Tuesday, December 27, 2016

पृथ्वी की परिधि नापी Circumference of Earth

पृथ्वी की परिधि नापी Circumference of Earth
सीवी रमन विज्ञान क्लब सदस्यों ने मापी पृथ्वी की परिधि 
स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल हुडा सेक्टर 17 जगाधरी में सी वी रमन विज्ञान क्लब के सदस्य क्लब प्रभारी दर्शन लाल, गौरव वलिया व विकास पुंडीर  विज्ञान अध्यापक के नेतृत्व में एकत्र हुए और उन्होंने   पृथ्वी की परिधि नापने के प्रयोग से सम्बंधित गणनाएं की। सूर्य की धूप में छड़ी की परछायी को नाप कर गणितीय गणनाओं से पृथ्वी की परिधि ज्ञात की जाती है। 
क्लब प्रभारी दर्शन लाल ने बताया की 22 दिसम्बर के दिन इक्विनॉक्स यानी शरद विषुव होता है इस दिन सैद्धान्तिक रूप से दिन छोटा व रात लम्बी होती हैं और आज के बाद दिन लम्बे और रात छोटी होनी शुरू हो जाती हैं। पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने में एक साथ बहुत से देशों के बच्चे भाग लेते हैं। वह एक नेटवर्क के जरिये अपने अपने स्कूल में प्रयोग करते हैं जिनकी सम्मिलित गणना से परिणाम निकाले जाते हैं। 
विद्यालय में चल रही विज्ञान कार्यशाला में भाग ले प्रतिभागियों ने भी यह प्रयोग करना सीखा।
अगला प्रयोग 21 मार्च 2017 को किया जाएगा। 
आज के प्रयोग में कुणाल, नमन, विधि, ईशा, मानसी, श्रिया, राशि, हर्षित, सार्थक, तान्या, उत्कर्ष, अनुज, सक्षम, जजवेंद्र, आरुषि, मुस्कान, अर्पित, जतिन, प्रिन्स, रितिक, ध्रुव, सुनैना, अभय, प्रज्ञा, यशपाल, विवेक ने भाग लिया।
परिणाम 


Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Distt. Coordinator NCSC, Haryana Vigyan Manch Rohtak
Master Trainer for Low/Zero Cost Science Experiments And Hobby Development
09416377166
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चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या पर कार्यशाला Scientific Explanation of Miracle Workshop

चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या पर कार्यशाला Scientific Explanation of Miracle Workshop
चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या पर पांच दिवसीय कार्यशाला सोमवार से
स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल जगाधरी सेक्टर सत्रह में पांच दिवसीय रिसोर्स पर्सन्स ट्रेनिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया
 जिसमे रिसोर्स पर्सन्स ने चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या बारे प्रशिक्षण प्रदान किया। वैज्ञानिक चेतना को जागृत कर समाज में वैज्ञानिक अभिरूचि को उजागर करने उसे पहचानने तथा वैज्ञानिक संकल्पनाओं को एक सशक्त मंच प्रदान करने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी एंव संचार परिषद नई दिल्ली, हरियाणा विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी परिषद पंचकुला, जिला विज्ञान प्रमोशन कमेटी, शिक्षा विभाग व इरादा कुरुक्षेत्र के सयुंक्त तत्वाधान में 19 से 23 दिसम्बर तक जिले से चयनित अध्यापक, पीपुल्स टीचर्स, नेहरू युवा केंद्र के वोलिएंटर्स और विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस कार्यशाला का उद्देश्य समाज में सक्रिय तथाकथित चमत्कारी पुरषों के तथाकथित चमत्कारों से समाज को बचाना है। 
हालाँकि समाज में शिक्षा का प्रसार होने से इस प्रकार के तथाकथित अब कामयाब नहीं हो पाते क्योंकि शिक्षा ने ज्ञान विज्ञान के द्वार खोल दिए हैं। फिर भी यदाकदा इस प्रकार की घटनाएं पेश आती रहती हैं जिनमे किसी चमत्कार का दावा किया जाता है परन्तु लोग उसको जल्द ही नकार भी देते हैं क्योंकि वो दावा केवल तब तक ही चलता है जब तक उस चमत्कार की वैज्ञानिक व्याख्या न प्रस्तुत हो जाए। 
कार्यक्रम के संयोजक राजपाल पांचाल ने बताया कि इस कार्यशाला में भूतकाल में समाज को भ्रमित करने वाले चमत्कारों का वर्णन किया जाएगा जिससे जिले में 60 रिसोर्स पर्सन्स तैयार होंगे जो भविष्य में अपने अपने विद्यालयों और समाज में वैज्ञानिक जागरूकता का संचार करेंगें।
इण्डियन रिर्सोस एण्ड डैव्लोपमेन्ट एसोशिएशन (इरादा) के तत्वाधान में स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल, सैक्टर 17, जगाधरी के प्रागंण में राष्ट्रीय विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, भारत सरकार के सहयोग से पांच दिवसीय चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या पर स्त्रोत व्यक्ति प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन सर्वप्रथम प्रतिभागी शबनम चौ0 देवी लाल कालेज की छात्रा द्वारा कल किए गए कार्य पर अपनी रिर्पोट प्रस्तुत की।
आज ग्वालियर से आए स्त्रोत व्यक्ति जितेन्द्र भटनागर ने प्रतिभागियो को प्रशिक्षण देते हुए अपनी जिव्हा के आर पार त्रिशुल निकाला, बिना माचिस के अग्नि उत्पन करे प्रतिभागियों को दिखाया व पानी से नारियल में आग लगाकर दिखाई व बताया की किस तरह तान्त्रिक भुत निकालने के नाम पर यह रसायनिक क्रिया कर लोगों को ठगते है वास्तव में वह नारियल के अन्दर सोडियम मटल को छुपा कर रखता है ओर मौका देखते ही उस पर पानी डाल कर आग लगा देता है, प्रतिभागियों को मन चाहि मिठाई भी खिलाई। 
जिसके उपरान्त सर्च, राज्य संसाधन केन्द्र से आए स्त्रोत व्यक्ति ब्रहम प्रकाश सैनी ने प्रतिभागियो को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि तथा कथित बाबा लोगों को कल बल छल की मददत से लोगो को भ्रमित करते है, और अपना मकसद सीधा करते है। उन्होने अग्नि स्नान कर दिखया व हवा में भभुत पैदा कर दिखया व इन गतिविधियों के पीछे छिपे विज्ञान को समझाया व प्रतिभागियों के अन्दर व्याप्त भ्रम को दुर किया जिसके उपरान्त सभी प्रतिभागियों ने भी इस क्रिया को दोहरा कर आनन्द लिया। 
स्त्रोत व्यक्ति दर्शन लाल ने प्रतिभागियों को हर रोज हमारे बीच होने वाले चमत्कारों पर प्रकाश डालते हुए बहुत सारे प्रयोग कर प्रतिभागियो को सोचने के लिए मजबुर कर दिया, हवा में पानी को रोक कर, वशीकरण की वैज्ञानिक व्याख्या, तैरते पथर का रहस्य, फुलों का रंग बदलना, आज्ञाकारी वर्षा, पेट की गैस निकाल कर, जल को अभिमऩ्ित्रत करके दिखाया व उनके पीछे छिपे विज्ञान का भी समझाया। 
इरादा के सचिव राजपाल पांचाल ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उदेश्य अन्धविश्वास को दुर कर वैज्ञानिक चेतना पैदा करते हुए समाज को नई दिशा देना है। कार्यशाला में यमुनानगर के अध्यापको, आगनवाडी कार्यकता, नेहरु युवा केन्द्र के स्वय सेवक, बी0एड0 व जे0बी0टी0 के छात्र-छात्रों ने भागीदारी की।
मंच संचालन गौरव कुमार द्वारा किया गया।
कार्यशाला मे मुख्यरुप से इरादा के उपप्रधान व कार्यक्रम के उप समन्वयक सन्दीप विश्वकर्मा, संजीव कुमार, तर्कशील सोसायटी के अध्यक्ष आर पी गांधी जी उपस्थित रहें।
यमुनानगर 21-12-2016 इण्डियन रिर्सोस एण्ड डैव्लोपमेन्ट एसोशिएशन (इरादा) के तत्वाधान में स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल, सैक्टर 17, जगाधरी के प्रागंण में राष्ट्रीय विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, भारत सरकार के सहयोग से पांच दिवसीय चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या पर स्त्रोत व्यक्ति प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन कार्यशाला की अध्यक्षता श्री प्रदीप सरीन जी अध्यक्ष, राजकीय अघ्यापक संघ, हरियाणा ने की, स्वप्रर्थम जिला समन्वयक दर्शन लाल द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत जिसके बाद प्रतिभागी द्वारा बीते कल किए गए कार्य पर अपनी रिर्पोट प्रस्तुत की। 
आज कार्यशाला के मुख्य स्त्रोत व्यक्ति जितेन्द्र भटनागर ने प्रतिभागियो को प्रशिक्षण देते हुए एक खाली बर्तन से बार बार पानी निकाल कर उसके पीछे के विज्ञान को उजागर करते हुए प्रतिभागियों के साथ विज्ञान के सिधान्त सांझा किए। उन्होने बिना चाकू के हवा में हाथ धुमा कर केलों को काट कर सभी को आर्श्चय चकित कर दिया।
वही दुसरे मुख्य स्त्रोत व्यक्ति ब्रहम प्रकाश सैनी द्वारा बताया गया की किस तरह तथाकथित बाबा, तान्त्रिक पीतल को सोना व ताबें को चांदी बना कर जन मानस के साथ धल करते है, उनके विश्वास को, आस्था के साथ खिलवाड करते है।
कार्यशाला के समन्वयक व इरादा के सचिव राजपाल पांचाल ने कांच खाकर प्रतिभागियों को दातों तले उगलिया दबाने पर विवश कर दिया, जिसके पश्चात उन्होने प्रतिभागियों को उसके बारे बताया व समझाया साथ ही प्रतिभागियों को अपने गले से एक चमचमाती तलवार को अपने गले से उतार कर अचम्बित किया व प्रतिभागियों को बताया की सभी चमत्कारों के पीछे चार कारण निहित होते है, जिनमे हाथ की सफाई, शरीर की बनावट, खास तरह के उपकरण व राशयनिक क्रिया होती है, जिनके बल पर हर तथाकथित बाबा, तान्त्रिक जन मानस के समुख प्रस्तुत कर उनका विश्वास प्राप्त करते है व अपना स्वार्थ सिद्ध करते है।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्रदीप सरीन ने प्रतिभागियों से अनुरोध किया की सभी प्रतिभागी इस कार्यशाला के बाद इस कार्यशाला मे प्राप्त ज्ञान को अपने विद्यायल मे, समाज में फैलाए, जिससे समाज में वैज्ञानिक सोच पैदा हो सके। 
इरादा के उप प्रधान व कार्यशाला के सह समन्वयक सन्दीप विश्वकर्मा, ने बताया की कार्यशाला में यमुनानगर के 65 प्रतिभागी भागेदारी कर रहे है जिमे अध्यापक, आगनवाडी कार्यकता, नेहरु युवा केन्द्र के स्वय सेवक, बी0एड0 व जे0बी0टी0 के छात्र-छात्रों ने भागीदारी कर रहे है।
आज कार्यशाला मे मुख्यरुप से संजीव कुमार, गौरव कुमार, जगदीश, दीपती सैनी, पुजा रोहिला, आरती रानी, अश्वनी कुमार, अशोक कुमार, व शिक्षा देवी उपस्थित रहें।



















Darshan Lal Baweja
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राज्य स्तरीय २४वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस State Level 24th NCSC


राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (नेशनल चिल्ड्रन्स साइंस कांग्रेस) 2016-17 का राज्य स्तरीय आयोजन उद्घाटन सत्र
विद्यालयीन छात्र-छात्राओं को भविष्य में वैज्ञानिक शोधकार्यो हेतु पृष्ठभूमी तैयार करने तथा उनकी वैज्ञानिक चेतना को जागृत कर उनकी वैज्ञानिक अभिरूचि को उजागर करने उसे पहचानने तथा उनकी वैज्ञानिक संकल्पनाओं को एक सशक्त मंच प्रदान करने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी एंव संचार परिषद नई दिल्ली, हरियाणा विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी परिषद पंचकुला एवं हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक के सयुंक्त तत्वाधान मे जिला स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांफ्रेस का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में 10 से 17 वर्ष के बच्चे (बाल वैज्ञानिक) भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा दिये गये मुख्य विषय अन्तर्गत विभिन्न उप-विषयों के अंतर्गत किसी भी स्थानीय समस्या पर अपने शोध पत्र तैयार कर उसका प्रस्तुतीकरण करते हैं। 
इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह हैं कि इसमे किसी प्रकार के प्रतिदर्श (माडल) नही बनाये जाते हे तथा सिर्फ स्थानिय समस्याओं पर ही सर्वेक्षण, केस स्टडी व प्रयोग आधारित कार्य पर आधारित विधियों से शोघ पत्र तैयार कर उसका प्रस्तुतीकरण पोस्टर, चार्ट, ट्रान्सपेरेन्सी व पीपीटी के सहयता से किया जाता है। इस कार्यक्रम मे परियोजना बनाने तथा शोध कार्य को किस प्रकार सम्पन्न करवाया जाए व विषय-उपविषय की संपूर्ण जानकारी के लिए राज्य संसाधन कार्यशाला का आयोजन प्रत्येक वर्ष के जून माह में किया जाता है तथा इसी की निरन्तरता में जिला स्तरीय मार्गदर्शक अध्यापक कार्यशाला का आयोजन जुलाई माह तक किया जाता है। 
इन कार्यशालाओ में जिले के सभी विद्यालयों के विज्ञान शिक्षक-शिक्षिका या प्रवक्ता भाग लेते हैं। वर्ष 2016 एवं 2017 हेतु यह परियोजनाए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्यागिकी विभाग द्वारा घोषित मुख्य विषय ‘‘ संपोषणीय विकास के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार‘‘‘ अन्तर्गत उप-विषय 1.प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, 2.खाद्य एवं कृषि, 3.ऊर्जा, 4. स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण, 5.जीवन शैली एवं जीविका 6. आपदा प्रबंधन तथा 7.प्राचीन ज्ञान प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न शीर्षकों पर राज्य के 20 जिलों से 117  बाल वैज्ञानिकों ने राज्य स्तरीय आयोजन में महर्षि मार्कण्डेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना, जिला अम्बाला में भाग लिया। इस बाल विज्ञान समेलन का उद्घाटन 14 नवम्बर को हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दास (आईएएस) ने दीप जला कर किया। 15 नवम्बर को बाल विज्ञान समेलन का समापन 15 नवम्बर को हरियाणा विज्ञान एंव प्रोद्योगिकी परिषद, पंचकुला के निदेशक श्री राजीव रंजन (आईएएस) ने विजेताओं और प्रतिभागियों को पदक व पुरस्कार वितरित करके किया।
24वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (राज्य स्तरीय) का उद्घाटन 14 नवम्बर 2016 को हरियाणा विद्यालय शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दास (आईएएस) ने किया। श्री दास ने सर्वप्रथम एम एम यूनिवर्सिटी मुलाना जिला अम्बाला के यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कालेज कैम्पस में हरियाणा विज्ञान मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाई गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। चमत्कारों का पर्दाफाश प्रदर्शनी में श्री ब्रह्म प्रकाश सैनी ने विभिन्न तथाकथित चमत्कार करके दिखाए और साथ ही उनका पर्दाफाश भी किया और उन चमत्कारों के पीछे के विज्ञान को भी समझाया। 
हरियाणा विज्ञान मंच के कार्यकर्ता राजेश कुमार और सीता राम द्वारा लगाई गयी पुस्तक प्रदर्शनी सह विक्रय केंद्र का अवलोकन किया जहां विज्ञान मंच, एकलव्य भोपाल समेत बहुत से विज्ञान प्रकाशकों की विज्ञान साहित्य व अन्य पुस्तकों का अवलोकन किया। श्री वेदप्रिय ने आरिगेमी कार्नर लगाया। श्री सतबीर नागल और श्री महावीर नरवाल ने मुख्य अतिथि को प्रदर्शनी का अवलोकन करवाया। 
हरियाणा विज्ञान मंच के यमुनानगर जिला समन्वयक दर्शन लाल बवेजा द्वारा लगाए गए विज्ञान गतिविधि स्टाल का भी अवलोकन किया। इस स्टाल पर उन्होंने विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल द्वारा बनायी व विकसित की गयी कम लागत/शून्य लागत की पाठ्यक्रम आधारित विज्ञान मॉडल्स को देखा। श्री बवेजा ने बताया की ये विज्ञान गतितिविधियां स्थानीय उपलब्ध सामग्री से बहुत कम लागत से बनायी गयी हैं जिन्हें मेरे स्कूल के बच्चे भी बनाते हैं और अपने साइंस बाक्स में संग्रहित करते हैं। वहां मुख्य अतिथि ने बच्चों द्वारा बनाई गयी हारबेरियम फार्इल  और डाक टिकेट संग्रह (फिलेटली) व विज्ञान स्क्रैप बुक्स का भी अवलोकन किया।   
श्री दास ने दीप प्रज्वलन के पश्चात अपने सम्बोधन में उपस्थित बाल वैज्ञानिकोंमार्गदर्शक अध्यापकों, जिला समन्वयकों, हरियाणा विज्ञान मंच और भारत  ज्ञान विज्ञान समिति के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि.......
आज मुझे इस विज्ञान के कार्यक्रम में शामिल होने पर बहुत ख़ुशी हो रही है क्यूंकि आज का दिन बहुत ख़ास हैं आज चार चार विशेष आयोजन एक साथ हैं। आज का दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन है जिस दिन दार्शनिक, योगी, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु गुणों के स्वामी श्री गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। आज ही भारत के पहले प्रधानमंत्री व बच्चों के चाचा नेहरु का भी जन्मदिन है और बाल दिवस भी। आज ही जहां का मैं हूँ यानि कटक (ओडिशा) में बाली यात्रा के प्रारम्भ का दिवस भी है बाली यात्रा कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुरू होती है जो बाली, सुमात्रा, श्रीलंका व श्याम आदि द्वीपों के साथ हमारे (भारत) समुद्री व्यपार से सम्बंधित थी। पहले इंजिन नहीं था तो जलयान हवा की दिशा में पवन बल द्वारा पाल से चलते थे और नाविकों को पता होता था कि आज के दिन से ही वायु हमारे अनुकूल होगी और वो यात्रा शुरू करते थे, यह उस समय का विज्ञान ही तो था जो काल गणना व अनुभव आधारित ज्ञान का संग्रह था जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहा और आज भी जारी है। 
 आज जो आप सब महानुभाव यहाँ एकत्र हुए हो और जो कर रहे हो ये भी एक उत्सव है एक सभ्यता का, एक ज्ञान का और एक संभावना का कि जिसमे हम अपने ज्ञान के दायरे को और भी समृद्ध कर सकते हैं। आज के दिन एक नहीं चार सम्मेलन एक साथ हो रहे हैं जिसके लिए मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूँ और आप सब को मैं बधाईयाँ देता हूँ।
मैं बहुत वर्षों से विज्ञान मंच के साथ जुड़ा हुआ हूँ जब पानीपत में साक्षरता मिशन पानीपत की चौथी लड़ाई के रूप में लड़ी जा रही थी तब मैं इस संस्था के साथ मिलकर कमोबेश कुछ न कुछ काम करता रहा था। हम हर रोज अपने आदर्शों के क्रियान्वन की लड़ाई लड़ते हैं किसी दिन हम जीत जाते हैं किसी दिन हम हार जाते हैं, जिस दिन हम जीत जाते है खुश होते हैं और जिस दिन हम हार जाते हैं मायूस हो जाते हैं। अगले ही दिन फिर नयी ऊर्जा के साथ फिर कार्य में लग जाते हैं ये हमारा अपने आदर्शों पर विशवास ही होता है जो हमे हारने नहीं देता है। पिछले 30 वर्षों से यह संस्था (भारत ज्ञान विज्ञान समिति) विज्ञान के लिए, ज्ञान के आलोक के लिए अंधविश्वास के विरुद्ध, रूढ़ीवाद के विरुद्ध लड़ती रही है। यह संस्था अपने आदर्श के प्रति, विज्ञान के प्रति निष्ठा का एक परिचय है। एक प्राचीन परिभाषा के अनुसार 'आदमी और जानवर में मुख्य फर्क उसकी आकृति या रंग से नहीं हैं।'
आदमी और जानवरों में भिन्नता का अंतर यह है कि आदमी एक तर्कशील एनिमल (जानवर) है जिसके पास तर्क है, तार्किक शक्ति है। तर्क मात्र समाजविज्ञान का हिस्सा नहीं है, तर्क सभी विज्ञानों का रेखांकित हिस्सा है। विज्ञान के अपने सार्वत्रिक नियम होते हैं जो अपवादों को छोड़ कर पूरी धरती पर लागू होते हैं। 
संस्था द्वारा चमत्कारों के के खिलाफ जागरूकता संचार की प्रशंसा करते हुए श्री पी की दास ने कहा कि चमत्कार क्या हैं? चमत्कार और विज्ञान परस्पर विरोधी विचार हैं। जब किसी बच्चे को चुम्बक पहली बार दिखाया जाता है और उस पर लोहे का पैसा चिपक जाता है तो यह अवस्था उसके लिए तब तक मिरेकल है जब तक कोई भी पारम्परिक विज्ञान उसे यह ना बता दे कि यह चुम्बक का गुण ही है कि वह कुछ धातुओं को अपनी और आकर्षित करती है। यह बताने वाला पारम्परिक ज्ञान इतिहास, भौतिकी या कोई अर्जित अनुभव या वैज्ञानिक सिद्धांत हो सकता है। प्रकृति में कोई ऐसी घटना घटित होती है जो कि अद्भुद है, नयी है, अभी तक ना खोजी गयी प्राकृतिक घटना है, तो उसको क्या कहा जाएगा? प्रथम दृष्टया उसको तब तक चमत्कार कहा जाएगा जब तक हमारा तार्किक और प्रश्न उठाने वाला दिमाग उस सत्य की खोज नहीं कर लेगा। विज्ञान यहीं से शुरू होता है जब मैं यह कहूँ कि 'नहीं मैं इसको स्व अनुभव से जानूंगा'। वैज्ञानिक दिमाग, तार्किक शक्ति और सिलसिलेवार खोजी व विश्लेषण विधि के प्रयोग चमत्कारों की व्याख्या हो जाती है। अपने सम्बोधन में जब आपने श्राद्ध और काली बिल्ली का किस्सा सुना कर मनगढ़ंत तरीके से ऊपजी घटना को एक परम्परा बनने की व्याख्या की तो उपस्थित सभी श्रोता लोटपोट हो गए। ओडिशा में बहुत पहले एक किसान ने जब अपने पिता की बरसी पर कौवों के लिए छत पर भोजन परोसा तो उस भोजन को एक काली बिल्ली खा जाती थी। उस किसान ने काली बिल्ली को टोकरी के नीचे कैद करके कौवों को भोजन परोसा और हर फिर वह वर्ष वह ऐसे ही करने लगा, बाकी गांव वालों ने भी इस समस्या से निजात पाने के लिए इसको दोहराया। उनके वंशजों ने भी यही किया कालान्तर मे जब काली बिल्लियाँ कम होने लगी और अब लोग बरसी के अवसर पर एक दिन पहले आसपास के गावों से काली बिल्ली मांग कर लाकर उसे टोकरी के नीचे कैद करके कौवों को भोजन परोसते रहे, अब यह वहां का एक रीतिरिवाज बन चुका है। ये मैंने क्यूँ कहा? हर एक प्रथा युक्ति संगत नहीं है, ये हमारे समाज से जुड़ी एक प्रथा है जिसका प्रचलन जारी और उस में नयी बातों का योग हुआ है। यह प्रथा विज्ञान नहीं हो सकती है? हम विज्ञान की शिक्षा लेते हैं वो केवल एमएससी या पीएचडी की डिग्री पाने के लिए नहीं है जब तक हम उसका उपयोग समाजोत्थान और कल्याण के लिए न करें। तुम सब जो बाल वैज्ञानिक और मार्गदर्शक अध्यापक यहाँ आये हो आपके आने का मकसद यदि यह है कि आप एक अच्छा प्रोजेक्ट बना लो और प्रस्तुत करके प्रथम आओ और इनाम जीत लो। नहीं, आपकी जिम्मेदारी यह है कि क्या आपके आसपास सब कुछ वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है? क्या साइंटिफिक टेम्परामेंट विकसित हो चुका है? आपका उसकी वृद्धी के लिए क्या प्रयास है ? यदि हम ऐसा प्रयास नहीं करेंगें तो  होगा ये कि  हम खुद को तो उपर उठाते रहेंगें और हम 21वीं शताब्दी में होंगें और कुछ लोग अभी 18वीं शताब्दी में होंगे। अगर हम ऐसा बर्ताव करते रहेंगें तो ‘सबका देश हमारा देश नहीं होगा’ कुछ का देश अलग और हमारा देश अलग तरह का होगा। हमे खोजी प्रवृती का होना चाहिए। जरूरी नहीं है की बड़ी बड़ी युनिवर्सिटीज और भारी डिग्रियों में ही साइंस हो, ‘वहां चलो जहां अभी तक कोई नहीं गयाअन्वेषण और खोजी प्रवृति के होते कोई अनपढ़ भी साइंटिफिक हो सकता है। कुछ नया करना जिसमे कोई खोज समाहित हो वह विज्ञान है। भारत में इंजीनियर बहुत अच्छे तैयार होते हैं जो सामान बहुत अच्छा बनाते और बेचते हैं परन्तु ये वो ही सामान बनाते जो पहले से बन रहा है कुछ नया नहीं बनाते है। हमे ऐसा माहौल बनाना है जहां हम कुछ नया बना सके और नहीं तो कम से कम वैज्ञानिक सोच तो अपना सकें। प्यारे बच्चों जो तुम आज यहां एकत्र हुए हो तुम बहुत खुशनसीब हो तुम्हे अवसर मिला है की तुम कोई ऐसा कार्य कर सको और अपने अंदर की सम्भावना को तलाश कर सको। हर किसी को ये मौका नहीं  मिलता और मुझे ये उम्मीद है कि आप इस मौके को जाया नहीं जाने दोगे। तुम अपनी उड़ान पूरे मन से भर सकोगे। समाज का विज्ञानोत्थान कर सकोगे। आप अपने समाज को साइंटिफिक टेम्पर से चलाने के लिए तैयार कर सको। कोई भी क्रान्ति एक दिन में नहीं होती यह एक धीमी प्रक्रिया है हो सकता है अभी आप के दिमाग में कोई आईडिया हो जिसे आप धीरे धीरे एक दिन साकार करलो और वो दिन आप किसी विश्वविद्यालय में हों और कोई क्रांतिकारी खोज कर दो। वैज्ञानिक क्रान्ति हांडी में चावलों के पकने की तरह एक धीमा परन्तु ग्रेज्युअल  प्रोसेस है जिसका पता तभी लगता है जब चावल पक चुके होते हैं। बच्चों तुम्हारे अंदर बहुत सम्भावना है मैं उन सम्भावनाओं को देख पा रहा हूँ। तुम्हारे चेहरे साइंटिफिक टेम्पर से चमक रहे हैं। कोई भी गतिविधि हो वो एन्जॉयफुल होनी चाहिये, उसमे मजा आना चहिये। जरूरी नहीं है कि हर किसी को हर एक काम में मजा लेकिन जिस काम में मजा आये उसे वह दिल लगा कर करे। आज तुम जिस विज्ञान गतिविधियों में शामिल हुए हो निसंदेह इसमें आपको मजा आता है इस लिए प्यारे बच्चों आप आनन्दमयी गतिविधियों में शामिल होकर अपने जीवन को आनन्दमय बनाओ यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। धन्यवाद
श्री पी. के. दास के इस प्रेरणादायी सम्बोधन के दौरान बच्चों और अध्यापकों ने बहुत बार करतल ध्वनि से अपनी ख़ुशी का इजहार किया। उनके चेहरों पर वैज्ञानिक चेतना नवजागरण की खुशी झलक रही थी। 
श्री दास के आगमन से राज्य स्तरीय बाल विज्ञान सम्मेलन में नयी ऊर्जा का संचार हुआ। इसके लिए हम सभी राज्य कार्यकारणी, जिला समन्वयक, मार्गदर्शक अध्यापक और बाल वैज्ञानिक माननीय श्री पी के दास का शुक्रिया अदा करते हैं। 






Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
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सी वी रमण विज्ञान क्लब का साइंस कार्नर Science Corner of CV Raman Sci club

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गंगा गए गंगा दास, जमुना गए जमुना दास
दर्शन लाल
कपाल मोचन, भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। हरियाणा प्रान्त के यमुनानगर ज़िले में स्थित इस तीर्थ के बारे में मान्यता है कि कपाल मोचन स्थित सोम सरोवर में स्नान करने से भगवान शिव ब्रह्मादोष से मुक्त हुए थे। इसी वजह से हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ मेला लगता है जिसमें लाखों लोग सरोवर में स्नान करने पहुंचते हैं। 
मान्यता कोई भी रही होगी परन्तु सी वी रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर का साइंस कार्नर विशेष आकर्षण का केंद्र बना। क्लब प्रभारी दर्शन लाल ने श्रीश शर्मा के साथ वहां प्रदर्शनी स्थल पर कम/शून्य लागत के विज्ञान प्रयोगों का प्रदर्शन किया और मेला देखने आये बच्चों और अध्यापकों को इसका ज्ञान दिया जिसे देख कर बच्चे बहुत खुश हुए।
झलकियाँ 








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