Saturday, June 22, 2013

23 जून 2013 को दिखेगा सुपर फुल मून Super Full Moon On 23 June 2013

23 जून 2013 को  दिखेगा सुपर फुल मून  Super Full Moon On 23 June 2013
सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने सुपर मून को निहारेंगे
कौन होगा जिसे चंद्रमा नहीं लुभाया होगा?  बच्चे ने मामा के रूप मे चंद्रमा को निहारा होगा तो किसी ने चंद्रमा खिलोना अपनी माँ से मांगा होगा। कवियों ने चंद्रमा मे प्रेमी प्रेमिकाओं को रचा होगा तो चित्रकार ने चंद्रमा को चमकीले रंगों मे उकेरा होगा।

चंद्रमा हर दिल लुभावन खगोलीय पिंड है जिसे हम पृथ्वी के उपग्रह के रूप मे जानते हैं यही मात्र एक खगोलीय पिंड है जिस पर मनुष्य भी जा आया है कल तेईस जून को सी वी रमण विज्ञान क्लब के सदस्यों ने सुपर मून को निहारने की योजना बनाई है इस विषय पर आज एक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिस मे क्लब प्रभारी दर्शन लाल बवेजा विज्ञान अध्यापक ने क्लब सदस्यों को प्राकृतिक व कृत्रिम उपग्रह, चंद्रमा की कलाओं, अमावस्या, पूर्णिमा, चन्द्र ग्रहण, ब्लयू मून, माइक्रो मून, चन्द्र इन्द्रधनुष, चन्द्र कलैंडर, उपग्रहीय कालोनी, उपग्रहीय छावनी, संचार मे उपग्रह का प्रयोग व सुपर फुल मून के बारे मे विस्तार से बताया।

उन्होंने बताया कि कल तेईस जून को आकाश मे चंद्रमा पूर्णिमा के चंद्रमासे चौदह प्रतिशत अधिक बड़ा और तीस प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देगा। चंद्रमा पृथ्वी के चारों और दीर्घ वृत्ताकार कक्षा मे चक्कर लगाता है दीर्घ वृत्तीय कक्षा होने के कारण चंद्रमा एक एक बार पृथ्वी से अधिकतम व न्यूनतम दूरी पर होता है। यह दोनों दूरियां अधिकतम चार लाख छह हजार किलोमीटर व न्यूनतम तीन लाख सत्तावन हजार किलोमीटर होती है इन दोनों स्थितियों को क्रमश भू-दूरस्थ (एपोजी) व भू-समीपक (पेरिगी) कहा जाता है। तेईस जून को चंद्रमा पृथ्वी से पेरिगी स्थिति पर होगा इसलिए चंद्रमा बड़ा और चमकीला दिखेगा अगर मौसम ने साथ दिया तब ही हम इसे देख पायेंगे नहीं तो धरती के करीब चंद्रमा फिर एक साल के इंतज़ार के बाद दस अगस्त 2014 में ही दिखेगा लेकिन इस बार जितना निकट फिर पच्चीस नवम्बर  2034  को ही दिखेगा।  सात जुलाई तक चंद्रमा अपनी कक्षा  में पृथ्वी से दूर हो जाएगा यानि एपोजी हो जाएगा और तब चंद्रमा धरती से चार लाख छह हजार किलोमीटर दूर होगा।

चन्द्र इन्द्रधनुष (Moonbow) है दुर्लभतम प्रकाशीय घटना

दर्शन बवेजा ने बताया कि वैसे तो चंद्रमा से सम्बन्धित बहुत सी खगोलीय घटनाएं हैं लेकिन इनमे सबसे दुर्लभ प्रकाशीय घटना है चन्द्र इन्द्रधनुष का बनना। जैसे दिन मे बरसात के बाद आसमान मे इंद्रधनुष रेनबो दिखाई देता है ठीक उसी तरह कभी कभी चन्द्र इन्द्रधनुष भी कहीं कहीं दिखाई देता है यह चंदमा से जुड़ी बहुत ही दुर्लभ प्रकाशीय घटना है। चंद्रमाकी रोशनी का पानी की छोटी छोटी बूंदों से विक्षेपण (डिस्पर्शन) चन्द्र इन्द्रधनुष बनाता है। खगोलप्रेमी ऐसी ही घटनाओं को देखने के लिए प्रतीक्षारत रहते हैं। चन्द्र इन्द्रधनुष बनने की दो मुख्य शर्ते होती हैं पहली कि चंद्रमा क्षितिज से 42 डिग्री से अधिक कोण ना बनाए दूसरी कि पूर्णिमा और सुपर मून की स्थिति होनी चाहिए। इनके अलावा आकाश साफ व पानी की सुक्ष्म बूंदों की उपस्थिति अनिवार्य है।  दुनिया भर मे केवल कुछ स्थानों पर ही चन्द्र इन्द्रधनुष बनते देखे गएँ हैं।  इन स्थानो में से अधिकांश हवा में धुंध की परतो, वाटर फ़ाल्स  व झरनो के निकट बनते देखे गए हैं। चन्द्र इन्द्रधनुष  बनने के कुछ ज्ञात स्थानों मे से अमेरिका के कैलिफोर्निया में योसेमिते राष्ट्रीय उद्यान, जाम्बिया और जिम्बाब्वे की सीमा पर विक्टोरिया जलप्रपात व हवाई मे वाईमिया है।

क्या सुपर मून प्राकृतिक आपदा का ट्रिगर है?

सुपरमून को लेकर ऐसी अफवाहें  जोरो पर हैं कि सुपर मून आपदाओं का ट्रिगर है, इस घटना से या इसको  देखने से हमारे ऊपर कोई बुरा प्रभाव पड़ सकता है  या यह पृथ्वी पर आपदाएं लेकर आता है। आजतक विज्ञान के पास ऐसा कोई प्रमाण या प्रमाणित उदाहरण नहीं है जो यह साबित करे कि कि सुपर मून आपदाओं का ट्रिगर है। यदि कभी कुछ हुआ भी है तो वो सयोंग मात्र हो सकता है। यह खगोल का एक सामान्य घटना है  इसका किसी भी प्राकृतिक आपदा से कोई सम्बन्ध नहीं है।

सुपरमून शाम पांच बज कर पांच मिनट  मिनट पर नजर आना शुरू होगा। कोई भी नंगी आंख से बिना किसी उपकरण की सहयता से इस खगोलीय घटना का आनंद ले सकता है।  
अखबार मे खबर
 प्रस्तुति:- सी.वी.रमण साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
 द्वारा--दर्शन बवेजा  विज्ञान अध्यापक  यमुना नगर हरियाणा

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