Thursday, June 23, 2011

ट्रैकिंग,भ्रमण,प्रकृति अवलोकन गतिविधि Tracking to Hills of Shivalik

ट्रैकिंग,भ्रमण,प्रकृति अवलोकन गतिविधि Tracking to Hills of Shivalik
हमारे जिले यमुनानगर की ऊत्तरी सीमा शिवालिक पर्वत माला यानी कि हिमालय पर्वत माला की तराई पहाडियों से घिरी हुई है जिस के साथ साथ नेशनल पार्क राष्ट्रीय उद्यान कलेसर भी है. इस से आगे हिमाचल प्रदेश शुरू हो जाता है जिला यमुनानगर प्राकृतिक सम्पन्ता से भरपूर है इसके पूर्वी सीमा के साथ साथ चलती है यमुना नदी.
व्यस्त एवं भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ दिनों के लिए आप एक शांत और सुकून की जगह तलाशते हैं और आप भी ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप पगडंडियों को पार करते हुए ऊंचे-नीचे पथरीले रास्ते पर चलते जाने के रोमांच का आनन्द उठा सकते हैं. वैसे  तो ट्रैकिंग के लिए सितम्बर से नवंबर तक का मौसम बेहतरीन होता है पर या जब भी  समय मिले  मानसून को छोड़ कर  आप भी खुले आकाश के नीचे पहाड़ों की घाटियों में  रोमांच से भर जाना चाहते हैं तो तैयार हो जाइये ट्रैकिंग के लिए, हम आपको बता दें कि पर्वतारोहण में जहां प्रशिक्षण की आवश्यकता है, ट्रैकिंग के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं.
परन्तु ट्रैक पर जाने से पहले मानसिक रूप से तैयारी तथा शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है.
स्थानीय लोगों के साथ मित्रता-पूर्ण व्यवहार तथा उनके रीति-रिवाजों का सम्मान करें.
ट्रैकिंग तेज चलने प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक ही रफ्तार से न बहुत तेज और न बहुत धीमे तथा जिग-जैग चलते हुए, रास्ते में पड़ने वाले प्राकृतिक दृश्यों एवं खूबसूरत नजारों का आनंद उठाते हुए चलें. ट्रैकिंग के दौरान एक अच्छा कैमरा ले जाना न भूलिये। यात्रा के दौरान अपने रोमांच भरे क्षणों एवं सुन्दर दृश्यों को अपने कैमरे में कैद कर लीजिये, ताकि समय-समय पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ शेयर कर सकें.
 ट्रैकिंग पर निकलने के लिए कम से कम 3-4 लोगों का ग्रुप होना जरूरी है.
 अगर आपके पास समय कम है,लेकिन ट्रैकिंग के रोमांच का आनन्द उठाना चाहते हैं तो एक-दो दिनों की भी यात्रा कर सकते हैं। ऐसी यात्रा के लिए चंडीगढ़ के पास हरियाणा के पंचकुला जिले मे  स्थित मोरनी हिल जैसी जगहों की यात्रा हो सकती है. चंडीगढ़ से तो मोरनी हिल 45 किलोमीटर है, लेकिन मोरनी से टिक्कर ताल 10 किलोमीटर है.
हरियाणा के ही जिले यमुना नगर के उत्तरी छोर पर शिवालिक की तराई की छोटी छोटी पहाडियां आदिबद्री,कलेसर पर काफी लोग आते है इस उद्देश्य से ....
आज क्लब सदस्यों के साथ गर्मियों की छुट्टियों को यादगार बनने के उद्देश्य से एक एकदिवसीय कार्यक्रम बनाया गया जिस के अंतर्गत सबसे पहले एक पहाड़ को पैदल चल कर पार करने की योजना थी इस के साथ साथ प्रकृति के नज़ारे और जैव विविधता के भी अध्यन करने योजना के साथ चल दिए, मेघा,पारस,सलोनी,पार्थवी,विकास,इंदु,प्रिया,देवेन्द्र और मै खुद (दर्शन लाल).
भयंकर गर्मी को सहन करते हुए सूखी बरसाती नदी को डेढ़ किलोमीटर अपने पैरों से नापते हुए पहुंचे शिवालिक की तराई की पहली पहाड़ी के नीचे इस के नीचे से हमे अपना गंतव्य यानी चोटी साफ़ नज़र आ रही थी.
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लकड़ी चोरों के कारनामे और भूमि कटाव व भूस्खलन को देखा और इस के बारे मे भी जाना कि जब पहाडो से पेड़ काट लिये जाते हैं तो उनकी जड़ों द्वारा जकड़ी गयी मिट्टी की पकड़ ढीली पड़ जाती है और वर्षा आने पर मिट्टी पानी के साथ साथ नीचे बहने लगती है इस दशा को भूस्खलन कहते हैं जो की पर्यावरण और भु-बनावट को प्रभावित करती है जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम होते हैं.
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ट्रैकिंग को दो जत्थों मे बाटा गया पहले जत्थे की अगुवाई कर रहीं है सबसे छोटी क्लब सदस्यां बेबी पार्थवी और दूसरे जत्थे की अगुवाई कर रहें है क्लब सदस्य प्रिया जी
 नन्ही लीडर रास्ता भूल जाने पर कितने ध्यान से देख रही है परन्तु उस को पता नहीं कि कैमरे की तीक्ष्ण नजर उन पर है और वो कभी नहीं भूल सकते है रास्ता,क्लब सदस्यों ने बहुत आनंद प्राप्त किया.
  इस खोजपूरक
 यात्रा के  दोरान 
बंदर लंगूर,बंदर,गिलहरी,नेवला,गोह,खरगोश,कबूतर,तितर,नीलगाय,गिरगिट,तोता,जंगली गाय,जंगली सूर आदि जीवों को देखा.
यह पहाड़ कलेसर नेशनल पार्क के अंदर आते हैं,हरियाणा के इस क्षेत्र को गत वर्षों मे ही नेशनल पार्क घोषित किया गया है तब से सख्त क़ानून लागू हो जाने के कारण और बड़े बड़े वन्य अधिकारी व स्टाफ वन गार्डनियुक्त किये गए हैं, जिस कारण अवैध शिकार और लकड़ी के अवैध कटान पर काफी नियंत्रण हुआ है .
नेशनल पार्क की रक्षा करने के लिए वन चौकी औरtracking to hills of shivalik-6       
मचान को भी देखा जिस के उपर से वन गार्ड जंगलों की शुरक्षा करते हैं. imp-2

  
             


 वैसे तो मै फोटो खिचवाने मे  ज्यादा विशवास नहीं करता परन्तु इस बेतरीन प्राकृतिक नज़ारे को देख कर मै अपने को रोक नहीं पाया और एक फोटो दे डाली.
अब दोनों ग्रुप एक दूसरे को भी खोज चुके थे.
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बेबी पार्थवी भी थक कर अपनी सवारी पर स्थान ग्रहण कर चुकी थी.
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जंगली फल फूल पेड़ पौधे सब को नया नया ज्ञान दे रहे थे कोई बरगद की वायवीय जड़े देख कर पुलकित हो रहा था तो कोई नये नये प्रकार के फल देख कर हर्षित हो रहा था.
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इन मनोरम दृश्यों के साथ सब ने लंच किया और फिर वहीं थोड़ी देर आराम कर के अपने घर को लौट आये.

प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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5 comments:

  1. नयनाभिराम
    बढियां चल रही है ज्ञान विज्ञान खेल यात्रा

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  2. गर्मियों में शिवालिक में भ्रमण। जमकर गर्मी लगी होगी। खैर, घूमते-फिरते रहना चाहिये। अच्छा, उधर एक केदारनाथ भी तो है। किसी दिन टाइम निकालकर उसके बारे में बताना।

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  3. @नीरज जी धन्यवाद
    केदार नाथ नहीं वो आदिबद्री नाम से शिवालिक की पहाड़ियों पर एक मंदिर है;कहते है कि बद्रीनाथधाम उत्तराखन्ड मे वास से पहले विष्णु जी यहीं बसते थे.यही स्थल आदिबद्री लुप्त सरस्वती नदी का भी उदगम है यहाँ से विलुप्त सरस्वती कुंद को खोजा जा चुका है ऐसा दावा है,यमुनानगर जिले मे ही है मुख्यालय से ४० किलोमीटर दूर आ जाओ कभी प्लान बना कर घूम आते हैं.

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  4. ADIBADRI: It lies 40 kms. North of Yamunanagar town. It is approached by road via Bilaspur and is about 2 kms from the nearest village Kathgarh. It is located in the foothills of the Siwaliks. It is a picturesque location, abundant with natural beauty and tranquility, with the Adi-Badri Narayana, Shri Kedar Nath and Mantra Devi Temples in the background. Three mounds of antiquities have recently been excavated by the Archaeological Survey of India.

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  5. KALESAR WILD LIFE SANCTUARY : This place is spread in 11570 Acres area in the lap of lower hills of Shivaliks, situated in the eastern part of Yamunanagar. Mainly the forest has sal trees and Khair, Shisam, Tun, Sain & Amla. In this forest there are many wild animals.

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