साइंस ने जहन में.......
चराग जलाये है वो साइंस ने जहन में |
हर बशर माहिर हुआ है इल्म-ओ-फन में ||
डोर अन्धविश्वाश की और जातपात की,
तोड़ के बैठे है सभी इक चमन में |
गई खुल तेरे लिए भी आसमा की राह ,
मैंने भी तारे खोज लिए नील गगन में |
चराग जलाये है वो साइंस ने जहन में |
हर बशर माहिर हुआ है इल्म-ओ-फन में ||
डोर अन्धविश्वाश की और जातपात की,
तोड़ के बैठे है सभी इक चमन में |
गई खुल तेरे लिए भी आसमा की राह ,
मैंने भी तारे खोज लिए नील गगन में |
चीर-ओ-दवा में इन्कलाब ला दिया है वो ,
कि रह सकी बीमारियाँ ना कोई बदन में |
जाना है कुदरत को जानेगे खुदा को भी ,
उतरेगी ये किरण भी तेरे मेरे सहन में |
कि रह सकी बीमारियाँ ना कोई बदन में |
जाना है कुदरत को जानेगे खुदा को भी ,
उतरेगी ये किरण भी तेरे मेरे सहन में |
द्वारा जितेन्द्र धीमान विज्ञान अध्यापक यमुना नगर
जितेन्द्र धीमान जी को पढ़वाने का आभार.
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