Sunday, December 13, 2015

बदलता मौसम बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक Research by Students

बदलता मौसम बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक
विज्ञान सम्मेलन के लिए शोध कार्य कर रहे हैं बाल विज्ञानी  
राष्ट्रीय बाल विज्ञान सम्मेलन की परियोजना में बाल विज्ञानियों ने केस स्टडी द्वारा जाना कि मौसम के बदलाव बच्चों को क्यों बीमार करते हैं
स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल सेक्टर सत्रह जगाधरी के कक्षा छह से आठ के पांच बाल विज्ञानियों ने दो महीने से भी अधिक समय में विभिन्न केस स्टडी के जरिये यह जानने का प्रयत्न किया कि शून्य से दस वर्ष के बच्चों को मोसम व जलवायु का बदलाव किस प्रकार प्रभावित करता है श्रेया केस्वानी, अक्षिता चौहान, अंजली वर्मा, प्रभनूर कौर व अनन्या केस्वानी की टीम ने इस विज्ञान परियोजना को शुरू किया इस टीम ने सरोजिनी कालोनी, हुडा सेक्टर अट्ठारह में सर्वेक्षण करके ऐसे बच्चों को खोजा जो की अक्सर जल्दी जल्दी बीमार होते रहते हैं और उनकी हिस्ट्री अल्पसामयिक रुगणता वाली है इन बाल विज्ञानियों ने अपने केस बालक का पिछ्ला सारा मेडिकल रिकार्ड खंगाला और दिनवार डाटा एकत्र किया और उनके इलाज करने वाले से डाक्टर्स से भी मिलेइस प्रकार इन्होने बच्चे के द्वारा ली गयी दवाइयों का डाटा भी एकत्र किया और यह ज्ञात किया की उनके केस बालक ने प्रतिवर्ष कितना एंटीबायोटिक व अन्य दवाइयों को खाया व लम्बे समय तक प्रतिजैविक लेने पर उत्पन्न साइड इफैक्टस को भी पहचाना
इस टीम ने प्रत्येक बच्चे की शारीरिक गतिविधियों और आई क्यू को भी विभिन टेस्ट्स के द्वारा जांचा और बच्चे का साक्षात्कार भी लियाबालक की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति को जांचा इस टीम के सदस्यों ने बच्चे के अभिभावकों का साक्षात्कार भी लिया, जिसमें उन्होंने जाना की उक्त वर्णित बालक केवल तभी बीमार पड़ता था जब मौसम में तब्दीली आती थी या फिर मौसम की अपनी चरम स्थिति होती थी इस टीम के सदस्यों ने विद्यालय में एक परामर्श बैठक का भी आयोजन किया जिस में इन्होने बताया की किस प्रकार बच्चों को मौसम में बदलाव शुरू होते ही अपने पहनावे और खानपान में भी बदलाव शुरू कर देने चाहियें  
इन्होने बताया की इन कमजोर प्रतिरक्षण वाले बच्चों के माता पिता को इनकी  खुराक में पौष्टिक व रोग प्रतिरोधक पदार्थों जैसे शहद, आंवला कैंडी, अज्वैन, इलायची, अदरक, गिलोय, बादाम, खसखस, हींग, हल्दी, तुलसी व चाय आदि का सेवन करावाना चाहिए कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम का उपभोग निश्चित समय पर ही करना चाहिएगर्मियों में डेजर्ट कूलर कमरे में नमी आद्रता को बढ़ाता जिस कारण ये बच्चे जल्दी वायरल बुखार की गिरफ्त में आ जाते हैं सर्दियों की शुरुवात में यानी कि आजकल जिस प्रकार का मौसम हैं इस मौसम में बच्चे शुरुवाती सर्दी, जुखाम, हल्का बुखार जैसे जोखिम से जकड़े जा रहे हैं वर्षा (अक्टूबर और नवम्बर की) व मानसून की शुरुआत में इस प्रकार के बच्चे वायरल बुखार व डायरिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं
विद्यालय की प्रधानाचार्या अनीता काम्बोज व जिला समन्वयक दर्शन लाल ने इन बच्चों की इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सुना व फिर एकत्र किये गए आंकड़ों और  निष्कर्षों की विश्वसनीयता को जांचा व इन बच्चों के द्वारा निकाले गए निष्कर्षों के आधार पर कहा कि बच्चों में इस प्रकार परियोजना उनको मूल विज्ञान व शोध आधारित कोर्सिज,  डिग्री व डिप्लोमा करने के लिए प्रेरित करता है जिसकी कि देश को बहुत आवश्यकता है इस टीम की मार्गदर्शिका अध्यापिका रीना मल्होत्रा और मिस मोर्ग्रेट ने इस टीम की कार्यप्रणाली व उत्साह की मुक्त कंठ से प्रसंशा की और टीमवर्क की सरहाना की। रास्ट्रीय बाल विज्ञान सम्मेलन बीस नवम्बर को जगाधरी स्थित नेशनल बहुतकनिकी कालेज में होगा जहां ये टीम अपनी परियोजना के शोधपत्र को प्रमाणों के साथ किया रो राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए। 
अखबारों में 

Darshan Lal Baweja
Science Teacher Cum Science Communicator
Secretary C V Raman Science Club Yamunanagar
Distt. Coordinator NCSC, Haryana Vigyan Manch Rohtak
09416377166
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