Thursday, April 18, 2013

भारतीय भौतिकी शिक्षक संघ का सालाना सम्मेलन Annual Convention-IAPT RC1

भारतीय भौतिकी शिक्षक संघ का सालाना सम्मेलन  Annual Convention-IAPT RC1

उद्घाटन समारोह
भारतीय भौतिकी शिक्षक संघ दिल्ली व हरियाणा का सालाना सम्मेलन राष्ट्रीय बाल भवन नई दिल्ली मे 15 अप्रैल 2013 को सम्पन्न हुई। उद्घाटन समारोह का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ। भारतीय विज्ञान एकादमी के प्रमुख प्रोफेसर कृष्ण लाल ने अपने उद्घाटन भाषण मे सर्वप्रथम भारतीय भौतिकी शिक्षक संघ के संस्थापक सदस्य प्रोफेसर वेदरत्न जी को श्रद्धांजली समर्पित की व प्रो. वेदरत्न स्मारक व्याख्यान दिया। दिवंगत प्रो. वेदरत्न के लिए एक मिनट का मौन भी रखा गया। उद्घाटन समारोह मे मंचासीन प्रोफेसर कृष्ण लाल, प्रोफेसर के. सी. ठाकुर, डा. ओ.पी. शर्मा, श्री शेर सिंह व श्रुति बोध अग्रवाल ने भी संबोधित किया सम्मेलन के दौरान प्रोफेसर वेदरत्न जी के परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे।

शोध पत्र प्रस्तुत करते प्रतिभागी
यमुनानगर से प्रोफेसर के. सी. ठाकुर, दर्शन बवेजा, श्रीश कुमार इस सम्मेलन मे गए। इस सम्मेलन मे भौतिकी मे नयी खोजें व भौतिकी शिक्षण मे नवाचार विषयों पर शोध पत्र पढ़े गए। यहां आयोजित एक अन्य स्पर्धा मे भौतिकी के अध्यापको ने नवाचारी शिक्षण विधियां प्रस्तुत की व पुरस्कार प्राप्त किये। इस सम्मेलन मे अध्यापकों व विज्ञान के क्षेत्र की बहुत सी उपकरण निर्माता संस्थाओं ने अपने द्वारा निर्मित नवाचारी भौतिकी प्रयोगात्मक उपकरणों का प्रदर्शन किया। यहां पर उपस्तिथ भौतिकी के अध्यापको ने इन नये नये उपकरणों से प्रयोग करने सीखे 
इस सम्मेलन मे आये भौतिकी के अध्यापको  को प्रमाणपत्र व नवाचारी विज्ञान पुस्तके प्रदान की गयी

Leser Ray Kit
यहां पर आयी एक उपकरण निर्माता कम्पनी Indosaw के विशेषज्ञ कुछ नवाचारी भौतिकी के उपकरण प्रदर्शित कर रहे थे इनके सभी उपकरण  अंतर्राष्ट्रीय मानकों व गुणवत्ता वाले थे  इन उपकरणों मे से एक ऐसा उपकरण था जो कि पहली बार देखा, इस उपकरण से नेत्र के दूर व निकट दृष्टि दोष और उनका लेंसों से निवारण लेजर किरण द्वारा समझाया गया था। इस उपकरण की सहयता से सामान्य नेत्र की बनावट व उससे प्रतिबिम्ब का बनना व दोष युक्त नेत्र के रेटिना से आगे या पीछे प्रतिबिम्ब का बनना लेजर किरणों के माध्यम से दिखाया जाता था। इसी उपकरण मे दोष युक्त नेत्र को उचित उत्तल या अवतल लेंस के द्वारा दोषमुक्त भी करके दिखाया गया था। इस उपकरण मे चुम्बकीय व्यवस्था के कारण श्यामपट की तरह से भी प्रयोग किया जा सकता है और मेज पर लिटा कर भी प्रयोग करके दिखाया जा सकता है। 
इसी उपकरण जिस का नाम Leser Ray Kit है, इससे पांच प्रयोग किये जा सकते हैं। 

१.    मानव नेत्र की कार्य प्रणाली व दृष्टि दोष

२.    फोटोग्राफिक कैमरा का सिद्धांत

३.    गैलीलियो दूरदर्शी व पैरीस्कोप

४.    केपलर टेलीस्कोप का सिद्धांत

५.    गोलाकार विपथन (spherical aberration)

मानव नेत्र की कार्य प्रणाली व दृष्टि दोष
इस एक उपकरण से कक्षा आठ, दस व बारह के प्रकाशिकी के प्रयोग करवाए जा सकते हैं। 

इस उपकरण व अन्य उपकरणों की अधिक जानकारी इस साईट पर उपलब्ध है। 




इस सम्मेलन मे पंजाब से आये श्री एम एस मारवाह जी ने भी अपने द्वारा विकसित भौतिकी के विधुत, चुम्बकत्व, गति, आघूर्ण, बल, गुरुत्व, आवेश, वायु दबाव, बरनौली, पास्कल, आर्कमिडिज, न्यूटन, प्रकाश का अपवर्तन, परावर्तन, विक्षेपण, विधुत मोटर, डायनमो, विधुत फ्लस्क, आवेश विसर्जन आदि सिद्धांतों नियमों के नवाचारी प्रयोग करके दिखाये। 
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1 comment:

  1. विज्ञान के प्रसार के लिये ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिये।

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