Saturday, November 15, 2014

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पुच्छल तारे पर उतारा स्पेसक्राफ्ट Rosetta mission’s

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पुच्छल तारे पर उतारा स्पेसक्राफ्ट Rosetta mission’s 
बहुत वर्षों से ये हसरत थी खगोल वैज्ञानिकों की कि पुच्छल तारे के वो अनखुले पन्ने भी खोले जाएं जिनको पढ़ कर ब्रह्मांड के उन रहस्यों को भी जाना जाए कि आखिर इन ग्रहों तारों का निर्माण किन किन चरणों मे हुआ है इसी जिज्ञासा वश पुच्छल तारे के नजदीक जाकर या फिर उसकी सतह पर पहुँच कर उस के बारे मे जाना जा सके इसी प्रयासों के फलस्वरूप यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने एक बहुत बड़ी कामयाबी के मुकाम को छुआ है और धूमकेतु को फतेह कर लिया है एजेंसी ने अंतरिक्ष में स्थित 67P नाम के धूमकेतु पर अपना लैंडर स्पेसक्राफ्ट उतार दिया अंतरिक्ष के अभियानों मे ऐसा ऐसा पहली बार हुआ है जब स्पेसक्राफ्ट को किसी धूमकेतु की सतह पर सुरक्षित उतारा गया है।
आज सी वी रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर के सदस्यों को क्लब समन्वयक व दर्शन लाल बवेजा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दो मार्च 2004 को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना हैरतअंगेज रोजेटा मिशन लॉन्च किया था तब इसे कल्पना मात्र माना जा रहा था। रोजेटा पूर्व दस  वर्षों मे पचास  करोड़ किलोमीटर से भी अधिक लंबा फासला तय करके 67P धूमकेतु के पास पहुंचा। जहां वैज्ञानिकों ने रोजेटा के संलग्नक लैंडर स्पेसक्राफ्ट फाइली को इस राकेट से अलग किया और इस से अलग होने के बाद फाइली ने सात घंटे की यात्रा की और धूमकेतु की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग कर ली और जैसे ही लैंडिंग की सूचना मिली तो यूरोपियन स्पेस एजेंसी वैज्ञानिकों ने एक दूसरे को गले मिल कर बधाइयां दी। दर्शन लाल ने बच्चो को यह भी बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों को फाइली से सिग्नल मिलने शुरू हो गए हैं पता चला है जिस पुच्छल तारे की सतह पर यह उतारा गया है उस की सतह बर्फीली है।
कितना बड़ा है 67P धूमकेतु
67P धूमकेतु जिस पर फाइली को लैंड करवाया गया है उसका आकार 4 किलोमीटर की चौड़ाई का है। जबकि लैंडर स्पेसक्राफ्ट फाइली का आकार एक कपड़े धोने की मशीन जितना है। यह पृथ्वी से इतनी दूर है कि इससे मेसेजिंग मे एक सन्देश के आने और जाने मे एक घंटे लगभग समय लगता है।
खगोल वैज्ञानिक क्या जानना चाहते है इस मिशन से?
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मनुष्य की पहुँच से दूर इस खगोलीय पिंड के अध्ययन से सौरमंडल के बहुत से अज्ञात रहस्य पता लग सकते हैं। नेपच्यून ग्रह के पथ के बाहर विशाल धूमकेतुओं का एक बहुत विशाल झुरमुट है जिसे उर्ट क्लाउड कहते हैं। वहाँ से यदा-कदा इन धूमकेतुओं परिवार से कोई धूमकेतु सूर्य की प्रभावी गुरुत्व सीमा में आ जाता है और दीर्घवृत्तीय कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करने लगता है। वैज्ञानिकों के एक बड़े वर्ग का यह भी मानना है कि भूतकाल मे पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी कच्चा माल धूमकेतुओं से ही आयातित हुआ था। फ़्रेड होइल और कुछ खगोलविद ऐसा मानते आये हैं कि अब से कोई साढ़े छह करोड़ वर्ष पहले एक विशालकाय धूमकेतु के पृथ्वी से आ टकराने से विशालकाय प्राणी डायनासोर का सफाया हुआ था और वैज्ञानिकों का मानना है कि धूमकेतु के अध्ययन करने से सौर मंडल कैसे बना यानी इसके निर्माण की पहेली को सुलझाया जा सकता है सौरमंडल के अस्तित्व से आने लेकर अभी तक इनमें खास बदलाव नहीं हुआ है।


2 comments:

  1. atyant rochak evm gyanvardhak jankaree hetu aabhaar...

    ReplyDelete
  2. बहुत ही उम्दा एवं ज्ञान्बर्धक जानकारी।
    धन्यवाद

    ReplyDelete

टिप्पणी करें बेबाक