Friday, August 13, 2010

क्या?? भार भ्रम भी होता है ? Weight Illusion ?

क्या?? भार भ्रम भी होता है ? Weight Illusion ? 
जी  हाँ चकित मत होईये ,दृष्टी भ्रम की ही तरह ही होता है  भार भ्रम भी  
हमारी आँखे धोखा खा जाती है 
ठीक उसी प्रकार हमारा दिमाग/मांसपेशियाँ भी भार का सही हिसाब नहीं लगा सकता  
दिमाग/मांसपेशियाँ को धोखा देना आसान है भार के मामले मे 
आईये एक साधारण प्रयोग से समझने की कोशिश करें की क्या होता है भार भ्रम ? 
आवश्यक सामग्री :- दो खाली एलुयूमिनियम की सोफ्ट ड्रिंक केन ,थोडा एकदम सूखा रेत ,ब्राऊन सेलो टेप   
प्रयोग विधि :- एक केन खली और दूसरी केन मे फुल्ल रेत भर लो |   दोनों केन्स को ब्राऊन सेलो टेप से चित्रानुसार एक दम बंद कर दो यानी कवर कर दो |
अब किसी अन्य व्यक्ति को बुला कर उस के दोनों हाथों मे अलग अलग दोनों केन्स रख दो |
वो आसानी से बता देगा की एक भारी है और दूसरी हलकी है वजन मे 

1. अब उस के  केवल एक हाथ मे  नीचे  भारी और उस के ऊपर हलकी वाली केन रखते  है 

2. फिर  तुरंत उस के उसी हाथ मे नीचे हलकी  और उस के ऊपर भारी  वाली केन रखते  है

अब उस व्यक्ति से ये पूछो कि उस को कौन  सी बार हाथ पर आधिक भार लगा ??

निसंदेह वो दूसरी बार यानी नीचे हलकी  और उस के ऊपर भारी वाली बार को ही ज्यादा भारी बताएगा 
हालाकि वो व्यक्ति भी जनता है कि दोनों बार भार तो बराबर ही था |
ये है भार भ्रम का प्रयोग  
खुलासा :- जब भारी केन नीचे और हलकी केन ऊपर होती है और फिर जब हलकी केन नीचे और भारी  केन ऊपर होती है तो दिमाग को यही पर भार भ्रम हो जाता है
क्योंकि भारी केन नीचे होने पर मांसपेशियाँ आधिक भार उठा रही होती है परन्तु जब स्तिथि बदल कर हलकी केन नीचे रखी जाती  है तो मांसपेशियाँ आधिक भार उठाने के लिए तैयार नहीं होती है क्योंकी हथेली पर हलकी केन है जबकि मष्तिष्क को पता होता है की अगली केन जो रखी जानी  है वो भारी है 
इसीलिए हो जाता है भार भ्रम 

प्रस्तुति:- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा

10 comments:

  1. दर्शन जी
    सुन्दर ज्ञानवर्धक प्रस्तूति

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  2. भार तो वैसे भी भ्रांत है, भार वस्तु में नहिं, ग्रेविटी फ़ोर्स से मात्र अनुभव होता है। सही है ना ?

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  3. नहीं अजीब नहीं बहुत अच्छा लगा........ .उचित शब्द मिल नहीं रहे थे अरु " nice" लिखना नहीं चाहता था .बहुत अच्छी जानकारी है ..कुछ ऐसा ही भ्रम होता है जब हम treadmill में दौड़ने के बाद जमीन पर चानले हैं ...या एक चीज जो मैंने खुद अनुभव की है ....अगर कभी स्वचालित सीढियां बंद हो तो उनपर चलते समय बी कुछ ऐसा ही भ्रम होता है

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  4. अच्छी जानकारी है। आज ही बच्चे को कहता हूं आजमाने के लिए।

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  5. bahut badiya... science ki is rochak jaankari ko share karne ke liye shukriya aapka..

    Meri Nayi Kavita par Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Bas Accha Lagta Hai...

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