आइसोन धूमकेतू पर राष्ट्रीय कार्यशाला भोपाल मे सम्पन्न EYES on ISON Campaign, National Workshop Bhopal
 |
अभियान की चेयर पर्सन प्रज्वल शास्त्री |
3 से 5 सितम्बर 2013 को राष्ट्रीय तकनीकी अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान (NTTTI) भोपाल मध्यप्रदेश मे 'आइसोन पे नज़रे' (Eyes On ISON) राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत ज्ञान विज्ञान समिति भोपाल, विज्ञान सभा भोपाल, विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग भारत सरकार नयी दिल्ली, एन सी एस टी नेटवर्क, इंडियन एस्ट्रोफिजिक्स इंस्टिट्यूट बैंगलोर व एमेच्योर एस्ट्रोनोमर्स एशोसिएशन न्यू देहली आदि कि सयुंक्त तत्वाधान मे उत्तरी भारत के हिंदी भाषी प्रदेशों के लिए इस राष्ट्रीय कार्यशाला विभिन्न प्रदेशों से 82 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य नवम्बर माह से जनवरी 2014 तक दिखाई देने वाले धूमकेतु जिसका नामकरण C/2012 S1 ISON आइसोन है के मद्देनज़र राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना है। इस अभियान मे आमजन से लेकर स्कूली बच्चो समेत सभी भारतीय नागरिको को खगोलीय जागरूकता के देशव्यापी मुहीम से जोड़ना है। आइसोन पुच्छल तारे पर पैनी नज़र रखते हुए इसका अवलोकन सुनिश्चित करते हुए बह्मांड के नज़ारे लेकर आनन्दित होना भी इस राष्ट्रव्यापी मुहीम का एक उद्देश्य है।
 |
कार्यशाला का उदघाटन |
इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन तीन सितम्बर को बहुत ही गर्मजोशी के साथ किया गया। उदघाटन सत्र मे श्री एस आर आज़ाद व श्री विजय पटेल ने विभिन्न प्रदेशों से पधारे प्रतिभागियों और राष्ट्रीय स्तरीय संसाधन व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागतीय वक्तव्य मे प्रतिभागियों को कहा कि आप यहां से सीख कर अपने राज्यों मे इस वैज्ञानिक चेतना का पूर्ण शक्ति के साथ संचार करें ताकि इस ज्ञान व वैज्ञानिक चेतना का सर्वव्यापीकरण हो सके। अभियान की चेयर पर्सन प्रज्वल शास्त्री ने विस्तार से अभियान के बारे मे प्रतिभागियों को अवगत करवाया। अपने उद्घाटन भाषण मे मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रोद्योगिकी परिषद के महानिदेशक श्री डा० प्रमोद वर्मा ने कहा कि आकाश ने सदा से सभी को आकर्षित किया है आकाश व ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती इसलिए इस मुहीम को केवल विद्यालयों तक ही सिमित ना रख कर इसे चौपालो, महिला मंडलों, हाट व गली कूचो तक ले जाया जाए और विज्ञान को जनोपयोगी बनाया जाए तो निश्चित ही समाज से अंधविश्वास निवारण हो सकेगा।
सचिव मध्य प्रदेश भारत ज्ञान विज्ञान समिति भोपाल श्री विजय पटेल व श्री अनिल धीमान ने पधारे हुऐ वक्ताओं का धन्यवाद किया।
 |
डॉ॰ श्री अरविन्द सी रानाडे |
विज्ञान प्रसार से डॉ॰ श्री अरविन्द सी रानाडे ने पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से सौरमंडल व धूमकेतू विषय पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि हमे जनसाधारण को समझ आ सकने वाले उदाहरणों प्रयोग करते हुए खगोलविज्ञान को आमजन तक ले जाना है। एक उदाहरण के माध्यम से उन्होंने सूर्य व पृथ्वी के आकार के अंतर को समझाते हुए एक मिसाल दी कि यदि सूर्य को एक 13 इंच व्यास की बास्केट बाल माने तो उसकी तुलना मे पृथ्वी राई के एक दाने के बराबर है।
 |
डॉ॰ श्री अरविन्द सी रानाडे |
यह जनसाधारण को सूर्य और पृथ्वी के आकार मे अंतर को समझाने के लिए आम भाषा की एक मिसाल है परन्तु यह भी ध्यान रखा जाए कि कही गयी बात तथ्यपूर्ण वैज्ञानिक व सैद्धांतिक होनी चाहिये, कोई भी ऐसी विज्ञप्ति नहीं जारी करनी है जिससे मीडिया या अन्य संचार एजेंसीयां कोई दुष्प्रचार कर सके व समाज मे कोई भ्रान्ति या डर फैले। कोई भी विज्ञप्ति या बयान करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य समाज के हर तबके को धूमकेतू का आनन्दमयी अवलोकन करवाना है ना कि उनमे कोई भय उत्पन्न करना। बाजारीकरण के इस दौर मे सस्ती लोकप्रियता व धन कमाने की इच्छा से निहित विभिन्न एजेंसियां यदि आप के किसी वक्तव्य को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करें तो उस की सूचना तुरंत विभाग को देवें अन्यथा प्रतिभागी को आगामी कार्यक्रमों मे शामिल नहीं किया जाएगा।
 |
दिन के समय की जा सकने वाली खगोलीय गतिविधियां |
बहुत ही उचित प्रबंधन से संसाधनों का समुचित प्रयोग करने के उद्देश्य से आयोजको ने सभी प्रतिभागियों को दो समूहों मे बाट दिया व रूचि बनाए रखने के लिए दोनों समूहों को गत धूमकेतुओं के नाम हैली व मेकनायट नामक समूह नामकरण दिया गया। गीता महाशाब्दे, अरविन्द, समीर ने अब अपने कुशल संचालन से दिन के समय की जा सकने वाली खगोलीय गतिविधियां करवाई व साथ ही साथ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब खोजने के लिए पांच पांच प्रतिभागियों के उपसमूह बनाए, इन उपसमूहों को बाटते हुए भी इस बात का ध्यान रखा गया कि पाँचों प्रतिभागी भी अलग अलग आयु वर्ग व अलग अलग प्रान्तों के हों ताकि समूह चर्चा के दौरान विविधता का समावेश हो सके। इस कार्यशाला मे इस प्रकार का कुशल संचालन भी सीखने मिला जो कि प्रतिभागियों को अपने अपने प्रान्तों मे इस प्रकार की कार्यशालाओं के संचालन मे मददगार साबित होने वाला होगा।
 |
लंच |
भूखे पेट भजन नहीं होवे को ध्यान मे रखते हुए अब प्रतिभागियों को आयोजको द्वारा सुपाच्य व शाकाहारी भोजन परोसा गया सबने सलीके से व भरपेट भोजन किया। मध्यप्रदेश के विभिन्न व्यंजनों का आनंद लेते हुए और आपस मे हँसते बतियाते हुए प्रतिभागियों ने आदतन फोटो सेशन भी चलाये और इन लम्हों की यादों को अपने अपने कैमरों कैद किया।
समूह चर्चा किसी भी ज्ञान को बाटने एवं बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम होता है। कार्यशाला प्रबंधकों व संसाधन शक्तियों ने समूह चर्चा का बहुत अधिक व अति सौहार्द पूर्ण पर्यावरण प्रदान किया।
 |
समूह चर्चा करते प्रतिभागी |
समूह चर्चा के दौरान लुकेछिपे कुछ प्रतिभागियों ने अंधविश्वास व धार्मिक मान्यताओं को विज्ञान का जामा पहनाने व सही सिद्ध करने की कोशिश भी कि परन्तु वैज्ञानिक व तार्किक चर्चा से उन्होंने अन्ततः चुप्पी मारने मे ही भलाई समझी । ज्योतिष व खगोल विज्ञान मे कौन पहले आया या बाद मे आया किस ने किस से जन्म लिया कौनसा नया है कौनसा पुराना है की चर्चा परिचर्चा मे बहुतेरे प्रतिभागी अपनी राशि व ग्रह शान्ति के उपाय स्वरूप पहनी हुई नगों नीलम, पन्ना, पुखराज व हकीक पत्थरों की अंगूठियों को छुपाते या फिर उन्हें तर्कसंगत सही साबित करते हुए भी चर्चा मे अपनी भूमिका भी अदा करते रहे।
 |
प्रतिभागियों के समूह की चर्चाओं का जवाब देते अजय तलवार व समीर |
चर्चा के लिए दियें गए कुछ प्रश्नों मे से थे,
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पृथ्वी को किसी ने भी सहारा नहीं दिया हुआ है परन्तु फिर भी वो अंतरिक्ष मे लटकी हुई है कैसे ?
चंद्रमा पृथ्वी मे क्यूं नही गिरता?
राशियाँ क्या हैं व सूर्य इन मे है कैसे ?
दिवाली हर साल एक ही दिन क्यूं नहीं आती है ?
धूमकेतू दुर्भाग्य लाते हैं क्या ?
क्या धूमकेतू पृथ्वी पर जीवन को समाप्त कर देगा? क्या आइसोन भी ऐसा ही करेगा?
क्या धूमकेतुओं की पूँछ मे जहरीली गैसे होती हैं, क्या वो सब को समाप्त कर देंगी?
ज्योतिष शास्त्र, अंधविश्वास व सयोंग आधारित चर्चाएँ
ज्योतिष गणित पर आधारित है, अत् ज्योतिष गलत कैसे हो सकता है?
खगोलशास्त्र, ज्योतिष शास्त्र से आया है तो ज्योतिष शास्त्र गलत कैसे हो सकता है? जबकि केपलर व वराहमिहिर भी ज्योतिषी थे !
एक ज्योतिषी ने मेरे पड़ोसी को उसके बारे मे सब कुछ बताया जो कि सच था।
एक ज्योतिषी ने मेरी भतीजी को बताया कि उसकी शादी इस वर्ष हो जायेगी और हुयी भी।
मेरी पडोसन ने गर्भावस्था मे सूर्यग्रहण देखा और उसको जटिलताओं का सामना करना पड़ा।
मेरे चाचा तीर्थयात्रा पर गए और उनकी बीमारी ठीक हो गयी।
हमारी परम्परागत कार्यप्रणाली सदियों से हमारे लिए कारगर हैं, तो वो गलत कैसे हो सकती हैं
बृहस्पति ग्रह मानव के लिए अच्छा और शनि ग्रह मानव के लिए बुरा क्यूं ?
आदि आदि
 |
समूह चर्चा प्रस्तुतीकरण |
इन प्रश्नों और चर्चाओं को आयोजको ने बेहद खूबसूरती के साथ पूरे समूह को मंच पर बुला कर प्रस्तुत करवाया जहां पर कुछ प्रतिभागियों ने मनघड़न्त किस्से सुनाकर अपनी बात मे वजन पैदा करने का प्रयास किया परन्तु स्त्राधिकारियों व विषय विशेषज्ञ साहेबानो ने बेहद स्टीक शब्दों मे उनका खंडन किया व व्यवहारिकता को विज्ञान से जोड़ कर जीवन निर्वाह करते रहने की सलाह दी और यह भी बताया कि हमे विज्ञान व आधुनिकता की आड़ मे अपने बड़ों व छोटो की भावनाओं को आहत नहीं करना है। नये शोध व प्रमाणों को दिखा कर अंतर्जाल या पुस्तकों के माध्यम से अपने विचार बदलने के अवसर प्रदान करने पर हर कोई नई सोच के साथ जुड़ कर मुख्यधारा मे आ सकता है ऐसा प्रयास करना है व वैज्ञानिक सोच पैदा करनी है। समूह चर्चा व उस पर विशेषज्ञ टिपण्णी से सब कुछ साफ़ होता नजर आया, सच मे यह सत्र बहुत ही ज्ञानवर्धक था।
 |
विज्ञान बस का अवलोकन करते श्री ए पी खान |
कार्यशाला प्रांगण मे प्रतिभागियों व आम जनता के लिए विज्ञान बस भी आयोजको द्वारा इंदौर से मंगवाई गयी थी। इस बस मे विज्ञान को समझाते हुए बहुत से प्रयोग करके दिखाए जा रहे थे। बस के अधिकारियों ने बताया कि इस विज्ञान बस का अवलोकन लाख से अधिक बच्चे व बड़े कर चुके हैं। विज्ञान संचार मे इस प्रकार के साधनों का विशेष महत्व होता है। इस बस मे एक उत्तम श्रेणी की दूरदर्शी भी शामिल की गयी है जो कि आकाश दर्शन गातिविधि करवाने के काम आती है।
 |
साफ्टवेयर व एनिमेशन विडियो की मदद से अवलोकन की तैयारी |
एमेच्योर एस्ट्रोनोमर्स एशोसिएशन न्यू देहली के उपप्रधान श्री अजय तलवार का यह सत्र बहुत खास था क्यूंकि इस सत्र मे आइसोन धूमकेतू का तिथिबद्ध अवलोकन बताया गया। अजय तलवार जी ने पावर पाइंट प्रस्तुति से विभिन्न साफ्टवेयर व एनिमेशन विडियो की मदद से अवलोकन की सम्भावित तिथियों, अवलोकन स्थल चयन और तैयारियों के बारे मे विस्तार से बताया। यहीं पर
Stellarium साफ्टवेयर का प्रयोग करना भी सिखाया गया और इस साफ्टवेयर की मदद से आइसोन की किसी भी आगामी तिथि की सही सही लोकेशन ली जा सकती है और उसका एनिमेशन भी देखा जा सकता है।
 |
तैयार खड़ी दूरदर्शियाँ |
आज ही रात्री को आकाश अवलोकन की पूरी व्यवस्था आयोजको ने कर रखी थी परन्तु आकाश बादल युक्त था। रात्री खगोलीय गतिविधियां आकाश साफ़ ना होने की वजह से नहीं की जा सकी उसे अगले दिन तक टाल दिया गया। श्री अनिल धीमान व श्री अजय तलवार ने प्रतिभागियों को बायनाकुलर व दूरदर्शी के बारे मे ज्ञान दिया। अधिकाँश प्रतिभागी न्युटेनीयन परावर्तक दूरदर्शी व बायानाकूलर लेने मे रूचि प्रकट कर रहे थे परन्तु यह बहुत महंगे हैं। प्रतिभागियों की खास इच्छा थी कि उन्हें धूमकेतू अवलोकन के लिए कोई सस्ता व अच्छा दूरदर्शी व बायानाकूलर मिल सके इसलिए वो सब इनकी जानकारी लेते दिखाई दिए।
 |
रोल प्ले से खगोलीय ज्ञान का संचार |
रोल प्ले नाटक की ऐसी विधा है जिस मे कोई ओपचारिक ड्रेस आदि की आवश्यकता नहीं होती बस बातो बातों मे ही ज्ञान संचार किया जाता है इसी फन के माहिर प्रशिक्षक यहां दिन भर समूह मे सौरमंडल की बारीकियों को रोल प्ले द्वारा सिखाते रहे। प्रशिक्षु भी इसमें शामिल हो कर कभी पृथ्वी बनते तो कभी सूर्य, सीखने का यह दौर लंबा चला और रोल प्ले का खगोलीय गतिविधियों मे योगदान स्पष्ट दिखाई दिया व प्रतिभागियों ने इस को बहुत सराहा।
विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों से आयोजको ने राज्य स्तरीय कार्यशालाएं करवाने की सम्भावित तिथियाँ व सम्भावित योजनाएं लिपिबद्ध की, यहां देखा गया कि प्रतिभागियों ने बड़े बड़े दावे किये कि वो आइसोन अवलोकन अभियान को सफल बनाने मे अपना पूरा जोर लगा देंगे परन्तु दूसरी तरफ वो वित्तीय समस्याओं की चर्चा करते सुनाई पड़े। शौंकिया तौर पर विज्ञान संचार को अपनाए प्रतिभागी सहज व निश्चिन्त दिखाई दिए परन्तु एन जी ओ व पेशेवर विज्ञान संचारक फंड्स की बाते व चर्चा करते सुनाई दिए खासतौर पर जून 2012 के शुक्र पारगमन अवलोकन अभियान के चर्चे करते रहे।
 |
माडल धूमकेतू |
समीर जी ने सभी समूहों को धूमकेतू के विभिन्न माडल दिखाए व कुछेक बनाने भी समझाए सभी प्रतिभागियों ने गेंद व कागज से आइसोन धूमकेतु का माडल बनाया और उससके खेल खेले। यह गातिविधि बच्चो को बहुत ही पसन्द आने वाली है। खेल खेल मे आइसोन धूमकेतू के बारे मे समझाने वाले यह कम लागत के माडल बहुत ही आकर्षक लगे और कार्यशाला विशेषज्ञ भी बहुत उत्साहित नज़र आये।
 |
सांची बोद्ध स्तूप |
इस दौरान कुछ प्रतिभागी कार्यशाला से बचे हुए समय मे व अलसुबह अपने अपने साधन करके सांची बोद्ध स्तूप व पुरातात्विक संग्रहालय भी देख आये। बौद्ध स्तूप सांची जो कि भोपाल से 40-45 किलोमीटर दूर है का बहुत ही एतेहासिक महत्व है। सम्राट अशोक, नागा, कुषाण, सातवाहन, गुप्त, परमार राजवंशो के बारे मे जानकारी हासिल करते हुए कर्क रेखा पर खड़े होकर भोपाल भ्रमण को सार्थक बनाते हुए ज्ञान मे वृद्धी करते हुए प्रतिभागी अपने अपने अनुभव आपस मे सांझा करते पाए गए।
 |
कर्क रेखा नजदीक सांची |
सांची से आते हुए में रोड़ पर ही मध्य प्रदेश पर्यटन का एक बोर्ड लगा है जो इशारा करता है कि यहां से कर्क रेखा गुजरती है व सड़क पर मार्किंग भी की गयी है। वैसे तो कर्क रेखा पर स्थित एक नयी वैद्शाला का निर्माण उज्जैन के निकट गावं डोंगला मे किया जा रहा है। आने वाले समय मे मध्य प्रदेश का नाम खगोलीय पर्यटन के क्षेत्र मे भी छाने वाला है।
 |
हाना |
यहां कार्यशाला मे एक फोटोग्राफर के रूप मे ताइवान की एक लड़की हाना सभी के आकर्षण का केन्द्र बनी रही। हाना ने भी भाग भाग कर बड़ी ही मेहनत से सारे कार्यक्रम को बिना थके स्टिल शूट किया और तो और बहुत ही खुशी से अपने लेपटाप से वायरस की परवाह किये बिना सबको उनके पेन ड्राइव मे उनके मनपसंद फोटो डाल कर दिए उसकी अथक मेहनत भी अन्य आयोजको के साथ साथ तारीफ़ की हकदार बनती है। हाना ने मुझ से गुजारिश की कि वो उनका एक फोटो उनके कैमरे मे ले जो कि कोई भी भारी मेहनताने वाला कार्य नहीं था सो मैंने सहर्ष कर दिया और मुझे भी वो फोटो प्राप्त हुआ। फोटो खिचवाने के स्थान को देखकर लगता है कि शायद हाना भी कुछ कहना चाहती थी उसे भी विज्ञान संचार पर कुछ बोलना था खैर वो अपनी क्षमताओं अनुसार अपना रोल प्ले कर गयी।
 |
नकली फोटो नकली फोटो |
हर कार्यशाला के अंत मे प्रमाण पत्र वितरण का सादा समारोह होता है परन्तु समय की कमी के कारण व प्रतिभागियों को दूर दूर जाना था इसलिए प्रमाण पत्र आयोजको ने लंच के दौरान ही दे दिए। फोटोग्राफी के मद्देनजर जिसे जो भी आयोजक टकरा उसने उसी के हाथो से प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए फोटो खिचवाई तो मैंने भी इसी शोशेबाज़ी मे फस के मोहतरमा हाना को कहा कि वो मुझे प्रमाण पत्र प्रदान करे वो नकली फोटो नकली फोटो कहती गयी और प्रमाण पत्र देकर यो गयी और वो गयी।
 |
मैं सुमित व श्री ए पी खान |
काफी समय बच गया था तभी मेरे स्थानीय फेसबुक मित्र श्रीमान ए पी खान का फोन आया हमने उनसे रामकृष्णा मिशन महाराणा प्रताप नगर व भोजपुर शिव मंदिर देखने की इच्छा जताई तो वो सहर्ष तैयार हो गए और हम उनके सानिध्य मे उनके साथ हो लिए सारे रास्ते खान साहब हमे इन स्थलों के पुरातात्विक महत्व के बारे मे एक कुशल मार्गदर्शक के रूप मे बताते रहे और वे देर रात्री तक हमारे साथ रहे ....मैं और सुमित कुमार (क्यूरेटर कल्पना चावला मेमोरियल प्लेनेटोरियम कुरुक्षेत्र हरियाणा) उनके तहे दिल से आभारी है कि उन्होंने अपनी मेहमाननवाजी की छाप हमारे दिल पर छोड़ी। भोजपुर भोपाल से 28 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। प्राचीन काल का यह नगर उत्तर भारत का सोमनाथ कहा जाता है। गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (1010ई.- 1053 ई. ) ने किया था। अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर पूर्ण रूप से तैयार नहीं है। मंदिर के अधूरे होने के पीछे भी कई कहानियां हैं। भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाने वाला यह मंदिर वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। एक प्राचीन बांध के अवशेष मंदिर के पास अब भी देखे जा सकते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि उस काल में भी बांध बनाकर नदी के पानी को संचित करने का प्रयास हुआ था. कहते हैं कि इस बांध का पानी कुल 500 वर्ग किलोमीटर में फैला था। मंदिर के शिलापट पर लिखित एक और जनश्रुति के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास के दौरान किया था।
हरियाणा के संसाधन सूत्रों के नाम व पते
श्री सतबीर नागल हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक
श्री कृष्ण वत्स हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक
श्री डा. चन्द्रशेखर शर्मा एन आई टी कुरुक्षेत्र / हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक
श्री अजमेर सिंह चौहान हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक
श्री राजपाल पंचाल इरादा एन जी ओ कुरुक्षेत्र
श्री सुमित कुमार क्यूरेटर कल्पना चावला मेमोरियल प्लेनेटोरियम कुरुक्षेत्र
श्री सोहन लाल हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति रोहतक
श्री नरेश कुमार हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति रोहतक
श्री दर्शन बवेजा हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक / सी वी रमन विज्ञान क्लब, यमुनानगर
खैर आन्नद और अदभुद अनुभवों के साथ कार्यशाला सम्पन्न हुई, अब घर जाकर प्लानिंग करनी है कि कैसे इस कार्यशाला का ऋण उतारा जाए .....तो बंधुओं हवन करने से तो काम चलेगा नहीं इसलिए कमर कस लो और एक एक पाई का हिसाब चुकता करो जो कि सरकार ने आप हम पर खर्च किये हैं।.....धन्यवाद आते रहना हम भी काम करते रहेंगे और लिखते रहेंगे चिट्ठीयां ....आइसोन पर नज़रें
प्रस्तुति : दर्शन बवेजा, विज्ञान अध्यापक
सी वी रमन विज्ञान क्लब, यमुनानगर हरियाणा