ध्वनी तरंगो की उत्पत्ति,गमन एवं विस्तारण
आवश्यक सामग्री... 70 से मी मोटा सूती धागा ,पान पराग के डिब्बे का ढक्कन ,एक पेंसिल |
सिद्धांत.... ध्वनी तरंगो की उत्पत्ति,गमन एवं विस्तारण (PRODUCTION OF SOUND WAVES ,PROPAGATION AND AMPLIFICATION)
सिद्धांत.... ध्वनी तरंगो की उत्पत्ति,गमन एवं विस्तारण (PRODUCTION OF SOUND WAVES ,PROPAGATION AND AMPLIFICATION)




बनाने की विधि ...कार्य विधि पान पराग के डिब्बे का ढक्कन में एक सुराख़ कर लेते है उस में धागा डाल कर माचिस की तिल्ली से बाँध देते है |एक पेंसिल ले कर उपर से एक इंच छोड़ कर एक झिर्री काट लेते है इस झिर्री में धागे का दूसरा छोर बांध देते है यह गांठ थोड़ी ढीली लगानी है तांकि पेंसिल धागे से रगड़ खा कर घूम सके |जब धागे और पेंसिल के बीच रगड़ होगी तो कम्पन के कारण ध्वनी तरंगे पैदा होंगी ये ध्वनी तरंगे धागे में से गति कर के ढक्कन के सतह तक पहुंचेगी और फैलेंगी और हमरे कानो में सुनाई देंगी | एस प्रकार इस खिलोने की सहयता से ध्वनी तरंगो की उत्पत्ति,गमन एवं विस्तारण को समझया जा सकता है अध्यापक अपने आप कुछ नए टिप्स भी जोड़ सकते है |
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
अच्छा !
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