Tuesday, May 10, 2011

विधुत मोटर का एक साधारण सा माडल Simplest Electric Motor

विधुत मोटर का एक साधारण सा माडल  Simplest Electric Motor
आज कक्षा सात के बच्चे अपने फ्री पीरियड में मेरे पास आये और बोले सर आप ने कहा था कि परीक्षाओं के बाद आप को मै एक विधुत मोटर का एक साधारण सा माडल बना कर दिखाऊंगा तो अब बना के बताओ,मैंने कहा जरूर पहले तुम बताओ कि आप ने मोटर कहाँ कहाँ देखी है स्कूल में सभी  बच्चे ग्रामीण परिवेश के होने के कारण एक बात मेरी समझ में यह आती है कि इन बच्चों  देखने के लिए कम चीज़े मिलने के कारण ये हर चीज़ को देखते हैं बड़े ही ध्यान से हैं, इनके आस पास सिमित दायरा और सिमित वस्तुएँ ही होती है जब कि शहरी परिवेश होने के कारण शहरी बच्चों को अपेक्षाकृत ज्यादा नईं नई वस्तुएँ देखने को मिलती है |
एक बच्चें ने बताया कि मै रोज घास काटने की मशीन की मोटर को देखता हूँ और नलके की मोटर को भी मुझे उनका चलना अच्छा लगता है.
बच्चों ने बताया विधुत मोटरें सी.डी.प्लेयर,आटा चक्की,ट्यूबवेल,घास काटने की मशीन,हैंडपम्प,दर्जी की सिलाई मशीन,दूध बिलोने की मशीन,पंखें,कूलर एक के बाद एक दनादन बताते चले गए.
जरूरी सामान एकत्र कर के जल्द ही बनाई गयी एक सिम्पल सी विद्युत मोटर.
यह क्यूँ  व कैसे बनी क्या सिद्धांत है इसमें किसी की कोई रूचि नहीं थी बस वो तो इस को घूमना देखना चाहते  थे और कक्षा सात के बच्चों को तो बस ये मतलब होता है कि कोई नयी चीज़ बनी है और अब वो भी बना कर देखेंगे.
पिछले कीलों के संतुलन वाले प्रयोग को लगभग सभी बच्चों बना और कर के देखा.
आवश्यक सामग्री : दो बेलनाकार चुम्बक,एक ताम्बे की तार,एक १.५ वोल्ट का शुष्क सेल.
अब  सेल को चुम्बकों के उपर खडा कर देते है और ताम्बे की तार का लूप बना कर सेल की पीतल की टोपी के उपर रख देते हैं नीचे से खुला तार का ह्रदयाकार लूप चुम्बकीय क्षेत्र में उत्त्पन्न बल से वृताकार घूमने लग जाता है और काफी देर तक घूमता रहता है
चुम्बक की धातु विधुत की सुचालक है और तार भी जब परिपथ पूरा होता है यानी तार का सिरा चुम्बक से स्पर्श करता है तो सामान ध्रुवों के प्रतिकर्षण के कारण वेह सिरा धकेला जता है और विपरीत ध्रुवों के आकर्षण के कारण दुसरा सिरा आकर्षित किया जाता है यह क्रिया बार बार दोहराई जाती है और लूप घूमने लगता है.
सब बच्चों ने ताली बजाई और जमूरा खुश हुआ,किसी बच्चे ने सामान ले लिया कि मै बना के देखता हूँ फिर सब बारी बारी बना कर देखेंगे, सीखेंगे तोड़ फोड़ कर सामान वापस कर देंगे.
अपना उद्देश्य सफल हा हा ....
बीज डालेंगे तभी तो पौधे उगेंगे,बनेंगे पेड़ फिर ही तो देंगे फल.
देखो यह चलचित्र  देसी है पर है तो अपना 



प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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4 comments:

  1. बहोत ही अच्छी जानकारी प्रदान की आपने ..सादर आभार

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  2. बहुत सुंदर जी, धन्यवाद

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  3. रोचक। आजमाने योग्य।

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