Friday, November 28, 2014

जिला स्तरीय बाईसवी राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 22NCSC Distt level

जिला स्तरीय बाईसवी राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस  22NCSC Distt level 
आठ टीमों का हुआ राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ चयन
बाल वैज्ञानिकों ने मौसम और जलवायु सम्बन्धित शोध पत्र प्रस्तुत किए
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा एन सी एस टी सी नेटवर्क, हरियाणा राज्य विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग पंचकुला व हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक, जिला विज्ञान उन्नति समिति व शिक्षा विभाग यमुनानगर के सयुंक्त तत्त्वाधान मे करवाई जाने वाली जिला स्तरीय बाईसवी राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल हुडा सेक्टर सत्रह जगाधरी मे सम्पन्न हुई। 
जिसमे शैक्षिक समिति के समन्वयक जे एस सांगवान, प्रदीप सरीन, जिला विज्ञान विशेषज्ञ डाक्टर विजय त्यागी, दर्शनलाल, सन्दीप गुप्ता ने शिरकत की और विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती अनीता काम्बोज ने कार्यक्रम की शुरुआत की और प्रधानाचार्या ने अपने सम्बोधन द्वारा बाल वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन किया।
इस बाल विज्ञान सम्मेलन मे एक सौ बीस बाल वैज्ञानिकों और तीस मार्गदर्शक अध्यापको व आयोजको ने भाग लिया। 
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कॉंग्रेस का इस वर्ष का मुख्य विषय आओ मौसम और जलवायु को समझें रखा गया है। इस प्रतियोगिता में ग्रामीण और शहरी वर्ग से सभी प्रकार के विद्यालयों के बाल वैज्ञानिक भाग लेते हैं और अपने शोधपत्र पढते हैं।
प्रतियोगिता के परिणाम
छह से सात दिसम्बर को रोहतक मे

आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिये जिन बाल वैज्ञानिकों का चयन हुआ उनमे से टीम के ग्रुप लीडर केशवी स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल हुड्डा जगाधरी, आँचल काम्बोज मुकुन्द लाल पब्लिक स्कूल सरोजनी कॉलोनी यमुनानगर, श्रुति व यशश्वी स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल हुड्डा जगाधरी, विधि मुकुन्द लाल पब्लिक स्कूल सरोजनी कॉलोनी यमुनानगर, हर्षित
राजकीय व मा वि बूड़िया, रजत राजकीय व मा वि तलाकौर, रिज़वाना राजकीय उच्च विद्यालय तेजली अपने शोध पत्रों का राज्य स्तर पर प्रस्तुतीकरण करेंगें।
इस अवसर पर मौसम एवं जलवायु थीम पर एक विज्ञान प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया

जिस मे दीक्षांत, शिवांग प्रथम, लविश, सत्यम द्वितीय और हेमन्त व अभिषेक तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर मौसम एवं जलवायु थीम पर एक पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिस मे शिवांगी प्रथम और शगुन धीमान ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
प्रतियोगिता मे प्रस्तुत किये गए शोध पत्रों के शीर्षक
जिला समन्वयक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि स्कूली बच्चो की पीएचडी कही जाने 
वाली इस प्रतियोगिता मे बाल वैज्ञानिकों ने मौसम बदलाव का त्वचा पर प्रभाव, मौसम के पैरामीटर्स मापने की अपनी प्रयोगशाला 

मौसम बदलने पर स्कूल मे बच्चों की हाजरियों पर पड़ने वाले प्रभाव, ठोस कचरा प्रबंधन की दुर्व्यवस्था के कारण मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन और कार्बन फूट प्रिंट और मौसम व पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन, बदलते मौसम के अनुसार कपड़े पहनावे की आदतों मे बदलाव, बदल रहे मौसम मे डेंगू के मच्छरों का प्रतिरोधकता विकसित कर लेने से मानव पर प्रभावों का अध्ययन आदि शीर्षकों के अंतर्गत अपने शोधपत्र पढ़े।
इस कार्यक्रम में ज्योतिका डाँग, विकास पुंडीर, भूपिन्द्र खत्री, श्रीश बेंजवाल शर्मा, सुबुही, राजकुमार धीमान, ओम प्रकाश सैनी, गौरव, रीना मल्होत्रा, सन्दीप गुप्ता, इन्दु अरोड़ा, योगेन्द्र शर्मा, सीमा अरोड़ा, विजय कौशिक, विकास पुंडीर, गोपाल शर्मा, मनीषा का सक्रिय योगदान रहा। 
निर्णायक मंडल में डॉ॰ अमर जीत सिंह खालसा कॉलेज, श्री राजपाल पांचाल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा श्री सन्दीप गुप्ता विज्ञान अध्यापक बक्कर वाला से थे।








Saturday, November 15, 2014

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पुच्छल तारे पर उतारा स्पेसक्राफ्ट Rosetta mission’s

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पुच्छल तारे पर उतारा स्पेसक्राफ्ट Rosetta mission’s 
बहुत वर्षों से ये हसरत थी खगोल वैज्ञानिकों की कि पुच्छल तारे के वो अनखुले पन्ने भी खोले जाएं जिनको पढ़ कर ब्रह्मांड के उन रहस्यों को भी जाना जाए कि आखिर इन ग्रहों तारों का निर्माण किन किन चरणों मे हुआ है इसी जिज्ञासा वश पुच्छल तारे के नजदीक जाकर या फिर उसकी सतह पर पहुँच कर उस के बारे मे जाना जा सके इसी प्रयासों के फलस्वरूप यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने एक बहुत बड़ी कामयाबी के मुकाम को छुआ है और धूमकेतु को फतेह कर लिया है एजेंसी ने अंतरिक्ष में स्थित 67P नाम के धूमकेतु पर अपना लैंडर स्पेसक्राफ्ट उतार दिया अंतरिक्ष के अभियानों मे ऐसा ऐसा पहली बार हुआ है जब स्पेसक्राफ्ट को किसी धूमकेतु की सतह पर सुरक्षित उतारा गया है।
आज सी वी रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर के सदस्यों को क्लब समन्वयक व दर्शन लाल बवेजा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दो मार्च 2004 को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना हैरतअंगेज रोजेटा मिशन लॉन्च किया था तब इसे कल्पना मात्र माना जा रहा था। रोजेटा पूर्व दस  वर्षों मे पचास  करोड़ किलोमीटर से भी अधिक लंबा फासला तय करके 67P धूमकेतु के पास पहुंचा। जहां वैज्ञानिकों ने रोजेटा के संलग्नक लैंडर स्पेसक्राफ्ट फाइली को इस राकेट से अलग किया और इस से अलग होने के बाद फाइली ने सात घंटे की यात्रा की और धूमकेतु की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग कर ली और जैसे ही लैंडिंग की सूचना मिली तो यूरोपियन स्पेस एजेंसी वैज्ञानिकों ने एक दूसरे को गले मिल कर बधाइयां दी। दर्शन लाल ने बच्चो को यह भी बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों को फाइली से सिग्नल मिलने शुरू हो गए हैं पता चला है जिस पुच्छल तारे की सतह पर यह उतारा गया है उस की सतह बर्फीली है।
कितना बड़ा है 67P धूमकेतु
67P धूमकेतु जिस पर फाइली को लैंड करवाया गया है उसका आकार 4 किलोमीटर की चौड़ाई का है। जबकि लैंडर स्पेसक्राफ्ट फाइली का आकार एक कपड़े धोने की मशीन जितना है। यह पृथ्वी से इतनी दूर है कि इससे मेसेजिंग मे एक सन्देश के आने और जाने मे एक घंटे लगभग समय लगता है।
खगोल वैज्ञानिक क्या जानना चाहते है इस मिशन से?
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मनुष्य की पहुँच से दूर इस खगोलीय पिंड के अध्ययन से सौरमंडल के बहुत से अज्ञात रहस्य पता लग सकते हैं। नेपच्यून ग्रह के पथ के बाहर विशाल धूमकेतुओं का एक बहुत विशाल झुरमुट है जिसे उर्ट क्लाउड कहते हैं। वहाँ से यदा-कदा इन धूमकेतुओं परिवार से कोई धूमकेतु सूर्य की प्रभावी गुरुत्व सीमा में आ जाता है और दीर्घवृत्तीय कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करने लगता है। वैज्ञानिकों के एक बड़े वर्ग का यह भी मानना है कि भूतकाल मे पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी कच्चा माल धूमकेतुओं से ही आयातित हुआ था। फ़्रेड होइल और कुछ खगोलविद ऐसा मानते आये हैं कि अब से कोई साढ़े छह करोड़ वर्ष पहले एक विशालकाय धूमकेतु के पृथ्वी से आ टकराने से विशालकाय प्राणी डायनासोर का सफाया हुआ था और वैज्ञानिकों का मानना है कि धूमकेतु के अध्ययन करने से सौर मंडल कैसे बना यानी इसके निर्माण की पहेली को सुलझाया जा सकता है सौरमंडल के अस्तित्व से आने लेकर अभी तक इनमें खास बदलाव नहीं हुआ है।