दर्शन लाल बवेजा (साइंस मास्टर/ESHM) राजकीय मॉडल संस्कृति/वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर/कैम्प/दामला यमुनानगर द्वारा सी वी रमण विपनेट (2017, 2019 राष्ट्रीय विजेता) विज्ञान क्लब यमुनानगर का विज्ञाननामा ......
आवश्यक सामग्री :-एक गिलास (कांच का),एक शीट रंगीन चार्ट पेपर ,फेवीकोल,एक रूपये का सिक्का ,एक रुमाल
सिद्धांत :-दृष्टिभ्रम
विधि :- रंगीन चार्ट पेपर ले कर उसे काँच के गिलास के मुहँ के बराबर कट कर गिलास के मुहँ पर फेवीकोल से चिपका लेते है फिर तेज ब्लेड से किनारी किनारी सफाई से काट देते है अब उसी चार्ट पेपर के ऊपर एक रूपये का सिक्का रख कर गिलास को रुमाल से ढाक कर गिलास को सिक्के के ऊपर रख देते है रुमाल हटाते ही , ये क्या सिक्का गायब हो गया ?
ऐसा दृष्टिभ्रम के कारण होता है हमारी आँखे धोखा खा जाती है क्यूँकी दोनों जगह कागज का रंग एक जैसा है हमारी आँखे एक जैसे रंग को एक जैसा ही पहचानेगी।
दोनों कागज अलग अलग रंग के लेने पर ये खेल पकड़ा जायेगा
ये खेल बच्चों में बहुत लोकप्रिय है। वीडियो.......
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
पेट्रोल की जाँच Petrol Testing आवश्यक सामग्री:-पेट्रोल का सेम्पल जो जांचना हो ,एक फिल्टर पेपर या सफेद कागज,एक डरोपर
कार्य विधि :- एक फिल्टर पेपर या सफेद कागज पर पेट्रोल का सेम्पल जो जांचना हो उस की कुछ बुँदे गिराते है कुछ देर बाद पेट्रोल तो वाष्पित हो जायेगा और यदि कोई मिलावट होगी तो एक तैलीय धब्बा रह जायेगा जिसे रौशनी में देखा जा सकता है
हमारे वाले सेम्पल में मिलावट पायी गई द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
घनत्व का खेल Density Difference आवश्यक सामग्री :- पेट्रोल,डीजल,केरोसीन,पानी ,मापक सिलेंडर(या कोई भी काँच का ऐसा बर्तन) सिद्धांत:-घनत्व Density प्रयोग विधि :- मापक सिलेंडर ले कर उस में बारी बारी चारों द्रव डाल लेते है कुछ देर रुकने पर हम देखते है मापक सिलेंडर में चार लेयरस बन गई है क्रमशः नीचे से पानी,केरोसीन,डीजल,पेट्रोल नोट :-डीजल,पेट्रोल की लेयरस थोड़ा ध्यान से देखने पर मालूम होती है | चित्र देखे ..
ऐसा क्यों ?सब द्रवो का घनत्व Density अलग अलग होता है (साधारण भाषा में कहे तो अधिक घनत्व वाला द्रव अधिक भारी) इस कारण ऐसा होता है | अलग अलग द्रव ले कर प्रयोग करो | ग्रे साइन्टिफिक वर्क्स यमुना नगर द्वारा सुझाया गया द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
अम्लीय जल में विधुत का चालन Conduction of Electricity through Acidic Water आवश्यक सामग्री :-दो रबर कार्क, पानी,दो लोहे की कीले,एक बीकर,एक मोबाईल का चार्जर,एक अल् .इ.डी. बल्ब ,कोई भी एसिड की 2-3 बुँदे,धागा ,लकड़ी का फट्टा ऐसा क्युं:-अम्ल को जल में विलय करने पर H+ (हाइड्रोजन आयन) उत्पन होते है जिस कारण अम्लीय जल विधुत का चालक हो जाता है |
कार्य विधि :- चित्रानुसार परिपथ बना लेते है एक मोबाईल का चार्जर की पिन काट कर सर्किट में लगा कर 6v की विधुत धारा प्राप्त कर सकते है बीकर के पानी में कोई भी एसिड की 2-3 बुँदे डाल कर उसे अम्लीय बना लेते है चित्रानुसार मैन्स से सप्लाई देने पर अल् .इ.डी. बल्ब(L.E.D.) जलने लगता है | कक्षा १० के गौरव ने बनाया | द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
आवश्यक सामग्री ...एक प्लास्टिक का ढक्कन वाला कंटेनर (डिब्बी),दो कार्बन (ग्रेफाईट) की छड़े,दो खाली परखनालियाँ,सल्फ्यूरिक अम्ल की दो चार बुँदे,छह वोल्ट करंट देने वाला सर्किट ,एक कपड़े का टुकड़ा
बनाने की विधि...एक डिब्बी का ढक्कन खोल कर उस की तली में दो सुराख़ बना कर उस में दो कार्बन (ग्रेफाईट) की छड़े घुसा देते है नोट :-ये दो कार्बन (ग्रेफाईट) की छड़ेहम टॉर्च या रेडियो में डलने वाले सेलों बड़े को तोड़ कर निकालेगे | उन की पीतल की टोपी पर ताम्बे कि बिजली वाली तार लपेट देते है डिब्बी का ढक्कन फेवी क्विक से चिपका कर बंद कर देते है ऍम -सील से लीक प्रूफ कर देते है तारों के दोनों सिरों पर छह वोल्ट की धारा का सर्किट लगा देते है नोट :-छह वोल्ट की धारा का सर्किट मुफ्त में दो जगह से मिल सकता है या तो मोबाईल फोन का फालतू पड़े चार्जर के आगे से पिन काट कर तारे निकल कर और या फिर यदि कोई सी.अफ.अल् (C.F.L.)टूट गयी हो तो उस का सर्किट ले सकते है |
प्रयोग विधि... डिब्बी में पानी भर कर दो बुँदे सल्फ्यूरिक अम्ल की डाल कर दोनों ग्रेफाईट की छड़ों पर दो परखनालियाँ पानी से भर कर उलटी खड़ी कर देते है स्विच ऑन करने पर हम देखते है दोनों कार्बन (ग्रेफाईट) की छड़ों पर बुलबुले उठते है और दोनों परखनालियों का पानी उतरने लगता है और उनमें गैसे भरने लगती है दायीं परखनली में HYDROGEN एवं बाईं परखनली में आक्सीजन एकत्र होती है |
दायीं परखनली में HYDROGEN बाईं परखनली में आक्सीजनसे दुगनी एकत्र होगी | क्यूँकी H2o मेंHYDROGEN की मात्राआक्सीजन से डबल होती है
रसायनिक समीकरण...
2H2O------------ 2H2 + O2
सावधानियाँ... बिजली के प्रयोग में सावधानी रखें|
चित्र में दिखाया गया वोल्टामीटर कक्षा दस के बच्चों ने खुद बनाया |
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
आवश्यक सामग्री...निम्बू का रस ,मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट),एक बोतल,पानी,माचिस
प्रयोग विधि... 4-5 निम्बुओं का रस निकल कर एक बोतल में दो स्पून मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट) डाल कर थोडा पानीमिला कर निम्बुओं का रस डाल दो एकदम बुलबुले उठेंगे कार्बन डाई आक्साइड गैस बनने लगेगी जाँच करने के लिए एक जलती हुई माचिस कि तिल्ली बोतल के अंदर ले जाने पर बुझ जाती है कार्बन डाई आक्साइड गैस आग को बुझा देती है
यह प्रयोग घर पर भी सावधानी पूर्वक किया जा सकता है
साधनों की कमी वाले स्कूल में अध्यापक इस प्रयोग से CO2 बना कर दिखा सकते है |
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
कौन सी मोमबत्ती पहले बुझेगी Which candle extinguish earlier
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आवश्यक सामग्री...तीन मोमबत्तियाँ(छोटी ,मध्यम ,बड़ी ) , एक काँच का जार या बेलजार, माचिस।
कारण...कार्बन डाई आक्साइड गैस हवा से भारी होती हैऔर जलने के लिए आक्सीजन चाहिए।
कार्य विधि…तीनो आकार की मोमबत्तियाँ एक पंक्ति में क्रमवार लगा लेते है उन्हें जला लेते है फिर काँच का जार चित्रानुसार उल्टा कर के उन मोमबत्तियों के उपर रख देते है।
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अब क्या आप बता पायेंगे कि कोन सी मोमबत्ती पहले बुझेगी??
सब कहेंगे छोटी वाली परन्तु कुछ कहेंगे कि तीनों एक साथ बुझेंगी
परन्तु ये क्या ??
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ये क्या न तो तीनों एक साथ बुझी और न ही छोटी पहेले बुझी।
सब से पहले बड़ी फिर मध्यम और फिर छोटी मोमबत्ती बुझी।
ऐसा क्युं ?? ऐसा इसलिए कि कार्बन डाई आक्साइड गैस हवा से भारी होती है तीनों मोमबत्तियों के एक साथ जलने पर आक्सीजन की खपत शुरू होती है उपर की आक्सीजन हल्की होने के कारण नीचे भागती है और ऊपर बड़ी मोमबत्ती के चारों और कार्बन डाई आक्साइड गैस का घेरा बनना शुरू होता है जो उस की आक्सीजन की पूर्ति को रोकता है। लेकिन नीचे वाली सब से छोटी मोमबत्ती को अंत तक आक्सीजन मिलती रहती है।
एक सर्वमान्य व्याख्या: जलती लौ से पैदा हुइ वायु गरम होने के कारण उसका घनत्व ( Density ) कम होने के कारण जार के उपर जमा होती रहेगी और जमा होते होते उसका लेवल उपर से नीचे की और आता जायेगा. जैसे उसका लेवल बडी मोमबत्ती तक आयेगा तो बडी मोमबत्ती को बुझा देगा क्योंकि गरम हवा मे ओक्सीजन की कमी रहेगी. तब तक छोटी मोम्बत्तीयो को नीचे की ठन्डी हवासे ओक्सीजन मिलती रहती है. धीरे धीरे गरम हुइ हवा उपर से नीचे की और आती जायेगी और मोमबत्तीया बुझती जायेगी।
यहा वायु का तापमान और उसकी घनता का रीलेशन बायल्स के नियम के अनुसार काम करता है।
समान तापमान मे कार्बन डाईक्साइड हवा से भारी रहती है परतु गरम CO2 हवा से हलकी होने के कारण उपर जमा हो के नीचे की और भागती है।
इस के कई कारण बताये जाते है मेरे द्वारा लगाई गयी कक्षाओं में यह प्रयोग गर्मागर्म बहस का मुद्दा रहता है कोई नया कारण समझ में आता हो तो कृपया टिप्पणी में डाल दे।
आज हम एक और नई प्रकार की परियोजना के बारे में जानेगे |हमे अपने आस पास प्रकृति के निकट जा कर उस को समझने का प्रयास करना चाहिए | अध्यापकों और अभिभावकों को चाहिए कि वो अपने बच्चों को नजदीक के जंगल ,खेतों ,नम भूमि ,हर्बल पार्को ,बागों में ले जा कर प्रकृति को समझने का मोका दे |नए उगते फूलों ,फलों ,कीट-पतंगों को देखने के लिए प्रोत्साहित करे |
लाभ :- *प्रकृति से निकटता *नया ज्ञान *प्रश्नो के उत्तर खोजना *खोजी प्रवृत्ती का जन्म * प्रश्न पूछने की आदत का विकास *'बच्चे प्रश्न पूछ सके' उन को ऐसा प्लेटफार्म प्रदान करना *आनन्द की अनुभूति *किताबी ज्ञान से दूर नयापन *ज्ञान का आदान प्रदान आदि लाभ हो सकते अत: विद्यार्थिओं को समय समय पर इस प्रकार प्रकृति की गोद में ले कर जाना चाहिए |
आवश्यक सामग्री...एक आधी कटी बोतल,दो पाइप के टुकड़े,दो छोटे गुब्बारे,एक बड़ा गुब्बारा, सेलो टेप,ऍम –सील
बनानेकीविधि…बोतल को आधा काट लो उस के ढक्कन में छेद कर के दो पाइप के टुकड़े डाल कर उन दोनों पाइप के टुकडों पर एक एक छोटा गुब्बारा सेलो टेप से लगा देते है अब ढक्कन के उपर व नीचे दोनों पाइप के टुकडों को सेलो टेप या ब्लैक टेप से एक साथ चिपका देते है |बोतल के नीचे एक बड़ा गुब्बारा आधा काट कर डायाफ्राम की तरह सेलो टेप से लगा देते है | ढक्कन के छेद पर ऍम –सील लगा कर वायुरुद्ध कर देते है|
अब नीचे वाले बड़े गुब्बारे को नीचे की और खीचने पर दोनों छोटे गुब्बारे फेफड़ों की तरह फूलते है डायाफ्राम यानी नीचे वाले गुब्बारे को छोड़ने पर दोनों फेफड़े सिकुड जाते है | इस प्रकार कम लागत से श्वशन तन्त्र का वर्किंग मॉडल बन जाता है |
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
आवश्यक सामग्री...एक गेंद,एक 2cmx2cm आकार का समतल दर्पण का टुकड़ा,एक टेप रोल बेस बनाने के लिए या कोई चूड़ी कड़ा,पोस्टर टेप
सिद्धांत---प्रकाश का परावर्तन
बनानेकीविधि…हमे सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिये सूर्य को देखने के लिए हमे सौर प्रक्षेपक बनाना चाहिए | एक गेंद ले कर उस पर पोस्टर टेप की मदद से एक 2cmx2cm आकार का समतल दर्पण का टुकड़ा चिपका दे | कोई चूड़ी कड़ा या रिंग के उपर इस गेंद को रख कर सूर्य का प्रतिबिंब सामने दीवार पर बनाते हैनोटयदि प्रतिबिम्ब गोल नहीं बन रहा तो गेंद को पीछे हटा के समायोजित करते है जब तक प्रतिबिम्ब गोल न हो जाये |
इस सौर प्रक्षेपक सेसूर्य ग्रहणभी देख सकते है
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
आवश्यक सामग्री...दो ग्लूकोस की बोतलें,2 पाइप के टुकड़े ,पोटाशियम पर मेगनेट या लाल रंग,गर्म पानी
सिद्धांत...पानी के गर्म होने पर हल्का होना
बनानेकीविधि…दो ग्लूकोस की बोतलें लेकर उन के सुराखों को और बड़ा कर के उस में चित्रानुसार 2 पाइप के टुकड़े फंसा देते है बोतल -1 में गर्म पानी एवं पोटाशियम पर मेगनेट या लाल रंग डाल कर पानी को रंगीन कर लेते है बोतल-२ में ठंडा (ताज़ा) पानी (रंग हीन) ले कर बोतलों के ढक्कन बंद कर देते है अब बोतल-2 को उपर उठा कर बोतल-1 के उपर उल्टा (चित्रानुसार) कर देते है हम क्या देखते है कि एक पाइप से रंगीन पानी उपर की बोतल की और चलना शुरू कर देता है यानि गर्म रंगीन पानी उपर और उपर की बोतल का ठंडा पानी नीचे वाली बोतल की तरफ बहना शुरू कर देता है उपर की बोतल के पानी का रंगीन होना इस बात की पुष्टि करता है कि उस में गर्म रंगीन पानी आ रहा है | ऐसा क्युं ?...ऐसा इसलिए होता है कि गर्म पानी के अणुओं की गतिज उर्जा बढ़ जाती है और वह हल्के हो कर उपर उठते है और उन गर्म अणुओ क स्थान लेने ठंडे पानी के अणु आते है ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक दोनों बोतलों का पानी एक समान तापमान पर न हो जाए |
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा