खगोलीय परावर्तक दूरदर्शी निर्माण कार्यशाला भोपाल मध्यप्रदेश में सम्पन्न Astronomical telescope refracting type making workshop, Bhopal
आकाशीय घटनाओं और सूर्य, चाँद व तारों ने सदा से मनुष्य को आकर्षित किया है। इनको निकटता से जानने के लिए एक टेलिस्कोप की जरूरत पड़ती है।
इस आवश्यकता समझते हुए विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, भारत समय समय पर विज्ञान संचारकों, शौक़ीन खगोल प्रेमियों ओर विज्ञान क्लबों के प्रतिनिधियों के लिए टेलिस्कोप निर्माण की शुल्क सहित व निशुल्क कार्यशालाओं का आयोजन करवाता रहता है।
इसी कड़ी में भोपाल की मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के संगोनी कलाँ परिसर में विगत 20 जून से नेशनल कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, नई दिल्ली व विज्ञान प्रसार के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय खगोलीय दूरबीन निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
कार्यशाला गत 29 जून को सम्पन्न हुई।
इस कार्यशाला में हरियाणा राज्य के यमुनानगर से दर्शन लाल बावेजा व गौरव कुमार, एन आई टी, कुरुक्षेत्र से प्रज्ज्वल चौहान, फरीदाबाद से श्रेया चावला, झारखण्ड राज्य के देवघर से डॉ प्रदीप कुमार सिंह देव व देवेन्द्र चरण द्वारी, राँची से योगेन्द्र कुमार, गढ़वा से आलोक कुमार चौधरी, लोहरदग्गा से ब्रजेश पाठक, नई दिल्ली से राजीव चौरसिया व कविता सनसंवाल, मध्य प्रदेश राज्य के शाजापुर से अजीत सिंह, पन्ना से अनुराग चौरसिया,
सिवनी से आयुष पटेल, देवास से पराग दूबे, इंदौर से दिनेश विश्वकर्मा, ग्वालियर से डॉ दीप्ती गौर, छिंदवाड़ा से संदीप चावक, भोपाल से सुनील धनगर, गुजरात राज्य के भावनगर से हर्षद जोशी व हितोर्थी बोरादे, राजकोट से अब्दुल भाई शेरसदा, महाराष्ट्र राज्य से अर्चना जगताप, उत्तर प्रदेश राज्य के औरैया से ब्रजेश दीक्षित तथा गोंडा से राजेश मिश्रा का चयन हुआ था जो इस कार्यशाला में दिनरात मेहनत करके अपना अपना टेलिस्कोप बना रहे हैं।
कार्यशाला में प्रमुख प्रशिक्षक के रूप में पुणे के आयुका खगोलीय संस्थान के तुषार पुरोहित एवम् मप्र विज्ञान सभा द्वारा आमंत्रित टेलिस्कोप निर्माण विशेषज्ञ मुकेश सतंकर, अनिल धिमानी व विज्ञान प्रसार से विपिन सिंह रावत ने अपनी प्रशिक्षक भूमिका अदा की।
कार्यक्रम के दौरान कार्यशाला में विज्ञान प्रसार के समन्वयक वैज्ञानिक डॉ अरविन्द सी राणाडे ने कहा कि इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को अपने हाथों से टेलिस्कोप का 125एमएम दर्पण बनाने, ऑब्जेक्ट फाइंडर फिटिंग, मैग्नीफायर फिटिंग, पेंट व पार्ट्स असेम्बलिंग का मौका दिया जाएगा जिससे वो दूरदर्शी बनाने की बारिकियों को सीख सकेंगें। यह दूरदर्शी बच्चों और समाज में खगोलीय घटनाओं बारे वैज्ञानिक सोच पैदा करने में मददगार साबित होगी।
सदियों से ब्रह्माण्ड मानव को आकर्षित करता आ रहा है। इसी आकर्षण ने खगोल वैज्ञानिकों को ब्रह्माण्डीय प्रेक्षण और ब्रह्माण्ड अन्वेषण के लिए प्रेरित किया। मनुष्य ने तारों के सूक्ष्म रहस्यों तथा ब्रह्माण्ड के विभिन्न आकाशीय पिंडों के आकार, गति, स्थिति, आकृति इत्यादि के बारे में दूरबीन की सहायता से ही जाना हैं।
मप्र विज्ञान सभा के महासचिव एस आर आजाद ने कहा कि वर्षों से हमारा संस्थान मुख्यरूप से आदिवासी ओर ग्रामीण इलाकों में वैज्ञानिक पद्धतियों का सहारा लेते हुए उनको रोजगार हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये कार्यरत है। मप्र विज्ञान सभा गत 18 वर्षों से मध्यप्रदेश के स्कूली बच्चों के लिए खगोलीय ओलिंपियाड का भी आयोजन सफलतापूर्वक कर रहा है जिससे अब भारत के सभी राज्यों के बच्चों और अध्यापकों को जोड़ने की योजना है। इसी विज्ञान सभा के विज्ञान संचार समन्वयक आशिष पारे ने भी प्रतिभागियों को विभिन्न विज्ञान जागरूकता तथ्यों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान एरीज, नैनीताल से आये खगोल वैज्ञानिक श्री आर के यादव व जवाहर प्लेनेटोरिम, इलाहाबाद के निदेशक डॉ रवि किरण ने दूरबीन के संबंध ने जानकारी दी कि वर्ष 1609 में इटली के महान वैज्ञानिक गैलेलियो गैलिली ने हैंश लिपरशे द्वारा दूरबीन के आविष्कार के पश्चात् स्वयं इस यंत्र का पुनर्निर्माण किया और पहली बार खगोलीय प्रेक्षण में इसका उपयोग किया। दोनों रिसोर्स पर्सन्स ने दूरबीन के सम्बन्ध में और कई जानकारियाँ दी ।
प्रतिभागियों में हरियाणा राज्य के यमुनानगर स्थित सी वी रमन विज्ञान क्लब के समन्वयक दर्शन लाल बवेजा ने कहा कि इस कार्यशाला में चारो ट्रेनर्स ने विस्तार पूर्वक सैद्धान्तिक और प्रायोगिक रूप से टेलिस्कोप निर्माण में जीजान से अपनी अपनी भूमिका अदा की, जिसके लिए वो आयोजकों ओर प्रशिक्षकों के धन्यवादी हैं।
यह दूरबीन बनाने के बाद क्लब समन्वयक को यह दूरबीन इस आशय के साथ सौपी गयी कि वो इसकी मदद से बच्चों और समाज को खगोलीय अवलोकन व जानकारियां प्रदान करने में इसका भरपूर उपयोग करेंगें। इससे संबंधित एक अंडरटेकिंग भी प्रतिभागियों से ली गई है।
समस्त कार्यशाला के दौरान उपकरणीय, भोजन, आवास, परिवहन व्यय का वहन आयोजको द्वारा किया गया।
आकाशीय घटनाओं और सूर्य, चाँद व तारों ने सदा से मनुष्य को आकर्षित किया है। इनको निकटता से जानने के लिए एक टेलिस्कोप की जरूरत पड़ती है।
इस आवश्यकता समझते हुए विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, भारत समय समय पर विज्ञान संचारकों, शौक़ीन खगोल प्रेमियों ओर विज्ञान क्लबों के प्रतिनिधियों के लिए टेलिस्कोप निर्माण की शुल्क सहित व निशुल्क कार्यशालाओं का आयोजन करवाता रहता है।
इसी कड़ी में भोपाल की मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के संगोनी कलाँ परिसर में विगत 20 जून से नेशनल कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, नई दिल्ली व विज्ञान प्रसार के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय खगोलीय दूरबीन निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
कार्यशाला गत 29 जून को सम्पन्न हुई।
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यमुनानगर से दर्शन लाल बावेजा व गौरव कुमार, एन आई टी, कुरुक्षेत्र से प्रज्ज्वल चौहान, फरीदाबाद से श्रेया चावला |
सिवनी से आयुष पटेल, देवास से पराग दूबे, इंदौर से दिनेश विश्वकर्मा, ग्वालियर से डॉ दीप्ती गौर, छिंदवाड़ा से संदीप चावक, भोपाल से सुनील धनगर, गुजरात राज्य के भावनगर से हर्षद जोशी व हितोर्थी बोरादे, राजकोट से अब्दुल भाई शेरसदा, महाराष्ट्र राज्य से अर्चना जगताप, उत्तर प्रदेश राज्य के औरैया से ब्रजेश दीक्षित तथा गोंडा से राजेश मिश्रा का चयन हुआ था जो इस कार्यशाला में दिनरात मेहनत करके अपना अपना टेलिस्कोप बना रहे हैं।
कार्यशाला में प्रमुख प्रशिक्षक के रूप में पुणे के आयुका खगोलीय संस्थान के तुषार पुरोहित एवम् मप्र विज्ञान सभा द्वारा आमंत्रित टेलिस्कोप निर्माण विशेषज्ञ मुकेश सतंकर, अनिल धिमानी व विज्ञान प्रसार से विपिन सिंह रावत ने अपनी प्रशिक्षक भूमिका अदा की।
कार्यक्रम के दौरान कार्यशाला में विज्ञान प्रसार के समन्वयक वैज्ञानिक डॉ अरविन्द सी राणाडे ने कहा कि इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को अपने हाथों से टेलिस्कोप का 125एमएम दर्पण बनाने, ऑब्जेक्ट फाइंडर फिटिंग, मैग्नीफायर फिटिंग, पेंट व पार्ट्स असेम्बलिंग का मौका दिया जाएगा जिससे वो दूरदर्शी बनाने की बारिकियों को सीख सकेंगें। यह दूरदर्शी बच्चों और समाज में खगोलीय घटनाओं बारे वैज्ञानिक सोच पैदा करने में मददगार साबित होगी।
सदियों से ब्रह्माण्ड मानव को आकर्षित करता आ रहा है। इसी आकर्षण ने खगोल वैज्ञानिकों को ब्रह्माण्डीय प्रेक्षण और ब्रह्माण्ड अन्वेषण के लिए प्रेरित किया। मनुष्य ने तारों के सूक्ष्म रहस्यों तथा ब्रह्माण्ड के विभिन्न आकाशीय पिंडों के आकार, गति, स्थिति, आकृति इत्यादि के बारे में दूरबीन की सहायता से ही जाना हैं।
मप्र विज्ञान सभा के महासचिव एस आर आजाद ने कहा कि वर्षों से हमारा संस्थान मुख्यरूप से आदिवासी ओर ग्रामीण इलाकों में वैज्ञानिक पद्धतियों का सहारा लेते हुए उनको रोजगार हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये कार्यरत है। मप्र विज्ञान सभा गत 18 वर्षों से मध्यप्रदेश के स्कूली बच्चों के लिए खगोलीय ओलिंपियाड का भी आयोजन सफलतापूर्वक कर रहा है जिससे अब भारत के सभी राज्यों के बच्चों और अध्यापकों को जोड़ने की योजना है। इसी विज्ञान सभा के विज्ञान संचार समन्वयक आशिष पारे ने भी प्रतिभागियों को विभिन्न विज्ञान जागरूकता तथ्यों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान एरीज, नैनीताल से आये खगोल वैज्ञानिक श्री आर के यादव व जवाहर प्लेनेटोरिम, इलाहाबाद के निदेशक डॉ रवि किरण ने दूरबीन के संबंध ने जानकारी दी कि वर्ष 1609 में इटली के महान वैज्ञानिक गैलेलियो गैलिली ने हैंश लिपरशे द्वारा दूरबीन के आविष्कार के पश्चात् स्वयं इस यंत्र का पुनर्निर्माण किया और पहली बार खगोलीय प्रेक्षण में इसका उपयोग किया। दोनों रिसोर्स पर्सन्स ने दूरबीन के सम्बन्ध में और कई जानकारियाँ दी ।
प्रतिभागियों में हरियाणा राज्य के यमुनानगर स्थित सी वी रमन विज्ञान क्लब के समन्वयक दर्शन लाल बवेजा ने कहा कि इस कार्यशाला में चारो ट्रेनर्स ने विस्तार पूर्वक सैद्धान्तिक और प्रायोगिक रूप से टेलिस्कोप निर्माण में जीजान से अपनी अपनी भूमिका अदा की, जिसके लिए वो आयोजकों ओर प्रशिक्षकों के धन्यवादी हैं।
यह दूरबीन बनाने के बाद क्लब समन्वयक को यह दूरबीन इस आशय के साथ सौपी गयी कि वो इसकी मदद से बच्चों और समाज को खगोलीय अवलोकन व जानकारियां प्रदान करने में इसका भरपूर उपयोग करेंगें। इससे संबंधित एक अंडरटेकिंग भी प्रतिभागियों से ली गई है।
समस्त कार्यशाला के दौरान उपकरणीय, भोजन, आवास, परिवहन व्यय का वहन आयोजको द्वारा किया गया।
in news
Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Distt. Coordinator NCSC, Haryana Vigyan Manch Rohtak
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments And Hobby Development
09416377166
Web Links
कार्यशाला की चित्रों सहित विस्हुतृत जानकारी दी आपने। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं जी।
ReplyDeleteरामराम
धन्यवाद ताऊ रमा राम जी
DeleteWith the guide of PCs, lasers, and mechanical autonomy innovations, optics can be made with exactness precision.review-universe
ReplyDeleteWe constantly improve existing technology by making them smaller and more efficient. In many cases, smaller more integrated designs increase the wide category of efficiencies. Best Telescopes
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