विज्ञान प्रदर्शनियों का निर्णायक मंडल कैसा हो?
गत १५ वर्षों मे कईं बार मैंने विभिन्न विज्ञान प्रदर्शनियों मे बच्चों के प्रदर्शों का मूल्यांकन करने वाले निर्णायक मंडल के ऐसे ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने मे छात्रों को उलझते देखा है कि सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ कि निर्णायक मंडल का चयन आयोजन समिति के पदाधिकारियों के द्वारा बस यूँ ही कर लिया जाता है या किसी मापदंड का प्रयोग इनके चयन मे भी किया जाता है.
मैंने विज्ञान की एक प्रतियोगिता मे देखा था कि एक कमरे मे एक मीटिंग हो रही थी गलती से किसी को खोजते मै उस कमरे मे पहुँच गया तो मुझे पता चला कि ये निर्णयको का ओरियेंटेशन कार्यक्रम चल रहा है जिस मे विशेषज्ञ द्वारा नियुक्त किये गए निर्णायक मंडल को कैसे कैसे मूल्यांकन किया जाना है उस के टिप्स दिए जा रहे थे. किन किन बिंदुओं को ध्यान मे रखा जाए ये भी बताया गया था और वहां मैंने एक खास बात यह भी सुनी की नवाचार को विशेष महत्व दिया जाये.
मैंने बहुत सी जिला,राज्य,राष्ट्रीय व संस्थाओं की विज्ञान प्रदर्शनियों व प्रतियोगिताओं मे बच्चो को भाग दिलवाया है और उन पर कोई दबाव नहीं देकर सहज भाव से जवाब देने के लिए प्रेरित किया और यहाँ तक भी कहा कि डरने की कोई जरूरत नही है यदि निर्णयको के किसी प्रश्न का जवाब नहीं दिया गया तो तुमने डरना नहीं है और गलत जवाब नहीं देना है.
एक बार ऐसी स्तिथि उत्त्पन्न हो गयी जब एक विद्यार्थी से एक निर्णायक ने उस के प्रतिदर्श मे से एक गत्ते का बना समांतर चतुर्भुज पैरल्लोग्राम उठा कर उस के आयतन वोल्यूम का सूत्र पूछ लिया. वो बच्चा हैरान हो कर मेरी तरफ देखने लगा. तब मैंने मुहँ पर ऊँगली रख कर उस बच्चे को चुप रहने यानी कोई उत्तर ना देने का इशारा किया.
एक बार एक वर्किंग माडल को देख कर एक निर्णायक साहेबान बोले,क्या यह प्रैक्टिकली काम कर लेगा?
एक अन्य बच्चे से पूछा ‘बता बे तैने इस मे क्या आविष्कार किया’ ? निर्णायक का यह प्रश्न पूछना हास्यास्पद है की उस मोडल मे क्या आविष्कार है ये तो उस ने खुद पता लगाना है.
असल मे जब से निर्णायकों के लिए मानदेय देने का प्रावधान शुरू हुआ है तब से कुछ आयोजक ऐसे लोगो को भी जज बनाने लग पड़े है जिन्हें वो खुश रखना चाहते हैं २५० रुपयों से लेकर ५०० रुपयों तक नगद मानदेय देने का प्रावधान या फिर उन्हें गिफ्ट देकर सम्मानित करने का प्रावधान कुछ गडबड जरूर पैदा करता है. आयोजन समिति के पास १० से १२ निर्णायकों की व्यवस्था करना काफी मशक्कत का काम होता है इस कारण भी आनन फानन मे निर्णय जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए बस शैक्षणिक योग्यता या फिर पद नाम देख कर चुन लिया जाता है.
निर्णायक मंडल को निष्पक्ष हो कर काम करना चाहिए ये निर्णय देने की पहली और न्यूनतम शर्त है. आयोजन समिति को भी स्कूल स्तर के मूल्यांकन के लिए कम से कम स्नातक कालेज़ स्तर कर के प्राध्यापक,प्रोफेसर,वैज्ञानिक या इनके अलावा इंजीनियर्स की सेवाएं लेनी चाहियें. हर कार्यक्रम मे मूल्यांकन शीट दी जाती है जिस मे मूल्यांकन के अंक निर्धारित होते है जैसे एक विख्यात विज्ञान प्रतियोगिता की मूल्यांकन शीट कईं वर्ष पहले कुछ निम्न प्रकार से होती थी.
नवाचार ६० अंक + प्रस्तुतीकरण २० अंक + फाईल १० अंक + समस्या की सार्थकता व टीम वर्क १० अंक = १०० अंक
परन्तु मैंने कईं विज्ञान प्रदर्शनियों मे माडल मे नवाचार की बजाय बच्चे के प्रस्तुतीकरण मात्र को को चयन का आधार बनते देखा है और बाद मे जजो से बात करने पर यह भी सूना की बच्चा बहुत बढ़िया बोला.परन्तु ऐसा केवल ब्लोक एवं जिला स्तर जैसे निचले स्तर पर ही देखा है क्यूंकि ब्लाक या जिला स्तर पर खास तौर पर निर्णायकों का चयन ही गंभीरता से नहीं किया जाता.
NCERT की यह गाइड लाइन स्पष्ट कहती है कि प्रस्तुतिकरण अंतिम व गौण बिंदु है.
NCERT की यह गाइड लाइन स्पष्ट कहती है कि प्रस्तुतिकरण अंतिम व गौण बिंदु है.
एक बच्चा जो ग्रामीण परिवेश के सरकारी स्कूल का है वह शहरी क्षेत्र के अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूल के बच्चे के समान प्रस्तुति नहीं दे पायेगा और वो भी अंग्रेजी माध्यम मे,हिंदी माध्यम का बच्चा तो दिक्कत महसूस करेगा.ऐसी स्थिति मे जहां ग्रामीण और शहरी,हिंदी और अंग्रेजी माध्यम,सरकारी और प्राईवेट स्कूलों की कोई सम्मिलित विज्ञान स्पर्धा हो वहां पर निर्णय को अनुपातिक बाँट लेना चाहिए तांकि केवल वो ही बच्चे व्यवस्था का लाभ ना उठा सके जिन के पक्ष मे पहले से निर्णायक,धन,सुविधाएँ और अध्यापकों और अभिभावकों का भरपूर सहयोग पहले से ही है.
ग्रामीण क्षेत्र मे अभिभावकों के पास दो वक्त रोजी रोटी कमाने से ही फुर्सत नहीं मिलती कि वो अपने बच्चों को कोई रचनात्मक सुपोर्ट दे सकें ऐसे मे वो और उन के बच्चे पूर्णतया स्कूल के अध्यापकों पर ही निर्भर होते है अध्यापक की उसकी क्षमता मुताबिक़ तैयारी करवाता है और ले जाता है बच्चे को भाग दिलवाने और फिर वो सिस्टम का शिकार हो जाए तो बच्चे के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है.
निर्णायक मंडल का चुनाव आयोजन समिति के लिए एक बहुत बड़ा काम होना चाहिए जिसे अक्सर हल्के फुल्के ले लिया जाता है.यदि जिले से ही कुछ अध्यापकों का निर्णायकों के रूप मे चयन करना है तो कम से कम यह भी देखा जाए कि अमुक निर्णायक ने क्या कभी अपने सेवा काल के दौरान राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों पहुंचाया है यानी भाग दिलवाया है या कम से कम किसी बड़े स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी को देखा मात्र भी है या नहीं,बस तुष्टिकरण के लिए ही तो नही निर्णय जैसा महत्वपूर्ण कार्य उन्हें सौंप दिया गया है.
सेमीनार,भाषण,प्रदर्शनी,नाटक,निबन्ध,क्विज ये पांच-छह विज्ञान स्पर्धाएं बच्चो को वर्ष भर के दौरान करवाई जाती हैं इन सब मे बच्चा अपने द्वारा कौशल दस्तकारी नवाचार कल्पनाशीलता का प्रदर्शन केवल विज्ञान प्रदर्शनी मे ही कर सकता है.ये तो इस देश का दुर्भाग्य है कई कि प्रतिभाओं का चयन ही नहीं हो पता और सिफारशी उपर जा कर फेल हो जाते हैं
ये किसी मोडल के लिए पूछे गए आदर्श प्रश्न यहाँ दे रहां हूँ आप यहाँ एक अच्छा निर्णायक होने के गुणों को पढ़ सकते हैं .
- How did you come up with the idea for this project?
- What did you learn from your background search?
- How long did it take you to build the apparatus?
- How did you build the apparatus?
- How much time (many days) did it take to run the experiments?
- How many times did you run the experiment with each configuration?
- How many experiment runs are represented by each data point on the chart?
- Did you take all data (run the experiment) under the same conditions, e.g., at the same temperature (time of day) (lighting conditions)?
- How does your apparatus (equipment) (instrument) work?
- What do you mean by (terminology or jargon used by the student)?
- Do you think there is an application in industry for this knowledge (technique)?
- Were there any books that helped you do your analysis (build your apparatus)?
- When did you start this project? or, How much of the work did you do this year? (some students bring last year's winning project back, with only a few enhancements)
- What is the next experiment to do in continuing this study?
- Are there any areas that we not have covered which you feel are important?
- Do you have any questions for me?
- प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
- द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणाविज्ञानं संचार में अपना योगदान दें इस ब्लॉग के फालोअर बन कर
इस विषय पर यह एक मार्गदर्शक लेख है -पहली बार देखा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मास्टर जी .....वैसे अरविन्द जी भी इस विषय पर अधिकार पूर्वक लिख सकते हैं ....|
ReplyDeleteआपने बहुत ही सही बात की है !क्यूंकि आप इस विषय से जुड़े रहे है ,इसलिए आपको एक एक बात का पता है !ये सब १००% सही है !हमारे यहाँ राजस्थान में स्कूल में विज्ञानं में अधिकतम अंक लाने वाले छात्र को इंस्पायर अवार्ड के साथ ५००० रुपैये भी दिए जाते है ,लेकिन उसको एक विज्ञानं माडल बना कर देना होता है...जो ग्रामीण छात्र नही दे पाते... !जो बना कर ले भी जाते है तो उन्हें फिर उन सवालों का सामना करना पड़ता है जो आपने बताएं है...
ReplyDeleteये अवार्ड अधिकतम अंक लाने वाले छात्र को दिया जाता है ये ही बात गलत है जरूरी नहीं है की अधिकतम अंक लाने वाला छात्र नवाचारी भी हो ये इंस्पायर अवार्ड उस छात्र को दिया जाए जो कि कुछ नया बना सकता हो,आगे से मै इस नियम की अवेहलना करूँगा...और उसछात्र को मोका दूंगा जो कुछ नवाचार करेगा अन्यथा आवेदन ही नहीं करूँगा
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा...यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिना माडल बनाये ही दे दिए गये है......
ReplyDeleteआपके सुझाव निश्चय ही विचारणीय हैं।
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