शरद अयनांत को इरेटोस्थनीज प्रयोग किया Eratosthenes Experiment on Winter Solstice
प्रगति विज्ञान संस्था के कुशल निर्देशन में क्लब सदस्य साल में चार दिन अपनी नियमित गातिविधि पृथ्वी की परिधि ज्ञात करते हैं भारत के विभिन्न राज्यों व दुनिया के 16 देश साथ मिल कर इरेटोस्थनीज प्रयोग दोहराते हैं। इस प्रयोग को करने के लिए
विद्यार्थियों में बहुत उत्साह है। इस प्रयोग में अब बच्चे बहुत रूचि लेते हैं। विज्ञान संचारक श्री दीपक शर्मा जी के कुशल मार्गदर्शन में इस वर्ष के अंतिम माह में शरद अयनांत के दिन यह प्रयोग किया गया।
क्लब गातिविधि रिपोर्ट
पहला दिन 20 दिसम्बर
21 दिसम्बर आज के दिन होगा वर्ष का सबसे छोटा
दिन होगा। आज दिन 10 घंटे 19 मिनट 14 सेकंड का होगा। रात वर्ष की सबसे लंबी
रात होगी। इन दिनों पृथ्वी के सूर्य के सापेक्ष ऐसी स्तिथि बनती है कि
सूर्य की किरणे 23.5 डिग्री के न्यूनतम कोण पर होती हैं । जिस कारण सूर्य
की किरणों में न्यूनतम तपिश होती हैं।
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विज्ञान अध्यापक दर्शन
लाल बवेजा ने बताया कि विंटर सोलिस्टीस के इस अवसर पर राजकीय वरिष्ठ
माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थी पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने की अपनी
नियमित गातिविधि करेंगे। सी वी रमण
विज्ञान क्लब के सहयोग से 21 दिसम्बर को अलाहर स्कूल के विद्यार्थी और 23
दिसम्बर को मुकंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी यमुनानगर के 100
विद्यार्थी 20 समूहों में दुनिया के 16 देशों के विद्यालयों के
विद्यार्थियों के साथ मिल कर पृथ्वी की परिधि मापने का 2300 वर्ष पुराना
विश्व प्रसिद्ध इरेटोस्थनीज प्रयोग करेंगें। मुकंद लाल पब्लिक स्कूल में 23
दिसम्बर को पांच विद्यालयों के 120 विद्यार्थी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के
साथ मिल कर इस प्रयोग में अपने जौहर दिखाएंगें।
प्रत्येक वर्ष में खगोलिय घटनाएं होती है जिनसे ऋतूचक्र चलता है इन चार खगोलीय घटनाओं के में दो बार अयनांत व दो बार विषुव की खगोलीय स्तिथि आती है इन खगोलीय घटनाओं के तहत सौरमंडल का मुखिया सूर्य के आज दक्षिणायन से उत्तरायन में प्रवेश करने की वजह से आज वर्ष का सबसे छोटा दिन होगा।
इस घटना के दौरान सूर्य मकर रेखा को लंबवत् किंतु कर्क रेखा को, जहां हम रहते हैं, सर्वाधिक तिरछा स्पर्श करता है। हमारे उत्तरी ट्रॉपिकल जोन से सूर्य तिरछा गमन करता है, इससे सूर्यास्त भी बहुत तेजी से हो जाता है। इस खगोलीय घटना से मौसम में परिवर्तन आने से ठंड बढ़ जाती है। आम आदमी और विद्यार्थियों के लिए यह घटना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे विद्यार्थी प्राकृतिक व प्रायोगिक तौर पर भौगोलिक स्थिति को समझ सकते हैं।
बच्चों को समझाते हुए क्लब के प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि साल में दो बार यह स्तिथि आती है, जब पृथ्वी अपनी धुरी पर या तो सूर्य की ओर झुक जाती है या उससे काफी दूर हो जाती है। इसके कारण सूर्य या तो आकाश में सर्वाधिक उत्तर में या दक्षिणतम छोर पर पहुंच जाता है। शीत अयनांत के दिन उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर हो जाता है जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर हो जाता है। उन्होंने कहा कि सूर्य उत्तरी क्षेत्र में आकाश में न्यूनतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है और दक्षिणी क्षेत्र में आकाश में सूर्य अधिकतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है। जिस कारण पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और पृथ्वी के दक्षणी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन होता है।
इस प्रयोग को करवाने के लिए प्रधानचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा और श्री मति शशि बाठला ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान की है। इस प्रयोग को करवाने के लिए श्रीश शर्मा, संजय शर्मा, कपिल कुमार और अमन काम्बोज भी सहयोग देंगें।
प्रत्येक वर्ष में खगोलिय घटनाएं होती है जिनसे ऋतूचक्र चलता है इन चार खगोलीय घटनाओं के में दो बार अयनांत व दो बार विषुव की खगोलीय स्तिथि आती है इन खगोलीय घटनाओं के तहत सौरमंडल का मुखिया सूर्य के आज दक्षिणायन से उत्तरायन में प्रवेश करने की वजह से आज वर्ष का सबसे छोटा दिन होगा।
इस घटना के दौरान सूर्य मकर रेखा को लंबवत् किंतु कर्क रेखा को, जहां हम रहते हैं, सर्वाधिक तिरछा स्पर्श करता है। हमारे उत्तरी ट्रॉपिकल जोन से सूर्य तिरछा गमन करता है, इससे सूर्यास्त भी बहुत तेजी से हो जाता है। इस खगोलीय घटना से मौसम में परिवर्तन आने से ठंड बढ़ जाती है। आम आदमी और विद्यार्थियों के लिए यह घटना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे विद्यार्थी प्राकृतिक व प्रायोगिक तौर पर भौगोलिक स्थिति को समझ सकते हैं।
बच्चों को समझाते हुए क्लब के प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि साल में दो बार यह स्तिथि आती है, जब पृथ्वी अपनी धुरी पर या तो सूर्य की ओर झुक जाती है या उससे काफी दूर हो जाती है। इसके कारण सूर्य या तो आकाश में सर्वाधिक उत्तर में या दक्षिणतम छोर पर पहुंच जाता है। शीत अयनांत के दिन उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर हो जाता है जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर हो जाता है। उन्होंने कहा कि सूर्य उत्तरी क्षेत्र में आकाश में न्यूनतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है और दक्षिणी क्षेत्र में आकाश में सूर्य अधिकतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है। जिस कारण पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और पृथ्वी के दक्षणी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन होता है।
इस प्रयोग को करवाने के लिए प्रधानचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा और श्री मति शशि बाठला ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान की है। इस प्रयोग को करवाने के लिए श्रीश शर्मा, संजय शर्मा, कपिल कुमार और अमन काम्बोज भी सहयोग देंगें।
दूसरा दिन 21 दिसम्बर
एक तरफ तो जहां दुनिया आज महाप्रलय को लेकर
आशंकित थी वही दूसरी और राजकीय वरिष्ठ विद्यालय अलाहर के होनहार बाल
विज्ञानी शरद अयनांत के दिन पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने का २३०० वर्ष
पुराना प्रयोग दोहरा कर महान भूगोलवेत्ता और वैज्ञानिक इरेटोस्थनीज को याद
कर रहे थे श्रद्धांजली समर्पित कर रहे थे। सी वी रमण विज्ञान क्लब के सहयोग
से अलाहर स्कूल के विद्यार्थी और विश्व के विभिन्न देशों के विद्यार्थियों
के साथ मिल कर यह प्रयोग कर रहे थे।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि गत ३ वर्षों से साल में चार बार बाल विज्ञानी इस प्रयोग को करते हैं। इस प्रयोग को करने से विद्यार्थियों का गणित, विज्ञान और भूगोल विषयों को समझने के प्रति रूचि विकसित होती है प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने कहा कि अलाहर स्कूल बे बच्चे इस प्रयोग में आज अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान स्थापित कर चुके हैं। उन्होंने विज्ञान विषय की पढ़ाई गतिविधियों के जरिये करवाने व विभिन्न खगोलीय, वैज्ञानिक तथ्यों को प्रमाण सहित समझाने के लिए अध्यापकों की प्रशंसा की व बाल विज्ञानियों को आशीर्वाद दिया।
इस प्रयोग में कपिल कुमार, विशु कुमार व दिव्या की टीम ने प्रेक्षण लिए व इन आंकड़ों को वैश्विक समुदाय के आंकड़ों के साथ मिलान करके सम्मिलित परिणाम निकालने के लिए इरेटोस्थनीज संस्था को फ्रांस भेजा जाएगा।
संस्था के विशेषज्ञ सभी देशों के युग्म बना कर परिणाम निकालेंगे व उनकी तुलना मानक परिणाम से की जायेगी सब से कम त्रुटि वाले समूह के बच्चो व विद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण से नवाजा जाएगा।
इस प्रयोग के दूसरी कड़ी में २३ दिसम्बर रविवार को स्थानीय मुकंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी यमुनानगर में १२० विद्यार्थी जुटेंगें और पांच पांच के समूहों में इस प्रयोग को करेंगें।
आज इस प्रयोग को सम्पन्न करवाने में सुनील कुमार, संजय शर्मा, मनोहर लाल, संजय गौतम, दर्शन लाल, राम नाथ बंसल का सहयोग सराहनीय रहा।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि गत ३ वर्षों से साल में चार बार बाल विज्ञानी इस प्रयोग को करते हैं। इस प्रयोग को करने से विद्यार्थियों का गणित, विज्ञान और भूगोल विषयों को समझने के प्रति रूचि विकसित होती है प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने कहा कि अलाहर स्कूल बे बच्चे इस प्रयोग में आज अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान स्थापित कर चुके हैं। उन्होंने विज्ञान विषय की पढ़ाई गतिविधियों के जरिये करवाने व विभिन्न खगोलीय, वैज्ञानिक तथ्यों को प्रमाण सहित समझाने के लिए अध्यापकों की प्रशंसा की व बाल विज्ञानियों को आशीर्वाद दिया।
इस प्रयोग में कपिल कुमार, विशु कुमार व दिव्या की टीम ने प्रेक्षण लिए व इन आंकड़ों को वैश्विक समुदाय के आंकड़ों के साथ मिलान करके सम्मिलित परिणाम निकालने के लिए इरेटोस्थनीज संस्था को फ्रांस भेजा जाएगा।
संस्था के विशेषज्ञ सभी देशों के युग्म बना कर परिणाम निकालेंगे व उनकी तुलना मानक परिणाम से की जायेगी सब से कम त्रुटि वाले समूह के बच्चो व विद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण से नवाजा जाएगा।
इस प्रयोग के दूसरी कड़ी में २३ दिसम्बर रविवार को स्थानीय मुकंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी यमुनानगर में १२० विद्यार्थी जुटेंगें और पांच पांच के समूहों में इस प्रयोग को करेंगें।
आज इस प्रयोग को सम्पन्न करवाने में सुनील कुमार, संजय शर्मा, मनोहर लाल, संजय गौतम, दर्शन लाल, राम नाथ बंसल का सहयोग सराहनीय रहा।
तीसरा दिन 23 दिसम्बर
मुकुन्द लाल
पब्लिक स्कूल में पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग संपन्न आज मुकुन्द लाल
पब्लिक स्कूल, सरोजनी कॉलोनी, यमुनानगर में पृथ्वी की परिधि मापने का
प्रयोग किया गया। इस प्रयोग व कार्यशाला का उद्घाटन प्रधानाचार्या श्रीमती
शशि बाटला ने किया। कार्यक्रम में सबसे पहले दो घंटे बच्चों को
इरैटोस्थनीज, उन्नयन कोण, त्रिकोणमिति, सूर्यकोण मापन, न्यूनतम परछायी,
अक्षांशीय व देशान्तर रेखाओं आदि की सैद्धान्तिक जानकारियाँ दी गई।
इस
प्रयोग में 20 समूहों में कुल 100 विद्यार्थियों ने भाग लिया। 11 बजे से
12:30 बजे तक सीवी रमण विज्ञान क्लब के प्रभारी दर्शन लाल बवेजा ने प्रगति
विज्ञान संस्था के सहयोग से बच्चों को यह प्रयोग करना सिखाया, जिसमें
पाँच-पाँच विद्यार्थियों का समूह बनाकर जमीन पर लंबवत खड़ी नोमोन (छड़ी) की
परछायी को चार-चार मिनट के अंतराल पर नाप कर दर्ज किया गया। छड़ी की परछायी
जब घटते-घटते न्यूनतम हो जाती है तो उसे माप लेते हैं और त्रिकोणमिति के
सूत्रों की सहायता से सूर्यकोण ज्ञात कर लेते हैं। इसके बाद विशेष प्रकार
की गणनाओं से पृथ्वी की परिधि ज्ञात की गई तथा परिणामों को फ्राँस की
अंतर्राष्ट्रीय संस्था को ईमेल द्वारा भेजा गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
चल रहे इस प्रयोग में बहुत से देशों के बच्चे भाग ले रहे हैं। इनमें
फ्राँस, अर्जेंटीना, स्पेन, मलेशिया, जर्मनी, कनाडा, स्लोवेनिया, मोरक्को,
रोमानिया, सर्बिया, माल्टा, मिश्र तथा अमेरिका आदि देशों के बच्चे शामिल
हैं। भारत में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू तथा कश्मीर, गुजरात,
असम, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के बच्चे इस प्रयोग को 21, 22 और 23
दिसम्बर को कर रहे हैं। 27 दिसम्बर को इस प्रयोग को करने वाले सभी देशों के
बच्चे एक अंतर्राष्ट्रीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आपस में रूबरू
होंगे और प्रयोग से संबंधित अपने अनुभव साँझे करेंगे तथा प्रयोग के परिणाम
घोषित किए जाएँगे। सबसे कम त्रुटि के साथ पृथ्वी की परिधि मापने वाले समूह
को अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र से नवाजा जाएगा। इस अवसर पर काजल, अमन,
पारस, कार्तिक, आदित्य, प्रेरणा, नमन, इशिता, श्रेया, स्पर्श, विभूति,
मीली, वंशिका आदि प्रतिभागियों ने यह प्रयोग करना सीखा। इस अवसर पर डॉ॰
ममता वर्मा, श्रीमती साधना मेहता, मेघा शर्मा, गीतू साहनी, साक्षी ग्रोवर,
साक्षी गुप्ता, रीमा, मुक्ता, रोमी, दर्शन लाल बवेजा, श्रीश बेंजवाल शर्मा आदि ने सहयोग दिया।
जारी .......
cool...
ReplyDeleteit was an incredible day and after all the sun arrives