Monday, December 31, 2012

बनाया होवरक्राफ्ट का माडल Hovercraft Model

बनाया होवरक्राफ्ट का माडल Hovercraft  Model
विज्ञान गतिविधियां की तरफ से नव वर्ष 2013 की बहुत बहुत बधाइयां    
क्लब  सदस्यों ने गुब्बारे से संचालित होवरक्राफ्ट का माडल बनाया और उसको चला कर भी देखा। सुबह से ही बच्चे उत्सुक थे कि आज विज्ञान अध्यापक लैब ले जायेंगें और कोई नयी गातिविधि करवायेंगें। सबसे पहले बच्चों को बताया गया कि होवरक्राफ्ट क्या होता है और वो कैसे कार्य करता है 
एक होवरक्राफ्ट हवा के दबाव की वजह से काम करता हैइसमें हवा से एक तकिया फुलाने के लिए एक वायु मोटर पम्प का उपयोग किया जता है होवरक्राफ्ट इसी गद्दी पर तैरता है, यह जमीन और पानी दोनों पर जा सकता है। 
आज बच्चों ने अपने खुद के गुब्बारा संचालित मिनी होवरक्राफ्ट बनायायह होवरक्राफ्ट कैसे काम करता है इसके मूल प्रदर्शन के लिए यह माडल एक बेहतरीन तरीका है। यह माडल भी हवा के दबाव की अवधारणा को दर्शाता है, बस इसमें असली होवरक्राफ्ट के वायु पम्प मोटर का कार्य हम एक गुब्बारे से लेंगें। 
आवश्यक सामग्री: 
एक गुब्बारा 
एक बेकार सी. डी.
एक स्केच पेन 
एक इरेजर 
टेप 
फेवीक्विक
बनाने की विधि: इरेजर (रबड़) में एक सुराख कर लेवें, उस सुराख को सी. डी. के सुराख से मिला कर फेवीक्विक द्वारा चिपका देवें। 
रबर के इस सुराख में एक खाली स्केच पेन का खोल इस प्रकार से फसायें कि वह सी. डी. की सतह  से बाहर ना निकले
अब स्केच पेन के उपर वाले सिरे पर एक गुब्बारा टेप से चिपकाते हैं। 

कार्य विधि: स्केच पेन के निचले सिरे से गुबारे में हवा भरते हैं और इस माडल को अब सी. डी. वाली साइड से किसी चिकनी सतह पर रख देतें हैं। 

तो हम देखते हैं कि गुब्बारे से निकलती हवा दबाव के साथ सी. डी. को उपर उठाती है और सी. डी. के किनारों से निकलती हवा होवरक्राफ्ट के इस माडल को गति प्रदान करती है
देखें यह विडियो

प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
द्वारा: दर्शन बवेजा, विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर, हरियाणा

                   
  

Wednesday, December 26, 2012

शरद अयनांत को इरेटोस्थनीज प्रयोग किया Eratosthenes Experiment on Winter Solstice

शरद अयनांत को इरेटोस्थनीज प्रयोग किया Eratosthenes Experiment on Winter Solstice 
प्रगति विज्ञान संस्था के कुशल निर्देशन में क्लब सदस्य साल में चार दिन अपनी नियमित गातिविधि पृथ्वी की परिधि ज्ञात करते हैं भारत के विभिन्न राज्यों व दुनिया  के 16 देश साथ मिल कर इरेटोस्थनीज प्रयोग दोहराते हैं इस प्रयोग को करने के लिए विद्यार्थियों में बहुत उत्साह है। इस प्रयोग में अब बच्चे बहुत रूचि लेते हैं विज्ञान संचारक श्री दीपक शर्मा जी के कुशल मार्गदर्शन में इस वर्ष के अंतिम माह में शरद अयनांत के दिन यह प्रयोग किया गया। 
क्लब गातिविधि रिपोर्ट 
पहला दिन 20 दिसम्बर  
21 दिसम्बर आज के दिन होगा वर्ष का सबसे छोटा दिन होगा। आज दिन 10 घंटे 19 मिनट 14 सेकंड का होगा। रात वर्ष की सबसे लंबी रात होगी। इन दिनों पृथ्वी के सूर्य के सापेक्ष ऐसी स्तिथि बनती है कि सूर्य की किरणे 23.5 डिग्री के न्यूनतम कोण पर होती हैं । जिस कारण सूर्य की किरणों में न्यूनतम तपिश होती हैं।

विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि विंटर सोलिस्टीस के इस अवसर पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थी पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने की अपनी नियमित गातिविधि करेंगे। सी वी रमण विज्ञान क्लब के सहयोग से 21 दिसम्बर को अलाहर स्कूल के विद्यार्थी और 23 दिसम्बर को मुकंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी यमुनानगर के 100 विद्यार्थी 20 समूहों में दुनिया के 16 देशों के विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ मिल कर पृथ्वी की परिधि मापने का 2300 वर्ष पुराना विश्व प्रसिद्ध इरेटोस्थनीज प्रयोग करेंगें। मुकंद लाल पब्लिक स्कूल में 23 दिसम्बर को पांच विद्यालयों के 120 विद्यार्थी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिल कर इस प्रयोग में अपने जौहर दिखाएंगें।
प्रत्येक वर्ष में खगोलिय घटनाएं होती है जिनसे ऋतूचक्र चलता है इन चार खगोलीय घटनाओं के में दो बार अयनांत व दो बार विषुव की खगोलीय स्तिथि आती है इन खगोलीय घटनाओं के तहत सौरमंडल का मुखिया सूर्य के आज दक्षिणायन से उत्तरायन में प्रवेश करने की वजह से आज वर्ष का सबसे छोटा दिन होगा।
इस घटना के दौरान सूर्य मकर रेखा को लंबवत्‌ किंतु कर्क रेखा को, जहां हम रहते हैं, सर्वाधिक तिरछा स्पर्श करता है। हमारे उत्तरी ट्रॉपिकल जोन से सूर्य तिरछा गमन करता है, इससे सूर्यास्त भी बहुत तेजी से हो जाता है। इस खगोलीय घटना से मौसम में परिवर्तन आने से ठंड बढ़ जाती है। आम आदमी और विद्यार्थियों के लिए यह घटना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे विद्यार्थी प्राकृतिक व प्रायोगिक तौर पर भौगोलिक स्थिति को समझ सकते हैं।
बच्चों को समझाते हुए क्लब के प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि साल में दो बार यह स्तिथि आती है, जब पृथ्वी अपनी धुरी पर या तो सूर्य की ओर झुक जाती है या उससे काफी दूर हो जाती है। इसके कारण सूर्य या तो आकाश में सर्वाधिक उत्तर में या दक्षिणतम छोर पर पहुंच जाता है। शीत अयनांत के दिन उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर हो जाता है जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर हो जाता है। उन्होंने कहा कि सूर्य उत्तरी क्षेत्र में आकाश में न्यूनतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है और दक्षिणी क्षेत्र में आकाश में सूर्य अधिकतम ऊंचाई पर प्रकाशमान होता है। जिस कारण पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और पृथ्वी के दक्षणी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन होता है।
इस प्रयोग को करवाने के लिए प्रधानचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा और श्री मति शशि बाठला ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान की है। इस प्रयोग को करवाने के लिए श्रीश शर्मा, संजय शर्मा, कपिल कुमार और अमन काम्बोज भी सहयोग देंगें।
दूसरा  दिन 21 दिसम्बर  
एक तरफ तो जहां दुनिया आज महाप्रलय को लेकर आशंकित थी वही दूसरी और राजकीय वरिष्ठ विद्यालय अलाहर के होनहार बाल विज्ञानी शरद अयनांत के दिन पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने का २३०० वर्ष पुराना प्रयोग दोहरा कर महान भूगोलवेत्ता और वैज्ञानिक इरेटोस्थनीज को याद कर रहे थे श्रद्धांजली समर्पित कर रहे थे। सी वी रमण विज्ञान क्लब के सहयोग से अलाहर स्कूल के विद्यार्थी और विश्व के विभिन्न देशों के विद्यार्थियों के साथ मिल कर यह प्रयोग कर रहे थे।
विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि गत ३ वर्षों से साल में चार बार बाल विज्ञानी इस प्रयोग को करते हैं। इस प्रयोग को करने से विद्यार्थियों का गणित, विज्ञान और भूगोल विषयों को समझने के प्रति रूचि विकसित होती है प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र ढींगरा ने कहा कि अलाहर स्कूल बे बच्चे इस प्रयोग में आज अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान स्थापित कर चुके हैं। उन्होंने विज्ञान विषय की पढ़ाई गतिविधियों के जरिये करवाने व विभिन्न खगोलीय, वैज्ञानिक तथ्यों को प्रमाण सहित समझाने के लिए अध्यापकों की प्रशंसा की व बाल विज्ञानियों को आशीर्वाद दिया।
इस प्रयोग में कपिल कुमार, विशु कुमार व दिव्या की टीम ने प्रेक्षण लिए व इन आंकड़ों को वैश्विक समुदाय के आंकड़ों के साथ मिलान करके सम्मिलित परिणाम निकालने के लिए इरेटोस्थनीज संस्था को फ्रांस भेजा जाएगा।
संस्था के विशेषज्ञ सभी देशों के युग्म बना कर परिणाम निकालेंगे व उनकी तुलना मानक परिणाम से की जायेगी सब से कम त्रुटि वाले समूह के बच्चो व विद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण से नवाजा जाएगा।
इस प्रयोग के दूसरी कड़ी में २३ दिसम्बर रविवार को स्थानीय मुकंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी यमुनानगर में १२० विद्यार्थी जुटेंगें और पांच पांच के समूहों में इस प्रयोग को करेंगें।
आज इस प्रयोग को सम्पन्न करवाने में सुनील कुमार, संजय शर्मा, मनोहर लाल, संजय गौतम, दर्शन लाल, राम नाथ बंसल का सहयोग सराहनीय रहा।
 
तीसरा  दिन 23 दिसम्बर
मुकुन्द लाल पब्लिक स्कूल में पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग संपन्न आज मुकुन्द लाल पब्लिक स्कूल, सरोजनी कॉलोनी, यमुनानगर में पृथ्वी की परिधि मापने का प्रयोग किया गया। इस प्रयोग व कार्यशाला का उद्घाटन प्रधानाचार्या श्रीमती शशि बाटला ने किया। कार्यक्रम में सबसे पहले दो घंटे बच्चों को इरैटोस्थनीज, उन्नयन कोण, त्रिकोणमिति, सूर्यकोण मापन, न्यूनतम परछायी, अक्षांशीय व देशान्तर रेखाओं आदि की सैद्धान्तिक जानकारियाँ दी गई।
 इस प्रयोग में 20 समूहों में कुल 100 विद्यार्थियों ने भाग लिया। 11 बजे से 12:30 बजे तक सीवी रमण विज्ञान क्लब के प्रभारी दर्शन लाल बवेजा ने प्रगति विज्ञान संस्था के सहयोग से बच्चों को यह प्रयोग करना सिखाया, जिसमें पाँच-पाँच विद्यार्थियों का समूह बनाकर जमीन पर लंबवत खड़ी नोमोन (छड़ी) की परछायी को चार-चार मिनट के अंतराल पर नाप कर दर्ज किया गया। छड़ी की परछायी जब घटते-घटते न्यूनतम हो जाती है तो उसे माप लेते हैं और त्रिकोणमिति के सूत्रों की सहायता से सूर्यकोण ज्ञात कर लेते हैं। इसके बाद विशेष प्रकार की गणनाओं से पृथ्वी की परिधि ज्ञात की गई तथा परिणामों को फ्राँस की अंतर्राष्ट्रीय संस्था को ईमेल द्वारा भेजा गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इस प्रयोग में बहुत से देशों के बच्चे भाग ले रहे हैं। इनमें फ्राँस, अर्जेंटीना, स्पेन, मलेशिया, जर्मनी, कनाडा, स्लोवेनिया, मोरक्को, रोमानिया, सर्बिया, माल्टा, मिश्र तथा अमेरिका आदि देशों के बच्चे शामिल हैं। भारत में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू तथा कश्मीर, गुजरात, असम, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के बच्चे इस प्रयोग को 21, 22 और 23 दिसम्बर को कर रहे हैं। 27 दिसम्बर को इस प्रयोग को करने वाले सभी देशों के बच्चे एक अंतर्राष्ट्रीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आपस में रूबरू होंगे और प्रयोग से संबंधित अपने अनुभव साँझे करेंगे तथा प्रयोग के परिणाम घोषित किए जाएँगे। सबसे कम त्रुटि के साथ पृथ्वी की परिधि मापने वाले समूह को अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र से नवाजा जाएगा। इस अवसर पर काजल, अमन, पारस, कार्तिक, आदित्य, प्रेरणा, नमन, इशिता, श्रेया, स्पर्श, विभूति, मीली, वंशिका आदि प्रतिभागियों ने यह प्रयोग करना सीखा। इस अवसर पर डॉ॰ ममता वर्मा, श्रीमती साधना मेहता, मेघा शर्मा, गीतू साहनी, साक्षी ग्रोवर, साक्षी गुप्ता, रीमा, मुक्ता, रोमी, दर्शन लाल बवेजा, श्रीश बेंजवाल शर्मा आदि ने सहयोग दिया।  
जारी .......
अखबारों में 
  

 

Wednesday, December 05, 2012

देहरादून में सम्पन्न विपनेट क्लबों का क्षेत्रीय मिलन Regional Vipnet Meet Dehradun

देहरादून में सम्पन्न विपनेट क्लबों का क्षेत्रीय मिलन Regional Vipnet Meet Dehradun
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लंबे समय से प्रतीक्षातीत विपनेट क्लबों का क्षेत्रीय मिलन कार्यक्रम व कार्यशाला देहरादून के नवनिर्मित दून विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुआ।  29 नवम्बर से 1 दिसम्बर 2012 तक चलने वाला यह कार्यक्रम आशातीत सफलताओं के साथ विपनेट विज्ञान क्लबों में एक नयी ऊर्जा के संचार का स्रोत बना। उतराखंड की राजधानी देहरादून में कार्यरत एन. जी. ओ. स्पेक्स (Specs, Society of Pollution & Environmental Conservation Scientists), यूकोस्ट (विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग उत्तराखंड) उत्तराखंड सरकार और विज्ञान प्रसार भारत सरकार के सयुंक्त तत्वाधान में दून विश्वविद्यालय केदार पुरम देहरादून में इस क्षेत्रीय विपनेट मीट में सात उत्तरी राज्यों जे. एंड के., हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व बिहार के चुनींदा सक्रिय विज्ञान क्लबों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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    दून विश्वविद्यालय के FRI जैसे नवनिर्मित  भवन व विश्वस्तरीय फेकल्टी गेस्ट हाउस ने   सभी प्रतिभागियों को आकर्षित किया।
29 नवम्बर को कांफ्रेंस हाल में इस कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन सत्र में वि. वि. के कुलपति श्री वी. के. जैन व यूकोस्ट के निदेशक श्री डा. राजिंदर दाभोल जी ने सम्बोधित किया और विज्ञान जागरूकता के सूक्ष्म पहलूओं से प्रतिभागियों को अवगत करवाया।
तकनीकी सत्र में विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डा. श्री आर. के. उपाध्याय ने विस्तार से भारत में कार्यरत विज्ञान क्लबों के बारे में बताया और आंकड़ों के द्वारा प्रमाणित भी किया। उन्होंने विज्ञान संचार में विज्ञान क्लबों की भूमिका और प्राप्त परिणामों का विश्लेषण भी प्रस्तुत किया यह विश्लेषण गत वर्षों के आंकड़ों पर आधारित था। क्लब प्रतिनिधियों के लिए यह जानकारी बहुत खुशगवार थी कि उन की गतिविधियों को व उनके क्लबों द्वारा भेजी गयी छोटी से छोटी रिपोर्ट को भी विज्ञान प्रसार ने इन आंकड़ों में शामिल किया। नयी ऊर्जा का संचार करती यह रिपोर्ट अपने लक्ष्य को प्राप्त कर गयी।
डा. डी. एस. पुंडीर जी ने संचार की उम्दा व्याख्या की और संचार के विभिन्न तरीकों को सउदाहरण समझाया। संचार के सबसे उत्तम तरीके को अपनाने का प्रशिक्षण दिया व बताया कि आपकी बात जनसामान्य तक तभी कारगर तरीके से पहुँच सकती है जब वो बात उन के हितों को सपष्ट करती हो अन्यथा आपके बोलते रहने से और उनके सुनने से कोई सकरात्मक परिणाम सामने नहीं आ सकते।
स्पेक्स के महत्वपूर्ण नवाचार LED व बांस की जुगलबंदी रोजगार के नए अवसर पैदा करती है इनसे प्रशिक्षण प्राप्त कर के इस कला को व्यवसाय के रूप में अपना कर कोई भी शिक्षित या अशिक्षित अपनी रोजीरोटी कमा सकता है। स्पेक्स के इस नवाचार को सभी ने सराहा और कईं प्रतिभागियों ने उनसे यह LED लैम्प ख़रीदे भी।
रामपुर से आये श्री राशिद शमशी जी ने अपने नवाचारी माडल दिखाए और खूब वाहवाही लूटी।
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श्री बी. के. त्यागी
कार्यशाला के दूसरे दिन विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री बी. के. त्यागी ने प्रशिक्षण की कमान संभाली। श्री बी. के. त्यागी ने बताया कि विज्ञान क्लब देश भर में अपना कार्य बखूबी कर रहें हैं परन्तु फिर भी बहुत कुछ है जो कि अभी होना बाकी है इतना विशाल नेटवर्क बनना चाहिए कि उत्तर के एक एक क्लब गातिविधि  की जानकारी दक्षिण पूर्व व पश्चिम के क्लबों को भी होनी चाहिए। श्री त्यागी जी ने निम्न बिंदुओं को गहनता से उठाया।
* देश भर में विज्ञान क्लबों की गतिविधियों में समरूपता नहीं है। हालांकि यह एक गम्भीर मुद्दा नहीं हैं परन्तु फिर भी गतिविधियों में समरूपता अपरिहार्य है।
* क्लबों की मौजूदा गतिविधियों का कोई सामाजिक महत्त्व नहीं है यह तथ्य अधिक सपष्ट नहीं पाया परन्तु श्रोताओं में खुसर फुसर थी कि उनके क्लबों ने शुक्र पारगमन को जन सामान्य तक पहुंचाया है और इससे गातिविधि का सामाजिक महत्व सपष्ट है परन्तु हो सकता है कि समग्र रूप से कही गयी यह बात सत्य हो कि कुछ गतिविधियां समाज के लिए लाभदायक ना हो।
* क्लब विज्ञान जागरूकता को ग्रास रूट लेवल तक पहुंचा पाने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं।
* क्लब का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह होना चाहिए कि क्लब स्थानीय स्तर पर नवाचार को खोजे और उस को प्रचारित करे और सही मुकाम तक पहुंचाने का सेतु बने।
यहां यह बात समझ आती है कि कोई आम आदमी या बालक कोई नवाचार खोजता है या कोई ऐसी मशीन या विधि विकसित करता है जो चाहे जुगाड़ की श्रेणी में आती हो परन्तु उस से ऊर्जा समय या धन की बचत होती ऐसी खोज को उसके सही मुकाम तक पहुंचाने में क्लब की विशेष भूमिका होनी चाहिए।
* हर एक क्लब का अपना प्रश्न बैंक होना चाहिए जिसमे एप्लीकेशन आधारित प्रश्नों व उनके उत्तरों का संग्रह होना चाहिए।
* जिले में एक या अधिक क्लब 60 से 70 क्लबों का गठन करें और उन का पोषण करें।
* बहुत से क्लब यहां वहाँ की गतिविधियां कर रहे हैं जिनका कोई सोशल इम्पोर्टेंस नहीं है अधिकाँश क्लब तो बस दिवस ही मनाने में लगें हैं दिवस जरूर मनाए जायें परन्तु अधिकाँश गतिविधियां परिणामउत्पादक व क्लब के लिए आत्मनिर्भरतापरक भी हों।
* श्री त्यागी जी ने 12 क्षेत्र निर्धारित किये जिन के अंतर्गत गतिविधियां करवाई जानी हैं उर्जा, जमीन व लोग, नवाचार, मिलावट, जल, फ्रंटियर साइंस आदि बताए गए।
* श्री त्यागी जी ने क्लब की गतिविधियों के प्रलेखन documentation पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा क्यूँकी किसी भी गातिविधि और तथ्य की प्रमाणिक जानकारी का प्रलेखन भविष्य के लिए एविडेंस मना जाता है।
* भविष्य में सभी क्लब एक स्थानीय जैव विविधता रजिस्टर लगायेंगें जिस में क्लब के सदस्य स्थानीय जैव विविधता का रिकार्ड रखेंगें इससे आगामी वर्षों में जैव अजैव स्तरों पर आने वाले परिवर्तनों और उन के समाधान का हल निकालने में आसानी होगी।
सभी राज्यों से आये क्लब प्रतिनिधियों को निम्न कार्य योजना बनाने के लिए समूहों में बैठाया गया।
1. सभी राज्य पूरे साल की 12 महीनों की गतिविधियां लिख कर दें जो वो वर्ष भर में करवायेंगें।
2. नवाचारी गतिविधियां व कार्यशालाएं सुझाएँ या मांग करें जो वो भविष्य में चाहते हैं।
3. सभी प्रतिभागी फीडबेक फ़ार्म को भी पूरा करते चलें।
पोस्टर प्रदर्शनी
आज ही एक पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गयी जिस में सभी राज्यों से आये क्लब प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी गतिविधियों को दर्शाती पोस्टर प्रदर्शनी लगाई। पोस्टर पर क्लब गतिविधियां लिखी गयी थी साथ ही में उस के चित्र भी लगये गए थे और किसी किसी क्लब ने स्थानीय अखबारों की कतरने भी लगाई थी। क्लब प्रतिनिधियों ने पोस्टर बनाने में बहुत मेहनत की हुई थी इन पोस्टर्स को देख कर सभी क्लब प्रतिनिधि एक दूसरे द्वारा करवाई गयी गतिविधियों के बारे में जान रहे थे     
FRI फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का भ्रमण करवाया गया जहां प्रतिभागियों ने वन और जैव विविधता के बारे में जाना। यहां सभी प्रतिभागियों को मशरूम उगाने बारे व्याख्यान दिया गया व मशरूम कृषि का ज्ञान दिया गया। सभी प्रतिभागी FRI के संग्राहलय देख कर प्रसन्न हो रहे थे क्यूंकि यहां इतना ज्ञान भरा पड़ा था। वे भविष्य में क्लब सदस्यों को यहां लाने का प्लान बनाते भी दिखे।
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FRI
FRI स्वतन्त्रता पूर्व बनायी गयी थे जिस का उद्देश्य हिमालयाई वनस्पतियों व जैव विविधता का अध्ययन करना था।
विज्ञान प्रसार की तरफ से सभी क्लब प्रतिनिधियों को बेहतरीन पुस्तकों के सेट और सालिम अली की हिंदी अनुवादित शोधपरक पुस्तक भारत के पक्षी व वार्षिक गणित टेबल कैलेंडर भी भेंट किया गये।

दर्शन लाल बवेजा
यमुनानगर हरियाणा से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर के विज्ञान अध्यापक व सी. वी. रमन विज्ञान क्लब के प्रभारी दर्शन लाल बवेजा ने चायपान के बाद क्लब गतिविधियों के प्रलेखन की हस्तलिखित विधि,  कम्प्यूटर टंकण विधि व विज्ञान चिट्ठाकारी विधि के नमूने दिखाए।
अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने विज्ञान संचार में साइंस ब्लोगिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार क्लब अपनी गातिविधि का  ग्लोबल प्रचार ब्लोगिंग के माध्यम से कर सकता है उन्होंने प्रोजेक्टर से सी. वी. रमण विज्ञान क्लब के ब्लॉग www.sciencedarshan.in का भी भ्रमण करवाया, श्री त्यागी जी ने भविष्य में विज्ञान ब्लागिंग कार्यशाला लगाने की भी घोषणा की। श्री दर्शन बवेजा ने आभासी डाक टिकेट संग्रह रूचि विकसित करने के बारे में बताया और क्लब सदस्यों के द्वारा फिलेटली की तैयार फ़ाइल को भी सभी को दिखाया।
तत्पश्चात श्री त्यागी जी ने विज्ञान प्रसार पोर्टल का भ्रमण करवाया और विस्तार से इस पोर्टल का लाभ लेना सिखाया व प्रतिभागियों को online क्लब गातिविधि रिपोर्ट सबमिट करना भी सिखया गया।
तत्पश्चात श्री त्यागी जी ने विज्ञान प्रसार पोर्टल का भ्रमण करवाया और विस्तार से इस पोर्टल का लाभ लेना सिखाया व प्रतिभागियों को online क्लब गातिविधि रिपोर्ट सबमिट करना भी सिखाया गया।
श्री ब्रजमोहन शर्मा
कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन श्री योगेश भट्ट ने प्रतिभागियों की खास मांग पर ‘रसोई कसौटी किट’ का प्रदर्शन किया। यह किट ‘स्पैक्स’ संस्था के श्री ब्रजमोहन शर्मा जी ने साथियों के सहयोग से विकसित की है उन्होंने 100-500 रुपए में सस्ता ‘रसोई कसौटी किट’ तैयार किया है। इस किट से रसोई में प्रयोग होने वाली, लगभग 45 खाद्य वस्तुओं की शुद्धता की जाँच की जा सकती है। इस किट को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मान्यता देकर देश के प्रत्येक जिले के लिए तैयार करवाया है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था ने एक अभियान के तहत उत्तराखंड समेत देश के कई हिस्सों में मिलावटखोरी यानि एडलटरेशन की जाँच की तथा लोगों को भी खुद जाँच करना सिखलाने के लिए इस किट को विकसित किया है इस किट से कोई भी मिलावटखोरी यानि एडलटरेशन की जाँच कर सकता है। स्पेक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा बताते हैं कि इन मिलावटी तत्वों से जोड़ों का दर्द, हैजा, पेट का दर्द, लीवर, अलसर, उलटी, कैंसर, ड्रापसी, पेट की गैस, सूजन, ग्लूकोना, श्वास रोग, पेचिश, लकवा, न्यूरोटाक्सिक, एलर्जी, बाल झड़ना, बाल सफेद होना तथा त्वचा रोग होने की सम्भावना होती है। खाद्य पदार्थों में मिलावट एक जघन्य अपराध है जो कि लोगों के जीवन को दांव पर लगा रहा है। उत्तराखण्ड में पर्यटन मुख्य व्यवसाय है, प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से लोग यहाँ आते हैं, परन्तु इस तरह की मिलावट यहाँ की छवि को खराब करता है।
डाक्टर श्रीमती सरिता खंडका जी जो कि युकोस्ट में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी हैं ने खगोलीय टेलीस्कोप के बारे में विस्तार से बताया और जलपान के दौरान सब की जिज्ञासाओं को शांत किया।
भूगर्भ विज्ञान विभाग से आयीं वैज्ञानिक डा. आरती काकरी ने भूकम्प के सामन्य ज्ञान से सभी प्रतिभागियों को परिचित करवाया। उन्होंने बहुत ही सरल भाषा में प्रतिभागियों को भूकम्प के कारण व बचाव के तरीकों से अवगत कराया। यह प्रशिक्षण सभी प्रतिभागियों को बहुत प्रभावित कर गया।
श्री सतीश कौशिक जी ने बताया कि कैसे मनुष्य बिना मिट्टी व सूरज की रोशनी के पौधे उगा सकता है। इस विधि का नाम है जल कृषि यानि कि हाइड्रोपोनिक्स, विज्ञान की दुनिया में यह कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन आम आदमी इस बात को दूर की कौड़ी मान बैठता है। इसके लिए उन्होंने संस्था द्वारा तैयार किया हुआ ब्लूम विलयन दिखाया, यदि एक लीटर पानी में 29 बूँदें ब्लूम सॉल्यूशन की डालें तो उस पानी में कोई भी पौधा जडें व तने उगने लगेगा। जल कृषि में एक पौधा उगाने का खर्चा मात्र 4 रुपए सालाना है। जबकि, एक प्लास्टिक का नकली पौधा कम से कम 100-150 रुपए में मिलता है। प्लास्टिक के बेकार पौधों की बजाय, हाइडोपॉनिक पौधों में आपको व आपके बच्चों को हर रोज, नई जड़ें व नई कोपलें फूटते दिखाई देंगी। स्पेक्स का यह प्रशिक्षण सभी प्रतिभागियों को बहुत आकर्षित करता दिखा।
बागपत से आये क्लब प्रतिनिधि ने अपनी 120 गतिविधियों का संग्रह दिखाया तो देवरिया के अतुल श्रीवास्तव ने पानी से चलने वाले स्टोव की जानकारी देकर सब को आश्चर्यचकित कर दिया उन्होंने सबसे छोटा चाप लगाने का भी दावा किया।
मेरठ से संगीता, बुलंद शहर के मास्टर विभु मित्तल, बन्दा के शनि कुमार, लखनऊ से अरुण कुमार, अल्मोडा से हेमंत, मलोट पंजाब से सुनील कुमार व बिजनोर से शलभ गुप्ता जी का उत्साह देखते ही बनता था।
एक शख्शियत जो सबसे अधिक प्रभावित कर गयी वे थे हाँजहांपुर से डाक्टर इरफ़ान ह्यूमन, उन से बहुत से विज्ञान संचार मुद्दों पर बातचीत हुई।
इरफ़ान जी ने विज्ञान संचार पर अपने नज़रिए से सभी प्रतिभागियों को अवगत करवाया  
समापन समारोह से पूर्व पंजाब, जम्मू कश्मीर व यू. पी. के प्रतिनिधियों ने टेक्निकल रिपोर्ट पढ़ी बाकी राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट जमा करवाई फीडबेक फ़ार्म व वार्षिक गातिविधि कैलेंडर जमा करवाया।
सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर व पुस्तके देकर सम्मानित किया गया
अत्याधिक उत्साह से भर कर सभी प्रतिभागी विज्ञान संचार की नयी मुहीम शरू करने अपने अपने घरों को गए फिर मिलने का वायदा करके।
प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
द्वारा: दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर, हरियाणा