Tuesday, June 14, 2022

Sky Watching रात्रि आकाश अवलोकन

Sky Watching रात्रि आकाश अवलोकन

टेलिस्कोप द्वारा रात्रि आकाश अवलोकन कैंप लगाया गया।

आभासी आकाश दर्शन कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। 

रादौर के वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पार्क में सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया, पंचकूला के तत्वाधान मे शनिवार शाम को 'खगोलीय दूरबीन को जानो' एवं 'रात्रि आकाश अवलोकन' कैंप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के परियोजना प्रबंधक महिपाल शर्मा ने बताया कि विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश के दौरान इस कैंप का उद्देश्य बच्चों, उनके अभिभावकों व आम जन में आकाशीय पिंडों को पहचानो, ज्ञान व खगोलीय रुचि उत्पन्न करना रहा। रात्रि आकाश अवलोकन में सोसायटी के परियोजना सहायकों निधि गौतम, अमन कुमार, हनीश कुमार, गुलशन कुमार व शीशपाल द्वारा पार्क में एक न्यूटानियन परावर्तक टाईप खगोलीय दूरबीन व एक अपवर्तक टाईप खगोलीय दूरबीन लगाई गई। इन दोनों टेलेस्कोप से पार्क में आए हुए बच्चों व आम जनो ने देर शाम 9:00 बजे तक विभिन्न तारों व चंद्रमा का अवलोकन किया। सोसायटी के परियोजना सहायकों ने सभी दर्शकों को खगोलीय पिंडों से संबंधित रोचक तथ्यों से भी अवगत कराया।

कार्यक्रम के समान्तर एक अन्य सत्र में सी वी रमन विपनेट विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक व विज्ञान संचारक दर्शन लाल बवेजा ने विभिन्न मोबाइल एप्स के जरिए प्रतिभागियों को आभासी आकाश अवलोकन करना सिखाया। बवेजा ने उपस्थित दर्शकों को चंद्रमा के बारे में विभिन्न रोचक तथ्य बताएं। प्रतिभागियों ने मौके पर ही अपने अपने मोबाइल में बवेजा द्वारा सुझाई गयी एप्प इंस्टाल करके शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति ग्रहों, हब्बल टेलीस्कोप, अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन व विभिन्न तारामंडलों का आभासी अवलोकन किया। पार्क में उपस्थित सभी छोटे बड़ों के लिए यह कार्यक्रम बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक रहा। कार्यक्रम के दौरान सभी मे टेलिस्कोप के प्रति उत्साह देखते ही बनता था। सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया, पंचकूला के पदाधिकारियों ने बताया कि इस तरह के कर्यक्रम अन्य गाँवो के लिए भी प्रस्तावित हैं। 




द्वारा: दर्शन लाल बवेजा

यमुनानगर


Saturday, February 27, 2021

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर संदेश National Science Day Massage

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर संदेश National Science Day Massage


राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान अध्यापकों के नाम संदेश।
देश के संविधान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास बारे स्पष्ट लिखा है। 
भारतीय संविधान के भाग - 4क के अनुच्छेद - 51 क (ज) के अनुसार
" भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें "
लेकिन क्या हम इस कर्तव्य की पूर्ति कर रहे है? 
विज्ञान अध्यापक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम बच्चों और उनके अभिभावकों को अंध्विश्वासों और हानिकारक रूढ़िवादी गतिविधियों से बचाये और उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करें व समाज को सही दिशा प्रदान करें। आज विज्ञान अध्यापकों को विज्ञान संचारक के रूप के काम करके वैज्ञानिक चेतना जगाने के लिए विद्यार्थियों के साथ साथ जनमानस के बीच मे जाकर अंधविश्वासों और तथाकथित भ्रान्तियों को दूर करना होगा। तकनीकी को बढ़ावा देना होगा व स्टेम शिक्षा द्वारा बच्चों का चौमुखी वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना होगा। बच्चों को रोजगारोन्मुखी दक्षता हासिल करने के लिए शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्यता से अपनाना होगा। अध्यापक को हर समय विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में अपडेट रहते हुए विज्ञान की नवाचारी शिक्षण विधियों को अपना कर विज्ञान शिक्षण की जिम्मेदारियों का निर्वहन हेतु कमर कसनी होगी। देश के नागरिकों को भी समाज मे व्याप्त विभिन्न द्वेषों, अंधविश्वासों व आडम्बरों से मुक्त होकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। तब जाकर कहीं जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान का नारा साकार होगा। 
Darshan Lal Baweja
Science Master 

Friday, June 26, 2020

सूर्यग्रहण का अद्भुद नजाराAmazing view of solar eclipse

सूर्यग्रहण का अद्भुद नजाराAmazing view of solar eclipse
बाल वैज्ञानिकों ने लिया सूर्यग्रहण का अद्भुद नजारा
15 खुद के बनाये उपकरणो से अवलोकन किया वलयाकार सूर्यग्रहण।
सी वी रमन विज्ञान क्लब के सदस्यों ने क्लब समन्वयक दर्शन लाल बवेजा के मार्गदर्शन में आज वलयाकार सूर्यग्रहण का नजारा अपने हाथों से बनाये गए 15 विभिन्न नवाचारी उपकरणों से दिखाया।
कर्नाटका भारत ज्ञान विज्ञान समिति व हरियाणा विज्ञान मंच रोहतक ने इस कवरेज को पूरे भारत के कार्यकर्ताओं के साथ लाईव साँझा भी किया।
बाल वैज्ञानिकों में पार्थवी, प्राची, रमन धींगड़ा, यश, नमन, सक्षम आहूजा, रितेश ओबराय, अंशवी बाल वैज्ञानिको ने टेलिस्कोप प्रतिबिम्बित विधि से सूर्य का प्रतिबिंब, गेंद दर्पण प्रेक्षेपक, सौर फिल्टर नेत्र, सुरक्षित सौर प्रक्षेपक, छलनी छाया उपकरण, बायनाकुलर प्रक्षेपक, बॉक्स कैमरा, पिन होल कैमरा, अनियमित छिद्रों से प्रक्षेपण व वृक्ष छाया प्रतिबिम्ब विधियों से सूर्यग्रहण का अवलोकन करके सबको आश्चर्य चकित कर दिया। इस अवसर पर बाल वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने का प्रयोग भी किया।
विज्ञान संचारक बवेजा ने बताया कि जहां एक तरफ सभी सूर्यग्रहण को बहुत  बड़ा डर मान कर घरों में दुबके पड़े थे वही वे बाल वैज्ञानिक दुनिया को दिखा रहे थे कि भारत अब अंधविश्वास की बेड़ियों से निकल कर नए वैज्ञानिक परिवेश में आगे बढ़ रहा है।
इस अवसर पर एक सोच नई सोच संस्था के संस्थापक शशी गुप्ता ने बताया कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर बहुत से लोग अंधविश्वास के कारण इस खगोलीय ओर भूगौलिक घटना का आनन्द लेने से महरूम रह जाते है शशी ने बताया सूर्य ग्रहण एक खोगोलिय घटना है सूर्यग्रहण के समय किसी ग्रह का हमारे जीवन और देश पर कोई विपरीत प्रभाव नही पड़ता बल्कि पूरा विश्व के वैज्ञानिक इस खोगोलिय घटना का उत्सुकता से इंतज़ार करते है उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को नंगी आंखों से देखने से बचना चाहिए और सूर्य ग्रहण के न होने पर भी हमे नंगी आंखों को से सूर्य को निरन्तर देखने से बचना चाहिये।
इस अवसर पर क्लब सहयोगी विकास ढींगरा ने बताया कि आज वे सब भी इस दुर्लभ खगोलीय घटना को किसी अंधविश्वास के साथ न जोड़ कर वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ अवलोकन कर पाये। पहले से ही समाज में बहुत सी कुरीतियां व्याप्त है कि सूर्य या चन्द्र ग्रहण को देखने से किसी अशुभ या अनहोनी घटना का आगमन होता है। सभी भय जगाने वाली प्रचलित मान्यताओं से इतर यह सामान्य तौर पर होने वाली खगोलीय घटना ही है इसके मद्देनजर उन्होंने परिवार सहित इसके सुरक्षित अवलोकन का नज़ारा लिया।
पूरी कवरेज़ का वीडियो
Darshan Lal Baweja

Wednesday, June 17, 2020

21 जून को वलयाकार सूर्यग्रहण Annular Solar Eclipse on June 21, 2020

21 जून को वलयाकार सूर्यग्रहण Annular Solar Eclipse on June 21, 2020
वलयाकार सूर्यग्रहण Annular Solar
21 जून को वलयाकार सूर्यग्रहण 
यमुनानगर में बेहतरीन नजारा रहेगा।
इस सूर्यग्रहण के चरम पर सूर्य 'आग के गोले -रिंग आफ फायर' की तरह चमकेगा। 
यमुनानगर में 98.95% नज़ारा होगा।
सी वी रमन विपनेट विज्ञान क्लब सचिव, हरियाणा विज्ञान मंच के जिला समन्वयक व विज्ञान अध्यापक दर्शन लाल बवेजा ने बताया कि जो सूर्यग्रहण 21 जून को लग रहा है इस प्रकार के सूर्यग्रहण को वलयाकार, कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या कंकनाकार सूर्यग्रहण प्रकार का कहा जाता है। वलयाकार सूर्यग्रहण तब लगता है जब चँद्रमा सामान्य की तुलना में धरती से उतनी अनुपातिक दूरी पर हो जाता है कि वह पूरी तरह सूर्य को ढक नही पता। वलयाकार सूर्यग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारे से निकलता सूर्य का प्रकाश सुनहरी कंगन की तरह काफ़ी चमकदार नजर आता है। सूर्य तीव्र अग्नि ज्वाला के  वलय जैसा दिखेगा। सूर्य का मध्य भाग चँद्रमा की छाया से ढका होगा जबकि बाह्य वृत्ताकार भाग से प्रकाश निकलेगा।
सूर्य ग्रहण का दृश्यपथ
पूर्ण सूर्य ग्रहण कभी भी कभी भी पूरे गोलार्ध में एक साथ दिखाई नही दे सकता, इसकी भी एक सीमा होती है। यह दो सौ पचास किलोमीटर चौड़ी पट्टी में ही दिखाई देगा और पट्टी की लंबाई कभी भी एक हजार किलोमीटर से अधिक नहीं हो सकती औऱ चौड़ाई 270 किलोमीटर से अधिक नही हो सकती। हरियाणा में इसका अधिकतम नजारा मुख्यतः पश्चिम से पूर्व की तरफ 'अधिकतम ग्रहण पट्टी' में ऐलनाबाद, सिरसा, रतिया, जाखल, पेहवा, कुरूक्षेत्र, लाडवा व यमुनानगर सर्वश्रेष्ठ रहेगा। यमुनानगर के बाद बेहट से होता हुआ उत्तराखंड के देहरादून से अगस्त्यमुनि फिर जोशीमठ से जाकर भारत की सीमा से बाहर हो जाएगा।
ग्रहण पथ
यमुनानगर सूर्यग्रहण समय सारणी
यमुनानगर में प्रात: 10 बज कर 22 से सूर्यग्रहण शुरू होगा, 12 बज कर 03 मिनट पर अधिकतम (98.95%) नजारा रहेगा जबकि 01 बज कर 48 मिनट पर सूर्यग्रहण समाप्त हो जाएगा। 
विद्यालय न खुलने के स्थिति में घर पर ही सुरक्षित अवलोकन का प्रशिक्षण। 
सेफ सोलर फिल्टर
 से अवलोकन
श्री बवेजा ने बताया कि इस बार 21 जून के वलयाकार सूर्यग्रहण को करोना का ग्रहण लग गया अन्यथा उनके क्लब की बहुत बड़ी योजना थी कि किसी विद्यालय या कालेज में बड़ा सूर्य उत्सव मनाया जायेगा।
सी वी रमन विपनेट साइंस क्लाब सरोजिनी कालोनी व हरियाणा विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद कैम्प सरकारी स्कूल के विज्ञान क्लब सदस्य जनवरी से ही  बहुत उत्साहित थे व  उन्होंने अवलोकन की तैयारियां शुरू कर  दी थी। इस बार तो समय को कुछ और ही रंग दिखाना था। अब उन्हें घर से ही सुरक्षित अवलोकन करना होगा। इसके लिए उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है।
सूर्यग्रहण के प्रकार।
दर्शन लाल बवेजा ने सूर्यग्रहण के बारे में बताया कि सूर्यग्रहण तीन प्रकार से होता है। पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण, दूसरा वलयाकार सूर्य ग्रहण एवं तीसरा आंशिक सूर्य ग्रहण।
सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो वह सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक आने से रोक लेता है। जिससे सूर्य चंद्रमा के पीछे ढक जाता है और हम पृथ्वीवासी सूर्य के प्रकाश को नहीं देख पाते। पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति में तो चंद्रमा सूर्य को पूरा ढक लेता है और ग्रहण के समय एकदम रात जैसा अंधेरा हो जाता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के कुछ भाग को ढकता है और वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूरा नहीं ढ़क पाता जिस कारण सूर्य के स्थान पर एक कंगन की तरह रोशनी का रिंग दिखाई देता है। इसे ही वलयाकार या कुंडलाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
कैसे करें अवलोकन सूर्यग्रहण के नजारे का?
सूर्य ग्रहण अवलोकन से नहीं डरना चाहिए लेकिन इसके लिए सुरक्षित साधनों का प्रयोग करना चाहिए जैसे "सुरक्षित सौर दृश्यक' (सेफ़ सोलर फिल्टर), फिल्टर युक्त दूरबीन से, सूर्य के प्रतिबिंब को दूरबीन की मदद से स्क्रीन पर लेकर, बॉक्स में फोकस करने व लाइव टेलीकॉस्ट के विभिन्न चैनल्स आदि तरीकों से अवलोकन कर सकते हैं।





याद रहे हमे भूलकर भी सूर्य का नग्न आँखोँ से नहीं अवलोकन करना चाहिये वरना आंखों में गंभीर स्थाई दोष उत्पन्न हो जाएगा।
खगोलविदों व अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण।
विज्ञान अध्यापक बवेजा का कहना है कि सूर्यग्रहण का अवसर जहां वैज्ञानिको के लिए 'नए शोध' के द्वार खोलता वहीं अंधविश्वासियों के लिए 'भय का व्यपार' के अवसर उत्पन्न करता है। सूर्यग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है जिसके अवलोकन का आनन्द लेना चाहिए। खगोलीय घटना को लेकर अंधविश्वास में न रहे। इस दुर्लभ खगोलीय घटना को किसी अंधविश्वास के साथ न जोड़ कर देखें। समाज में बहुत सी कुरीतियों व्याप्त है कि सूर्य या चन्द्र ग्रहण को देखने से किसी अशुभ या अनहोनी घटना का आगमन होता है। सभी भय जगाने वाली प्रचलित मान्यताओं से इतर यह सामान्य तौर पर होने वाली खगोलीय घटना ही है इसके सुरक्षित अवलोकन का आनन्द लें।
यह विज्ञान प्रसार द्वारा जारी वीडियो देखें।
 

यहाँ आप सूर्यग्रहण अवलोकन की विभिन्न विधियों के वीडियो देख सकते हैं।









पंजाब केसरी की खबर में.....

Darsha lal Baweja

Saturday, May 30, 2020

विद्युत के सुचालक और कुचालक पदार्थ Good and Bad conductor of electricity

विद्युत के सुचालक और कुचालक पदार्थ  Good and Bad conductor of electricity
आवश्यक सामग्री:  जांचने के लिए विद्युत परिपथ, एक बज़र, एक एलईडी, एक स्विच, एक बैटरी, सम्पर्क तारें  व बहुत सा सामान जिसमें हम सुचालक व कुचालक गुणों को जांचना चाहते हैं। (जैसे कांच, कागज, धातु, अधातु, मिश्रधातु, पानी, नमक का घोल इत्यादि।)
क्यों/ कैसे: विद्युत के सुचालक पदार्थ जो होंगे वो परिपथ को पूरा कर देंगे और कुचालक पदार्थ जो होंगे वो परिपथ को पूरा नही कर पायेंगे।
प्रयोग विधि: विज्ञान पढ़ाते समय धातु, अधातु व मिश्र धातु पाठ में धातु अधातु व मिश्र धातु के एक विशिष्ट गुणों की चर्चा होती है जिनमे एक गुण है विद्युत के सुचालक एवं कुचालक।
परिपथ का चित्र मैंने साथ संलग्न किया हुआ है। इसके अनुसार किसी लकड़ी के पीस के ऊपर या हार्ड बोर्ड पर परिपथ तैयार कर लेते हैं। परिपथ की दोनों सिरों के सम्पर्क तार जो की स्वतंत्र हैं से स्विच ऑन करने के बाद, उन तारों से हम जिस भी वस्तु को टच करेंगे अगर वह विद्युत की सुचालक होगी तो बज़र आवाज करेगा और एलईडी चमकने लगेगी अगर वस्तु कुचालक होगी तो ना बज़र बजेगा और ना ही एलईडी चमकेगी। यहां जो भी सुचालक वस्तु है वो परिपथ को पूर्ण (Close) कर देती है और कुचालक वस्तु परिपथ को पूरा नहीं करती। इस उपकरण का एक यह भी लाभ है कि हम इससे तरल पदार्थों की विद्युत सुचालक व कुचालक गुणों की जांच भी कर सकते हैं। यह परिपथ बनाना बहुत आसान है और यह बहुत महंगा भी नहीं है इस परिपथ की सहायता से हम किसी भी वस्तु के सुचालक और कुचालक का गुण पता लगा सकते हैं।
अगर आप को इस गतिविधी का वीडियो देखना हो तो यहाँ देख सकते हैं।
द्वारा: दर्शन बवेजा, विज्ञान अध्यापक, यमुना नगर, हरियाणा