Monday, January 20, 2014

मौसम की तीव्रता, कारण और निवारण Understanding Weather and Climate

मौसम की तीव्रता, कारण और निवारण Understanding Weather and Climate 
 Weather and Climate monitoring team jr/sr
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने गत कुछ वर्षों से मौसम के व्यवहार मे होने वाली तीव्रता के कारणों को एक संगोष्ठी मे आपसी विचार विमर्श के जरिये जानने का प्रयत्न किया। इस संगोष्ठी का आयोजन सरोजिनी कालोनी मे किया गया। क्लब सदस्यों ने बताया कि उन्होंने खुद यह अनुभव किया कि जो भी मौसम आता है उसकी तीव्रता नाकाबिले बर्दाश्त होती है। हर वर्ष किसी ना किसी मौसम की प्रचंडता पिछले वर्ष से अधिक ही होती है।
क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन बवेजा ने बताया कि पिछले कुछ दशकों के दौरान हुआ ऋतु परिवर्तन वाकई विस्मयकारी है। पृथ्वी पर सदा से केवल दो ही ऋतुएं जो कि स्पष्ट रूप से परिभाषित रही वो हैं गर्मी और सर्दी, इन दोनों ऋतुओं के अनुरूप ही सभी जीवों ने अपने आप को ढाल लिया है। पृथ्वी पर पिछले डेढ़ – दो सौ वर्षों के दौरान मौसम मे परिवर्तन को अधिक तेजी से नोट किया जा रहा है जिस कारण कुछ विशेष प्रजाति के पौधें और जंतु इस परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को नहीं ढाल पाए है जिस कारण या तो वे विलुप्त हो गए हैं या फिर विलुप्ति के कगार पर खड़े हैं। मानवीय और प्राकृतिक गतिविधियां इस परिवर्तन लिए जिम्मेदार है एवं वैज्ञानिकों के लिए यह चिंता का एक कारण है।
क्या हैं इस परिवर्तन के कारण? 
सदस्यों के आपसी विमर्श के दोरान मौसम मे बदलाव के कुछ कारण सामने आये जिनमे मुख्यत गत वर्षों मे मानव क्रियाकलाप जिसमे ओद्योगिक क्रियाकलाप, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि, जीवाश्म इंधनो का अत्यधिक दहन, ग्रीनहाउस गैसों का अधिक उत्पादन, लगातार घटते वन क्षेत्र, अत्याधिक अंतरिक्ष प्रक्षेपण कारण सामने आये। सदस्यों ने यह भी माना कि मानवीय क्रियाकलापों के अलावा अनेक प्राकृतिक कारक भी इसके लिए उत्तरदायी हैं। उनमें से कुछ प्रमुख हैं महाद्वीपीय अपसरण, ज्वालामुखी, समुद्री लहरें, पृथ्वी का झुकाव।
क्या हैं मौसम की तीव्रता के प्रभाव? 
एक सिमित क्षेत्र के लिए मौसम की अत्याधिक तीव्रता एवं बदलाव मानव कार्य क्षमता व सम्बन्धित क्षेत्र के विकास व रोजगार को बहुत प्रभावित करती है। केदारनाथ त्रासदी इसका ताज़ा उदाहरण है अब वहां के विकास व पहले जैसी स्थिति को लाने मे वर्षों लग सकते हैं। अत्याधिक सर्दी व पूरा पूरा दिन पड़ने वाली धुंध और कम दृश्यता की स्थिति मनुष्य के जीवन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करती है। किसी भी मोसमी प्रचंडता के कारण दुर्घटनाओं की संख्या मे बहुत वृद्धी होती है अत्याधिक सर्दी मे सड़क व अन्य यातायात दुर्घटनाएं, अत्याधिक गर्मी मे आग लगना व वर्षा की अधिकता की स्थिति मे बाढ़ आना, बादल फटना जैसी घटनाओं से जानमाल की बहुत क्षति होती है।
विद्यार्थियों को होता है अधिक नुकसान, 
क्लब सदस्य अमन ने एक खास बिंदु को उजागर करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को मौसम के इन तीव्र परिवर्तन व प्रचंडता से बहुत हानि उठानी पडती है खास तौर पर विद्यालय भवन और सडकें व स्ट्रीट लाईट आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी औसत मौसम व्यवहार को ध्यान मे रख कर बनाए जाते हैं जो कि अत्याधिक सर्दी, अत्याधिक गर्मी व वर्षा की अधिकता की स्थिति मे मौसम की मार को झेलने मे सक्षम नहीं होते जिस कारण विद्यालय कार्यदिवसों मे कटौती यानि कि छुट्टियाँ व कार्यसमय मे कटौती के कारण कक्षा मे पीरियड छोटे किये जाते हैं जिस कारण समय पर पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पाता, इस कारण अब यह सोचना और उसको क्रियान्वित करना जरूरी हो चुका है कि विद्यालय भवनों व शहरी निर्माणों मे वे सभी जरूरी बदलाव किये जायें जिससे बिना छुट्टिया बढ़ाए विद्यार्थी अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से कर सकें।
इस परिवर्तन मे हम सबका हाथ है,
दैनिक जीवन में इस परिवर्तन में हम सबका का हाथ है। इन बिन्दुओं पर भी गंभीरतापूर्वक विचार किया गया। मनुष्य द्वारा व्वय ऊर्जा का प्रमुख स्रोत विद्युत है। जो कि ताप (थर्मल) विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न होती है। ये ताप विद्युत संयंत्र जीवाश्म ईंधन (मुख्यतः कोयला) से चलते हैं एवं बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसें एवं अन्य प्रदूषकों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। पेट्रोल अथवा डीजल, जो जीवाश्म ईंधन हैं यातायात वाहन चलाने के काम आता है हम प्लास्टिक के रूप में बहुत बड़ी मात्रा में कूड़ा उत्पन्न करते हैं जो वर्षों तक वातावरण में विद्यमान रहता है एवं नुकसान पहुँचाता है। हम विद्यालय एवं कार्यालय में कार्य के दौरान बहुत बड़ी मात्रा में कागज का उपयोग करते हैं। भवनों के निर्माण में बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार हम मनुष्य लगातार दोहन की और अग्रसर हैं जिसका परोक्ष नुकसान मौसम पर पड़ता है और वो परिणाम हम भुगत भी रहे हैं।
अखबारों मे 





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