मंगलयान अभियान की बधाइयां Congratulations ISRO
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा मंगलवार को मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) के सफल प्रक्षेपण पर खुशियाँ मनाई गयी और बधाइयां दी गयी। क्लब के विज्ञान संचारक दर्शन बवेजा ने क्लब सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि मंगल ग्रह की और भेजा गया यह मानव रहित मंगलयान अभियान अंतरिक्ष के क्षेत्र मे भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप मे माना गया है। इस सफल प्रमोचन के बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो विश्व की मंगल अन्वेषण वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गयी है। अमेरिका, रूस व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ अब भारत भी मंगल ग्रह आरोहण वाला देश बन गया है जो कि बहुत ही देशवासीयों के लिए बहुत ही गर्व का विषय है। इस कामयाबी के लिए निसंदेह भारत के वैज्ञानिक व दूरंदेशिता वाले हमारे निति निर्धारक बधाई के पात्र हैं।
लंबी दूरी की राकेट यात्रा तकनीक मे प्रवेश
पीएलएलवी २५ यान ने मार्स आर्बिटर को प्रथम चरण मे पृथ्वी की दीर्घवृताकार कक्षा में प्रवेश कराया गया है। किसी उपग्रह की कक्षा अंतरिक्ष मे वह दीर्घकार अथवा वृत्ताकार पथ होता है जिस पर कृत्रिम उपग्रह किसी ग्रह के चक्कर लगाता है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस नये क्षेत्र में प्रवेश करने वाले इसरो के मंगल अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत की मंगल ग्रह पर पहुंचने की क्षमता स्थापित करना और मंगल पर मीथेन व जीवन की मौजूदगी पर का पता लगाना है। इसके साथ ही मात्र चार सौ पचास करोड़ के सिमित बजट मे भारत ने अंतरिक्ष अभियान तीन सौ अरब डालर के अंतरिक्ष उपग्रह प्रमोचन के बाज़ार मे अपना कदम रख लिया है और उन देशों की आशाओं पर भी खरा उतरा है जो कि सस्ते व भरोसेमंद अंतरिक्ष उपग्रह प्रमोचन की प्रतीक्षा मे भारत की और नज़रे गढ़ाऐ बैठे थे। विश्व के वे देश जो अपने उपग्रह तो बना लेते हैं पर उनके पास प्रमोचन तकनीक नहीं है उन देशों के लिए भारत आशा की किरण बन कर उठा है अब वे देश इसरो के ग्राहक बन जायेंगे।
क्या क्या काम करेंगें मंगलयान के पांच उपकरण
मंगल यान में पांच वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, इन उपकरणों में मीथेन सेंसर फार मार्स, मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा, लाइमैन अल्फा फोटोमीटर और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। मार्स आर्बिटर पर लगे यह सभी उपकरण महत्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध करायेंगे। लाइमैन अल्फा फोटोमीटर और मीथेन सेंसर फार मार्स वायुमंडलीय अध्ययन में मदद करेंगे मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर वायुमंडलीय कणों के अध्ययन पर केंद्रित करेंगे। मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर लाल ग्रह की सतह के चित्र लेने में योगदान देंगे।
नहीं होना चाहिये विरोध इस राष्ट्रीय गर्व का
जहां तहां यह सुनने पढ़ने को मिल रहा है कि भारत जैसे गरीब देश के लिए अरबों रुपयों का यह मात्र तमाशा है या वैज्ञानिक आतिशबाजी है या शक्ति प्रदर्शन का हेतु लिए महज दिखावा हैं। यह सवाल कई लोगों के जेहन में कौंध रहें है। जबकि मशहूर विज्ञान संचारक डाक्टर अरविन्द मिश्रा का कहना है कि यह भारत को अपनी तकनीकी क्षमता, स्वयं के आंकलन और खुद को साबित करने का एक मौकाहै। आज नहीं तो निकट भविष्य में ही मनुष्यों का मंगल पर पलायन होना ही है बिना मंगल पर पहुंचे मानवता का मंगल नहीं होने वाला है यह तथ्य अब विज्ञानी और विज्ञान कथाकार तरह समझ गए हैं। हमारे स्रोत और संसाधन तेजी से ख़त्म हो रहे हैं, जनसख्या बढ़ रही है। अमेरिका व यूरोप के उन्नत देश गरीब देशों को अंगूठा दिखा मंगल पर मंगल मनाने की जुगत में है, ऐसे में भारतवासियों का हर वक्त अपनी गरीबी के रुदन की बजाय इस मंगल मुहिम को प्रोत्साहित करना चाहिए क्यूंकि यह पूरी मानवता के भविष्य के लिए करो या मरो का प्रश्न बन चूका है।
मंगलयान के बारे मे कुछ रोचक बाते
मंगलयान की इस मंगलमय यात्रा के साथ भारत अब चीन व जापान से भी आगे निकल गया है।
मंगल आरोहण पर जाने वाले मंगलयान यानि मार्स आर्बिटर मिशन (मॉम ) का एक मकसद है लाल ग्रह पर मीथेन की उपस्थिति का पता लगाना जो कार्य पहले किसी अभियान ने नहीं जांचा परखा है।
मंगलयान को मंगल पर पहुँचने में दस माह का समय और लगेगा।
समूची दुनिया भारत के इस अभियान को बड़ी व्यग्रता से देख रही है।
मंगलयान का कुल वजन तीन सौ बीस टन है और लगभग 44 मीटर ऊंचा है।
इस यान का नामकरण मंगलयान हमारे प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने किया था।
इस यान मिशन को पन्द्रह महीनों मे एक हज़ार वैज्ञानिकों की टीम ने सम्मिलित रूप से अंजाम दिया।
किसी भी विकासशील देश का यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान था।
मंगलयान बीस करोड़ किलोमीटर की यात्रा तय करेगा।
मंगलयान का प्रमोचन मंगलवार के दिन किया गया।
अखबार मे
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा मंगलवार को मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) के सफल प्रक्षेपण पर खुशियाँ मनाई गयी और बधाइयां दी गयी। क्लब के विज्ञान संचारक दर्शन बवेजा ने क्लब सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि मंगल ग्रह की और भेजा गया यह मानव रहित मंगलयान अभियान अंतरिक्ष के क्षेत्र मे भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप मे माना गया है। इस सफल प्रमोचन के बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो विश्व की मंगल अन्वेषण वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गयी है। अमेरिका, रूस व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ अब भारत भी मंगल ग्रह आरोहण वाला देश बन गया है जो कि बहुत ही देशवासीयों के लिए बहुत ही गर्व का विषय है। इस कामयाबी के लिए निसंदेह भारत के वैज्ञानिक व दूरंदेशिता वाले हमारे निति निर्धारक बधाई के पात्र हैं।
लंबी दूरी की राकेट यात्रा तकनीक मे प्रवेश
पीएलएलवी २५ यान ने मार्स आर्बिटर को प्रथम चरण मे पृथ्वी की दीर्घवृताकार कक्षा में प्रवेश कराया गया है। किसी उपग्रह की कक्षा अंतरिक्ष मे वह दीर्घकार अथवा वृत्ताकार पथ होता है जिस पर कृत्रिम उपग्रह किसी ग्रह के चक्कर लगाता है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस नये क्षेत्र में प्रवेश करने वाले इसरो के मंगल अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत की मंगल ग्रह पर पहुंचने की क्षमता स्थापित करना और मंगल पर मीथेन व जीवन की मौजूदगी पर का पता लगाना है। इसके साथ ही मात्र चार सौ पचास करोड़ के सिमित बजट मे भारत ने अंतरिक्ष अभियान तीन सौ अरब डालर के अंतरिक्ष उपग्रह प्रमोचन के बाज़ार मे अपना कदम रख लिया है और उन देशों की आशाओं पर भी खरा उतरा है जो कि सस्ते व भरोसेमंद अंतरिक्ष उपग्रह प्रमोचन की प्रतीक्षा मे भारत की और नज़रे गढ़ाऐ बैठे थे। विश्व के वे देश जो अपने उपग्रह तो बना लेते हैं पर उनके पास प्रमोचन तकनीक नहीं है उन देशों के लिए भारत आशा की किरण बन कर उठा है अब वे देश इसरो के ग्राहक बन जायेंगे।
क्या क्या काम करेंगें मंगलयान के पांच उपकरण
मंगल यान में पांच वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, इन उपकरणों में मीथेन सेंसर फार मार्स, मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा, लाइमैन अल्फा फोटोमीटर और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। मार्स आर्बिटर पर लगे यह सभी उपकरण महत्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध करायेंगे। लाइमैन अल्फा फोटोमीटर और मीथेन सेंसर फार मार्स वायुमंडलीय अध्ययन में मदद करेंगे मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर वायुमंडलीय कणों के अध्ययन पर केंद्रित करेंगे। मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर लाल ग्रह की सतह के चित्र लेने में योगदान देंगे।
नहीं होना चाहिये विरोध इस राष्ट्रीय गर्व का
जहां तहां यह सुनने पढ़ने को मिल रहा है कि भारत जैसे गरीब देश के लिए अरबों रुपयों का यह मात्र तमाशा है या वैज्ञानिक आतिशबाजी है या शक्ति प्रदर्शन का हेतु लिए महज दिखावा हैं। यह सवाल कई लोगों के जेहन में कौंध रहें है। जबकि मशहूर विज्ञान संचारक डाक्टर अरविन्द मिश्रा का कहना है कि यह भारत को अपनी तकनीकी क्षमता, स्वयं के आंकलन और खुद को साबित करने का एक मौकाहै। आज नहीं तो निकट भविष्य में ही मनुष्यों का मंगल पर पलायन होना ही है बिना मंगल पर पहुंचे मानवता का मंगल नहीं होने वाला है यह तथ्य अब विज्ञानी और विज्ञान कथाकार तरह समझ गए हैं। हमारे स्रोत और संसाधन तेजी से ख़त्म हो रहे हैं, जनसख्या बढ़ रही है। अमेरिका व यूरोप के उन्नत देश गरीब देशों को अंगूठा दिखा मंगल पर मंगल मनाने की जुगत में है, ऐसे में भारतवासियों का हर वक्त अपनी गरीबी के रुदन की बजाय इस मंगल मुहिम को प्रोत्साहित करना चाहिए क्यूंकि यह पूरी मानवता के भविष्य के लिए करो या मरो का प्रश्न बन चूका है।
मंगलयान के बारे मे कुछ रोचक बाते
मंगलयान की इस मंगलमय यात्रा के साथ भारत अब चीन व जापान से भी आगे निकल गया है।
मंगल आरोहण पर जाने वाले मंगलयान यानि मार्स आर्बिटर मिशन (मॉम ) का एक मकसद है लाल ग्रह पर मीथेन की उपस्थिति का पता लगाना जो कार्य पहले किसी अभियान ने नहीं जांचा परखा है।
मंगलयान को मंगल पर पहुँचने में दस माह का समय और लगेगा।
समूची दुनिया भारत के इस अभियान को बड़ी व्यग्रता से देख रही है।
मंगलयान का कुल वजन तीन सौ बीस टन है और लगभग 44 मीटर ऊंचा है।
इस यान का नामकरण मंगलयान हमारे प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने किया था।
इस यान मिशन को पन्द्रह महीनों मे एक हज़ार वैज्ञानिकों की टीम ने सम्मिलित रूप से अंजाम दिया।
किसी भी विकासशील देश का यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान था।
मंगलयान बीस करोड़ किलोमीटर की यात्रा तय करेगा।
मंगलयान का प्रमोचन मंगलवार के दिन किया गया।
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