पर्यावरण संरक्षण
में अपना बेहतर योगदान दे सकते हैं।
मैड़म अनया पूनम G
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेष रूप से पधारें मैडम अनया पूनम जी ने अपने ओजस्वी व क्रांतिकारी विचारों से प्रशिक्षुओं को अवगत करवाया, उन्होंने बताया कि हमें अपने देश को फिर से पर्यावरणीय समृद्धि की ओर ले जाने के लिए अथक प्रयास करने होंगे। हमें एक ऐसी चैन बनानी होगी कि हम अच्छी पर्यावरणीय गतिविधियों को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेकर आगे बढ़ाएं। हमें अपनी इस चैन में एक भी कमजोर कड़ी की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति होनी चाहिये। पर्यावरण संरक्षण, नशा-मुक्ति व नैतिकता का विकास करना केवल किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है, इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे अन्यथा हमारा जीना इस धरती पर बहुत मुश्किल हो जाएगा।
मैड़म सोनल ढांडा
डायरेक्टोरेट सेकेंडरी एजुकेशन हरियाणा  पंचकूला से पहुंची इको क्लब नोडल अधिकारी मैडम सोनल ढांडा ने निदेशालय की तरफ से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया। उन्होंने पौधागिरी में लगाए गए पौधों की जियो टैगिंग की ताजा रिपोर्ट प्रस्तुत की और उन्होंने कहा कि हरियाणा में दो लाख चौबीस हजार पौधे रोपे गए।  जिनकी मॉनिटरिंग जियो टैगिंग द्वारा की जाएगी, पौधा लगाने वाले विद्यार्थी को उसकी देखरेख के लिए कुछ वित्तीय सहायता देने का भी प्रयास है जो सीधे उनके खातों में जाएगा। इससे विद्यार्थियों के अंदर पौधा लगाने व उसकी देखरेख करके उसे वृक्ष बनाने की कोशिशें बलवती होगी। मैडम सोनल ने उपस्थित मास्टर ट्रेनर्स को निर्देश दिये कि वह जिले के जो भी पूर्व पेंडिंग उपयोगिता प्रमाण पत्र है उनको जल्द भिजवाए।  डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के द्वारा जो वित्तीय सहायता इको क्लब्स को दी जानी है उसके लिए खाता संख्या संबंधित जानकारी भी उपलब्ध कराएं ताकि इको क्लब्स को दी जाने वाली वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थी तक पहुंचाई जा सके।
कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षुओं ने अपने विचार/जिज्ञासाऐं प्रशिक्षकों व अधिकारियों के समक्ष रखी। उन्होंने अपने जिलों में इको क्लब्स द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गये कार्यों के बारे में सभी उपस्थितों को बताया।
कार्यक्रम के समापन वक्तव्य में फिर से डॉक्टर आर के चौहान जो कि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर है ने कुछ खास जिम्मेदारियां अध्यापकों को सौंपी कि न्यूनतम तौर पर वे यह कार्य जिले के हर विद्यालय में करवा दें। जिनमें मुख्य थे! स्कूल में इको क्लब के नाम का बोर्ड, बैनर या वॉल राइटिंग अवश्य होनी चाहिये, हर विद्यालय में एक कंपोस्ट पिट अवश्य होनी चाहिये, विद्यालय एनर्जी ऑडिट भी करे जिसका उन्होंने प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालय को जीरो वेस्ट की ओर ले जाना है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्वनिर्मित पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए वे विभिन्न स्थानीय कंपनियों के सीएसआर भी आमंत्रित कर सकते हैं जिसके लिए विभाग भी उनकी सहायता करेगा। वे इन सीएसआर के द्वारा विद्यालय को पर्यावरणीय सुदृढ़ता प्रदान कर सकते हैं। डॉक्टर चौहान ने हर भविष्य में हर डिस्ट्रिक्ट से सबसे अच्छे इको क्लब चुनने की योजना पर भी प्रकाश डाला और उन्होंने यह भी कहा कि हर जिले में स्कूलों के इको क्लब प्रभारियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक-एक कैंप का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए प्रस्ताव शीघ्र मंगवायें जाएंगे। भविष्य में विद्यार्थियों के लिए भी पर्यावरण भ्रमण कराए जाने की योजना है।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर राधेश्याम शर्मा ने हरियाणा भर से पधारे सभी मास्टर ट्रेनर्स का धन्यवाद किया।
प्रतिभागिता/सम्मान पत्र
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ आर के चौहान ने अपने सहयोगीयों के साथ मिलकर सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
विभिन्न जिलों से आये प्रतिभागी
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दर्शन लाल बवेजा, दीपक कुमार शर्मा, तरुण गेरा, रविंद्र कुमार, सतबीर सिंह, राजेंद्र अग्निहोत्री, सुरेंद्र कुमार, रोहताश, चित्रा, कृष्णा देवी, अशोक कुमार, आनंद पाल,जसविंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह, अशोक कुमार, चंद्र प्रकाश, सुरेंद्र मिगलानी, मोहन लाल मुंजाल, शेर मोहम्मद, सुरेंद्र कुमार, प्रकाशवीर, कुलदीप सिंह, जगबीर सिंह, आनंद वर्मा, अनिल कुमार, शरद पाल सिंह आदि ने जिला मास्टर ट्रेनर्स का  प्रशिक्षण प्राप्त किया।
Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Incharge Jamun Eco Club
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017)  Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments, Simple Science Experiments, TLM (Science) Developer
Web Links
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Sunday, October 28, 2018

विज्ञान का लोकप्रियकरण Popularization of Science


विज्ञान का लोकप्रियकरण Popularization of Science
पहला बैच 22-23 अक्टूबर
विज्ञान अध्यापकों के लिए दो दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम डाइट तेजली में
जिले के सभी छह ब्लॉक के कक्षा छह से दस तक पढ़ाने वाले राजकीय विद्यालयों के विज्ञान अध्यापकों के लिए प्रमोशन ऑफ साइंस नाम से एक विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन तेजली स्थित जिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में जारी है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में  खंड  सढौरा,  सरस्वती नगर व बिलासपुर के 50 विज्ञान अध्यापकों को शामिल किया गया। दूसरे चक्र में  रादौर, जगाधरी  व छछरौली  ब्लॉक के 50 विज्ञान अध्यापक भाग लेंगे। 
डाईट के प्राचार्य श्री सुरेश कुमार
इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान के प्रधानाचार्य श्री सुरेश कुमार जी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में सभी विज्ञान अध्यापकों से आव्हान किया कि वह बच्चों  को विज्ञान विषय गतिविधि आधारित करके पढ़ायें और अपना पूरा प्रयास करें कि जिले में विज्ञान शिक्षा का समुचित प्रचार-प्रसार हो सके। अध्यापक विज्ञान शिक्षण को रुचिकर बनायें। संस्थान के अध्यापक प्रशिक्षण अधिकारी श्री अशोक राणा, श्री संजीव कुमार व प्रवक्ता श्री दुष्यंत चहल ने कार्यक्रम का संचालन किया। 
वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र अरोड़ा
संस्थान के वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र अरोड़ा ने व श्री तेज पाल वालिया ने अध्यापकों को विद्यार्थी आकलन परीक्षण (सैट) व डैशबोर्ड से संबंधित जानकारी दी। द्वारा विज्ञान अध्यापकों ने विज्ञान शिक्षण की बारीकियों को समझा।
बनाने में बहुत मददगार साबित होगा। 
दूसरा चरण 2nd Round
25- 26 अक्टूबर 2018
संस्थान के प्रधानाचार्य श्री सुरेश कुमार ने बताया कि प्रमोशन ऑफ साइंस नाम से यह कार्यक्रम एससीईआरटी गुड़गांव व समग्र शिक्षा के तत्वाधान में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विज्ञान अध्यापकों ने विज्ञान शिक्षण की गतिविधि आधारित परियोजना आधारित शिक्षण विधियों को समझा। 
संचालन, श्री दुष्यंत 
कार्यक्रम में संस्थान के प्रधानाचार्य श्री सुरेश कुमार प्रशिक्षण विंग के अधिकारी अशोक राणा डॉक्टर संजीव कुमार श्री तरसेम कुमार व वरिष्ठ प्रवक्ता श्री सुरेंद्र अरोड़ा, प्रवक्ता दुष्यंत चहल, तेजपाल वालिया सहित मास्टर ट्रेनर दर्शन लाल बवेजा, निधि बंसल, स्वीटी सिंघाल व खेमलाल ने उपस्थित विज्ञान अध्यापकों को विज्ञान शिक्षण की इन नवाचारी तकनीकों से अवगत कराया।  अक्टूबर और नवंबर के पाठ्यक्रम को गतिविधि आधारित करके पढ़ाने संबंधित प्रशिक्षण दिया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी नियमित अध्यापकों के साथ अतिथि अध्यापकों को भी शामिल किया गया आगामी कार्यक्रम दिसंबर व फरवरी महीने में कराए जाएंगे।
दूसरा बैच 25-26 अक्टूबर
जिले के एक सौ विज्ञान अध्यापकों को दिया प्रशिक्षण
जिला अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान तेजली में दो बैच में जिले के सभी खंडों के कुल सौ विज्ञान अध्यापकों को विज्ञान शिक्षण की नवाचारी तकनीकों से रूबरू कराया गया।
मास्टर ट्रेनर्स
जिले के कुल 100 विज्ञान अध्यापक इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर रहे हैं जो कि 2 चरणों मे चलेगा। प्रशिक्षु विज्ञान अध्यापकों को भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान की विभिन्न विज्ञान गतिविधियों को करना सिखाया गया व उन पर चर्चा की गई। प्रशिक्षुओं ने अपनी फीडबैक में लिखा कि इस तरह का कार्यक्रम उनके द्वारा करवाये गए विज्ञान शिक्षण को रुचिकर
दिन के समय की जा सकने वाली खगोलीय गतिविधियां
विज्ञान विषय विशेषज्ञ के तौर पर मास्टर ट्रेनर दर्शन लाल बवेजा, खेम लाल,  निधि बंसल व स्वीटी सिंघाल ने अध्यापकों को 
अक्टूबर व नवंबर में पढ़ाए जाने वाले
 
प्रतिभागी अभ्यास करते हुए
विज्ञान के पाठ सजीव व उनका परिवेश, गति एवं दूरियों का मापन, प्रकाश,  मृदा, जीवो में श्वशन, गति एवं समय, विद्युत धारा और इसके प्रभाव, वन हमारी जीवन रेखा, जंतुओं में जनन, किशोरावस्था की ओर, बल तथा दाब, तारे और सौर परिवार व वायु-जल प्रदूषण पाठ से संबंधित विज्ञान गतिविधियां करके दिखायी। व उपस्थित विज्ञान अध्यापकों के साथ उन पर चर्चा भी की गई।  कार्यक्रम के दौरान विज्ञान अध्यापकों के बीच में एक साइंस क्विज का भी आयोजन किया गया। जिसमें सभी 50 अध्यापकों को शामिल किया गया। पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा विज्ञान पर आधारित प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का संचालन दर्शन बवेजा, निधी बंसल, स्वीटी ने किया। 
दर्शन बवेजा, विज्ञान अध्यापक ने सभी प्रतिभागियों को क्विज़ बनाने की बारीकियां समझाई।  
मीडिया में


दर्शन बवेजा, विज्ञान अध्यापक, यमुनानगर, हरियाणा 

Monday, August 20, 2018

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस National Deworming Day


राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, बच्चों को कृमिनाशक गोली खिलाई गयी।

बच्चों की रोग मुक्त रखना ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का एकमात्र उद्देश्य : डॉ कुलदीप सिंह सीएमओ
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर विद्यालय के  1600 बच्चों को दी गयी एल्बेंडाजोल की चबा कर खाएं जाने वाली गोली।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कैम्प यमुनानगर में  राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कुलदीप सिंह व वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार ने अपनी टीम सहित अपने हाथों से विद्यार्थियों को कृमिनाशी एल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई।
इस अवसर पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया। इस सेमिनार में विद्यालय के विज्ञान क्लब, इको क्लब, एनएसएस, एनसीसी कैडेट्स व स्काउट-गाइड ने भाग लिया। इस विचारगोष्ठी व अभियान का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य  परमजीत गर्ग ने किया।  
बच्चों को संबोधित करते हुए डिप्टी सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार बताया कि देश भर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नेशनल डीवार्मिंग अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में विद्यालय के बच्चों को फरवरी व अगस्त महीने में  कृमिनाशक एलबेंडाजॉल की चबा कर खाएं जा सकने वाली एक एक गोली दी जाती है।  जिससे वो पेट के कीड़ों से बचे रहेंगे। आज जो बच्चे छूट गए हैं उनको 27 अगस्त को यह दवाई दी जायेगी। 
जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्री कुलदीप सिंह ने अपने वक्तव्य में बताया कि बच्चो में इनसे संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक होता है। इनसे सभी आयु वर्गों  बड़े या बच्चे, सभी को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है।  
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर विद्यार्थियो को जिनकी आयु 1 वर्ष से 19 वर्ष तक है को कृमिनाशक गोलियां खिलाई जा रही है। अभी विशेषकर गोलकृमी एस्केरिस की दवाई दी जा रही है जिसको खाने से बच्चे इस कृमि के अटैक से बचे रह सकते हैं। कुपोषित बच्चे के पेट में कृमि होने की अधिक संभावना होती है। सीएमओ ने बच्चों को पैकेट बंद पापड़, चिप्स व स्नेक्स खाने से परहेज करना चाहिये।
डॉ बुलबुल ने  बच्चों को पेट में पाए जाने वाले कीड़ों (कृमियों) के कारण, हानियों व उनसे बचाव के उपायों बारे जागरूक किया।
कार्यक्रम का मंच संचालन हिंदी प्रवक्ता अरुण कुमार कहैरबा ने किया।
विद्यालय के विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने पेट के कीड़ो बारे विस्तार बताया। 
क्या होते हैं पेट के कीड़े?
पेट के कीड़े असल में परजीवी होते हैं जो हमारे शरीर में रह कर शरीर से ही अपना पोषण पाते हैं। गोल कृमि (एस्केरिस), फीता कृमि, हुकवार्म, लिवेरफ़्लूक, पिनवार्म, फाइलेरिया वार्म सब  परजीवी हैं जो जीवों के शरीर में रह कर अपना पोषण करते हैं और फलस्वरूप अन्य जीवों को बीमार कर देते हैं।
इनके सक्रमण के कारण।
खुले में मल त्याग, भोजन से पहले हाथों का अच्छे से ना धोया जाना, सब्जी फलों को बिना धोये खाना, नंगे पैर चलना, दूषित जल को पीना, भोजन को ढ़क कर न रखना  आदि बहुत से कारण हैं जिस वजह से इन कृमियों के अंडे मानव शरीर में पहुँच जाते हैं। जीवों के मल के साथ इनके अंडे शरीर के बाहर आते है और फिर विभिन्न माध्यमों से अन्य जीवों के शरीर में पहुँच जाते हैं।  बाजार में बिना ढके खाद्य पदार्थ भी धूल मिट्टी के कारण इनके अण्डों से दूषित हो जाते हैं। खुले में रखे पदार्थों को नहीं खाना चाहिए।
संक्रमण के लक्षण
इन कृमियों से पीड़ित बच्चों को आम तौर एनिमिक पाया जाता हैं। इनमे खून की कमी होती है। ये पेट के कीड़े ही बच्चों में खून की कमी और एनिमिया का कारण बनते है। खुराक लेने के बाद भी बच्चे कमजोर व पीतवर्ण लगते हैं। कुपोषित, चिड़चिड़ा व्यवहार प्रकट करते हैं।
दो आवश्यक क्रियाकलाप
बच्चों में कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ धोने की आदत को विकसित किया जाना जरूरी है। सब्जियों को अच्छे से धोकर पका कर खाना चाहिए। फलों को भी धोकर खाना चाहिए।
इस अवसर पर प्रवक्ता अरुण कुमार कैहरबा, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ बुलबुल , राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम के डॉ राजकुमार, डॉ गीता सागर कुमार फार्मासिस्ट, कमलेश एएनएम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य मिशन के काउंसलर सज्जन कुमार, डॉ मधु राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन के जिला समन्वयक अरुण कुमार मौके पर उपस्थित रहे।
Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman VIPNET science Club VP-HR 0006 (Platinum category Science club-2017)  Yamuna Nagar
Distt. Coordinator NCSC-DST, Haryana Vigyan Manch Rohtak, Science Blogger,
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments, Simple Science Experiments, TLM (Science) Developer
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