नाचती नेफ्थालिन की बाल्स Dancing Naphthalene Balls
आज मेरी दसवी कक्षा के बच्चों ने पाठ अम्ल क्षार व लवण में साइंस रूम गतिविधियों के अंतर्गत नाचती नेफ्थालिन की बाल्स का प्रयोग कर के देखा और सीखने का आनंद लिया।
बालको की हाथ से प्रयोग करवाने की मेरी वचनब्द्धता का अनुपालन करते हुए मैंने उनके चेहरे पर आत्मविश्वास वो देखा जैसे वो खुद को वैज्ञानिक समझ रहे हों.........
आवश्यक सामग्री:

नेफ्थालिन की बाल्स जिसे प्यार से फिनायल की गोलियाँ भी कहते है।
एसीटिक एसिड यानी सिरका या विनेगर सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या मिठ्ठा सोडा पानी ,काँच का बीकर(या काँच का बर्तन)
कैसे नचाएंगे बाल्स को?
500 ml के बीकर मे 400 ml पानी लो।
तीन चम्मच सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या मिठ्ठा सोडा घोलो।
फिर दो चम्मच एसीटिक एसिड यानी सिरका या विनेगर डालो।
कार्बन डाई आक्साईड गैस बनेगी।
फिर बीकर मे 5 फिनायल की गोलियाँ डालो और 3-4 मिनट इंतज़ार करो।
देखा गोलियाँ कैसे ऊपर नीचे जाने लगती है जैसे प्यार से डांस कर रही हों।

ऐसा क्यूँ हुआ ?
गोलियों की सतह पर कार्बन डाई आक्साईड गैस के बुलबुलें जमा होने शुरू हो जाते है जिस कारण वो फिनायल की गोलियाँ ऊपर उठ जाती है (आर्कमिडीज सिद्धांत) ऊपर जा कर गोलियों की सतह पर कार्बन डाई आक्साईड गैस के बुलबुलें फट जाते है और गोलियाँ भारी हो जाती है और नीचे आती है।
प्रस्तुति:- दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
आज मेरी दसवी कक्षा के बच्चों ने पाठ अम्ल क्षार व लवण में साइंस रूम गतिविधियों के अंतर्गत नाचती नेफ्थालिन की बाल्स का प्रयोग कर के देखा और सीखने का आनंद लिया।
बालको की हाथ से प्रयोग करवाने की मेरी वचनब्द्धता का अनुपालन करते हुए मैंने उनके चेहरे पर आत्मविश्वास वो देखा जैसे वो खुद को वैज्ञानिक समझ रहे हों.........
आवश्यक सामग्री:

नेफ्थालिन की बाल्स जिसे प्यार से फिनायल की गोलियाँ भी कहते है।
एसीटिक एसिड यानी सिरका या विनेगर सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या मिठ्ठा सोडा पानी ,काँच का बीकर(या काँच का बर्तन)
कैसे नचाएंगे बाल्स को?
500 ml के बीकर मे 400 ml पानी लो।
तीन चम्मच सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या मिठ्ठा सोडा घोलो।
फिर दो चम्मच एसीटिक एसिड यानी सिरका या विनेगर डालो।
कार्बन डाई आक्साईड गैस बनेगी।
फिर बीकर मे 5 फिनायल की गोलियाँ डालो और 3-4 मिनट इंतज़ार करो।
देखा गोलियाँ कैसे ऊपर नीचे जाने लगती है जैसे प्यार से डांस कर रही हों।



ऐसा क्यूँ हुआ ?
गोलियों की सतह पर कार्बन डाई आक्साईड गैस के बुलबुलें जमा होने शुरू हो जाते है जिस कारण वो फिनायल की गोलियाँ ऊपर उठ जाती है (आर्कमिडीज सिद्धांत) ऊपर जा कर गोलियों की सतह पर कार्बन डाई आक्साईड गैस के बुलबुलें फट जाते है और गोलियाँ भारी हो जाती है और नीचे आती है।
Bubbles of CO2 settle on the surface of the balls, thereby decreasing its density. When the balls rise to the surface, the bubbles break and the balls sink.
देखे वीडियो -प्रस्तुति:- दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
Technorati Tags: Naphthalene Balls, नेफ्थालिन की बाल्स, science, darshan baweja
अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहोत अच्छा......
ReplyDeleteमजेदार।
ReplyDeleteखेल भी, ज्ञान भी।
खेल खेल मे विज्ञान ।
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