आभासी डाक टिकेट संग्रह Virtual Postage Stamps collection
आभासी
डाक-टिकट संग्रहिकीः वैज्ञानिक
जन-समुदाय हेतु एक नवीन उपकरण
कभी-कभी जब
आपको कोई पत्र मिलता है तो उस पर चिपकी डाक टिकट पर आपका ध्यान यका-यक चला जाता
है, और हो सकता
है आप उस डाक टिकट का संग्रह भी कर लें। ऐसा आपके साथ ही नहीं होता, बल्कि
अधिकांश डाक टिकट प्रेमी लोगों के साथ ऐसा ही हेाता है। शायद तभी डाक-संग्रह की
विधा का एक शौक के रूप में विकास हुआ होगा। आज डाक-टिकट संग्रहिकी हर उम्र के
लोगों का एक ऐसा शौक है जो न केवल खाली समय को रचनात्मक तरीके से गुजारने, नये दोस्त
बनाने तथा किसी देश के इतिहास, सांस्कृति, पेड़-पौधे, जीव
जन्तुओं आदि को जानने व पहचानने का अच्छा माध्यम हैं। इसके अलावा आप अगर कला के
क्षेत्र में भी शौक रखते हैं तो आपकी रचनात्मकता को एक नई दिशा देने के लिए यह
गतिविधि एक नया आयाम देगी। शायद इन्हीं कारणों से इस शौक को सभी गतिविधियों का
बादशाह कहा जाता है।
डाक-टिकट
संग्रहिकी जिसे अंग्रेजी में फिलेतली (Philately) कहते हैं, यह एक
फ्रैंच शब्द का अंग्रेजीकरण है जिसे 1864 में जॉर्ज हरपिन ने गढ़ा था। डाक संग्रह
आज एक शौक के रुप में महत्वपूर्ण विधा है जो आज केवल डाक-टिकट एकत्र करने व डाक का
इतिहास जानने तक ही समिति नहीं है। आज यह एक व्यापार का रूप भी ले चुकी है। पुराने
समय के राजा-महाराजा कई चुनिंदा व दुर्लभ डाक-टिकटों को मुँह मांगे दाम देकर अपने
व्यक्तिगत संग्रह में रखना अपनी शान समझते थे। आज डाक-टिकट संग्रहिकी शौक के अलावा
पूर्ण विषय का रुप ले चुकी है और जिसमें शामिल है डाक-टिकटें, उसके डिजाइन, उपयोग हुए
कागज, प्रिंटिंग
का तरीका, चिपकाने के
लिए लगाए गोंद आदि। आज यह आवश्यक नहीं है कि मंहगी व दुलर्भ टिकट आपके पास हो, किसी
अजायबघर में भी जाकर आप शौक पूरा कर सकते हैं।
समय के
साथ-साथ यह शौक कुछ महंगा हुआ और शायद मनोरंजन के अन्य साधन उपलब्ध होने के कारण, लोगों के
इस शौक में कुछ कमी आई। परन्तु इन्टरनेट और वेव (वर्ल्ड वाइड वेव) के आने और उसके
फैलाव से अब यह शौक पुनः एक नये अवतार के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। जैसे कि आप
सभी जानते हैं इन्टरनेट नया व आधुनिक माध्यम है। आंकड़े प्रविष्ट करने, आंकड़ो तथा
दस्तावेजी फाइलों की खोज, ई-मेल, चैट समाचार, रोजगार की
तलाश, उत्पादन, सूचना, नेट सर्फिंग, मनोरंजन, प्रतियोगिता, रेल एवं
हवाई टिकट, सॉफ्टवेयर
तथा गेम डाउनलोड इत्यादि-इत्यादि
इन सबसे के
लिए इन्टरनेट एक आवश्यक प्रौद्योगिकी है। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि इन्टरनेट
स्वयं कोई जानकारी या सूचना नहीं हेाती बल्कि इन्टरनेट सभी उपयुक्त व और भी अनेक
सेवाएं जैसे वैव (वल्र्ड वाइल्ड वेव www) का हिस्सा है। वेव दस्तावेजों को खोजने, तस्वीरों, एनिमेशन
तथा विडियों को देखने, श्रव्य
फाइलों को सुनने, बोलने ओर
बोली हुई आवाज सुनने और दुनिया में किसी भी सॉफ्टवेयर पर चलने वाले कार्यक्रमों को
देखने में हमारी मदद करता है। बशर्ते हमारे कम्प्यूटर में इन सब सेवाओं को पाने के
लिए जरूरी हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर उपलब्ध हों। सन् 1992
में जहां इन्टरनेट का उपयोग करने वालो की संख्या कुछ हजारों में थी आज वह संख्या
अरब में हो चुकी है। यानि अब हम इतने लोगों से प्रत्यक्ष रूप से आपस में जुड़ सकते
हैं। आज हम विभिन्न वेव सर्वर पर बहुत-सी जानकारियों को खोज सकते हैं, उन्हें
डाउनलोड कर सकते हैं ओर अपने दोस्तों व साथियों के साथ बांट सकते हैं।
इन्टरनेट
के इस सूचना क्रांति ने डाक टिकट संग्रहिकी को एक नये रूप् में जन्म दिया है, जिसे आभासी
डाक संग्रहिकी कहते हैं। आभासी डाक संग्रहिकी ने आज हमें बिना लागत या कम लागत की
विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए एक नया माध्यम उपलब्ध करवाया है।
आओ इसके
बारे में कुछ ओर जाने तथा किस प्रकार इस विधा को विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए उपयोग
किया जा सकता है।
आज दुनिया के कई देशों में आभासी डाक संग्रहण विषय पर कई
क्लब, वेव साइट व
कम्यूनिटी उपलब्ध
हैं। आप चाहे तो स्वयं भी उनके सदस्य या हिस्सा बन सकते हैं या अपनी कम्यूनिटी बना
सकते हैं।
आभासी
डाक-टिकट संग्रहिकीः वैज्ञानिक जन-समुदाय हेतु एक नवीन उपकरण
आभासी
डाक-टिकट संग्रहिकीः (Virtual Philately) डाक टिकटे एकत्र करने की एक नवीन रोमांचक तथा अल्प-कीमत
विधि तथा दुनिया का सबसे अधिक लोकप्रिय एवं शिक्षाप्रद शौक बनता जा रहा है।
डाक-टिकट
एकत्र करने की आधुनिक विधि में भौतिक रूप में असली डाक-टिकट एकत्र करने की बजाय
डाक-टिकटों की तस्वीरें, जो असंख्य
फिलेतली वेबसाइट्स पर निशुल्क उपलब्ध हैं, कॉपी और
पेस्ट की जाती है। इन तस्वीरों का प्रयोग करते हुए कोई भी अपना डाक-टिकट संग्रह
बना सकता है तथा इनको शीट के ऊपर व्यवस्थित कर बिल्कुल वास्तविक डाक-टिकटों की तरह
प्रदर्शित कर सकता है। अगर आप चाहें तो
आभासी डाक टिकट संग्रहण प्रदर्शनियों में भी भाग ले सकते हैं।
अगर आपके
पास या स्कूल के विज्ञान क्लब में इन्टरनेट युक्त कम्प्यूटर या लैपटॉप है और इस
शौक में आप रुचि रखते हैं, तो आप
आसानी से इस शौक का आनन्द ले सकते हैं।
आभासी
डाक-टिकट संग्रहिकी के लाभ
1. दुनिया
के किसी भी देश में मनपंसद डाक-टिकट माऊस के एक क्लिक मात्र से तुरंत प्राप्त
करने की सुविधा प्रदान करती है।
2. व्यक्ति
की रूचि में सहजता से विविधता उत्पन्न करती है क्योंकि यह डाक-टिकट संग्रहण के थीम
व विषयों के अनंत विकल्प प्रदान करती है।
3. बाजार से
डाक-टिकट खरीदने और ढूंढने मे लगने वाले धन और समय की बचत करती है।
4.
वास्तविक डाक-टिकटों को संभाल कर रखने में अपेक्षित सावधानी को भी कम करती है।
5. कोई भी
व्यक्ति दुर्लभतम् तथा सबसे महंगी डाक-टिकटे देख व प्राप्त कर सकता है।
6.
वास्तविक डाक-टिकटों के संग्रहण की समस्या से निजात दिलाती है।
7. कोई भी
व्यक्ति किसी भी समय एक सीडी की सहायता से यह संग्रह देख सकता है।
8. बाजार से
डाक-टिकट खरीदने और ढूंढने मे लगने वाले धन और समय की बचत करती है।
9. यह
डाक-टिकट के बारे में सही पहचान तथा ज्ञान द्वारा उत्कृष्ट ज्ञानार्जन अवसर तथा
शैक्षिक मूल्य प्रदान करता है।
10. यह
वर्गीकरण और व्यवस्थापन के वैज्ञानिक कौशल सीखने में सहायता करती है।
11. यह
खुशी और आनंद के साथ दुनिया भर से ज्ञानार्जन हेतु मूल्यवान संसाधन उपलब्ध कराती
है।
12. यह
विश्वभर के आभासी डाक-टिकट संग्रहक समुदाय का हिस्सा बनने व उनसे परस्पर-संवाद
विकसित करने के अवसर प्रदान करती है।
13. यह
अंतर-विद्यालयी फिलेटेली प्रदशर्नियों जैसे जयपुर में हुई स्कूलपलेक्स के साथ ही
अंतर्राष्ट्रीय आभासी फिलेटेली प्रदशिर्नियां (एक्सपेनेट) में भाग लेने का भी अवसर
प्रदान करती है।
14. चूंकि
डाक-टिकट संग्रहण को अब केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रोजेक्ट के रूप
में मान्यता दे दी गई है, इसलिए
आभासी संग्रहण को प्रोजेक्ट कार्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
आभासी डाक
टिकट संग्रह कैसे करें?
आभासी टिकट संग्रह की थीम या विषय सूचि |
यदि कोई
व्यक्ति आभासी टिकट संग्रह करना चाहे और इसके लिए तैयार हो तो लिखने के लिए एक
नोटबुक, पेन और
उपरोक्त दिशानिर्देश पुस्तिका लेकर इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर पर बैठ जाए तथा
निम्नलिखित सर्वप्रथम अपनी रुचि के विषय, जिस पर आप
डाक-टिकट का संग्रह करना चाहते हैं, को लिखे
(आप बाएं चित्र में दिए विषयों में से भी चुन सकते हैं)
अब
कम्प्यूटर को स्विच आन कर इंटरनेट से जोड़े। कोई भी सर्च इंजिन जैसे गूगल इत्यादि
खोले और इसमें टाइप करें ‘टोपिकल फिलाटेली अथवा फिलाटेली (Philately) से
संबंधित अन्य कोई लिंक खोले और सर्च करें।
इस साइट के
पेज खोलें तथा वांछित डाक-टिकटों की तस्वीरों को कॉपी करें और एक नए फोल्डर में
इनको सुरक्षित (सेव) करें। तथा इनको अपने थीम का नाम दें।
सेव की गई
तस्वीरों का संक्षिप्त विवरण कॉपी करें अथवा लिखें, यदि विवरण
वैबसाइट पर दिया गया हो तो ठीक है अन्यथा अन्य वैबसाइटों से ढूंढे।
विभिन्न
लिंक से लगभग 120-140 डाक टिकटों (अपने थीम से संबंधित) को सेव करें।
अब एक बार
फिर से कागज और पेन का प्रयोग करते हुए अपने थीम पर, जिस पर
आभासी डाक-टिकट संग्रह तैयार करना, संक्षिप्त
प्रस्तावना लिखें।
आभासी
संग्रह के लिए हमेशा सफेद पृष्ठभूमि में ए-4 आकार की
खड़ी (उर्ध्वाधर) शीट का प्रयोग करें।
पृष्ठ
संख्या 1
गणितज्ञ थीम के अंतर्गत आपका पेज ऐसा दिखेगा |
अब एक
योजना अथवा प्रस्तावना पृष्ठ तैयार कीजिए। 16 साइज के ‘फोंट में काले
रंग का प्रयोग करते हुए थीम का शीर्षक लिखें। थीम का संक्षिप्त परिचय लिखे, जिसके लिए
20-25 पंक्तियां नोट की गई थी। काले रंग के अलावा अन्य कोई रंग प्रयोग न करें। यह
पृष्ठ संख्या 1 कहलायेगी।
‘योजना अथवा
प्रस्तावना पृष्ठ में संक्षिप्त प्रस्तावना लिखने के पश्चात् जो जगह बचती है उसमें
‘एम एस वर्ड’ की सहायता
से एक टेबल ‘सारणी’ बनाएं। इस
सारणी में पृष्ठवार उपशीर्षक तथा प्रत्येक पृष्ठ पर प्रदर्शित तस्वीरों की संख्या
एवं उपशीर्षकों के विवरण भरें।
प्रत्येक ‘ए-4’ आकार के
पृष्ठ (शीट) पर चारों तरफ कुछ हाशिया छोड़ते हुए ‘एमएसवर्ड’ की सहायता
से (3 गुना 3) वर्गाकार अथवा आयताकार सारणी तैयार करें।
गणितज्ञ थीम के अंतर्गत आपका पेज ऐसा दिखेगा |
भिन्न-भिन्न
शीट हेतु अलग-अलग शीर्षक तैयार करें, लेकिन एक फ्रेम
में 16 से अधिक न हों।
अब
सुरक्षित रखी गई (सेव) तस्वीरों वाले थीम के फोल्डर को खोलें, उनके ‘थम्बनोल’ दृश्य को
देखें तथा विभिन्न शीट में बनाए गए वर्गों अथवा आयतों में लिखे शीर्षकों के अनुसार
इन तस्वीरों को एक-एक कॉपी-पेस्ट करें। प्रत्येक वर्ग अथवा आयत में डाक-टिकट
तस्वीर के नीचे उसका संक्षिप्त विवरण पहले बताए अनुसार काले रंग से लिखें। अक्षरों
के फोंट का आकार विवरण हेतु 12 तथा उप-शीर्षक हेतु 14 होना चाहिए।
याद रहे कि
संग्रह के एक पृष्ठ में सामान्यतया 8-10 डाक-टिकट तस्वीरों से अधिक न हो, अन्यथा
पृष्ठ भरा-भरा दिखेगा। मूल डाक-टिकटों के आकार में तस्वीरें न डाली जाएं, अन्यथा यह
जालसाजी (नकल) मानी जाएगी। यदि संभव हो तो प्रथम मुख्य पृष्ठ तथा लघु आकार शीट थीम
से संबंधित एक या दो तस्वीरें कॉपी करें तथा इनको उपयुक्त शीट पर पेस्ट करें। इससे
संग्रह में फिलेटेली के वास्तविक गुणों का एहसास होगा।
अन्य शीट
(पृष्ठों) की अनुक्रम संख्या लिखें। योजना अथवा प्रस्तावना पृष्ठ के सबसे नीचे दाई और
कोने में अपना नाम, कक्षा एवं क्लब का नाम लिखें। अंततः प्रत्येक पृष्ठ का ध्यानपूर्वक अवलोकन करें तथा यदि कोई
त्रुटि हो उसे ठीक करें। संग्रह को सुरक्षित (सेव) करें। दो ‘सी.डी.’ (कॉम्पेक्ट डिस्क) एक प्रदर्शनी या किसी प्रतियोगिता के लिए दूसरी को
‘संदर्भ हेत’ मास्टर
कॉपी के तौर पर तैयार की
जाए। इस तरह कोई भी इस संग्रह का पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन भी (बिना अधिक श्रम के)
तैयार कर सकता है।
यहाँ से डाक टिकट कोपी-पेस्ट करें |
साभार बी. कु.
त्यागी (वैज्ञानिक)
Shri B.K.Tyagi
Scientist- D
यहाँ पर प्रकाशन दर्शन लाल बवेजा सी वी रमण विज्ञान क्लब यमुनानगर हरियाणा