खंडच्छायायुक्त चंद्रग्रहण Penumbral lunar eclipse
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने चंद्रग्रहण के बारे मे जानकारी ली व अंतर्जाल के माध्यम से चंद्रग्रहण की ताजा जानकारी लेनी सीखी। क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन बवेजा ने बताया कि क्लब सदस्य उन्नीस अक्तूबर, शनिवार को पूर्णमासी के चन्द्रमा का अवलोकन करेंगे व पृथ्वी की उपछाया से गुजरने के कारण लगने वाले चन्द्रग्रहण के कारण से उसकी धूमिल होती चमक का अवलोकन भी करेंगे।
शनिवार की अलसुबह अवलोकन करेंगे चंद्रमा का
सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा की विशेष खगोलीय स्थिति अश्विन शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार/शनिवार दिनांक 18/19 अक्टूबर 2013 को चंद्रग्रहण का अद्भुत नजारा दिखाएगी। इस प्रकार के चन्द्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण के विशेष नाम से जाना जाता है, कभी कभी इसे खंडच्छायायुक्त चंद्रग्रहण भी कहा जाता है। इस साल कुल तीन चंद्रग्रहण घटित होने थे जिनमे से यह इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण होगा। हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत मे आंशिक ही दिखाई देगा परन्तु इस कि एक विशेषता यह रहेगी कि चंद्रग्रहण के अलग अलग प्रकारों का अध्ययन करने वालो खगोलप्रेमियों के लिए यह खास महत्व रखेगा। ज्योतिष की भाषा मे इसे मांद्य चंद्रग्रहण भी कहते हैं। यह भी पृथ्वी की छाया की छाया में होने के कारण मान्य नहीं होगा।
कहाँ कहाँ व कब दिखेगा
18 अक्टूबर की रात को यूरोप, पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के पूर्व मे व दक्षिण अमेरिका के पूर्व मे दिखाई देगा। भारत मे 19 अक्टूबर शनिवार की सुबह तीन बज कर तेईस मिनट पर धूमिल (ग्रहण युक्त) चंद्रमा दिखना शुरू होगा व सुबह पांच बज कर बीस मिनट पर अधिकतम रहेगा व इसके बाद क्षितिज के नीचे हो जाएगा।
ग्रहण के दौरान कैसा दिखेगा चंद्रमा
जब इस प्रकार का आंशिक चंद्रग्रहण होता है, तब चंद्रमा पृथ्वी की हलकी परछाई वाले भाग से होकर गुजरता है इस भाग को पेनुम्ब्रा कहते हैं। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक रूप से कटी हुई प्रतीत होती है। पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे चंद्रमा के प्रकाश की तीव्रता इस वक्त कम हो जाएगी और इसमें हल्की-सी लालिमा भी दिखाई देगी। चंद्रमा के एक हिस्से पर ग्रहण को धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है यानि कि चंद्रमा के दो हिस्से नजर आयेंगे जिनमे एक हिस्सा दूसरे हिस्से से अधिक धुंधला होगा और पूरे चंद्रमा की चमक भी अपेक्षाकृत कम दिखेगी। इस नजारे को नंगी आंखों से निहारा जा सकेगा।
क्या होता है चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण वह खगोलीय स्थिति हैं जब के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हों। इस ज्यामितीय अरेंजमेंट के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा की रात को ही हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्रमा पृथ्वी के सापेक्ष कक्षीय गति की स्थिति पर निर्भर होता हैं।
कितने प्रकार का होता है चंद्रग्रहण
सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा ज्यामितीय अरेंजमेंट के कारण चंद्रग्रहण तीन प्रकार से दिखाई देता है। पूर्ण चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और खंडच्छायायुक्त चंद्रग्रहण। जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढका जाता है तब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है और जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ भाग को दहकती है और कुछ भाग को नहीं तब आंशिक चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है परन्तु जब चंद्रमा पृथ्वी की बाह्य छाया मे से गुजरता है तो उसका एक हिस्सा धूमिल दिखाई पड़ता है और यह एक दुर्लभ प्रकार का चन्द्र ग्रहण है जो शुक्रवार की रात से शनिवार सुबह पांच बज कर बीस मिनट तक लगभग तक दिखाई देगा।
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने चंद्रग्रहण के बारे मे जानकारी ली व अंतर्जाल के माध्यम से चंद्रग्रहण की ताजा जानकारी लेनी सीखी। क्लब प्रभारी विज्ञान अध्यापक दर्शन बवेजा ने बताया कि क्लब सदस्य उन्नीस अक्तूबर, शनिवार को पूर्णमासी के चन्द्रमा का अवलोकन करेंगे व पृथ्वी की उपछाया से गुजरने के कारण लगने वाले चन्द्रग्रहण के कारण से उसकी धूमिल होती चमक का अवलोकन भी करेंगे।
शनिवार की अलसुबह अवलोकन करेंगे चंद्रमा का
सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा की विशेष खगोलीय स्थिति अश्विन शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार/शनिवार दिनांक 18/19 अक्टूबर 2013 को चंद्रग्रहण का अद्भुत नजारा दिखाएगी। इस प्रकार के चन्द्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण के विशेष नाम से जाना जाता है, कभी कभी इसे खंडच्छायायुक्त चंद्रग्रहण भी कहा जाता है। इस साल कुल तीन चंद्रग्रहण घटित होने थे जिनमे से यह इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण होगा। हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत मे आंशिक ही दिखाई देगा परन्तु इस कि एक विशेषता यह रहेगी कि चंद्रग्रहण के अलग अलग प्रकारों का अध्ययन करने वालो खगोलप्रेमियों के लिए यह खास महत्व रखेगा। ज्योतिष की भाषा मे इसे मांद्य चंद्रग्रहण भी कहते हैं। यह भी पृथ्वी की छाया की छाया में होने के कारण मान्य नहीं होगा।
कहाँ कहाँ व कब दिखेगा
18 अक्टूबर की रात को यूरोप, पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के पूर्व मे व दक्षिण अमेरिका के पूर्व मे दिखाई देगा। भारत मे 19 अक्टूबर शनिवार की सुबह तीन बज कर तेईस मिनट पर धूमिल (ग्रहण युक्त) चंद्रमा दिखना शुरू होगा व सुबह पांच बज कर बीस मिनट पर अधिकतम रहेगा व इसके बाद क्षितिज के नीचे हो जाएगा।
ग्रहण के दौरान कैसा दिखेगा चंद्रमा
जब इस प्रकार का आंशिक चंद्रग्रहण होता है, तब चंद्रमा पृथ्वी की हलकी परछाई वाले भाग से होकर गुजरता है इस भाग को पेनुम्ब्रा कहते हैं। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक रूप से कटी हुई प्रतीत होती है। पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे चंद्रमा के प्रकाश की तीव्रता इस वक्त कम हो जाएगी और इसमें हल्की-सी लालिमा भी दिखाई देगी। चंद्रमा के एक हिस्से पर ग्रहण को धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है यानि कि चंद्रमा के दो हिस्से नजर आयेंगे जिनमे एक हिस्सा दूसरे हिस्से से अधिक धुंधला होगा और पूरे चंद्रमा की चमक भी अपेक्षाकृत कम दिखेगी। इस नजारे को नंगी आंखों से निहारा जा सकेगा।
क्या होता है चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण वह खगोलीय स्थिति हैं जब के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हों। इस ज्यामितीय अरेंजमेंट के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा की रात को ही हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्रमा पृथ्वी के सापेक्ष कक्षीय गति की स्थिति पर निर्भर होता हैं।
कितने प्रकार का होता है चंद्रग्रहण
सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा ज्यामितीय अरेंजमेंट के कारण चंद्रग्रहण तीन प्रकार से दिखाई देता है। पूर्ण चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और खंडच्छायायुक्त चंद्रग्रहण। जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढका जाता है तब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है और जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ भाग को दहकती है और कुछ भाग को नहीं तब आंशिक चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है परन्तु जब चंद्रमा पृथ्वी की बाह्य छाया मे से गुजरता है तो उसका एक हिस्सा धूमिल दिखाई पड़ता है और यह एक दुर्लभ प्रकार का चन्द्र ग्रहण है जो शुक्रवार की रात से शनिवार सुबह पांच बज कर बीस मिनट तक लगभग तक दिखाई देगा।
Bahut hee sunder evm mahatvapoorn jaankaree kaa aabhaar !
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