Sunday, June 24, 2012

पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग हुआ सम्पन्न Earth experiment complete


पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग हुआ सम्पन्न Earth experiment complete
आज सी वी रमण विज्ञान क्लब सरोजिनी कालोनी के सदस्यों ने पृथ्वी की परिधि नापने के प्रयोग के अंतिम चरण में उज्जैन से प्राप्त आंकड़ों को स्थानीय आंकड़ों के साथ  मिला कर गणना की और पृथ्वी की परिधि ज्ञात की। 
हालांकि यह आंकड़े प्रगति विज्ञान संस्था और अंतर्राष्ट्रीय इरेटोस्थनीज़ संस्था को भी भेज दिए गए हैं तब तक उज्जैन और डोंगला के परिणामों से यमुनानगर के परिणामों की गणना से यह देख लिया जाए कि अपने क्लब सदस्यों के परिणाम कैसे रहे     
भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला, डोंगला तहसील महिदपुर जिला उज्जैन
क्लब समन्वयक दर्शन लाल ने बताया कि इस प्रयोग के लिए स्टीक आंकड़े प्राप्त करने के लिए वह खुद प्रवक्ता संजय शर्मा के साथ उज्जैन की जीवाजी व डोंगला काल गणना वेधशाला जंतर मंतर गए थे वहाँ उन दोनों ने 20 से 22 जून तक कर्क रेखा पर स्थित तीन अलग अलग जगह प्रयोग करके प्रेक्षण लिए गए। 
उज्जैन की जीवाजी काल गणना वेधशाला जंतर मंतर
जंतर मंतर जीवाजी वेधशाला उज्जैन और भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला, डोंगला तहसील महिदपुर जिला उज्जैन के प्रेक्षण और यमुनानगर के प्रेक्षण से प्राप्त रीडिंग  को सूत्रों में प्रतिस्थापित करके पृथ्वी की परिधि इरेटोस्थनीज़ विधि से ज्ञात की गयी। 
क्या है विधि
क्लब के पदाधिकारी प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि सबसे पहले दो स्थानों का चयन किया जाता है जहां प्रयोग किया जाना है उन दो स्थानों में यदि एक स्थान ऐसा है जो कि कर्क रेखा स्थित पर है। 21 जून को जिस समय वहाँ शंकु यंत्र की परछाई शून्य हो जाती है तो उस समय वहाँ सूर्य का उन्नयन शून्य प्राप्त होगा।
डोंगला का गूगल अर्थ चित्र
उसी समयांतराल में यह प्रयोग दूसरी युग्म टीम किसी दूसरे स्थान पर कर रही होती है जो की कर्क रेखा से अच्छी खासी अक्षांशीय दूरी पर हो। दोनों टीमों के न्यूनतम परछाई से प्राप्त उन्नयन कोणों के अंतर को सूत्र में दोनों स्थानों के बीच अक्षांशीय दूरी के साथ प्रतिस्थापित किये जाने पर हल करके पृथ्वी की परिधि ज्ञात हो जाती है। इस प्राप्त परिणाम को पृथ्वी की मानक परिधि के साथ तुलना करके त्रुटि ज्ञात की जाती है जितनी कम त्रुटि होगी उतना ही स्टीक परिणाम माना जाएगा। पृथ्वी की परिधि का स्टैंडर्ड मान 40075 किलोमीटर है।
पाठयांक 
Group
Group Leader
Gnomon
Shadow
Angle
Yamunanagar Group-1
Aman Kamboj
100 cm
12.2 cm
6°57' = 6.956°
Yamunanagar
Group-2
Simran, Vishvaas 
49.5 cm
5.80 cm
6°40' = 6.683°
Yamunanagar
Group-3
Arun
50 cm
5.7 cm
6°30' = 6.504°
परिणाम इस प्रकार रहे
अमन और उसकी टीम
युग्म टीम एक में पहला प्रयोग किया अमन और उसकी टीम ने सरोजिनी कालोनी में जिनको 100 सेमी शंकु यंत्र की न्यूनतम परछाई प्राप्त हुई 12.2 सेमी और गणना से सूर्य का उन्नयन कोण प्राप्त हुआ 6.95 डिग्री और दूसरी टीम ने प्रयोग किया उज्जैन के जंतर मंतर में जहां परछाई की न्यूनतम लम्बाई प्राप्त हुई शून्य सेमी जिस कारण कोण का मान शून्य प्राप्त हुआ। सूत्र में यह मान प्रतिस्थापित करने पर इस युग्म टीम को पृथ्वी की परिधि 40058 किलोमीटर प्राप्त हुई। इस टीम का त्रुटि प्रतिशत 0.04 प्रतिशत रहा।
सिमरन और विश्वास और उसकी टीम
युग्म टीम दो में पहला प्रयोग किया सिमरन और विश्वास और उसकी टीम ने इंदिरा गार्डन कालोनी में जिनको 49.5 सेमी के शंकु यंत्र पर न्यूनतम परछाई प्राप्त हुई 5.8 सेमी और गणना से सूर्य का उन्नयन कोण प्राप्त हुआ 6.68 डिग्री और इस युग्म की दूसरी टीम ने प्रयोग किया उज्जैन से 30 किलोमीटर उत्तर दिशा में महिदपुर तहसील के गावं डोंगला की डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला, जहां परछाई की न्यूनतम लम्बाई प्राप्त हुई शून्य सेमी जिस कारण कोण का मान शून्य प्राप्त हुआ। सूत्र में यह मान प्रतिस्थापित करने पर इस युग्म टीम को पृथ्वी की परिधि 40041 किलोमीटर प्राप्त हुई। इस टीम का त्रुटि प्रतिशत 0.08 प्रतिशत रहा।
क्या है लाभ?
सिर पर सूर्य
दर्शन लाल ने बताया कि आधुनिक विज्ञान ने भौतिकवाद को बढ़ाया है मनुष्य को अपने प्राचीन विज्ञान को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों व खगोलविदों ने साधनों के आभाव में वर्षों के प्रायोगिक अनुभव से काल गणना करना सीखा और समस्त विश्व को भी सिखाया यदि ऐसा है तभी तो विदेशों से खगोलविद आज भी स्टीक काल गणना के लिए उज्जैन आते है इस बार भी इस दुर्लभ दृश्य के गवाह बनने के लिए देश भर के खगोल वैज्ञानिकों के साथ आम लोग भी उज्जैन जिले के इस छोटे-से गांव में उमड़ पड़े।  22 जून से सूर्य सायन कर्क राशि में प्रवेश करके दक्षिण की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा। ज्योतिष शास्त्र की जुबान में इसे सूर्य का दक्षिणायन होना कहा जाता है। इसके बाद रात के मुकाबले दिन लगातार छोटे होते जाते हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग करोडो रुपयों की लागत से उज्जैन जिले में कर्क रेखा पर भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला व शोधकेन्द्र का निर्माण करवा रहा है। यहीं पर कोणार्क सूर्य मंदिर की तर्ज पर विशाल सूर्य मंदिर निर्माण का प्रस्ताव भी है। दोनों के बन जाने पर उज्जैन जिला विश्व के नक़्शे पर एक और कुम्भ मेले ‘खगोलविदो का कुम्भ’ के लिए विश्वविख्यात हो जाएगा।
शून्य परछाई की स्थिति
साल में चार बार इस प्रयोग से पृथ्वी की परिधि ज्ञात करके यमुनानगर जिले के 120 बच्चे लाभान्वित होते हैं और शुद्ध देसी काल गणना विधि के ज्ञानवर्धन से लाभान्वित होते हैं व उनके मन में प्राचीन भारतीय विज्ञान के प्रति सम्मान व जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
अगली  पोस्ट में अंतर्राष्ट्रीय इरेटोस्थनीज़ संस्था के सदस्य देशो के बच्चों के साथ परिणाम इस प्रकार रहे, 
अखबारों में खबर .....
 प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
द्वारा: दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर, हरियाणा

Sunday, June 17, 2012

विज्ञान क्लब सदस्य जायेंगे उज्जैन जंतर मंतर में 21 व 22 जून को Ujjain Jantar Mantar Observatory


विज्ञान क्लब सदस्य जायेंगे उज्जैन जंतर मंतर 21 व 22 जून को Ujjain Jantar Mantar Observatory 21 June 
उज्जैन जंतर मंतर
आज सी. वी. रमण विज्ञान क्लब की एक बैठक सरोजिनी कालोनी में हुई जिस में 21 22 जून की क्लब गतिविधि की रूप रेखा तैयार  की गयी। क्लब संयोजक विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि 21 जून  को ग्रीष्म सक्रांति यानि समर सॉल्स्टाइस कहा जाता है। इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर होता है और उत्तर की ओर बढ़ता सूर्य 21 जून को कर्क रेखा को छूकर पुनः दक्षिण की ओर बढ़ने लगता है। इस सतिथि को दक्षिणायन कहते हैं। इस दिन पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग लिया जाता है। इस बार 2122  जून को क्लब सदस्य 3 जगह पर पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग करेंगे।
21 जून 2011 का प्रयोग
एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय संयोजक प्रगति विज्ञान संस्था व अंतर्राष्ट्रीय इराटोस्थनिज संस्था के दिशा निर्देशों के अनुसार क्लब सदस्यों को 2122  जून को उज्जैन जाकर कर्क रेखा पर सूर्य की उपस्तिथि के दौरान पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग की जिम्मेदारी दी गयी है जो कि क्लब के लिए गर्व का विषय है। स्थानीय प्रयोग के लिए राजकीय विद्यालय अलाहर में अरुण और उस की टीम, सरोजिनी कालोनी में अमन काम्बोज व उसकी टीम प्रयोग की कमान संभालेंगे। 
प्रवक्ता संजय शर्मा
क्लब संयोजक दर्शन लाल व प्रवक्ता संजय शर्मा उज्जैन मध्यप्रदेश जायेंगे और वहाँ पर विश्वविख्यात वेधशाला जंतर मंतर पर प्रयोग करके आवश्यक प्रेक्षण  लेंगे। उज्जैन में राजा जयसिंह ने यह जंतर मंतर  वेधशाला 1925 ई. से 1930 ई. के मध्य बनवाई थी। यह वेधशाला तभी से स्टीक कालगणना के लिए विख्यात है। परिभ्रमण पथ के दौरान 21 जून को दोपहर में सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लंबवत हो जाएगा तब वहाँ खड़े लम्बवत दंड की परछाई शून्य हो जायेगी। इस स्तिथि को शून्य परछाई क्षेत्र या अंग्रेजी में नो शैडो जोन कहा जाता है  इस दिन भारत सहित उत्तरी गोलार्द्घ में स्थित सभी देशों में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होगी। भारत में से कर्क रेखा गुजरती है जो कि उज्जैन शहर से होकर जाती है इस लिए यह स्थान इस प्रयोग के लिए सबसे उत्तम स्थान है
Shanku (Gnomon) शंकुयंत्र
जहां पर लम्बवत खड़े दंड की परछाई दोपहर में 12 बजे से 1 बजे के बीच एक बार शून्य हो जायेगी उज्जैन में सूर्योदय प्रातः 5.43 बजे तथा सूर्यास्त सायं 7.16 मिनट पर होगा, जिससे दिन 13 घंटे 33 मिनट तथा रात 10 घंटे 24 मिनट की होगी।
इस खगोलीय घटना जिसे समर सॉल्स्टाइस कहा जता है यानि  21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण दिशा की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा, जिसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहा जाता है। अब दिन क्रमशः छोटे होते जाएंगे और फिर 23 सितंबर को रात-दिन बराबर होंगे। इस दिन पृथ्वी का अक्षीय झुकाव सूर्य की ओर अधिकतम होता है जिस कारण दिन की अवधि बढ़ जाती है। कर्क संक्रांति के समय पर पृथ्वी, सूर्य  की ओर अपनी धुरी पर 23 डिग्री और 26 मिनट तक झुकी रहती है, जोकि इसके झुकाव की अधिकतम सीमा है।
सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन होने के बारे में  क्लब के पदाधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने के दौरान पृथ्वी का गोलार्द्ध कुछ समय के लिए सूर्य से दूर चला जाता है। जिसे सूर्य का उत्तरायन और दक्षिणायन हो जाना कहा जाता है। पृथ्वी पर स्थित दो काल्पनिक रेखाएं कर्क और मकर रेखा है। सूर्य उत्तरायन के समय कर्क रेखा पर और दक्षिणायन के समय मकर रेखा पर होता है। पृथ्वी पर इसी परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल का आगमन होता है। यहां पर मुख्यरूप से तीन मौसम होते हैं। ग्रीष्मकाल- ग्रीष्मकाल की अवधि मार्च से जून तक, वर्षाकाल- वर्षाकाल की अवधि जुलाई से अक्टूबर, शीतकाल- शीत काल की अवधि नवम्बर से फरवरी होती है। मौसम में इसी परिवर्तन के साथ हवा की दिशा भी बदलती है। जहां ज्यादा गर्मी होती है वहां से हवा गर्म होकर ऊपर उठने लगती है और पूरे क्षेत्र में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। ऐसी स्थिति में हवा के इस रिक्त स्थान को भरने के लिए ठंडे क्षेत्र से हवा गर्म प्रदेश की ओर बहने लगती है। शुष्क और वर्षा काल का बारी-बारी से आना मानसूनी जलवायु की मुख्य विशेषताएं हैं। ग्रीष्म काल में हवा समुद्र से स्थल की ओर चलती है जो कि वर्षा के अनुकूल होती है और शीत काल में हवा स्थल से समुद्र की और चलती है। ग्रीष्म काल में 21 मार्च से सूर्य उत्तरायण होने लगता है तथा 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है। इस कारण मध्य एशिया का भूभाग काफी गर्म हो जाता है। फलस्वरूप हवा गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरीय भाग पर ठंड के कारण स्थित उच्च वायुदाब की ओर से वायु उत्तर में स्थित कम वायुदाब की ओर चलने लगती है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। ये हवा समुद्र की और से चलती है इसलिए इसमें जलवाष्प भरपूर होती हैं। इसी कारण एशिया महाद्वीप के इन क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। यह मानसूनी जलवायु भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया में भरपूर वर्षा करती है।

क्लब  प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि 21 व 22 जून को उज्जैन के जंतर महल और उज्जैन के नजदीक महिदपुर तहसील के डोंगला गांव में जुटाए जाने वाले आंक़डों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होगी। उज्जैन की महिदपुर तहसील के डोंगला गांव भी खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गांव कर्क रेखा पर स्थित है। यहां पर 21 22 जून को परछाईं खत्म हो जाती है मतलब सूर्य सीधे सिर के ऊपर चमकता है।
यमुनानगर में सूर्योदय प्रातः 5 बजकर 21 मिनट पर और सूर्यास्त सायं 7 बजकर 28 मिनट पर होगा। यमुनानगर में 21 जून का दिन 14 घंटे 7 मिनट का साल का सबसे बड़ा दिन होगा।
अखबार में .....


प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
द्वारा: दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर, हरियाणा

Thursday, June 07, 2012

शुक्र पारगमन अवलोकन मेला सम्पन्न Transit of Venus

शुक्र पारगमन अवलोकन मेला सम्पन्न Transit of Venus
पार्थवी
आज शुक्र पारगमन अवलोकन मेला मुकुंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी में सम्पन्न हुआ। इस अवलोकन मेले का उद्घाटन विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती शशि भाठला ने  किया। सी. वी. रमण विज्ञान क्लब सरोजिनी कालोनी के प्रयास से यमुनानगर जिले में एक साथ 12 स्थानों पर शुक्र पारगमन अवलोकन मेलों का आयोजन किया गया। आज सूर्योदय पर आसमान में काले बादल छाये हुए थे परन्तु बाद में सूर्य और शुक्र के इस अदभुद खगोलीय नज़ारे का अवलोकन करके बच्चे, अध्यापक व क्लब सदस्य बहुत खुश हुए। शुक्र पारगमन के नज़ारे को देख कर बच्चे व बड़े सब झूम उठे जब उन्हें यह पता चला कि अब दोबारा यह खगोलीय घटना 2117 ईस्वी में होनी है और वे सब इस सदी के वो चुनिन्दा व्यक्ति हैं जिन्होंने शुक्र पारगमन देखा है। 
पारस का पोस्टर प्रदर्शन
वाह वाह! क्या नज़ारा है, 6 जून, 2012 को सूर्योदय के साथ लोग एक दुलर्भ खगोलीय घटना को देखने के गवाह बने, जब शुक्र ग्रह सूर्य के ऊपर से होकर गुज़रता दिखाई दिया। इस अनोखी खगोलीय घटना शुक्र पारगमन (वीनस ट्रांज़िट) को दिखाने के लिए सी.वी. रमण विज्ञान  क्लब द्वारा सुरक्षित विधि से शुक्र पारगमन दिखाने की व्यवस्था मुकुंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी में की गई जहां लोगों ने, विशेषतः बड़ी संख्या में बच्चों ने इसे वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षित फ़िल्टर चश्मों और पिनहोल कैमरे की सहायता से देखा और अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण मज़बूत किया। 
इस अवसर पर सी.वी. रमण विज्ञान  क्लब के समन्वयक दर्शन लाल  ने बताया कि चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर अपनी कक्षा मे नियमित रूप से चक्कर लगा रहा है और सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के एक विशेष स्थिति में आने पर ही ग्रहण दिखाई पड़ता है, इसी प्रकार जब शुक्र और बुद्ध जैसे आंतरिक ग्रह जब पृथ्वी और सूर्य के बीच आते हैं तो यह घटना पारगमन कहलाती है। शुक्र पारगमन के समय जब शुक्र सूर्य के सामने से गुज़रा तो यह सूर्य पर एक बिन्दु के रूप में दृष्टिगोचर होता है। पारगमन की घटनाएं बहुत विलक्षण होती हैं। 
खुशी से झूम उठे बच्चे
इसी सदी शुक्र पारगमन 8 जून, 2004 को देखा गया था, लेकिन यदि पारगमन देखने की अवधि पर नज़र डाले तो आपको इसके विलक्षण होने की बात समझ आयेगी। दूरबीन के आविष्कार के बाद अब तक शुक्र पारगमन को अब तक 8 बार ही देखा जा सका है। इक्कसवीं सदी में 8 जून, 2004 में शुक्र पारगमन की घटना को पूरे 12.5 वर्षों के बाद देखा गया था और जो फिर 8 वर्ष बाद पुनः 2012 को दिखाई दिया। इस वर्ष के बाद शुक्र पारगमन 105.5 वर्ष बाद होगा और उसके बाद पुनः 8 वर्ष बाद दृष्टिगोचर होगा। शुक्र पारगमन का दोहराव बड़ा ही निराला है। शुक्र पारगमन के अगले जोड़े होंगे 11 दिसम्बर, 2117 और 8 दिसम्बर, 2125, अतः जो लोग इस बार इस खगोलीय घटना को देखने से वंचित रह गये, अब वे अपने जीवन में फ़िर कभी इसे नहीं देख सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस बार शुक्र पारगमन का पहला और दूसरा सम्पर्क नहीं देखा जा सका क्योंकि शुक्र पारगमन सूर्योदय से पहले ही शुरू हो गया था। 
बादलों ने डराया पर हार ना मानी सूर्य ने भी
यमुनानगर में पारगमन 05.19.00 बजे सूर्योदय के साथ देखा जाना था परन्तु तब काले बादल थे। बच्चे पारगमन 8.30.55 बजे से ही देख पाए,  इसका तृतीय स्पर्श 10.04.55 बजे रहा और चतुर्थ व अन्तिम स्पर्श 10.22.15 दिखाई दिया। सी.वी. रमण विज्ञान  क्लब के सदस्यों ने बताया कि शुक्र पारगमन के समय मंथन अहमदाबाद द्वारा सुरक्षित विधि से पारगमन दिखाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से परीक्षित व प्रामाणित ब्लैक पोलिमर से बने चश्मों के माध्यम से लोगों को शुक्र पारगमन दिखाया गया। दर्शन लाल ने  बताया कि ऐसे फ़िल्टर सूर्य के प्रकाश की तीव्रता घटाकर एक लाखवें हिस्से तक कम कर कर देते हैं, जिससे आंखों को हानि नहीं पहुँचती। वहीं अलाहर के सरकारी स्कूल के बच्चों ने भी  सामान्य दर्पण और पिन होल कैमरे से छायायुक्त दीवार पर सूर्य का प्रतिबिम्ब प्रेषित कर शुक्र पारगमन का आनन्द लेकर शुक्र पारगमन देखने व पोजिशन मार्क करने के वैज्ञानिक प्रयोग किये। शुक्र पारगमन कार्यक्रम के दौरान  विज्ञान प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया 
क्लब के स्वंसेवी 
इस अवसर पर पिनहोल कैमरा, बाक्स कैमरा से सूर्य का प्रतिबिम्ब लेना भी बताया गया व पारगमन सम्बन्धित बहुत सी भी गतिविधियां करवाई गयी।
क्लब के समन्वयक श्री दर्शन लाल बवेजा विज्ञान अध्यापक ने बताया कि यमुनानगर जिले में अलाहर, कैम्प, जगाधरी वर्कशाप, कृष्णा कालोनी, खारवन, माडर्न कालोनी, सरोजिनी कालोनी, पालेवाला, जठलाना, सढौरा, प्रोफेसर कालोनी व जयपुर वासीयों ने इस अदभुद कुदरती नज़ारे का अवलोकन किया।
शिवम, अरुण, अमन, आंचल, पारस, कपिल, सक्षम, सिमरन, विशु, इंदु, डा. प्रवीन चोपड़ा, श्रीश शर्मा, रजत, रविन्द्र पुंज, दर्शन लाल, मोनिका शर्मा, संजय शर्मा, संदीप आदि अध्यापकों व क्लब सदस्यों का सहयोग सराहनीय रहा। 
अखबारों  में ......
प्रस्तुति:- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
   
 

Saturday, June 02, 2012

शुक्र पारगमन अवलोकन की तैयारियां पूरी Safe Solar Viewer

शुक्र पारगमन अवलोकन की तैयारियां पूरी  Safe Solar Viewer
Safe solar Viewer
सेफ सोलर व्यूअर भेंट किये गए
आज सी. वी. रमण विज्ञान क्लब सरोजिनी कालोनी के सदस्यों को सुरक्षित शुक्र पारगमन अवलोकन का अंतिम प्रशिक्षण दिया गया और इस अवसर पर उनको सुरक्षित सूर्य अवलोकक सेफ सोलर व्यूअर Safe solar Viewer भेंट किये गए। जैसा कि पता ही है कि 6 जून को शुक्र पारगमन की दुर्लभ खगोलीय घटना घटित होने जा रही है तो इस अवसर पर क्लब सदस्यों ने पूरे महीने जोर शोर से इस खगोलीय घटना का प्रचार किया इसलिए वो इस अवलोकन के लिए बहुत ही बेताबी से 6 जून का इन्तजार कर रहे हैं।
हमे सूर्य को कभी भी सीधे नहीं देखना चाहिए ऐसा करने से गंभीर नेत्र समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सूर्य के अवलोकन के लिए केवल सौर डिस्क का प्रक्षिप्त बिम्ब देंखे। दूरबीन/बाइनाक्यूलर और पिनहॉल कैमरा से सूर्य के बिम्ब का प्रेक्षेपण दीवार पर या स्क्रीन पर प्राप्त करके सूर्य के प्रतिबिम्ब को ही देखें। वैज्ञानिक रूप से जांचे गये व किसी अधीकृत विज्ञान संस्था द्वारा उपलब्ध करवाये गए  सौर फिल्टर का इस्तेमाल करक ही सूर्य की ओर देखना चाहिए। सूर्य का अवलोकन कैसे करें और कैसे ना करें के बारे में क्लब समन्वयक विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल ने बताया कि  सूर्य का अवलोकन सुरक्षित फिल्टर या परोक्ष प्रक्षेपण पद्धति द्वारा किया जा सकता है। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए सौर फिल्टर का इस्तेमाल करके ही सूर्य की ओर देखना चाहिए। सुरक्षित सौर फिल्टर के बिना खुली आंखों से पारगमन की किसी भी कला को देखने का प्रयास नहीं करना चाहिए। दूरबीन से सीधे कभी नहीं देखना चाहिए। धुएंदार शीशों , रंगीन फिल्मों , धूप के चश्मों , न्यूटल पोलराइजिंग फिल्टरों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ये सभी असुरक्षित हैं। 
शुक्र पारगमन की घटना को देखने के लिए श्याम पोलिमर फिल्म से बने फिल्टर भारत में विभिन्न विज्ञान संस्थाओं ने  उपलब्ध करवाये हैं। यमुनानगर में यदि कोई व्यक्ति यह सेफ सौर फिल्टर लेना चाहता है तो सम्पर्क कर सकता है क्लब यह निशुल्क (वापसी की शर्त पर) उपलब्ध करवा रहा है परन्तु इसके उपयोग के लिए 5 मिनट का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है   
अवलोकन के दौरान सावधानियां इस अद्भुत नजारे को देखने से पूर्व जांच कर लेनी चाहिए कि  सेफ सोलर व्यूअर की फिल्म को कोई क्षति तो नहीं हुई है। बच्चों द्वारा इसका प्रयोग बड़ों के निरीक्षण में किया जाए। एक बार में इसका प्रयोग रुक-रुककर कुछ सेकण्डों के लिए ही करना चाहिए। आंखों की शल्य चिकित्सा या आंखों की बीमारी होने पर इसका प्रयोग न करने की सलाह दी गई है।
क्लब सदस्यों ने कुल 12 स्थानों पर शुक्र पारगमन दिखाने की व्यवस्था की है तैयारियां लगभग पूरी हैं। जिसमे निम्न क्लब सदस्य को जिम्मेदारी दी गयी है कि वो अपने मार्गदर्शन में सुरक्षित शुक्र संक्रमण का अवलोकन प्रतिबिम्ब विधि  व सेफ सोलर व्यूअर से करवाएं।
सरोजिनी  कालोनी - अमन काम्बोज, हुडा सेक्टर-18 - मानविंदर शर्मा, अलाहर - अरुण व शिवम, पालेवाला - कपिल कुमार, कैम्प एरिया - सक्षम वत्स अवलोकन की कमान संभालेंगे
अखबारां  में खबर .....