Saturday, June 05, 2010

प्रयोग द्वारा बरनौली का सिद्धांत Bernoulli's Principle

प्रयोग द्वारा बरनौली का सिद्धांत Bernoulli's Principle
आवश्यकताएँ:- एक काँच की कीप (फनल),एक टेबल टेनिस की गेंद (पिंग-पोंग बाल)   
सिद्धांत  :- बरनौली का सिद्धांत Bernoulli's Principle
प्रयोग  विधि :-जब एक कीप में एक टेबल टेनिस की गेंद (पिंग-पोंग बाल) की गेंद रख कर ऊपर की तरफ जोर से मुहँ से फूँक मारते हैं तो दर्शक ये सोचते है कि गेंद ऊपर जायेगी परन्तु ये क्या गेंद ऊपर नहीं जाती बल्क कीप में ही गोल गोल घुमती रहती है सब आश्चर्य करेंगे |
अब  कीप को अपने शारीर के लम्बवत ले कर फूंक मारते है ये क्या गेंद नीचे नहीं गिरती  बल्क कीप में ही गोल गोल घुमती रहती है  अब भी सब आश्चर्य करेंगे | 
अब सब ये कहेंगे कि कीप को नीचे की तरफ कर के फूँक मारो 
लो जी ऐसा भी करते है |
ये  क्या गेंद अब भी नीचे नहीं गिरी देखो 


बल्क कीप में ही गोल गोल घुमती रहती है अब सब ने कहा ऐसा क्यों ?
ऐसा क्यों ?? ऐसा बरनौली का सिद्धांत Bernoulli's Principle के अनुसार कीप नली से तेज बहाव  के साथ हवा गेंद के चारों और से निकलेगी और तो वायु दबाव कम होगा परन्तु गेंद के ऊपर लम्बवत लगने वाला वायु दबाव उसे उठने नहीं देगा और न ही नीचे गिरने देगा 
डॉ  .अरविन्द मिश्रा  जी के अनुसार ,
मेरे खयाल से सही व्याख्या यह है -

कुप्पी की नली में हवा का वेग अधिक है तथा 'शंक्वाकार भाग' (कोन) में आते ही हवा का वेग कम हो जाता है। इसलिये नली के अन्दर दाब कम और शंक्वाकार भाग में दाब अधिक होगा । गेंद पर अधिक दाब से कम दाब की तरफ बल लगता है - अर्थात गेंद नली में घुसने का प्रयत्न करती है। 


The principle states that "the pressure of a fluid [liquid or gas] decreases as the speed of the fluid increases." Within the same fluid (air in the example of aircraft moving through air), high-speed flow is associated with low pressure, and low-speed flow is associated with high pressure.
पतंग  ,एरोप्लेन ,पंखा चलने  पर पलंग की चादर का उड़ना ,मंदिर का झंडा हिलना ,तेज रेल के निकलने पर कागज आदि का ट्रेन की तरफ उड़ना आदि बरनौली का सिद्धांत Bernoulli's Principle के
उदाहरणहै 
 द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा

8 comments:

  1. मेरे खयाल से सही व्याख्या यह है -

    कुप्पी की नली में हवा का वेग अधिक है तथा 'शंक्वाकार भाग' (कोन) में आते ही हवा का वेग कम हो जाता है। इसलिये नली के अन्दर दाब कम और शंक्वाकार भाग में दाब अधिक होगा । गेंद पर अधिक दाब से कम दाब की तरफ बल लगता है - अर्थात गेंद नली में घुसने का प्रयत्न करती है।

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  2. बढियां उदेश्य है आपका -शुभाशंसा !

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  3. धन्यवाद डॉ. मिश्रा जी
    आप के दवारा की गई व्याख्या का तहे दिल से स्वागत है पोस्ट के साथ संलग्न कर दी गई है |

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  4. पोस्ट भी अच्छी है चर्चा तो बहुत अच्छी है

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  5. हम भी अगर बच्चे होते
    ये ब्लॉग पढ़कर हमारे नम्बर अच्छे होते

    (मेरा मतलब और ज्यादा अच्छे होते )

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  6. अति ज्ञानवर्धक !!!!

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  7. यदि आप की तरह ऐसे ही शिक्षकगण क्लास में प्रैक्टिकली समझाए तो कभी साइन्स टफ ही ना लगे।
    धन्यवाद सर

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  8. मेरा भी कुछ ऐसा ही मानना है गौरव अग्रवाल जी।

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