बिना तिल्ली गिराए सिक्का उठाना है Pick the Coin
आज एक ताजा तरीन प्रयोग किया गया बच्चों के साथ मिल कर ..
एक माचिस ली
आसान काम बस करना ये है कि
झुकी हई तिल्ली में आग लगा दो
जैसे ही दोनों तिल्लियों का मसाला जलेगा दोनों तिल्लियां आपस में जुड जायेंगी
इनके जुड़ने का कारण होगा अधिक ताप का उत्त्पन्न होना
अधिक ताप के कारण दोनों तिल्लियों के मसाले वाली जगह पर वेल्डिंग जैसी दशा से गुजरेंगी और बंधित हो जाएँगी
और झुकी हुई तिल्ली जलने पर अपनी नमी खो चुकी होगी परन्तु पूर्ण दहन जितना आवश्यक ताप ना मिल पाने के कारण तिल्ली का दहन पूर्ण नहीं होगा और तिल्ली काली हो कर सिकुड जाएगी और उपर उठ जायेगी
अब तिल्ली का सम्पर्क सिक्के से नहीं रहेगा
इस प्रकार सिक्का उठाया जा सकता है |
हैं ना बढ़िया प्रयोग
यह चलचित्र देखें पूरा प्रयोग जानने के लिए
द्वारा--दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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उत्साहवर्धन करें |
आज एक ताजा तरीन प्रयोग किया गया बच्चों के साथ मिल कर ..
एक माचिस ली
उस में एक छोटा सा सुराख करके एक तिल्ली 90 डिग्री के कोण पर खड़ी कर दी
फिर एक 1 रूपये का सिक्का माचिस पर रखा
एक और तिल्ली ली जिस का एक सिरा सिक्के पर और मसाले वाला सिरा खड़ी तिल्ली के मसाले पर टिका कर आनत तल बनाती हुई रख दी
अब हमे बिना तिल्ली गिराए यह सिक्का निकालना है
आसान काम बस करना ये है कि
झुकी हई तिल्ली में आग लगा दो
जैसे ही दोनों तिल्लियों का मसाला जलेगा दोनों तिल्लियां आपस में जुड जायेंगी
इनके जुड़ने का कारण होगा अधिक ताप का उत्त्पन्न होना
अधिक ताप के कारण दोनों तिल्लियों के मसाले वाली जगह पर वेल्डिंग जैसी दशा से गुजरेंगी और बंधित हो जाएँगी
और झुकी हुई तिल्ली जलने पर अपनी नमी खो चुकी होगी परन्तु पूर्ण दहन जितना आवश्यक ताप ना मिल पाने के कारण तिल्ली का दहन पूर्ण नहीं होगा और तिल्ली काली हो कर सिकुड जाएगी और उपर उठ जायेगी
अब तिल्ली का सम्पर्क सिक्के से नहीं रहेगा
इस प्रकार सिक्का उठाया जा सकता है |
हैं ना बढ़िया प्रयोग
यह चलचित्र देखें पूरा प्रयोग जानने के लिए
सावधानियां :-
यह प्रयोग घर से बाहर किया जाना चाहिये
आग से सावधान रहें
प्रस्तुति:- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा द्वारा--दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर,हरियाणा
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बचपन में बहुत किया था यह...
ReplyDeletenice.... :))
ReplyDeleteGazab..
ReplyDelete-----------
क्या ब्लॉगों की समीक्षा की जानी चाहिए?
क्यों हुआ था टाइटैनिक दुर्घटनाग्रस्त?
बहुत अच्छा, मजा आ गया।
ReplyDeleteभौतिकशास्त्र में विकिरण या रेडिएशन से आशय एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें गतिशील कण या तरंगें किसी माध्यम अथवा स्पेस के जरिये आगे बढ़ते हैं। जापान में भूकंप और सुनामी के बाद सबसे बड़ा खतरा परमाणु विकिरण का पैदा हो गया है। वहां के फुकुशीमा परमाणु संस्थान में हुए दो विस्फोटों से स्थिति द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी में अमरीका द्वारा परमाणु बम गिराये जाने के बाद के जैसी हो गयी है। सनद रहे कि उस बेरहम हमले में जापान के 2 लाख 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसलिए जापान में भूकंप और सुनामी से भी ज्यादा अगर दहशत इस समय किसी चीज की है तो वह रेडियो विकिरण की है।
ReplyDeleteदो तरह का विकिरण होता है—आयनीकृत (आयोनाइजिंग) और गैर आयनीकृत (नॉन आयोनइजिंग)। रेडिएशन या विकिरण शब्द दोनों ही तरह के विकिरणों के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन जब हम गैर आयनीकृत विकिरण की बात करते हैं तो उसे स्पष्ट रूप से नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन या गैर आयनीकृत विकिरण लिखते हैं।
परमाणु बिजली घरों से जो कचरा उत्पन्न होता है उससे भी सालों तक रेडिएशन पैदा होता है। लेकिन जब जापान जैसे हालात पैदा हो जाएं कि किसी परमाणु संस्थान में विस्फोट हो जाए तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेडिएशन की कितनी बड़ी आशंका पैदा हो जाती है। रेडिएशन में अल्फा, बीटा और गामा किरणें निकलती हैं। अल्फा किरणों वाले विकिरण कण बाहरी अवरोध से रोके जा सकते हैं। बीटा किरणों वाले विकिरण कणों को अल्यूमीनियम की प्लेट या चादर से रोका जा सकता है जबकि गामा रेडिएशन वाले कण बहुत खतरनाक होते हैं। इन्हें जमीन में गाड़कर ही निपटाया जाता है।
दुनिया में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों के चलते परमाणु बिजली घर बड़ी संख्या में बनाए गए हैं लेकिन कचरे को निपटाने की अभी कोई ऐसी अंतिम फुलप्रूफ व्यवस्था नहीं है जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि रेडिएशन का खतरा खत्म हो गया है। जिस तरह से जीवाश्म ऊर्जा की कमी हो रही है और परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ रही है, उसके चलते दुनिया दिन पर दिन रेडिएशन के शिकंजे में फंस रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकलन के मुताबिक खनिज तेल से उत्पन्न प्रदूषण से हर साल दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। लेकिन जब इसी पैमाने पर परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल होगा तो वैज्ञानिकों का मानना है कि रेडिएशन से मरने वाले लोगों की संख्या कहीं ज्यादा होगी।
परमाणु ऊर्जा से निकलने वाली एक्स रे, गामा रेज, सुपर अल्ट्रा वायलेट जैसी किरणें ही रेडिएशन हैं। अल्फा किरणें आमतौर पर तब बड़ी मात्रा में उत्सर्जित होती हैं जब कोई बड़ा परमाणु विखंडन होता है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार 88′ रेडिएशन प्राकृतिक स्रोतों मसलन सूर्य की रोशनी, भूमि से निकलने वाली ऊर्जा या कहीं-कहीं चट्टानों से निकलने वाली गर्मी के कारण होता है। महज 12 फीसदी रेडिएशन ही परमाणु बिजली घरों या दूसरे परमाणुवीय गतिविधियों के चलते होता है। चिकित्सकीय उपकरणों तथा मोबाइल टावरों से भी रेडिएशन होता है। सूर्य के प्र्रकाश या भूमि से निकलने वाली ऊष्मा भी रेडिएशन पैदा करती है। लेकिन मानव स्वास्थ्य के लिए यह ज्यादा खतरनाक नहीं होती; क्योंकि इनका प्रभाव संघनित या फोकस्ड नहीं होता। लेकिन परमाणु बिजली घरों से होने वाला रेडिएशन न सिर्फ बहुत खतरनाक है बल्कि भविष्य में इसके और ज्यादा बढऩे की आशंका है।
यदि किसी संस्थान को अपनी गतिविधियों में रेडिएशन का इस्तेमाल करना होता है तो वहां रेडिएशन मॉनिटर रखना होता है जिससे आंकड़ों का डाटा रखा जा सके। दरअसल यह डाटा इसलिए रखना जरूरी होता है क्योंकि परमाणु ऊर्जा नियामक एजेंसी समय-समय पर इसे चेक करती है और इसके मुताबिक कायदे कानून तय करती है। अगर विकिरण ज्यादा हो रहा हो तो उसे कम किया जाता है; लेकिन यह परमाणु ऊर्जा एजेंसी के द्वारा ही किया जाता है। जब चिकित्सकीय वजहों से रेडिएशन की डोज दी जाती है तो उसका भी रिकॉर्ड रखा जाता है। क्योंकि उससे ही तय होता है कि भविष्य में उस व्यक्ति को किस तरह के खतरे हो सकते हैं। रेडिएशन की और भी कई समस्याएं हैं।
रोचक प्रयोग
ReplyDeleteInteresting experiment .
ReplyDeleteमाचिस की डिबिया खाली भी तो रखनी होगी,ताकि चूक हो तो सिक्का माचिस खरीदने में न चला जाए!
ReplyDeletebadhiya prayog !
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