(: जन्मदिनी पोस्ट :)
विज्ञान पहेली-16 Science Quiz-16 (और Science Quiz-15 का उत्तर)
इस पहेली का जवाब है
एमु के अंडे Emu eggs इस पहेली का जवाब दिया है,
जी ने इस कल्ब की पहेली को जीता है और दूसरे स्थान पर हैं अपने
श्री राज भाटिया जी
इनको बहुत बहुत बधाईयाँ.
यह किस पक्षी के चूजे हैं ?
प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
विज्ञान पहेली-16 Science Quiz-16 (और Science Quiz-15 का उत्तर)
इस पहेली का जवाब है
एमु के अंडे Emu eggs इस पहेली का जवाब दिया है,
जी ने इस कल्ब की पहेली को जीता है और दूसरे स्थान पर हैं अपने
श्री राज भाटिया जी
इनको बहुत बहुत बधाईयाँ.
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एमु पक्षी |
एमु पक्षी मूलतः आस्ट्रेलिया का है एक सामान्य एमु अंडा 500 ग्राम्स वजन और 130 mm लंबा होता है| ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पक्षी एमु किसानों के लिए मुर्गी पालन से कहीं ज्यादा बेहतर और आर्थिक दृष्टि से काफी फायदेमंद साबित होगा। करीब एक दशक पहले भारत में एमु बर्ड फार्मिंग की शुरुआत हुई थी। बर्फ जमाव की सर्दी से लेकर 55 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा की गर्मी सहने की क्षमता रखने वाला यह पक्षी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, गोवा, उड़ीसा, गुजरात, पंजाब के बाद अब राजस्थान में भी एमु बर्ड फार्मिंग की शुरुआत हो गई है।कुछ प्रगतिशील किसानों ने एमु फार्मिंग की ओर रुख किया है और उन्हें पूरा विश्वास है कि एमु उनके लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित होगा।
यह मुलायम भूरे पंखौं वाली एमु शुतुरमुर्ग से कुछछोटी है। लंबी गर्दन-टांगौं वाला यह पक्षी दौ मीटर तक ऊंचा हो जाता है। आस्ट्रेलिया के घने जंगलौं में रहने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी यह चिडि़या है|
इसको लेकर आए हैं सीएआरआई के वैज्ञानिक। इनका इरादा है एमु को पौल्ट्री के विकल्प के रूप में तैयार करने का।
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एमु फार्मिंग |
पालतू बनेगा यह पक्षी
जापानी बटेर, टर्की और अब बारी है एमु की। देश के वैज्ञानिक अब दुनिया की सबसे बड़ी चिडि़यौं में शामिल इस पक्षी को पालतू बनाने की तैयारी में हैं। मूल रूप से आस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली यह चिडि़या पचास किलौ से अधिक वजन की हौ जाती है। घने जंगलौं में रहने वाली एमु को अब तक लोगो ने चिडि़या घरों में ही देखा है, लेकिन अब तयारी है इसके व्यावसायिक पालन की।
टर्की की प्रजातियां कर चुके हैं विकसित
इस दिशा में आगे बढ़ रहे सीएआरआई के वैज्ञानिको का मानना है कि एमु को पोल्ट्री के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है। यहां बता दे कि इस संस्थान के वैज्ञानिको ने कुछ वर्ष पहले आस्ट्रेलिया के ही एक दूसरे पक्षी टर्की की छौटे आकार वाली प्रजातियां विकसित की थीं। पांच से सात किलो वजन वाली टर्की की यह प्रजातियां अब देश के कई क्षेत्रौं में व्यावसायिक उपयोग के लिए पाली जा रही है।
अब इमू को लेकर काम शुरू
टर्की से मिली सफलता को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वैज्ञानिकौं ने अब एमु को लेकर काम शुरू किया है। इनका मानना है कि आकार में शुतुरमुर्ग जैसी बड़ी एमु को भी पौल्ट्री के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है। इसके लिए पहली जरूरत इस विदेशी पक्षी को अपने देश के वातावरण में रहने का आदी बनाने की है। पहले चरण में सीएआरआई के वैज्ञानिक यही कार्य करेंगे। इसके साथ ही इसकी व्यावसायिक उपयोगिता का भी अध्ययन कराया जाएगा।
जापानी बटेर, टर्की और अब बारी है एमु की। देश के वैज्ञानिक अब दुनिया की सबसे बड़ी चिडि़यौं में शामिल इस पक्षी को पालतू बनाने की तैयारी में हैं। मूल रूप से आस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली यह चिडि़या पचास किलौ से अधिक वजन की हौ जाती है। घने जंगलौं में रहने वाली एमु को अब तक लोगो ने चिडि़या घरों में ही देखा है, लेकिन अब तयारी है इसके व्यावसायिक पालन की।
टर्की की प्रजातियां कर चुके हैं विकसित
इस दिशा में आगे बढ़ रहे सीएआरआई के वैज्ञानिको का मानना है कि एमु को पोल्ट्री के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है। यहां बता दे कि इस संस्थान के वैज्ञानिको ने कुछ वर्ष पहले आस्ट्रेलिया के ही एक दूसरे पक्षी टर्की की छौटे आकार वाली प्रजातियां विकसित की थीं। पांच से सात किलो वजन वाली टर्की की यह प्रजातियां अब देश के कई क्षेत्रौं में व्यावसायिक उपयोग के लिए पाली जा रही है।
अब इमू को लेकर काम शुरू
टर्की से मिली सफलता को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वैज्ञानिकौं ने अब एमु को लेकर काम शुरू किया है। इनका मानना है कि आकार में शुतुरमुर्ग जैसी बड़ी एमु को भी पौल्ट्री के विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है। इसके लिए पहली जरूरत इस विदेशी पक्षी को अपने देश के वातावरण में रहने का आदी बनाने की है। पहले चरण में सीएआरआई के वैज्ञानिक यही कार्य करेंगे। इसके साथ ही इसकी व्यावसायिक उपयोगिता का भी अध्ययन कराया जाएगा।
महाराष्ट्र में हो चुकी है शुरुआत
एक वर्ष पूर्व आस्ट्रेलिया के इस पक्षी को हैदराबाद से यहां लाने वाले मधुबन एमु फार्म के संचालक ने बताया कि अपने देश में अभी एमु को लोग कम ही जानते हैं। महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने इसकी व्यावसायिक फार्मिंग शुरू की है। उन्हौंने बताया कि एमु का मीट बेहद स्वादिष्ट हौता है। इसमें फैट की मात्रा भी बहुत कम दो प्रतिशत ही होती है, लेकिन इसके फैट से बनने वाले एमु आयल से कई औषधियां बनती हैं। इस औषधीय उपयोग के चलते इसकी कीमत भी पांच हजार रुपये लीटर तक मिलती है। पचास किलो तक वजन वाले एक वयस्क पक्षी से छह से सात लीटर तक तेल मिल जाता है। दीक्षित के अनुसार, प्रदेश में एमु की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते इसके एक अंडे की कीमत 1500 रुपये तक पहुंच गई है। अभी ये अंडे एमु के बच्चे पाने के लिए ही बिक रहे हैं। जल्दी ही इसकौ लौग मीट का उपयौग करने के लिए भी पालने लगेंगे। बड़े काम का है एमु मात्र 18 माह के बाद ही करीब 600 ग्राम से भी ज्यादा भारी अण्डा देने वाले इस पक्षी के अण्डे की कीमत एक हजार से तीन हजार रुपए तक आंकी गयी है। एमु का मुख्य उपयोग विभिन्न प्रकार के तेलों हैलमेट बनाने, मीट सहित इसके नाखुन भी अच्छी कमाई का जरिया है। इसके अलावा बूट, बैल्ट, जैकेट, सजावटी वस्तुयें, नाखून, ज्वैलरी के अलावा मनुष्य की आँखों के क्षतिग्रस्त कोर्निया के काम लिया जा सकता है क्योंकि इस पक्षी को 10 मीटर तक साफ दिखाई देता है। एमु अपना ज्यादा समय बिना छत के खुले में रहना पसंद करता है। कम लागत में 35 साल तक आय देने वाले इस एमु के अण्डे देने का क्रम पहले साल 15 से शुरू होकर तीसरे साल ही करीब 35 से 40 की संख्या में पहुंच जाता है। - क्या है एमु 1997-98 में ऑस्ट्रेलिया से भारत प्रवेश करने वाले एमु को आम भाषा में 'आङूÓ कहा जाता है। जिसे कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता है। जन्म के समय एक फुट से भी कम लम्बा ये पक्षी बड़ा होकर आम इन्सान जितना करीब 5 फीट के लगभग लम्बा होता है। जोड़े में रहने वाले इस पक्षी में से अगर नर या मादा किसी एक ही मौत हो जाये तो दूसरा पक्षी आजीवन अकेला ही रहता है। मुलायम पंखों व भूरे, स्लेटी, काले व सफेद आदि रंगों में दिखने वाला ये प्यारा सा पक्षी झुंड में रहना पसंद करता है। आन्ध्रा में सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी के नाम से मशहूर इस पक्षी की आयु 35 वर्ष तक है। ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगाकर इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दे रखा है।एमु से प्राप्त होने वाले तेल मार्केट में 4 से 6 हजार रु. लीटर है। कई औषधियों में काम आने वाले इस पक्षी के अंडे व प्रत्येक अंग फायदेमंद है।
एक वर्ष पूर्व आस्ट्रेलिया के इस पक्षी को हैदराबाद से यहां लाने वाले मधुबन एमु फार्म के संचालक ने बताया कि अपने देश में अभी एमु को लोग कम ही जानते हैं। महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने इसकी व्यावसायिक फार्मिंग शुरू की है। उन्हौंने बताया कि एमु का मीट बेहद स्वादिष्ट हौता है। इसमें फैट की मात्रा भी बहुत कम दो प्रतिशत ही होती है, लेकिन इसके फैट से बनने वाले एमु आयल से कई औषधियां बनती हैं। इस औषधीय उपयोग के चलते इसकी कीमत भी पांच हजार रुपये लीटर तक मिलती है। पचास किलो तक वजन वाले एक वयस्क पक्षी से छह से सात लीटर तक तेल मिल जाता है। दीक्षित के अनुसार, प्रदेश में एमु की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते इसके एक अंडे की कीमत 1500 रुपये तक पहुंच गई है। अभी ये अंडे एमु के बच्चे पाने के लिए ही बिक रहे हैं। जल्दी ही इसकौ लौग मीट का उपयौग करने के लिए भी पालने लगेंगे। बड़े काम का है एमु मात्र 18 माह के बाद ही करीब 600 ग्राम से भी ज्यादा भारी अण्डा देने वाले इस पक्षी के अण्डे की कीमत एक हजार से तीन हजार रुपए तक आंकी गयी है। एमु का मुख्य उपयोग विभिन्न प्रकार के तेलों हैलमेट बनाने, मीट सहित इसके नाखुन भी अच्छी कमाई का जरिया है। इसके अलावा बूट, बैल्ट, जैकेट, सजावटी वस्तुयें, नाखून, ज्वैलरी के अलावा मनुष्य की आँखों के क्षतिग्रस्त कोर्निया के काम लिया जा सकता है क्योंकि इस पक्षी को 10 मीटर तक साफ दिखाई देता है। एमु अपना ज्यादा समय बिना छत के खुले में रहना पसंद करता है। कम लागत में 35 साल तक आय देने वाले इस एमु के अण्डे देने का क्रम पहले साल 15 से शुरू होकर तीसरे साल ही करीब 35 से 40 की संख्या में पहुंच जाता है। - क्या है एमु 1997-98 में ऑस्ट्रेलिया से भारत प्रवेश करने वाले एमु को आम भाषा में 'आङूÓ कहा जाता है। जिसे कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता है। जन्म के समय एक फुट से भी कम लम्बा ये पक्षी बड़ा होकर आम इन्सान जितना करीब 5 फीट के लगभग लम्बा होता है। जोड़े में रहने वाले इस पक्षी में से अगर नर या मादा किसी एक ही मौत हो जाये तो दूसरा पक्षी आजीवन अकेला ही रहता है। मुलायम पंखों व भूरे, स्लेटी, काले व सफेद आदि रंगों में दिखने वाला ये प्यारा सा पक्षी झुंड में रहना पसंद करता है। आन्ध्रा में सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी के नाम से मशहूर इस पक्षी की आयु 35 वर्ष तक है। ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगाकर इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दे रखा है।एमु से प्राप्त होने वाले तेल मार्केट में 4 से 6 हजार रु. लीटर है। कई औषधियों में काम आने वाले इस पक्षी के अंडे व प्रत्येक अंग फायदेमंद है।
Emu Egg Facts, Size and Weight
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विज्ञान पहेली -16 ........ Science Quiz -16
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पहेली का जवाब 30-5-2011, 8 बजे तक दे सकते है |
पहेली का परिणाम 30-5-2011, 9 बजे |प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा :-दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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उत्साहवर्धन करें |
मुझे तो यह मोर के चुजें लग रहे हैं ...
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनाएं!!!
ReplyDeleteयह चुजे भी Emu के ही हे, धन्यवाद
सभी का धन्यवाद जी
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