नाटक द्वारा विज्ञान संचार Science Drama
नाटक संचार का एक सशक्त माध्यम है नाटकों द्वारा लोगो को जल्द से जल्द प्रेरित किया जा सकता है नाटक द्वारा कही गई बात जल्द समझ आती है क्युंकि नाटक को देख कर समझने वाले यानी दर्शक को ज्यादा पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है नाटक अनपढ़ ,कम पढेलिखे और शिक्षित सब को समझ आने वाली कला है |
नाटकों से विज्ञान संचार और अंधविश्वास निवारण :-नाटक कला द्वारा जन मानस को कोई भी विषय जैसे अंधविश्वास ,कन्या भ्रूण हत्या ,दहेज प्रथा ,बाल विवाह ,टीकाकरण ,जनसंख्या वृद्धि ,निरक्षरता आदि को आराम से समझाया जा सकता है |
नाटक लोगो के जेहन मे समस्या के प्रति सीधा वार करते है बशर्ते की नाटक के कलाकार जिवंत किरदार अदा करे और नाटक की स्क्रिप्ट जानदार हो ,नाटक की स्क्रिप्ट सत्य घटना पर और कथा/कहानी प र आधरित हो सकती है बस स्क्रिप्ट किसी व्यक्ति विशेष और जाति को सीधे सीधे हिट ना करती हो|
नाटक के संवाद सरल और लोकल भाषा मे हो तो अच्छा है अब माना हम नाटक तो भोजपुरी भाषा मे तैयार करते है और उस को प्रस्तुत करते है हरियाणा के किसी गांव मे तब इस स्तिथि मे वो नाटक मनोरंजन तो करेगा पर उद्देश्य की प्राप्ति के पथ से भटक जाएगा | इस लिए नाटक की भाषा वहीं की हो जहाँ उस का प्रस्तुतिकरण किया जाना हो |
नाटक के कलाकार समय समय पर जनमानस के बीच वास्तविकता मे भी समस्या को डिस्क्स करे लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट से अमुक स्थान की समस्या भिन्न हो सकती है |
आज क्लब सदस्यों एवं स्कूल के छात्रों को स्वाध्याय ग्रुप के छात्रों ने कथित धर्म बाबा के द्वारा फैलाए गये आडम्बरों का निवारण करता एक शानदार नाटक दिखाया गया |
युवा निर्देशक संदीप जी के निर्देशन मे तैयार सब छात्रों ने अंधविश्वास को दूर भागता एक नाटक देखा और बाबा के कारनामों का पर्दाफाश होता देखा और भविष्य मे इन बाबा ,मोलवियों ,सयानो ,कलन्दरों के जाल मे ना फसने की शिक्षा ली |
नाटक की स्क्रिप्ट जोरदार थी और विज्ञान संचार को जन सामान्य के शब्दों संचारित कर पाने मे सक्षम थी
झलकियां :-

छात्रों ने कोई फोर्मल कोस्टयूम नहीं पहन रखा था उन्होंने साधरण यूनिफ़ोर्म मे ही परफोर्मेंस दी| आवाज़ इतनी साफ़ और शशक्त थी कि कोई साऊंड सिस्टम की भी जरूरत नहीं पड़ी | नाटक शत प्रतिशत अंधविश्वास निवारण और विज्ञान संचार पर बेस्ड था |

स्कूल के छात्रों और आध्यापको ने
नाटक का आनंद लिया और यह सीखा की किसी भी घटना को चमत्कार नहीं मानना है कोई भी चमत्कार संभव नहीं है हर चमत्कार के पिछे कोई ना कोई वैज्ञानिक नियम या सिद्धांत काम करता है जिस का लाभ उठा कर बाबे टाईप लोग अन्य को मूर्ख बना जाते है |
नाटककारों की टीम का ग्रुप फोटो,
इनमे से कोई भी व्यवसायिक नाटक कलाकार नहीं है सब नोकरी पेशा/किसान/विद्यार्थी आदि है
प्रस्तुति :-सी. वी. रमण साईंस क्लब ,यमुना नगर ,हरियाणा
द्वारा :- दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
बहुत ही अच्छा प्रयास है !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर जी. बहुत अच्छा प्रयास, धन्यवाद
ReplyDeleteसार्थक और सराहनीय ब्लोगिंग ,शानदार प्रस्तुती ...
ReplyDeleteये अंधविश्वास गाँवों में अधिक देखने सुनने को मिलते हैं क्योंकि भोले भाले गांववासियों को विज्ञान के बहुत से आविष्कारों का ज्ञान नहीं होता ,ऐसे में आने वाली पीढ़ी को इनके विरुद्ध शिक्षित करने का आपका प्रयास बेहद सराहनीय और वंदनीय है ,इसके लिए आपका बहुत-२ आभार , काश मैं भी इस नाटक को देख पाता ,क्या इसकी विडियो शूट की गई है ??
ReplyDeletebest use of best resources i like it .
ReplyDeletei think u r the best teacher of u,r school...
jai hind
बहुत सुन्दर प्रयास है।
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास
ReplyDeleteयह आवश्यक भी हैं
बहुत सुंदर प्रयास है | इस प्रकार के कार्यक्रम समाज को एक दिशा देते है |
ReplyDeleteजन-समुदाय के बीच जाकर नाटकों के जरिये लोगों में चेतना जाग्रत करने का इतिहास बहुत पुराना है. इन नुक्कड़ नाटकों का प्रभाव जन समुदाय पर गहराई से होता है. एक तरह से हम मान सकते हैं कि इन नाटकों के पात्र जनता से सीधा संवाद स्थापित करते हैं.
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अधिकांशतः इन नुक्कड़ नाटकों का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक विषयों पर ही केन्द्रित रहा. इनके जरिये कभी अंध-विश्वास निवारण अथवा वैज्ञानिक चेतना देने का प्रयास नहीं किया गया जब कि यह बेहद आवश्यक था.
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आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है
इसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है
आशा करता हूँ कि यह लघु प्रयास ही भविष्य में
व्यापक प्रभाव लायेंगे
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बहुत आभार
शुभ कामनाएं
कुछ विज्ञान नाटक मैं भी करवा चुका हूँ, जिनमें से दो साइंस फिक्शन पागल बीवी का महबूब और बुड्ढा फ्यूचर उल्लेखनीय हैं.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, अच्छा लगा पढ़ कर कि इतने साधारण ढंग से यह काम किया जा रहा है।
ReplyDeleteमास्टर जी स्कूल मे यो नोटन्कीयाँ फायदेमंद होती है ...
ReplyDeleteयह क्रम जारी रहे, शुभकामनाएं.
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