दर्शन लाल बवेजा (साइंस मास्टर/ESHM) राजकीय मॉडल संस्कृति/वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर/कैम्प/दामला यमुनानगर द्वारा सी वी रमण विपनेट (2017, 2019 राष्ट्रीय विजेता) विज्ञान क्लब यमुनानगर का विज्ञाननामा ......
वातशंकू,वात दिग्दर्शक एक शंकुवाकार कपडे की नली होती है इसका उपयोग वायु कि दिशा और सापेक्ष गति मापने के लिए किया जाता है| विंडशोक का प्रयोग हवाईअड्डे और केमिकल फेक्ट्री मे किया जाता है | यह बच्चों दवारा बनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय प्रयोग या विज्ञान खिलौना है | आज क्लब सदस्यों ने अपनी परियोजना को आगे बढ़ाते हुवे वात दिग्दर्शक
बनाया इसके लिए एक पुराने सिन्थेटिक कपडे के वर्गाकार पीस मे से चित्रानुसार शंक्वाकार टयूब काट लेते हैइस टयूब का एक वृत्ताकार सिरा कम से कम एक फीट (१२ इंच) व्यास का होना चाहिए और दूसरा ६ इंच व्यास का होना चाहिए और टयूब की लम्बाई १ मीटर कम से कम हो |टयूब रूप मे सिलने के बाद इसके दोनों वृत्ताकार सिरों मे एक धातु की तार पीरों देते है ताकि दोनों वृत्ताकार सिरे खुले रहें और अब व्यास के साथ एक धागा Y प्रकार से बाँध देते है और इस को एक लंबे डंडे से बांध कर जमीन से ९० डिग्री का कोण बनाते हुवे खड़ा कर देते है | जब हवा चलती है तो वातशंकू,वात दिग्दर्शक का छोटा वाला सिर वायु के बहने की दिशा की तरफ उड़ेगा उस दिशा की तरफ कम्पास यानी चुम्बकीय सुई से एक दम सही दिशा ज्ञात कर लेते है और नोट कर लेते है फिर कई दिनों के आंकड़े एकत्र कर के यह पता लगाया की वायु मे किस फ्रीक्वेंसी से दिशा बदली आज कल परुवा हवा चल रही है | वायु की सापेक्ष गति ज्ञात करने के लिए टयूब का डंडे के साथ बनने वाला कोण देखा जाता है कोण अधिकतम ९० डिग्री होने की दशा मे वायु की गति अधिकतम होगी |(Windspeed is indicated by the windsock's angle relative to the mounting pole; in low winds, the windsock droops; in high winds it flies horizontally.)
आज बच्चों ने अपना वातशंकू,वात दिग्दर्शक बनाना सीखा और जरूरी प्रयोग किये जैसे दिशा का पता लगाना ,वायु की गति का अनुमान |
धूप के ताप की तीव्रता का अवलोकन करना Observe the Intensity of Sunlight Heat मौसम के मोनिटरण के परियोजना कार्य के अंतर्गत आज इस और ध्यान गया कि कई दिन वर्षा होने के बाद आज तेज धूप निकली है क्यों ना आज धूप की तीव्रता को जानने वाला प्रयोग कर लिया जाए | सदस्यों ने सारा आवश्यक सामान जैसे लोहे के दो स्टैण्ड,एक उत्तल लेंस (साधारण सुक्ष्मदर्शी),सफेद कागज,तापमापी,स्केल लाये फोटो के अनुसार अरेंजमेंट सेट किया और एक स्टैण्ड मे सफेद कागज और दूसरे स्टैण्ड मे एक उत्तल लेंस(साधारण सुक्ष्मदर्शी) को लगाया |
कागज और लेंस के बीच की दुरी फोकस दुरी के बराबर होगी वो हमने नाप ली | हर बार कागज और लेंस के बीच की दुरी इतनी ही रखनी है | बच्चों ने एक एक घंटे के बाद प्रयोग को दोहराया पहला प्रेक्षण ११ बजे प्रात दूसरा प्रेक्षण १२ बजे दोपहर तीसरा प्रेक्षण १ बजे बाद दोपहर चौथा प्रेक्षण २ बजे बाद दोपहर पांचवा प्रेक्षण ३ बजे बाद दोपहर चारों प्रेक्षण लेने के बाद कागज पर बर्न स्पोट जलने के धब्बे बने जो की एक समान समयान्तरालों मे बने | ये जलने के धब्बे मधम पड़ते गए| १२ बजे दोपहर को सबसे बड़ा और अधिक जला हुआ धब्बा बना | अब ये जाना जाए ऐसा क्यूँ हुआ ?
उत्तल लेंस समांतर आने वाली किरणों को एक बिंदु पर एकत्र करता है इसलिए उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस कहते है| अनंत से आनेवाली समांतर किरण उत्तल लेंस में अपवर्तन के पश्चात् एक बिंदु पर अभिसरित (converge) होती है तो उस बिंदु पर ताप बढ़ जाता है और कागज के ज्वलन बिंदु तक ताप पहुँचने के कारण कागज जलने लगता है | परन्तु सूर्य की धुप की तीव्रता सभी समय एक जैसे नहीं होती अलग अलग होती है | तीव्रता सूर्योदय से बढते क्रम मे चल कर सूर्यास्त तक घटते क्रम मे जाती रहती है|
सूर्य की किरणे एक विशेष कोण (जिसे सूर्य कोणSun Angles कहते है)
पर पृथ्वी की सतह पे पड़ती है जिसका मान समय के साथ साथ बढ़ता जाता है और फिर घटता जाता है ऐसा पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण होता है
इसी कारण से सूर्य की धूप मे हर समय एक समान गर्माहट नहीं होती है | Sun Angles के इस ज्ञान का उपयोग ठन्डे प्रान्तों मे मकानों की छते और दीवारे बनाने मे किया जाता है ताकि वर्ष भर उपलब्ध सूर्य की धूप की गर्मी एवं प्रकाश को अधिकतम प्राप्त किया जा सके|
निम्न सारणी बना कर आंकड़े एकत्र कर लिए गए है |
दिनांक -----
क्रम समय कागज व लेंस के बीच की दुरी प्रेक्षण का समय धब्बे का व्यास
'क्यों और कैसे विज्ञान मे' ब्लॉग बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी यह मेरे सहकर्मी मुकेश रोहिल के कहने पर बनाया जा रहा है | मुकेश ने कहा की कोई ऐसा ब्लॉग बनाओ जहां बच्चो और बड़ों सब को विज्ञान की छोटी से छोटी जिज्ञासाओं का हल मिल सके और छोटे बड़े सब प्रश्नों का उत्तर मिल सके | तो फिर आ गया ये ब्लॉग जहाँ मिलेगा आपको क्यों और कैसे का जवाब वो भी विशेषज्ञ टिप्पणियों के साथ | अभी तक दो पोस्ट डाली जा चुकी है | कई पाठक आपनी टिप्पणी मे ऐसे ही प्रश्न पूछते है उनके ज़वाब'क्यों और कैसे विज्ञान मे' दिए जायेंगे पोस्ट देखें
लोहे को जंग लगानाRusting of iron प्रयोग शुरू करने से पहले मै एक बात साझी करना चाहूँगा | कुछ वर्ष पूर्व मै कक्षा दस के बोर्ड परीक्षा के विज्ञान की उत्तरपुस्तिका जाँच रहा था उस मे एक प्रश्न जिस का उत्तर पढ़ कर मैं डर गया और तब से मै प्रत्येक वर्ष यह वाला प्रयोग जरूर करवाता हूँ और सभी कक्षा के बच्चों को चाहे उन के पाठ्यक्रम मे है या नहीं दिखा देता हूँ तो क्या था प्रश्न और क्या उत्तर दिया एक बालक ने देखे प्रश्न :- जंग किसे कहते है इस के क्या कारण है और इसे रोकने के क्या उपाय है ? उत्तर :- जंग :- दो देशो के बीच युद्ध को जंग कहते है जंग के कारण :- जंग के निम्न कारण हो सकते है
1. सीमा का विवाद
2. धार्मिक विचारों का टकराव
3. प्रभुत्व ज़माने की वजह रणनिति जंग को रोकने के उपाय :- 1.गुटनिरपेक्ष देशो का हस्तक्षेप 2.मध्यस्थता किसी अन्य देश द्वारा 3.संधि कर ले जनाब इस जवाब को पढ़ कर मै एक बात एक दम समझ गया की इस बालक के स्कूल मे विज्ञान अध्यापक का पद रिक्त है और सामाजिक विज्ञान के आधार पर बालक ने जवाब दे दिया ,बालक की लिखाई और कांफीडेंस कबीले तारीफ़ था | तब से मै प्रत्येक वर्ष यह वाला प्रयोग जरूर करवाता हूँ और सभी कक्षा के बच्चों को चाहे उन के पाठ्यक्रम मे है या नहीं दिखा देता हूँ |
लोहे को जंग लगानाRusting of iron :-
पहले ये जाने की जंग क्या होता है ?
नमी और ऑक्सीजन की उपस्थिति मे आक्सीकरण की अभिक्रिया के फलस्वरूप लोहे की वस्तुओं की उपरी सतह पर एक लाल भूरे रंग की परत जम जाती है यह लाल भूरे रंग की परत फेरिक आक्साईड(Fe2O3) की होती है (Rusting of metals is a special case of metal oxidation. Iron will oxidize to form rust. Water will cause metals to rust; this reaction can be accelerated by adding salts. In the corrosion process, metals get oxidized.The final product of iron oxidation (rust) is usually a ferric oxide hematite Fe2O3)
जंग लगने की क्रिया को दिखाने के लिए एक बहुत ही कामन प्रयोग लगाया जाता है
हमारे विद्यार्थियों ने भी हर वर्ष की भाति ये प्रयोग दिखाया और क्लब सदस्यों ने इस प्रयोग को अपने परियोजना कार्य के तौर पर लिया
मौसम का धातुओं पर प्रभाव को जानना
इस प्रयोग को आसान तरीके से समझा जा सकता है
सिद्ध करना की जंग लगने के लिए ऑक्सीजन (या वायु )और नमी (जल )की आवश्यकता होती है |
तीन परखनलियां ली
पहली परखनली मे पानी लिया उस मे लोहे की दो कीले डाल दी बस वो डूबे नहीं |
दूसरी परखनली मे उबला हुआ पानी लिया (उबलने से पानी मे घुलनशील ऑक्सीजन निकल जाएगी)
उबले पानी वाली परखनली मे लोहे की दो कीले डाल दी और पानी के ऊपर 8-10 बूंदे सरसों के तेल या अन्य कोई तेल की डाल दो यह तेल पानी के ऊपर रहेगा और परखनली की वायु को किलों के सम्पर्क मे नहीं आने देगा
तीसरी परखनली मे कैल्शियम क्लोराइड के टुकड़े डाल दो और ऊपर दो कीले डाल दो
तीनों परखनालियों को रबर स्टॉपर से बंद कर दो वायु रुद्ध कर दो
3 से 5 दिनों बाद देखने पर हमे पहली परखनलीजिसमे की पानी मे आधी डूबी कीले है उस मे जंग लगा पाया क्यूंकि इस मे कीलों को नमी और वायु (आक्सीजन) दोनों मिली
दूसरी परखनली मे जंग नहीं लगा क्यूंकि दूसरी परखनली मे कीले उबले पानी मे डाली गई परन्तु तेल की परत ने कीलों को वायु के सम्पर्क मे ना आने दिया
तीसरीपरखनली मे कैल्शियम क्लोराइड डाला था उस मे दो कीले डाली थी कैल्शियम क्लोराइड नमी कोसोख लेगाऔरइस लिए जंग नहीं लगा
अर्थार्त लोहे पर जंग लगने के लिएऑक्सीजन(या वायु)और नमी (जल)की आवश्यकता होती है |
प्रस्तुति:-सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
वायु मे भार होता है जब ये प्रश्न बच्चों से पूछा गया तो मिली जुली प्रतिक्रिया थी तब ये सोचा गया की एक गतिविधि की जाए जिससे ये पता लग सके की क्या वायु मे भी भार होता है ?
क्यूँ ना पहले ये जाना जाए की वायु का संघटन क्या है विकी की मदद दरकार थी सो आभार विकी का करते हुए हमने ये जाना की सब से ज्यादा तो नाईट्रोजन है वायु मे अरे वाह फिर प्राण वायु के नाम से प्रसिद्ध ऑक्सीजन थी
गुब्बारों के धागे आगे पीछे कर के इन्हें भी संतुलन मे ले आये
देखे
संतुलन मे लाने के बाद सावधानी पूर्वक एक गुब्बारे को धागे से निकाल कर फूला लेते है और इस फुले हुए गुब्बारे को वही धागे से उसी बिंदु पर सावधानी पूर्वक बाँध देते है
बीच के धागे से फट्टी उठाने पर देखते है कि फुले हुवे गुब्बारे की तरफ झुकाव है
यह झुकाव क्यूँ आया
तो फट से जवाब मिला की इधर बड़ा गुब्बारा है
तो क्या ?
उसमे हवा है |
अच्छा तो हवा भारी होती है|
जी हाँ सीख गये हम वाह वाह जी
आप सभी को अध्यापक दिवस की बधाई
प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साईंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा-- दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर, हरियाणा
तापमान मे अंतर /ऊष्मा का अवशोषण की गतिविधि Temperature Difference काला रंग ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है ? सर्दियों मे गहरे रंग के कपड़े क्यूँ पहनते है ? गर्मियों मे भैंस गाय की अपेक्षा अधिक बैचैन क्यूँ दिखती है ? सोलर कूकर का रंग अंदर से काला क्यूँ किया जाता है ? खाना पकाने के बर्तन नीचे से काले क्यूँ किये जाते है ? ये कुछ प्रश्न है जिन के जवाब मे एक पंक्ति अवश्य लिखी जाएगी कि काला रंग ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है आज की गतिविधि द्वारा हम यही जानेंगे कि काला रंग ऊष्मा को अधिक अवशोषित करेगा | आवश्यक सामग्री :-दो काँच की एक जैसी खाली बोतले,काला एवं सफ़ेद पेंट,पानी ,थर्मामीटर सिद्धांत:- ऊष्मा का अवशोषण
प्रयोग मे सम्मिलित गतिविधियाँ :-
1. तापमान मापना सीखना
2. पेंट करना सीखना
3. तापमान मे अंतर का स्पर्श विधि से अनुमान/अनुभव
4. सौर उर्जा से पानी का गर्म होना
5. दैनिक जीवन व परिवेश मे विज्ञान का प्रयोग
6. ऊपर दिए गए प्रश्नों का ज़वाब बेहतर तरीके से समझ आना प्रयोग विधि :-काँच की एक बोतल पर काला पेंट कर लेते है और दूसरी बोतल पर सफ़ेद पेंट कर लेते है | एक दिन बाद पेंट सूख जाता है अब दोनों बोतलों मे पानी भर देते है और एक ही स्थान पर एक ही तल पर दोनों बोतलों को रख देते है
मेज़ पर रखी दोनों बोतले पानी से भरी और पारद तापमापी
काले वाली बोतल के पानी का तापमान मापना
सफ़ेद वाली बोतल के पानी का तापमान मापना
तापमान मे अंतर ज्ञात करना गणना :- कितने समय तक पानी का धूप मे रखा 11.30 -12.15 तक काली पेंट वाली बोतल के पानी का ताप = 47 डिग्री सेल्सीयस सफेद पेंट वाली बोतल के पानी का ताप = 41 डिग्री सेल्सीयस दोनों बोतलों के पानी के तापमान मे अंतर =47 - 41 = 6 डिग्री सेल्सीयस बच्चों ने इस गतिविधि से बहुत सीखा |
प्रस्तुति :- सी.वी.रमन साईंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा-- दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर, हरियाणा