Saturday, July 30, 2011

विज्ञान प्रदर्शनियों का निर्णायक मंडल कैसा हो? fair judgment of science exhibition, how ?


विज्ञान प्रदर्शनियों का निर्णायक मंडल कैसा हो?

गत १५ वर्षों मे कईं बार मैंने विभिन्न विज्ञान प्रदर्शनियों मे बच्चों के प्रदर्शों का मूल्यांकन करने वाले निर्णायक मंडल के ऐसे ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने मे छात्रों को उलझते देखा है कि सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ कि निर्णायक मंडल का चयन आयोजन समिति के पदाधिकारियों के द्वारा बस यूँ ही कर लिया जाता है या किसी मापदंड का प्रयोग इनके चयन मे भी किया जाता है.

मैंने विज्ञान की एक प्रतियोगिता मे देखा था कि एक कमरे मे एक मीटिंग हो रही थी गलती से किसी को खोजते मै उस कमरे मे पहुँच गया तो मुझे पता चला कि ये निर्णयको का ओरियेंटेशन कार्यक्रम चल रहा है जिस मे विशेषज्ञ द्वारा नियुक्त किये गए निर्णायक मंडल को कैसे कैसे मूल्यांकन किया जाना है उस के टिप्स दिए जा रहे थे. किन किन बिंदुओं को ध्यान मे रखा जाए ये भी बताया गया था और वहां मैंने एक खास बात यह भी सुनी की नवाचार को विशेष महत्व दिया जाये.

मैंने बहुत सी जिला,राज्य,राष्ट्रीय व संस्थाओं की विज्ञान प्रदर्शनियों व प्रतियोगिताओं मे बच्चो को भाग दिलवाया है और उन पर कोई दबाव नहीं देकर सहज भाव से जवाब देने के लिए प्रेरित किया और यहाँ तक भी कहा कि डरने की कोई जरूरत नही है यदि निर्णयको के किसी प्रश्न का जवाब नहीं दिया गया तो तुमने डरना नहीं है और गलत जवाब नहीं देना है.

एक बार ऐसी स्तिथि उत्त्पन्न हो गयी जब एक विद्यार्थी से एक निर्णायक ने उस के प्रतिदर्श मे से एक गत्ते का बना समांतर चतुर्भुज पैरल्लोग्राम उठा कर उस के आयतन वोल्यूम का सूत्र पूछ लिया. वो बच्चा हैरान हो कर मेरी तरफ देखने लगा. तब मैंने मुहँ पर ऊँगली रख कर उस बच्चे को चुप रहने यानी कोई उत्तर ना देने का इशारा किया. 
एक बार एक वर्किंग माडल को देख कर एक निर्णायक साहेबान बोले,क्या यह प्रैक्टिकली काम कर लेगा?

एक अन्य बच्चे से पूछा ‘बता बे तैने इस मे क्या आविष्कार किया’ ? निर्णायक का यह प्रश्न पूछना हास्यास्पद है की उस मोडल मे क्या आविष्कार है ये तो उस ने खुद पता लगाना है.

असल मे जब से निर्णायकों के लिए मानदेय देने का प्रावधान शुरू हुआ है तब से कुछ आयोजक ऐसे लोगो को भी जज बनाने लग पड़े है जिन्हें वो खुश रखना चाहते हैं २५० रुपयों से लेकर ५०० रुपयों तक नगद मानदेय देने का प्रावधान या फिर उन्हें गिफ्ट देकर सम्मानित करने का प्रावधान कुछ गडबड जरूर पैदा करता है. आयोजन समिति के पास १० से १२ निर्णायकों की व्यवस्था करना काफी मशक्कत का काम होता है इस कारण भी आनन फानन मे निर्णय जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए बस शैक्षणिक योग्यता या फिर पद नाम देख कर चुन लिया जाता है.

निर्णायक मंडल को निष्पक्ष हो कर काम करना चाहिए ये निर्णय देने की पहली और न्यूनतम शर्त है. आयोजन समिति को भी स्कूल स्तर के मूल्यांकन के लिए कम से कम स्नातक कालेज़  स्तर कर के प्राध्यापक,प्रोफेसर,वैज्ञानिक या इनके अलावा इंजीनियर्स की सेवाएं लेनी चाहियें. हर कार्यक्रम मे मूल्यांकन शीट दी जाती है जिस मे मूल्यांकन के अंक निर्धारित होते है जैसे एक विख्यात विज्ञान प्रतियोगिता की मूल्यांकन शीट कईं वर्ष पहले कुछ निम्न प्रकार से  होती थी.

नवाचार ६० अंक + प्रस्तुतीकरण  २० अंक + फाईल १० अंक + समस्या की सार्थकता व टीम वर्क १० अंक  = १०० अंक

परन्तु मैंने कईं विज्ञान प्रदर्शनियों मे माडल मे नवाचार की बजाय बच्चे के प्रस्तुतीकरण मात्र को को चयन का आधार बनते देखा है और बाद मे जजो से बात करने पर यह भी सूना की बच्चा बहुत बढ़िया बोला.परन्तु ऐसा केवल ब्लोक एवं जिला स्तर जैसे निचले स्तर पर ही देखा है क्यूंकि ब्लाक या जिला स्तर पर खास तौर पर निर्णायकों का चयन ही गंभीरता से नहीं किया जाता.
NCERT की यह गाइड लाइन स्पष्ट कहती है कि प्रस्तुतिकरण अंतिम व गौण बिंदु है.  
NCERT की यह गाइड लाइन

एक बच्चा जो ग्रामीण परिवेश के सरकारी स्कूल का है वह  शहरी क्षेत्र के अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूल के बच्चे के समान प्रस्तुति नहीं दे पायेगा और वो भी अंग्रेजी माध्यम मे,हिंदी माध्यम का बच्चा तो दिक्कत महसूस करेगा.ऐसी स्थिति मे जहां ग्रामीण और शहरी,हिंदी और अंग्रेजी माध्यम,सरकारी और प्राईवेट स्कूलों की कोई सम्मिलित विज्ञान स्पर्धा  हो वहां पर निर्णय को अनुपातिक बाँट लेना चाहिए तांकि केवल वो ही बच्चे व्यवस्था का लाभ ना उठा सके जिन के पक्ष मे पहले से निर्णायक,धन,सुविधाएँ और अध्यापकों और अभिभावकों का भरपूर सहयोग पहले से ही है.

ग्रामीण क्षेत्र मे अभिभावकों के पास दो वक्त रोजी रोटी कमाने से ही फुर्सत नहीं मिलती कि वो अपने बच्चों को कोई रचनात्मक सुपोर्ट दे सकें ऐसे मे वो और उन के बच्चे पूर्णतया स्कूल के अध्यापकों पर ही निर्भर होते है अध्यापक की उसकी क्षमता मुताबिक़ तैयारी करवाता है और ले जाता है बच्चे को भाग दिलवाने और फिर वो सिस्टम का शिकार हो जाए तो बच्चे के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है.

निर्णायक मंडल का चुनाव आयोजन समिति के लिए एक बहुत बड़ा काम होना चाहिए जिसे अक्सर हल्के फुल्के ले लिया जाता है.यदि जिले से ही कुछ अध्यापकों का निर्णायकों के रूप मे चयन करना है तो कम से कम यह भी देखा जाए कि अमुक निर्णायक ने क्या कभी अपने सेवा काल के दौरान राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों  पहुंचाया है यानी भाग दिलवाया है  या कम से कम किसी बड़े स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी को देखा मात्र भी है या नहीं,बस तुष्टिकरण के लिए ही तो नही निर्णय जैसा महत्वपूर्ण कार्य उन्हें सौंप दिया गया है.

सेमीनार,भाषण,प्रदर्शनी,नाटक,निबन्ध,क्विज ये पांच-छह विज्ञान स्पर्धाएं बच्चो को वर्ष भर के दौरान करवाई जाती हैं इन सब मे बच्चा अपने द्वारा कौशल दस्तकारी नवाचार कल्पनाशीलता का प्रदर्शन केवल विज्ञान प्रदर्शनी मे ही कर सकता है.ये तो इस देश का दुर्भाग्य है कई कि प्रतिभाओं का चयन ही नहीं हो पता और सिफारशी उपर जा कर फेल हो जाते हैं
ये किसी मोडल के लिए पूछे गए आदर्श प्रश्न यहाँ दे रहां हूँ आप यहाँ एक अच्छा निर्णायक होने के गुणों को पढ़ सकते हैं .

  • How did you come up with the idea for this project?
  • What did you learn from your background search?
  • How long did it take you to build the apparatus?
  • How did you build the apparatus?
  • How much time (many days) did it take to run the experiments?
  • How many times did you run the experiment with each configuration?
  • How many experiment runs are represented by each data point on the chart?
  • Did you take all data (run the experiment) under the same conditions, e.g., at the same temperature (time of day) (lighting conditions)?
  • How does your apparatus (equipment) (instrument) work?
  • What do you mean by (terminology or jargon used by the student)?
  • Do you think there is an application in industry for this knowledge (technique)?
  • Were there any books that helped you do your analysis (build your apparatus)?
  • When did you start this project? or, How much of the work did you do this year? (some students bring last year's winning project back, with only a few enhancements)
  • What is the next experiment to do in continuing this study?
  • Are there any areas that we not have covered which you feel are important?
  • Do you have any questions for me?
  • प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
  • द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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Sunday, July 17, 2011

बिना बिजली के पानी उठाने का पम्प Water Lifting Pump

बिना बिजली के पानी उठाने का पम्प Water Lifting Pump
        राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर
            खंड रादौर, जिला यमुनानगर, हरियाणा
INSPIRE :- INNOVATION IN SCIENCE PURSUIT FOR INSPIRED RESEARCH
                               (वर्ष 2010-2011) 
प्रतिदर्श का नाम : पानी उठाने का पम्प(Water Lifting Pump) 
अवार्डी छात्र/छात्रा का नाम :    1.वंशिका (कक्षा-9)   2.कपिल (कक्षा-8)
मार्गदर्शक अध्यापक : दर्शन लाल बवेजा (विज्ञान अध्यापक)

सारांश :-

किसी ट्रक या टैक्टर का बेकार हो चुका आयल पम्प किसी ट्रक या टैक्टर मैकेनिक  से खरीद कर उस को चालु हालत वाली  सायकिल पर कुछ परिवर्तन करके लगाया और इस प्रकार हमने एक बिना बिजली से चलने वाला वाटर लिफ्टिंग पम्प बनाया जो कि मांसपेशिय बल से चलता है. इस तरह कि मशीन बनाने के पीछे हमारा यह उद्देश्य था कि भागमभाग से भरी जिंदगी मे हमे व्ययाम करने का समय थोड़ा ही मिल पाता है यदि हम कोई ऐसी मशीन बनाएँ की जिस से हमारा कोई काम भी हो जाए और साथ साथ व्ययाम भी हो जाए तो कितना अच्छा होगा.
हमने आयल पम्प पर अतरिक्त गरारी वेल्ड करवा कर और पम्प की शाफ्ट की झिरियों को पीतल से भरवा कर खराद से मशिनिग करवा कर और दो अतिरिक्त निप्पल वेल्ड करवा कर एक संशोधित पम्प बनाया जो कि सायकिल के चलाने से उस की स्थितिज उर्जा से चलता है और पानी को 20-25 फिट उपर उठा सकता है और इतने ही नीचे से पानी उपर ला सकता है
प्रस्तावना :-
इंस्पायर अवार्ड योजना के अंतर्गत प्राप्त प्रोत्साहन राशि ने हमारे लिए जैसे एक निमंत्रण दिया कि हम भी कुछ नया करें और इस प्रोत्साहन के अंतर्गत हमने एक ऐसी मशीन बनाने के बारे मे सोच जिस से हम व्ययाम भी कर सकें और हमारा कोई महत्वपूर्ण काम भी हो जाए.
मैंने(वंशिका)और मेरे साथी(कपिल राणा)  ने अपने मार्गदर्शक विज्ञान अध्यापक की मदद से एक पानी उठाने के किसी पम्प को सायकिल या किसी ढाँचे पर फिट करने की योजना बनायी और हमने सायकिल पर एक आयल पम्प को कुछ सुधारों के साथ फिट किया और हम पानी को 20-25 फिट तक उपर तक चढ़ाने मे कामयाब हो गए.
इस पम्प का प्रयोग वहां भी किया जा सकता है जैसे किसी बोरवेल मे पानी चला गया हो या कोई अन्य खड्डा खाली करना हो तो हम वह भी कर सकते हैं.
इस से हम घर का पानी का टैंक जो कि छत पर पड़ा हो को भर सकते हैं और सायकिल चलाने से व्ययाम भी हो जाएगा.
हमारी आगामी योजना इस पम्प को एक फ्रेम पर एक बड़े पहियें के साथ फिट करवाने की है जिस से यह हर घर मे एक पापुलर व्ययाम सह पानी का टैंक भरने की मशीन बन सके.
आवश्यक सामग्री :-

1.   एक पुराना परन्तु चालु हालत का आयल प्रेशर पम्प
2.   एक पुराना परन्तु चालु हालत का सायकिल
3.   दो 3 इंच के निप्पल
4.   एक छोटी गरारी
5.   एक अतिरिक्त चेन
6.   पेंट
7.   30 फीट पाईप
8.   एक NRV नो रिटर्न वाल्व   
9.   आवश्यक नट बोल्ट वार्शर, पत्ती आदि
पैंट करने का ब्रश  
बनाने की विधि :-
1.   आयल पम्प पर एक अतिरिक्त गरारी (सायकिल की पिछले पहियें वाली चेन गरारी) वेल्ड करवाई.
2.    आयल पम्प पर दो अतिरिक्त निप्पल एक इनपुट पर एक आउटपुट पर वेल्ड करवाए तांकि उन पर PVC पाईप चढ़  सके.
3.   एक अतिरिक्त चेन की कुछ कड़ियाँ कम करके उसे पैडल गरारी और पम्प की अतिरिक्त गरारी तक फिट किया.
4.   पम्प को नट बोल्ट और पत्ती की सहयता से पिछले चिमटे पर फिट किया.
5.   आयल पम्प की शाफ्ट पर बनी दो एयर रिलीज झिर्रियों को पीतल वेल्ड से भरवा कर फिर खराद से समतल करवा कर शाफ्ट को पुनः फिट किया
6.   दोनों निप्ल्लों पर PVC पाईप चढ़ा कर फिट किये.
7.   सायकिल को पेंट किया.
8.   NRV  नो रिटर्न वाल्व तांकि पानी वापिस ना लौटे जब हम सायकिल का पहियां घुमाना बंद करें.
 इस प्रकार बिना बिजली से चलने वाला मल्टी वर्किंग पम्प बन कर तैयार है.
इन बच्चों के द्वारा तैयार पम्प को देखें इस विडियो मे 
लाभ :-

1.   विज्ञान के प्रति रूचि का विकास
2.   दक्षता का विकास
3.   टीम वर्क की भावना का विकास
4.   विभिन्न विज्ञान नियमों और सिद्धांतों का ज्ञान
5.   मितव्ययता
6.   नये ज्ञान का समावेश
7.   नवाचार को प्रोत्साहन
8.   समस्या का चुनाव और उस का वैज्ञानिक विश्लेषण     

अन्य लाभ :-   
1.   बिजली की बचत
2.   सेहत की देखभाल यानी व्ययाम
3.   बिजली से चलने वाला पम्प ना लगाने की आवश्यकता
4.   बिजली ना होने पर भी काम
5.   सायकिल पर लगा होने से कहीं भी ले जाने की सुविधा
6.   कुएं से पानी निकालना आसान
7.   बोरवेल के पानी को निकालना
8.   मकान क्नस्ट्रशन साईट पर पानी का छत पर पहुंचाना  
आदि 
  कमियां :-
अभी इस पम्प मे कुछ कमियां रह गयीं हैं जैसे
1.   लीकेज पूरी तरह दूर नहीं हुई है.
2.    अभी भारी चलता है.
3.   पानी फेकने की ऊँचाई दोगुनी होनो चाहिये यानी 50 फिट.   

भविष्य की योजना :-
हम इस पम्प को किसी कम जगह घेरने वाली एक फ्रेम पर फिट करके मकान की परमानेंट फिटिंग मे जोड़ने की योजना बना रहें हैं तांकि यह एक ऐसी व्ययाम की मशीन बन जाए कि घर मे जिस को भी सायक्लिंग के व्ययाम का आनंद लेना हो वो इसे चलाए और व्ययाम कर ले और आपनी घर की पानी की टंकी भी भर ले.
अमर उजाला अखबार मे आज २०-०७-२०११ को 
अपने पम्प को जिला स्तरीय प्रदर्शनी मे प्रस्तत करते छात्र वंशिका और  कपिल राना 
अपने पम्प को जिला स्तरीय प्रदर्शनी मे प्रस्तत करते छात्र वंशिका और  कपिल राना 


जिला स्तर पर इंस्पायर के तहत इस मोडल को प्रदर्शित किया गया
देखें यह विडियो जिला स्तर पर प्रदर्शन की ...  


बेहद अफ़सोस के साथ बताना पड़ रहा है कि यह मोडल इन्नोवेटिव होने के बावजूद भी राज्य स्तरीय  इंस्पायर की प्रदर्शनी के लिए चयनित नहीं हो सका :(((
कपिल आज बेहद दुखी है.  
प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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