Thursday, June 20, 2013

आज है इस साल का सबसे सबसे लंबा दिन Summer Solstice 2013

आज है इस साल का सबसे सबसे लंबा दिन Summer Solstice 2013
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने किया पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग

इक्कीस जून का दिन साल का सबसे सबसे लंबा दिन होगा। इस दिन को ग्रीष्म सक्रांति यानि समर सॉल्स्टाइस कहा जाता है। इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर होता है और उत्तर की ओर बढ़ता सूर्य इक्कीस जून को कर्क रेखा को छूकर पुनः दक्षिण की ओर बढ़ने लगता है। इस स्थिति को दक्षिणायन कहते हैं। सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन होने के बारे में  क्लब सचिव दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने के दौरान पृथ्वी का एक गोलार्द्ध सूर्य से दूर चला जाता है। जिसे सूर्य का उत्तरायन और दक्षिणायन हो जाना कहा जाता है। पृथ्वी पर स्थित दो काल्पनिक रेखाएं कर्क और मकर रेखा है। सूर्य उत्तरायन के समय कर्क रेखा पर और दक्षिणायन के समय मकर रेखा पर होता है। पृथ्वी पर इसी परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल का आगमन होता है। आज के बाद दिन की अवधि छोटी होनी शुरू हो जायेगी जो कि कुछ सेकंड्स प्रतिदिन होती परन्तु बाद मे यह अंतर मिनट्स मे बढेगा यानि  इक्कीस जून के बाद से सूर्य दक्षिण दिशा की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा, जिसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहा जाता है। अब दिन क्रमशः छोटे होते जाएंगे और फिर तेईस सितंबर को रात-दिन बराबर होंगे।
क्या बदलाव आते हैं मौसम मे
सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन होने से पृथ्वी के मौसम मे परिवर्तन आते हैं। पृथ्वी पर इसी परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल का आगमन होता है। हमारे यहा पर मुख्यरूप से तीन मौसम होते हैं। ग्रीष्मकाल की अवधि मार्च से जून तक वर्षाकाल की अवधि जुलाई से अक्टूबर तक व शीत काल की अवधि नवम्बर से फरवरी होती है। मौसम में इसी परिवर्तन के साथ हवा की दिशा भी बदलती है। जहां ज्यादा गर्मी होती है वहां से हवा गर्म हल्की होकर ऊपर उठने लगती है और पूरे क्षेत्र में निम्न वायुदबाव का क्षेत्र बन जाता है। ग्रीष्म काल में 21 मार्च से सूर्य उत्तरायण होने लगता है तथा 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है। इस कारण मध्य एशिया का भूभाग काफी गर्म हो जाता है। फलस्वरूप हवा गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरीय भाग पर ठंड के कारण स्थित उच्च वायुदाब की ओर से वायु उत्तर में स्थित कम वायुदाब की ओर चलने लगती है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। ये हवा समुद्र की और से चलती है इसलिए इसमें जलवाष्प भरपूर होती हैं। इसी कारण एशिया महाद्वीप के इन क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। यह मानसूनी जलवायु भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया में भरपूर वर्षा करती है।
यमुनानगर मे सूर्योदय और सूर्यास्त
यमुनानगर में सूर्योदय प्रातः पांच बजकर बीस मिनट पर और सूर्यास्त सायं सात बजकर उन्तीस मिनट पर होगा। यमुनानगर में इक्कीस जून का दिन चौदह घंटे आठ मिनट इक्कीस सेकंड का  होगा जो कि साल का सबसे बड़ा दिन होगा और रात की अवधि नो घंटे इक्यावन मिनट तथा नून टाइम बारह बज कर पच्चीस मिनट पर होगा। बारह बज कर पच्चीस मिनट पर किसी भी लम्बवत खड़ी वास्तु की परछाई न्यूनतम होगी।
क्लब सदस्यों ने किया प्रयोग
बीस व इक्कीस जून के दो दिन पृथ्वी की परिधि नापने के लिए महत्वपूर्ण होते है क्यूंकि सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत होता है। इस अवसर पर स्थानीय स्वामी विवेकानन्द सरोजिनी कालोनी मे क्लब सदस्यो अमन काम्बोज व कार्तिक ने अपनी टीम के साथ पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग किया। क्लब सचिव दर्शन बवेजा ने बताया कि विश्व के कई देशो के बच्चे एक साथ मिल के तेईस सौ वर्ष पुराना इरेटोस्थनीज प्रयोग करते हैं और विश्व समुदाय के साथ एकजुट होकर विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अपने अनुभव सांझा करते हैं व अपने अपने आंकड़ों का आदान प्रदान करके तुलनात्मक गणनाओं से पृथ्वी की परिधि का आंकलन करते हैं। यह प्रयोग बच्चों को  गणित, भूगोल व खगोलीय गणनाओं को समझने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस बार इस प्रयोग मे अमन, कार्तिक, पार्थवी, पारस, पलक, चारु, अवनी, काजल, अंशी, रीमा, जसमीत, सिमरन, अरुण, पारस बवेजा ने भागीदारी अदा की। सभी क्लब सदस्यों को प्रमाणपत्रो से नवाजा जाएगा। 
अखबार मे खबर 



 

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