राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (नेशनल चिल्ड्रन्स साइंस कांग्रेस) 2016-17 का राज्य स्तरीय आयोजन – उद्घाटन सत्र
विद्यालयीन छात्र-छात्राओं को
भविष्य में वैज्ञानिक शोधकार्यो हेतु पृष्ठभूमी तैयार करने तथा उनकी वैज्ञानिक
चेतना को जागृत कर उनकी वैज्ञानिक अभिरूचि को उजागर करने उसे पहचानने तथा उनकी
वैज्ञानिक संकल्पनाओं को एक सशक्त मंच प्रदान करने के लिए भारत सरकार के विज्ञान
एंव प्रोद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी एंव संचार
परिषद नई दिल्ली, हरियाणा विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी परिषद
पंचकुला एवं हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक के सयुंक्त तत्वाधान मे जिला स्तर से
राष्ट्रीय स्तर तक राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांफ्रेस का आयोजन किया जाता है। इस
कार्यक्रम में 10 से 17 वर्ष के बच्चे (बाल वैज्ञानिक) भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी
विभाग द्वारा दिये गये मुख्य विषय अन्तर्गत विभिन्न उप-विषयों के अंतर्गत किसी भी
स्थानीय समस्या पर अपने शोध पत्र तैयार कर उसका प्रस्तुतीकरण करते हैं।
इस
कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह हैं कि इसमे किसी प्रकार के प्रतिदर्श (माडल) नही
बनाये जाते हे तथा सिर्फ स्थानिय समस्याओं पर ही सर्वेक्षण, केस
स्टडी व प्रयोग आधारित कार्य पर आधारित विधियों से शोघ पत्र तैयार कर उसका
प्रस्तुतीकरण पोस्टर, चार्ट, ट्रान्सपेरेन्सी
व पीपीटी के सहयता से किया जाता है। इस कार्यक्रम मे परियोजना बनाने तथा शोध कार्य
को किस प्रकार सम्पन्न करवाया जाए व विषय-उपविषय की संपूर्ण जानकारी के लिए राज्य
संसाधन कार्यशाला का आयोजन प्रत्येक वर्ष के जून माह में किया जाता है तथा इसी की
निरन्तरता में जिला स्तरीय मार्गदर्शक अध्यापक कार्यशाला का आयोजन जुलाई माह तक
किया जाता है।
इन कार्यशालाओ में जिले के सभी विद्यालयों के विज्ञान शिक्षक-शिक्षिका
या प्रवक्ता भाग लेते हैं। वर्ष 2016 एवं 2017 हेतु यह परियोजनाए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्यागिकी विभाग द्वारा
घोषित मुख्य विषय ‘‘ संपोषणीय विकास के लिए विज्ञान
प्रौद्योगिकी एवं नवाचार‘‘‘ अन्तर्गत उप-विषय 1.प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, 2.खाद्य एवं कृषि,
3.ऊर्जा, 4. स्वास्थ्य, स्वच्छता
एवं पोषण, 5.जीवन शैली एवं जीविका 6. आपदा
प्रबंधन तथा 7.प्राचीन ज्ञान प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न
शीर्षकों पर राज्य के 20 जिलों से 117 बाल वैज्ञानिकों ने राज्य स्तरीय आयोजन में महर्षि मार्कण्डेश्वर
विश्वविद्यालय, मुलाना, जिला अम्बाला
में भाग लिया। इस बाल विज्ञान समेलन का उद्घाटन 14 नवम्बर को
हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दास (आईएएस) ने
दीप जला कर किया। 15 नवम्बर को बाल विज्ञान समेलन का समापन 15
नवम्बर को हरियाणा विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी परिषद, पंचकुला के निदेशक श्री राजीव रंजन (आईएएस) ने विजेताओं और प्रतिभागियों
को पदक व पुरस्कार वितरित करके किया।
24वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान
कांग्रेस (राज्य स्तरीय) का उद्घाटन 14 नवम्बर 2016 को हरियाणा विद्यालय शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दास
(आईएएस) ने किया। श्री दास ने सर्वप्रथम एम एम यूनिवर्सिटी मुलाना जिला अम्बाला के
यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कालेज कैम्पस में हरियाणा विज्ञान मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा
लगाई गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। चमत्कारों का पर्दाफाश प्रदर्शनी में श्री
ब्रह्म प्रकाश सैनी ने विभिन्न तथाकथित चमत्कार करके दिखाए और साथ ही उनका
पर्दाफाश भी किया और उन चमत्कारों के पीछे के विज्ञान को भी समझाया।
हरियाणा
विज्ञान मंच के कार्यकर्ता राजेश कुमार और सीता राम द्वारा लगाई गयी पुस्तक
प्रदर्शनी सह विक्रय केंद्र का अवलोकन किया जहां विज्ञान मंच, एकलव्य भोपाल समेत बहुत से विज्ञान प्रकाशकों की विज्ञान साहित्य व अन्य
पुस्तकों का अवलोकन किया। श्री वेदप्रिय ने आरिगेमी कार्नर लगाया। श्री सतबीर नागल
और श्री महावीर नरवाल ने मुख्य अतिथि को प्रदर्शनी का अवलोकन करवाया।
हरियाणा
विज्ञान मंच के यमुनानगर जिला समन्वयक दर्शन लाल बवेजा द्वारा लगाए गए विज्ञान
गतिविधि स्टाल का भी अवलोकन किया। इस स्टाल पर उन्होंने विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल
द्वारा बनायी व विकसित की गयी कम लागत/शून्य लागत की पाठ्यक्रम आधारित विज्ञान
मॉडल्स को देखा। श्री बवेजा ने बताया की ये विज्ञान गतितिविधियां स्थानीय उपलब्ध
सामग्री से बहुत कम लागत से बनायी गयी हैं जिन्हें मेरे स्कूल के बच्चे भी बनाते
हैं और अपने साइंस बाक्स में संग्रहित करते हैं। वहां मुख्य अतिथि ने बच्चों
द्वारा बनाई गयी हारबेरियम फार्इल और डाक टिकेट संग्रह
(फिलेटली) व विज्ञान स्क्रैप बुक्स का भी अवलोकन किया।
श्री दास ने दीप प्रज्वलन के पश्चात अपने सम्बोधन में उपस्थित बाल वैज्ञानिकों, मार्गदर्शक अध्यापकों, जिला समन्वयकों, हरियाणा विज्ञान मंच और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि.......
श्री दास ने दीप प्रज्वलन के पश्चात अपने सम्बोधन में उपस्थित बाल वैज्ञानिकों, मार्गदर्शक अध्यापकों, जिला समन्वयकों, हरियाणा विज्ञान मंच और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि.......
आज मुझे इस विज्ञान के कार्यक्रम में
शामिल होने पर बहुत ख़ुशी हो रही है क्यूंकि आज का दिन बहुत ख़ास हैं आज चार चार
विशेष आयोजन एक साथ हैं। आज का दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन है जिस दिन दार्शनिक, योगी, धर्म सुधारक,
समाज सुधारक, कवि, देशभक्त
और विश्वबंधु गुणों के स्वामी श्री गुरुनानक देव जी का
जन्म हुआ था। आज ही भारत के पहले प्रधानमंत्री व बच्चों के चाचा नेहरु का भी
जन्मदिन है और बाल दिवस भी। आज ही जहां का मैं हूँ यानि कटक (ओडिशा) में बाली
यात्रा के प्रारम्भ का दिवस भी है बाली यात्रा कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुरू होती
है जो बाली, सुमात्रा, श्रीलंका व
श्याम आदि द्वीपों के साथ हमारे (भारत) समुद्री व्यपार से सम्बंधित थी। पहले इंजिन
नहीं था तो जलयान हवा की दिशा में पवन बल द्वारा पाल से चलते थे और नाविकों को पता
होता था कि आज के दिन से ही वायु हमारे अनुकूल होगी और वो यात्रा शुरू करते थे,
यह उस समय का विज्ञान ही तो था जो काल गणना व अनुभव आधारित ज्ञान का
संग्रह था जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहा और आज भी जारी है।
आदमी और जानवरों में भिन्नता का अंतर यह है कि आदमी एक तर्कशील एनिमल (जानवर) है जिसके पास तर्क है, तार्किक शक्ति है। तर्क मात्र समाजविज्ञान का हिस्सा नहीं है, तर्क सभी विज्ञानों का रेखांकित हिस्सा है। विज्ञान के अपने सार्वत्रिक नियम होते हैं जो अपवादों को छोड़ कर पूरी धरती पर लागू होते हैं।
संस्था द्वारा चमत्कारों के के खिलाफ जागरूकता संचार की प्रशंसा करते हुए श्री पी की दास ने कहा कि चमत्कार क्या हैं? चमत्कार और विज्ञान परस्पर विरोधी विचार हैं। जब किसी बच्चे को चुम्बक पहली बार दिखाया जाता है और उस पर लोहे का पैसा चिपक जाता है तो यह अवस्था उसके लिए तब तक मिरेकल है जब तक कोई भी पारम्परिक विज्ञान उसे यह ना बता दे कि यह चुम्बक का गुण ही है कि वह कुछ धातुओं को अपनी और आकर्षित करती है। यह बताने वाला पारम्परिक ज्ञान इतिहास, भौतिकी या कोई अर्जित अनुभव या वैज्ञानिक सिद्धांत हो सकता है। प्रकृति में कोई ऐसी घटना घटित होती है जो कि अद्भुद है, नयी है, अभी तक ना खोजी गयी प्राकृतिक घटना है, तो उसको क्या कहा जाएगा? प्रथम दृष्टया उसको तब तक चमत्कार कहा जाएगा जब तक हमारा तार्किक और प्रश्न उठाने वाला दिमाग उस सत्य की खोज नहीं कर लेगा। विज्ञान यहीं से शुरू होता है जब मैं यह कहूँ कि 'नहीं मैं इसको स्व अनुभव से जानूंगा'। वैज्ञानिक दिमाग, तार्किक शक्ति और सिलसिलेवार खोजी व विश्लेषण विधि के प्रयोग चमत्कारों की व्याख्या हो जाती है। अपने सम्बोधन में जब आपने श्राद्ध और काली बिल्ली का किस्सा सुना कर मनगढ़ंत तरीके से ऊपजी घटना को एक परम्परा बनने की व्याख्या की तो उपस्थित सभी श्रोता लोटपोट हो गए। ओडिशा में बहुत पहले एक किसान ने जब अपने पिता की बरसी पर कौवों के लिए छत पर भोजन परोसा तो उस भोजन को एक काली बिल्ली खा जाती थी। उस किसान ने काली बिल्ली को टोकरी के नीचे कैद करके कौवों को भोजन परोसा और हर फिर वह वर्ष वह ऐसे ही करने लगा, बाकी गांव वालों ने भी इस समस्या से निजात पाने के लिए इसको दोहराया। उनके वंशजों ने भी यही किया कालान्तर मे जब काली बिल्लियाँ कम होने लगी और अब लोग बरसी के अवसर पर एक दिन पहले आसपास के गावों से काली बिल्ली मांग कर लाकर उसे टोकरी के नीचे कैद करके कौवों को भोजन परोसते रहे, अब यह वहां का एक रीतिरिवाज बन चुका है। ये मैंने क्यूँ कहा? हर एक प्रथा युक्ति संगत नहीं है, ये हमारे समाज से जुड़ी एक प्रथा है जिसका प्रचलन जारी और उस में नयी बातों का योग हुआ है। यह प्रथा विज्ञान नहीं हो सकती है? हम विज्ञान की शिक्षा लेते हैं वो केवल एमएससी या पीएचडी की डिग्री पाने के लिए नहीं है जब तक हम उसका उपयोग समाजोत्थान और कल्याण के लिए न करें। तुम सब जो बाल वैज्ञानिक और मार्गदर्शक अध्यापक यहाँ आये हो आपके आने का मकसद यदि यह है कि आप एक अच्छा प्रोजेक्ट बना लो और प्रस्तुत करके प्रथम आओ और इनाम जीत लो। नहीं, आपकी जिम्मेदारी यह है कि क्या आपके आसपास सब कुछ वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है? क्या साइंटिफिक टेम्परामेंट विकसित हो चुका है? आपका उसकी वृद्धी के लिए क्या प्रयास है ? यदि हम ऐसा प्रयास नहीं करेंगें तो होगा ये कि हम खुद को तो उपर उठाते रहेंगें और हम 21वीं शताब्दी में होंगें और कुछ लोग अभी 18वीं शताब्दी में होंगे। अगर हम ऐसा बर्ताव करते रहेंगें तो ‘सबका देश हमारा देश नहीं होगा’ कुछ का देश अलग और हमारा देश अलग तरह का होगा। हमे खोजी प्रवृती का होना चाहिए। जरूरी नहीं है की बड़ी बड़ी युनिवर्सिटीज और भारी डिग्रियों में ही साइंस हो, ‘वहां चलो जहां अभी तक कोई नहीं गया’ अन्वेषण और खोजी प्रवृति के होते कोई अनपढ़ भी साइंटिफिक हो सकता है। कुछ नया करना जिसमे कोई खोज समाहित हो वह विज्ञान है। भारत में इंजीनियर बहुत अच्छे तैयार होते हैं जो सामान बहुत अच्छा बनाते और बेचते हैं परन्तु ये वो ही सामान बनाते जो पहले से बन रहा है कुछ नया नहीं बनाते है। हमे ऐसा माहौल बनाना है जहां हम कुछ नया बना सके और नहीं तो कम से कम वैज्ञानिक सोच तो अपना सकें। प्यारे बच्चों जो तुम आज यहां एकत्र हुए हो तुम बहुत खुशनसीब हो तुम्हे अवसर मिला है की तुम कोई ऐसा कार्य कर सको और अपने अंदर की सम्भावना को तलाश कर सको। हर किसी को ये मौका नहीं मिलता और मुझे ये उम्मीद है कि आप इस मौके को जाया नहीं जाने दोगे। तुम अपनी उड़ान पूरे मन से भर सकोगे। समाज का विज्ञानोत्थान कर सकोगे। आप अपने समाज को साइंटिफिक टेम्पर से चलाने के लिए तैयार कर सको। कोई भी क्रान्ति एक दिन में नहीं होती यह एक धीमी प्रक्रिया है हो सकता है अभी आप के दिमाग में कोई आईडिया हो जिसे आप धीरे धीरे एक दिन साकार करलो और वो दिन आप किसी विश्वविद्यालय में हों और कोई क्रांतिकारी खोज कर दो। वैज्ञानिक क्रान्ति हांडी में चावलों के पकने की तरह एक धीमा परन्तु ग्रेज्युअल प्रोसेस है जिसका पता तभी लगता है जब चावल पक चुके होते हैं। बच्चों तुम्हारे अंदर बहुत सम्भावना है मैं उन सम्भावनाओं को देख पा रहा हूँ। तुम्हारे चेहरे साइंटिफिक टेम्पर से चमक रहे हैं। कोई भी गतिविधि हो वो एन्जॉयफुल होनी चाहिये, उसमे मजा आना चहिये। जरूरी नहीं है कि हर किसी को हर एक काम में मजा लेकिन जिस काम में मजा आये उसे वह दिल लगा कर करे। आज तुम जिस विज्ञान गतिविधियों में शामिल हुए हो निसंदेह इसमें आपको मजा आता है इस लिए प्यारे बच्चों आप आनन्दमयी गतिविधियों में शामिल होकर अपने जीवन को आनन्दमय बनाओ यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। धन्यवाद
श्री पी. के. दास के इस प्रेरणादायी सम्बोधन के दौरान बच्चों और अध्यापकों ने बहुत बार करतल ध्वनि से अपनी ख़ुशी का इजहार किया। उनके चेहरों पर वैज्ञानिक चेतना नवजागरण की खुशी झलक रही थी।
श्री दास के आगमन से राज्य स्तरीय बाल विज्ञान सम्मेलन में नयी ऊर्जा का संचार हुआ। इसके लिए हम सभी राज्य कार्यकारणी, जिला समन्वयक, मार्गदर्शक अध्यापक और बाल वैज्ञानिक माननीय श्री पी के दास का शुक्रिया अदा करते हैं।
Darshan Lal Baweja
Science
Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Distt.
Coordinator NCSC, Haryana Vigyan Manch Rohtak
Master
Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments And Hobby Development
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