राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2017 की राज्य स्तरीय (क्लस्टर-2) रिसोर्स पर्सन्स कार्यशाला कुरुक्षेत्र पेनोरमा साइंस सेंटर में सम्पन्न हुई। कार्यशाला का उद्घाटन साइंस सेंटर पेनोरमा के प्रोग्राम कोर्डिनेटर श्रीनिवास महतो ने किया। श्री महतो ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई है कि विज्ञान संचार के क्षेत्र में हरियाणा विज्ञान मंच उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। विज्ञान मंच से जुड़े अध्यापको को चाहिए कि वे अपने विद्यार्थियों के साथ साथ समाज के लिए भी विज्ञानोत्थान का कार्य करें। सेंटर के शैक्षणिक अधिकारी जितेंद्र कुमार ने विभिन्न जिलों से पधारे अध्यापको का साइंस सेंटर में स्वागत किया।
हरियाणा विज्ञान मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी व कार्यकारिणी के सदस्य श्री के के मलिक ने ऊर्जा उपविषय पर प्रशिक्षण देते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चे ऐसे प्रोजेक्ट बना कर लाएं जिससे ऊर्जा संरक्षण के लिए कोई ठोस हल निकलता हो। लोग अपने घरों में सोलर सिस्टम लगवाएं। इन सोलर सिस्टम की कोस्ट कम हो। हमारा सिस्टम नही ही चाहता कि इस तरह की इस तरह के उपाय लोगों तक पहुंचे इसलिए ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों को बहुत महंगा बना कर रख छोड़ा गया है।
करनाल से डॉक्टर पवन कुमार ने कहा कि एनसीएससी के मुख्य उददेश्यों को यदि सही मायनों में प्राप्त करना है तो इससे संबंधित सभी गतिविधियां समय पर शुरू की जाए। समय की कमी के कारण प्रोजेक्ट कार्य बाधित होता है और उसमें गुणवत्ता नही आ पाती है।
हरियाणा विज्ञान मंच के श्री सतबीर नागल ने गत वर्ष राज्य के प्रतिभागियों की राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित उपलब्धियों ओर कमियों से प्रतिभागियों को अवगत करवाया। कमियों को दूर करने के टिप्स दिए और हरियाणा के प्रदर्शन की समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि हमारे राज्य के प्रदर्शन और परियोजनाओं की गुणवत्ता में बहुत सुधार आया है जो बाल वैज्ञानिकों और मार्गदर्शक अध्यापकों की मेहनत व लगन के कारण ही सम्भव हो सका है।
कुरुक्षेत्र जिला समन्वयक श्री राजपाल पांचाल ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस आयोजन का कुरुक्षेत्र में करवाने के लिए विज्ञान में मंच का धन्यवाद किया।
करनाल से श्री राजेन्द्र सिंह ने कृषि के क्षेत्र में दी जाने वाली संब्सिडियों ओर उन योजनाओं की उपयोगिताओं की सच्चाई व दिखाए गए आंकड़ों पर परियोजना करने के सुझाव दिए जिनसे इन सब्सिडी खोरों की असलियत उजागर हो सके।
जींद से रोहताश मालिक ने सस्टेनबल डेवलपमेंट की आवश्यकता ओर इसकी इम्प्लीमेंटेशन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में टिकाऊ विकास को मद्देनजर रखते हुए योजनायें बनाना और उनको लागू करना अति आवश्यक है। उन्होंने गावं निधाना की कीट पाठशाला का जिक्र किया ओर बताया कि पेस्टिसाइड से कीटों को मार देने की तुलना में कीटों का ज्ञान होना किसान के लिए ज्यादा हितकारी है। इस ज्ञान से उसे मित्र और शत्रु कीटों का अंतर पता चलेगा। वास्तव में कीट अज्ञानता के चलते किसान व खेत मजदूर को पत्तो पर कीट/सुराख देखते ही डर जाता हैं और कीटनाशक के जंजाल में फस जाता है। कृषि इसीलिए भी महंगी हो गई है कि उसकी कीट अज्ञानता के चलते उसने अनावश्यक खरचे बढ़ा लिए हैं इसलिए किसानों, ग्रामीणों, गृहणियों व बच्चों को कीट ज्ञान होना अनिवार्य है।
यमुनांनागर से सुमन शर्मा ने कहा की स्टेट लेवल पर एक एक्सपर्ट का पैनल होना चहिये जिनसे बाल वैज्ञानिकों ओर मार्गदर्शक अध्यापको को प्रोजेक्ट पर काम करते समय आने वाली समस्याओं का निवारण किया जा सके।
कैथल के जिला समन्वयक श्री जयवीर सिंह ने बाल वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट्स में एक्सपेरिमेंटल काम को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। पानीपत से एक मार्गदर्शक अध्यापक ने अपने जिले के 3 ऐसे प्रोजेक्ट का जिक्र किया जिसमे प्रशासन, एमएलए ओर स्थानीय निकायने संज्ञान लिया ओर उसका हल निकाला।
यमुनानगर से जिला शैक्षिक समन्वयक श्री गौरव कुमार ने बाल विज्ञान कांग्रेस में समुदाय की प्रतिभागिता और उनके सहयोग को बढ़ाने व उनको भी इस गतिविधि में इन्वॉल्व करने बारे अपने विचार रखे। अम्बाला से राकेश भारद्वाज ने कहा कि अध्यन के लिए बाहर से मेटीरियल ओर एक्सपर्ट बुलाये जाने चाहिए ताकि अन्य प्रदेशों में हो रहे परियोजना कार्य का भी ज्ञान हो सके। रोहतक से श्री आजाद सिंह बखेता ने कहा कि एक्स बाल वैज्ञानिक प्रतिभागी भी गाइड टीचर का काम करें।
जींद से श्री परवीन कुमार कहा कि बाल विज्ञान कांग्रेस में जिला स्तर पर अत्याधिक प्रतिभागिता ओर गुणवता विषय पर अपने विचार सांझा किये। उनका कहना था कि जिले से अत्याधिक प्रतिभागिता करवाने से और अधिक गुणवत्ता निकल कर सामने आने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए अधिक से अधिक टीम्स को जिला स्तर पर भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
अपने वक्तव्य में सोनीपत के जिला समन्वयक के रूप में श्री के के मालिक ने कहा कि अच्छे प्रोजेक्ट बनवाने के लिए अध्यापकों से होमली एनवायरमेंट बना कर उनसे संपर्क किया जाए और उन्हें बच्चों से एक बेहतरीन प्रोजेक्ट बनवाने के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने क्वांटिटी को क्वालटी के आगे नकार दिया जिस पर दो जिला समन्वयकों की बाते परस्पर विरोधी हो गयी। इस मुद्दे पर बाद में चर्चा होगी कह कर टाल दिया गया।
पानीपत से आये जिला समन्वयक श्री श्रीकांत ने बताया कि अध्यापक को खुद अपनी भरपूर उर्जा का प्रयोग विद्यालयों के जीर्णोद्धार की लिए लगाये और फिर बच्चों की ऊर्जा का भी भरपूर उपयोग लें।
प्रधानाचार्य श्री रमेश कुमार ने गत वर्ष के दो बेस्ट परियोजनाओं को एक्सप्लेन किया। इसके बाद इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर चर्चा हुई।
एनसीएससी के राज्य समन्वयक श्री अजमेर सिंह चौहान ने राष्ट्रीय स्तर पर जाते हुए रेलवे में आने वाली दिक्कतों को रखा, जिसमे यह मांग की गई कि इस प्रकार की राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने जाने वाले प्रतिभागियों को रेलवे टिकट रिजर्वेशन में कुछ छूट मिलनी चाहिए।
राज्य सह-संयोजक श्री कृष्ण कुमार वत्स ने पीपीटी के जरिये एक (बेस्ट 15 में से ) परियोजना का जिक्र किया। उन्होंने प्रोजेक्ट मैथडोलोजी पर पावर पाइंट प्रजेंटेशन द्वारा विस्तार से समझाया।
दिवस 2
कार्यशाला के दूसरे दिन सभी जिलों को ग्रुप्स में बाट कर किसी भी टॉपिक पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए काम दिया गया। लगभग दो घंटे के समय मे जिलावार अध्यापको और समन्वयकों ने आपसी चर्चा के जरिये मुख्य विषय, उपविषय को समझा। उन्होंने दो घण्टे में एक परियोजना तैयार की जिसमे काल्पनिक टीम ने अमुक स्थानपर परियोजना कार्य किया और काल्पनिक आंकड़ों के साथ सम्पूर्ण परियोजना का खाका तैयार किया। इस गतिविधि से नवागन्तुक अध्यापको को एक ही प्रयास से परियोजना पर काम करना आ गया। इस गतिविधि में अनुभवी अध्यापको ने विशेष मदद की।
तत्पश्चात इन परियोजनाओं को सिस्टेमेटिक तरीके से प्रस्तुत किया गया। कुछ परियोजनाएं जो समक्ष आयी इस प्रकार थी।
कुरुक्षेत्र टीम ने जीवन शैली उपविषय के अंतर्गत यंगस्टर्स ओर बच्चों पर मोबाइल और ऐप्स के प्रयोग से बिगड़ती आदतों की हानियों पर परियोजना प्रस्तुत की गई। इस परियोजना की समाप्ति पर बहुत चर्चा हुई और इस परियोजना को समयानुकूल बताते हुए बेहतर परियोजना करार दिया गया। एक अन्य प्रतिभागी ने धान की बिजाई पर एक नवाचारी परियोजना प्रस्तुत की गई। एक्सपेरिमेंटल टाइप की इस परियोजना की इम्प्लीमेंटेशन पर बहुत से प्रतिभागियों को संदेह था परंतु प्रस्तुतकर्ताओं द्वारा आगामी दिनों में इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने की तसल्ली पर सभी को संतोष करना पड़ा।
जब से जजमेंट टीम में कृषि वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ी है तब से प्रतिभागियों ने राज्य स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस में पिछले 4-5 वर्षों से कृषि संबंधित परियोजनाओं की बाढ़ ही ला दी है। अधिकांश परियोजनाएं जो प्रस्तुत की गई पेस्टिसाइड, वर्मी कम्पोस्ट, वर्मी वाश, आर्गेनिक खेती ओर खरपतवार पर ही टिकी नजर आई।
जिला यमुनांनागर की टीम ने गांव चमरोड़ी में सौर ऊर्जा आधरित विद्युत उत्पादकता की संभावना एवं भविष्य विषय पर एक काल्पनिक परियोजना प्रस्तुत की। इस परियोजना को जिला समन्वयक दर्शन लाल ने प्रस्तुत किया और कहा कि परियोजना वही बेहतर होती है जो समय पर शुरू हो और अपने अंजाम तक भी पहुंचे। उन्होंने परियोजना में बताया कि गावों में लोग अपने घरों में सोलर विद्युत पैनल लगवा रहे हैं और वें ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों के बारे में सोच रहे हैं।
कार्यशाला के दौरान सभी जिलों के प्रोजेक्ट्स पर खुल कर चर्चा हुई और कुल मिला कर यह गतिविधि कार्यशाला को सम्पूर्णता की ओर ले जाती प्रतीत हुई। जिला समन्वयकों की बैठक में राज्य स्तरीय आयोजन, वित्त, शैक्षणिक समिति (कोर ग्रुप्स) के पुनर्गठन, बैठक, निर्णायकों ओर रिसोर्स पर्सन्स का चयन व जिला व राज्य स्तरीय आयोजन में काम का बटवारा आदि बिंदुओं पर चर्चा और निर्देशन कार्य सम्पन्न हुआ।
अंत मे प्रतिभागियों को कुरुक्षेत्र पेनोरमा और साइंस सेंटर को देखा। पेनोरमा में विभिन्न विज्ञान प्रयोगों को देख कर अच्छा लगा और उनसे बहुत कुछ नवाचारी सीखने को मिला।
इस प्रकार यह कार्यशाला सम्यन्न हुई और सभी जिला समन्वयक व अध्यापक नई ऊर्जा के साथ कुछ बेहतर कर दिखाने के जज्बे से अपने अपने घर को रवाना हुए।
रिपोर्टकर्ता: दर्शन लाल बवेजा
जिला समन्वयक एन सी एस सी हरियाणा विज्ञान मंच जिला यमुना नगर